बदलते मौसम में अधिकतर लोगों को सर्दी-जुकाम की समस्या हो जाती है और इससे उनकी पूरी दिनचर्या ही बिगड़ जाती है। ठीक से सांस ना ले पाना, सोने, खाने और बात करने में दिक्कत होना इसके आम लक्षण है। इसके अलावा सिर में तेज दर्द और नाक बहने जैसी समस्याओं से आप अपना कोई भी काम ठीक ढंग से नहीं कर पाते हैं।
यही कारण है कि जब आपके छोटे बच्चों को सर्दी-जुकाम की समस्या होती है तो आप उनकी तकलीफ देखकर खुद परेशान होने लगते हैं। हालांकि जुकाम को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ उपायों को अपनाकर आप बच्चे की परेशानियों को कम कर सकते हैं। क्या जुकाम से आराम दिलाने के लिए बच्चों को दवाइयां देना सही है? और अगर ये सही है तो बच्चों को दवाइयों की कितनी खुराक देनी चाहिए? आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
एफडीए (FDA) के अनुसार 4 साल से कम उम्र के बच्चों को जुकाम के लिए बिना डॉक्टर की सलाह लिए सीधे मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीद कर नहीं देनी चाहिए। ये बच्चों के लिए नुकसानदायक होती हैं और इनकी बहुत अधिक मात्रा बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। इन सबके अलावा इन दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण ऐंठन और दिल की धड़कन तेज होने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. वनीत परमार के अनुसार, बच्चों को जुकाम होने पर कभी भी ओटीसी दवाइयां और एंटीबायोटिक नहीं देना चाहिए। हालांकि क्रोनिक ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर मामलों में आप इन ओटीसी दवाइयों की कम मात्रा बच्चों को दे सकते हैं लेकिन इन्हें भी डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही बच्चों को दें। मां बाप को कभी भी खुद से अपने बच्चों का इलाज नहीं करना चाहिए।
आपको बता दें कि ऐसे मामलों में एंटीबायोटिक दवाइयां भी असर नहीं करती हैं क्योंकि वे केवल बैक्टीरियल इन्फेक्शन में काम करती हैं जबकि जुकाम एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है। अनावश्यक रूप से बच्चों को एंटीबायोटिक खिलाने से आगे चलकर बच्चों में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
बच्चों को जुकाम से आराम दिलाने के लिए कुछ उपाय :
नाक का स्प्रे : अगर आपका बच्चा बंद नाक की वजह से परेशान है तो गुनगुने नमक युक्त पानी से बच्चे की नाक को साफ़ करें। दो साल से कम उम्र के बच्चों में आप इस नमकयुक्त पानी को नेजल ड्राप की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं और उससे बड़े बच्चों में आप नाक के स्प्रे का इस्तेमाल कर सकते हैं। सेलाइन वाटर या नमकयुक्त पानी, बंद नाक को खोल देता है जिससे बच्चे को सांस लेने में होने वाली तकलीफ दूर हो जाती है और वे आराम महसूस करते हैं।
शरीर की नमी बरकरार रखें : जुकाम के दौरान सबसे ज्यादा ज़रूरी है कि बच्चे के शरीर में तरल की कमी ना होने दें। इसके लिए बच्चे को दिन भर गुनगुना पानी, जूस या सूप पिलाते रहें जिससे खांसी और कंजेशन में आराम मिलता है साथ ही शरीर में नमी भी बरकरार रहती है।
कूल मिस्ट ह्यूमिडफायर का इस्तेमाल करें : भाप लेने से भी बच्चों की बंद नाक खोली जा सकती है लेकिन कई बच्चे भाप लेना पसंद नहीं करते हैं। इसके लिए आप बाज़ार में मिलने वाले कूल मिस्ट ह्यूमिडफायर का इस्तेमाल करें। इससे कमरे में नमी बरकरार रहती है जिससे बच्चे की नाक में जमा बलगम सूखता नहीं है और बच्चा आसानी से सांस ले सकता है। ध्यान रखें कि ड्राई मिस्ट ह्यूमिडफायर का इस्तेमाल ना करें क्योंकि इससे छोटे बच्चों के नाक की नली में सूजन आ सकती है जिससे उन्हें सांस लेने में और ज्यादा तकलीफ होने लगेगी।
नमकयुक्त पानी से गरारा (Gargle) करें : अगर आपका बच्चा 6 साल या उससे अधिक उम्र का है तो उसे जुकाम होने पर नमक युक्त गुनगुने पानी से गरारा करना सिखाएं। इस पानी से गरारा करने से गले में आराम मिलता है।
घरेलू उपचार अपनाएं : एक साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी से आराम पहुंचाने के लिए हर 4 घंटे पर 5-15 मिली. गुनगुना पानी पिलाएं। इतने छोटे बच्चों को शहद नहीं खिलाना चाहिए क्योंकि इससे इन्फेंटाइल बोटुलिज़्म का खतरा बढ़ जाता है।
यदि आपका बच्चा 3 महीने से छोटा है तो ऐसे में शिशु रोग विशेषज्ञ से सलाह लें। एक साल से अधिक उम्र वाले बच्चों को आप 5-15 मिली. शहद खिला सकते हैं। शहद के सेवन से कफ ढीला होता है और नाक से निकलने वाला स्त्राव भी पतला होता है।
सक्शन बल्ब (suction bulbs) का इस्तेमाल करें : छोटे बच्चों के नाक में जब ज्यादा बलगम इकठ्ठा हो जाता है तो उसे बाहर निकालने के लिए सक्शन बल्ब का इस्तेमाल किया जाता है। इसके इस्तेमाल से श्वासनली साफ़ हो जाती है और बच्चा आसानी से सांस ले पाता है।
जुकाम बच्चों के लिए काफी दुखदायी तो होते हैं लेकिन इसके लिए दवाइयों का इस्तेमाल करना सही तरीका नहीं है। ऊपर बताये गये तरीकों को अपनाने से बच्चे को आराम भी मिलेगा और जुकाम भी अपने आप ठीक हो जायेगा। अगर बच्चे का जुकाम अगले कुछ दिनों तक ठीक ना हो और उसे साथ में बुखार, उल्टी या ठंड लगने जैसी समस्याएं होने लगे तो ऐसे में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। ये फ्लू या किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं।
भारत के बेहतरीन डॉक्टरों से यहां परामर्श लें