हाल ही में मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी का निधन हो गया। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट के कारण हुई है। हालांकि अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी बाकी है जिसके बाद मौत के सही कारणों का पता चलेगा। श्रीदेवी की उम्र मात्र 54 साल थी और वो काफी फिट भी थी। ऐसे में लोग यह सोचकर हैरान है कि इतनी फिटनेस के बावजूद भी वो कार्डियक अरेस्ट की चपेट में कैसे आयी।
आमतौर पर लोगों को हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के बीच का अंतर ही नहीं पता होता है। हार्ट अटैक में धमनियों में अवरोध की वजह से ह्रदय को पर्याप्त मात्रा में खून नहीं मिल पाता है जबकि कार्डियक अरेस्ट में दिल की धड़कन ही रुक जाती है। हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के प्रेसिडेंट और पद्मश्री से नवाजे गये डॉ. के के अग्रवाल कार्डियक अरेस्ट के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां यहां बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
कार्डियक अरेस्ट :
कार्डियक अरेस्ट तब होता है जब ह्रदय के भीतरी विभिन्न हिस्सों के बीच सूचनाओं का आपसी आदान प्रदान बिगड़ जाता है जिससे दिल की धड़कन पर बुरा असर पड़ता है। इस अवस्था में हृदय, शरीर में खून पंप करना बंद कर देता है जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने में बहुत मुश्किल होने लगती है। अधिकतर मामलों में मरीज इस समय बेहोश हो जाते हैं। अगर कुछ ही देर के अंदर मरीज को डॉक्टर के पास नहीं ले जाया गया तो उसकी मौत हो सकती है। साफ़ शब्दों में कहा जाए तो कार्डियक अरेस्ट के दौरान दिल की धड़कन रुक जाती है।
आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट की समस्या उन्हें ज्यादा होती है जिन्हें पहले एक बार हार्ट अटैक आ चुका है। डॉ अग्रवाल का कहना है कि इससे मरने वाले 70% मरीजों की मौत हृदय में किसी अंदुरुनी अवरोध (ब्लॉकेज) के कारण होती है। कार्डियक अरेस्ट आने से पहले कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं और इसी वजह से मौत का खतरा काफी बढ़ जाता है क्योंकि मरीज को डॉक्टर के पास पहुँचने तक का समय ही नहीं मिल पाता है। जिन लोगों को पहले से ही दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे कि कोरोनरी हार्ट रोग, हार्ट अटैक, मायोकार्डिटिस इत्यादि होती हैं उनमें इसके होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
अगर आपको अचानक सीने में तेज दर्द, सांस लेने में तकलीफ, सीने में भारीपन या जकड़न और बेवजह पसीने आने जैसे लक्षण नज़र आते हैं तो इन्हें बिल्कुल भी अनदेखा ना करें। ये सभी कार्डियक अरेस्ट के लक्षण हैं।
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कार्डियक अरेस्ट का इलाज: अगर कार्डियक अरेस्ट आने के कुछ ही मिनटों के अंदर मरीज को डॉक्टर के पास पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। ऐसी अवस्था में मरीज को कार्डियोपल्मनेरी रेसस्टिसेशन (CPR) दिया जाता है जिसकी मदद से उसकी दिल की धड़कन को नियमित करने का प्रयास किया जाता है। इस दौरान डिफाइब्रिलेटर की मदद से मरीज को बिजली के झटके भी दिए जाते हैं जिससे दिल की धड़कन दोबारा शुरु हो जाए।
इन तमाम तरह की गंभीर बीमारियों से बचने के लिए यह ज़रूरी है कि आप अपनी फिटनेस पर ध्यान दें और अपनी जीवनशैली में ज़रूरी बदलाव लायें। रोजाना सुबह व्यायाम करें, पौष्टिक चीजों, हरी सब्जियों का अधिक सेवन करें, तनाव से पूरी तरह दूर रहें और खुश रहें। नियमित अंतराल पर अपने शरीर की जांच भी करवाते रहें।
साभार : ANI