वजन घटाने के लिए पौष्टिक चीजें खाना और व्यायाम करना तो ज़रूरी है ही लेकिन शायद आपको यह नहीं पता कि आप अपने खाने का समय बदलकर भी अपना वजन कम कर सकते हैं। अमेरिका में बर्मिंघम स्थित अलबामा यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर कोर्टनी पीटरसन ने अपने शोध में बताया कि, “ डिनर करने का समय बदलने से या डिनर ना करने से भी वजन कम करने में मदद मिल सकती है। उनके अनुसार अगर आप सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच खाते हैं और उसके बाद अगले 18 घंटो तक कुछ भी नहीं खाते तो इससे सुबह 8 से रात 8 के बीच खाने वाले लोगों की तुलना में ज्यादा फैट बर्न होता है। आमतौर पर अभी अमेरिका जैसे देशो में लोग सुबह 8 से रात 8 के बीच ही खाना खाते हैं।
इस शोध को “अर्ली टाइम रिस्ट्रिक्टेड फीडिंग (eTRF) नाम दिया गया है। इसमें सुबह से दोपहर के बीच में भोजन करना होता है और उसके बाद लम्बे समय तक कुछ नहीं खाया जाता है यहां तक कि आपको रात में डिनर भी नहीं करना है। दोपहर में खाना खाने के बाद सीधे अगली सुबह नाश्ता करना है। वैज्ञानिकों का मानना है कि खाने के समय में इस तरह के परिवर्तन करने से शरीर में मौजूद फैट आसानी से घटने लगता है और वजन कम करने में मदद मिलती है।
अभी तक इस शोध में इतना ही बताया गया है कि आपको अपना डिनर बहुत पहले ही कर लेना है या फिर करना ही नहीं है और उसके बाद सीधे अगले दिन नाश्ता करना है लेकिन अभी इस दिशा में और शोध होने बाकी है और यह भी पता लगाना बाकी है कि यह तकनीक इंसानों पर कितनी कारगर है। अभी तक इसे जानवरों पर आजमाया गया है और हाल ही में इंसानों पर इसका पहला टेस्ट किया गया है। इसकी मदद से उनके फैट में काफी कमी दर्ज की गयी है। इंसानों के शरीर में एक अंदुरनी घड़ी (internal clock) होती है जिसके हिसाब से शरीर का मेटाबोलिज्म सुबह के समय बेहतर तरीके से काम करता है। इस हिसाब से सुबह के समय खाना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है। चूहों पर किये इस शोध में पाया गया कि इससे कई क्रोनिक रोगों का खतरा कम होता है और शरीर के फैट में कमी आती है।
इंसानों पर किये जाने वाले शोध में अधिक वजन वाले 11 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया। इसके बाद चार दिनों तक उन्हें सुबह 8 से दोपहर 2 के बीच खाने को दिया गया और अगले 4 दिन उन्हें सुबह 8 से शाम 8 के बीच में खाने को दिया गया। इस दौरान रिसर्चर ने इटीआरएफ (eTRF) तकनीक के प्रभाव का निरीक्षण किया और उनके फैट और भूख की जांच की। रिसर्च के दौरान जांच में पाया गया कि इटीआरएफ का इस बात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा कि प्रतिभागियों ने कितनी कैलोरी बर्न की है लेकिन इससे भूख लगने की मात्रा में बदलाव आया और रात के दौरान ज्यादा तेज़ी से फैट खत्म होने लगा। इससे कार्बोहाइड्रेट और फैट को बर्न करने की क्षमता में भी सुधार दर्ज किया गया। पीटरसन बताते हैं कि, “ हम पूरी तरह अभी यह नहीं कह सकते हैं कि यह तकनीक इंसानों के वजन को कम करने में मददगार है। अभी इस दिशा में और ज्यादा शोध करने की ज़रूरत है जिससे हम इसके सभी आयामों पर सोच विचार कर सकें।
साभार : Indian Express