हम अपनी व्यस्त जीवनशैली में फेफड़ों की सेहत (Lungs Health) का ख्याल रखना भूल जाते हैं जबकि फेफड़ों में होने वाला किसी भी तरह का संक्रमण आपको लंबे समय तक बीमार बना सकता है. सर्दियों का मौसम आते ही वातावरण में प्रदूषण बढ़ने से फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं जैसे कि अस्थमा, खांसी आदि होने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप फेफड़ों की सेहत का खयाल रखें और फेफड़ों को मजबूत बनाए रखें.
आयुर्वेद में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनके नियमित उपयोग से आप फेफड़ों को लंबे समय तक स्वस्थ और मजबूत बनाए रख सकते हैं. इस लेख में आपको ऐसे ही घरेलू उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं.
फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं (Ayurvedic Medicines & Herbs to Boost Lungs Function in Hindi)
कई ऐसी जड़ी-बूटियाँ हैं जो फेफड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक हैं लेकिन इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि इन आयुर्वेदिक दवाओं के साथ-साथ आपको अपनी जीवनशैली में भी कई जरूरी बदलाव लाने होंगे. उदाहरण के तौर पर सिगरेट का सेवन बिल्कुल ना करें और अधिक प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें.
1- च्यवनप्राश (Chyawanprash for Lungs Health in Hindi)
च्यवनप्राश का उपयोग सदियों से हमारे यहाँ होता रहा है और यह रसायन लोगों को निरोग रखने में यह बहुत करगर है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, च्यवनप्राश में मौजूद अमृत बॉल, गुड़ूची, और अन्य जड़ी-बूटियां इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक होती हैं. जिससे हमारे फेफड़े भी अच्छी तरह से काम करते है और खाँसी और अस्थमा जैसे रोगों से बचाव होता है.
च्यवनप्राश खाने का सही तरीका (How to Eat Chyawanprash in Hindi)
कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि च्यवनप्राश को कैसे और कब खाना चाहिए. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, च्यवनप्राश का सेवन सुबह और रात में सोने से पहले करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है और इसे खाने के तुरंत बाद गर्म दूध पिएं. च्यवनप्राश खाने के बाद अगले आधे घंटे तक पानी ना पिएं.
क्या आप खांसी से परेशान हैं? आज ही घर लाएं Tata 1mg तेजस्या कफ रिलीफ़ ड्रॉप्स और पाएं खांसी से तुरंत आराम!
2- त्रिकटु चूर्ण (Trikatu Churn for Lung Detox in Hindi)
कई लोग फेफड़ों में कफ जमा होने की समस्या से परेशान रहते हैं. कम जमा होने से सांस लेने में कठिनाई और सीने में भारीपन जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं. त्रिकटु चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसे पिप्पली, काली मिर्च और सोंठ को समान मात्रा में मिलाकर बनाया जाता है. इसे खाने से फेफड़ों में जमा कफ दूर होता है और सर्दी-जुकाम के लक्षण कम होते हैं.
त्रिकटु के सेवन का तरीका (How to take Trikatu Churn in Hindi)
त्रिकटु चूर्ण को शहद या गर्म पानी के साथ मिलाकर ले सकते हैं. आमतौर पर, 1-3 ग्राम त्रिकटु चूर्ण दिन में एक से दो बार ले सकते हैं. आजकल बाजार में त्रिकटु की टैबलेट या सिरप भी आसानी से उपलब्ध है जिसका उपयोग चिकित्सक से सलाह लेकर कर सकते हैं.
3- शहद (Honey Benefits for Lungs Health in Hindi)
शहद का इस्तेमाल खांसी और अस्थमा से जुड़ी कई आयुर्वेदिक औषधियों में प्रमुखता से किया जाता है. शहद भी फेफड़ों में कफ को जमने से रोकने में मदद करता है. इसके नियमित सेवन से फेफड़े स्वस्थ रहते हैं, गले की सूजन कम होती है और सांस फूलने जैसे लक्षण कम होते हैं.
शहद का सेवन कैसे करें (How to Take Honey in Hindi)
फेफड़ों को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए आप निम्न तरीकों से शहद का उपयोग कर सकते हैं.
– एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाएं और इसे धीरे-धीरे पिएं.
– अगर छोटे बच्चे सीधे शहद नहीं खा रहें हैं तो उन्हें एक चम्मच शहद ब्रेड या रोटी में लगाकर खिलाएं.
– खांसी से जल्दी राहत के लिए थोड़े से गुड़ में आधा चम्मच शहद मिलाकर खाएं.
4- सितोपलादि चूर्ण (Sitopaladi Churn for Lungs Health in Hindi)
सितोपलादि चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका उपयोग सांस और खांसी से जुड़ी समस्याओं के इलाज में किया जाता है. इस चूर्ण के सभी घटक आयुर्वेदिक और प्राकृतिक है. यह चूर्ण फेफड़ों को मजबूत बनाकर अस्थमा के लक्षणों को कम करने में मदद करता है.
सितोपलादि चूर्ण के सेवन का तरीका (Sitopaladi Churn Dosage and How to take in Hindi)
सितोपलादि चूर्ण को कभी भी सीधे तौर पर ना लें अन्यथा यह गले में अटक सकता है. इसे हमेशा पहले एक चम्मच शहद में अच्छे से मिला लें और उसके बाद सेवन करें. आमतौर पर, 1 से 3 ग्राम सितोपलादि चूर्ण दिन में एक से दो बार ले सकते हैं. अगर आप गंभीर रूप से खांसी से पीड़ित हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका सेवन करें.
5- तुलसी का काढ़ा (Tulsi Kadha for Lungs Health in Hindi)
तुलसी का पौधा अधिकांश लोग अपने घरों में लगाकर इसकी पूजा करते हैं. तुलसी की पत्तियां फेफड़ों को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाती हैं. इसके सेवन से अस्थमा और ब्रोंकाइटिस जैसे रोगों के लक्षण कम होते हैं और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए तुलसी का काढ़ा बनाकर पिएं.
तुलसी का काढ़ा बनाने का तरीका (Tulsi Kadha Recipe in Hindi)
तुलसी का काढ़ा आप आसानी से घर पर बना सकते हैं.
सामग्री:
-तुलसी के पत्ते – 10-12
-अदरक (बारीक कटा हुआ) – 1 छोटा चम्मच
-मुलेठी पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच
-शहद – 1 बड़ा चम्मच
-पानी – 2 कप
बनाने की विधि:
सबसे पहले पानी को उबालें और इसमें तुलसी के पत्ते, अदरक और मुलेठी पाउडर डालें. इसे 5 से 7 मिनट तक धीमी आंच पर उबलने दें. जब यह हल्का ठंडा हो जाए तो इसमें शहद मिलाएं. दिन में एक से दो बार इसे पिएं.
इसके अलावा कुछ ऐसे योग और प्राणायाम भी हैं जिन्हें करने से फेफड़े मजबूत होते हैं और संक्रमण से दूर रहते हैं.
प्राणायाम (Pranayam for Lungs Health in Hindi)
कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, और उज्जायी प्राणायाम फेफड़ों के लिए लाभकारी हो सकते हैं। ये श्वासनली को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं. जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं उन्हें ये प्राणायाम नियमित रूप से करने चाहिए.
योगासन (Yoga for Lungs in Hindi)
योगासन, विशेषकर उष्ट्रासन और भुजंगासन, श्वासनली को मजबूत बना सकते हैं और श्वास की समस्या में सुधार कर सकते हैं। योग नियमित रूप से किया जाए तो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद कर सकता है।
जल नेति (Jal Neti Benefits for Lungs in Hindi)
जलनेति नाक को साफ और शुद्ध करने की आयुर्वेदिक विधि है. इसमें गुनगुने पानी को नेति पात्र की मदद से एक नाक में डालकर दूसरे नाक से इस पानी को बाहर निकाला जाता है. इस विधि को किसी योग विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें.
यहां बताए गए सभी आयुर्वेदिक औषधियां और योग-प्राणायाम फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने में कारगर हैं. अगर आप फेफड़ों से जुड़ी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं या किसी भी दवा के खुराक से संबंधित कोई जानकारी चाहते हैं तो नजदीकी आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें.
(इस लेख की समीक्षा डॉ. स्वाति मिश्रा, मेडिकल एडिटर और डॉ. दीपक सोनी, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने की है.)
Image Source: Shutterstock