च्यवनप्राश कई प्रकार की जड़ी-बूटियों से तैयार एक आयुर्वेदिक टॉनिक है जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद है. सदियों से अधिकांश भारतीय घरों में च्यवनप्राश का उपयोग होता रहा है. कई आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे कि आष्टांग हृदयम, चरक संहिता, शार्गधर संहिता में च्यवनप्राश के फायदे और सेवन के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है.
आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, इसे खाने से शरीर को एनर्जी मिलती है, बढ़ती उम्र का असर कम होता है साथ ही शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता में भी सुधार होता है. च्यवनप्राश का सेवन किसी भी उम्र के पुरुष और महिलाएं कर सकते हैं बस इतना ध्यान रखें कि तीन-चार साल से कम उम्र वाले बच्चों को च्यवनप्राश ना खिलाएं.
च्यवनप्राश के फायदे (Chyawanprash Health Benefits in Hindi)
आयुर्वेद में च्यवनप्राश को रसायन की केटेगरी में रखा गया है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, रसायन वे औषधियां हैं जिनके सेवन से शरीर अंदर से मजबूत होता है और उम्र बढ़ती है. या दिन भर थकावट बनी रहती है तो आपके लिए च्यवनप्राश काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. आइए च्यवनप्राश के मुख्य फायदे जानते हैं:
इम्यूनिटी में सुधार:
अगर आप बदलमे मौसम में बहुत जल्दी बीमार पड़ जाते हैं तो यह दर्शाता है कि आपके शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर है. च्यवनप्राश में मौजूद जड़ी-बूटियाँ शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में सुधार करती हैं जिससे आप कम बीमार पड़ते हैं. सर्दियों में इसके सेवन से बार-बार होने वाले सर्दी-जुकाम से आप बच जाते हैं.
सांस से जुड़े रोगों में फायदेमंद:
अगर आप खांसी या सांस से जुड़ी समस्या जैसे कि अस्थमा से पीड़ित हैं तो आपको आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर च्यवनप्राश का सेवन शुरू कर देना चाहिए. इसमें मौजूद जड़ी-बूटियाँ फेफड़ों को मजबूत बनाती हैं और गले या सीने में जमे कफ को तेजी से कम करती हैं. जिससे खांसी से राहत मिलती है.
थकान भगाए और एनर्जी लेवल बढ़ाए:
कई बार बिना ज्यादा मेहनत किए भी कुछ लोगों को बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है या कुछ लोग ऑफिस सएआने के बाद इतने थक जाते हैं कि कुछ भी काम करने लायक एनर्जी नहीं रहती है. ऐसे लोगों के लिए च्यवनप्राश एक कारगर ओषधि है. रोजाना एक से दो चम्मच च्यवनप्राश खाने से दिन भर एनर्जी लेवल मेंटेंन रहता है और जल्दी थकान नहीं होती है.
च्यवनप्राश बनाने की सामग्री (Chyawanprash Ingredients List in Hindi)
कई लोगों का यह मानना है कि बाजार में मिलने वाले च्यवनप्राश में मिलावट हो सकती है इसलिए वे घर पर ही आयुर्वेदिक विधि से च्यवनप्राश बनाना चाहते हैं. अगर आप भी उनमें से एक हैं तो यहां बताई गई सामग्री का उपयोग करें.
आयुर्वेदिक ग्रंथों में च्यवनप्राश बनाने की जो विधि बताई गई है उसमें सामग्रियों को 4 अलग-अलग श्रेणियों में बांटा गया है:
1- मुख्य सामग्री: आंवला
2- संसाधन सामग्री या काढ़ा बनाने की सामग्री: बेल, अग्निमंथ, काशमर्या, श्योनक, पातल, गोक्षुर, सरिवन, बारिकटेरी, कंटकारी, ककड़ासिंगी, द्राक्ष, हरितकी, गुड़ूची, बला, भूम्यामलकी, वासा, जीवंती आदि औषधि (प्रत्येक की 50 ग्राम मात्रा)
3- यमक सामग्री: गाय का घी और तिल का तेल
4- प्रक्षेप सामग्री: 150 ग्राम वंशलोचन; 100 ग्राम पिप्पली और नागकेसर; 10-10 ग्राम इलायची, तमालपत्र और दालचीनी
चयनवनप्राश बनाने की आयुर्वेदिक विधि (How to Make Ayurvedic Chyawanprash at Home in Hindi)
सबसे पहले आप ऊपर बताई गई सभी सामग्रियाँ खरीदकर घर पर रख लें. इसके अलावा च्यवनप्राश बनाने के लिए साइज की लोहे की कड़ाही का प्रयोग करें. हम यहां आपको चयनप्राश बनाने की मानक विधि (Chyawanprash Recipe) के बारे में बता रहे हैं जिसमें लगभग 500 आंवले (लगभग 6.5 किलो वजन) का प्रयोग किया जाता है. अगर आपको घर पर कम मात्रा में बनाना हो तो इसी अनुपात में आंवले और अन्य जड़ी-बूटियों की कम मात्रा उपयोग में लाएं.
1- ऊपर बताई गई संसाधन सामग्री में शामिल सभी जड़ी-बूटियों (बेल, अग्निमंथ, काशमर्या, श्योनक, पातल, गोक्षुर, सरिवन, बारिकटेरी, कंटकारी, ककड़ासिंगी, द्राक्ष, हरितकी, गुड़ूची, बला, भूम्यामलकी, वासा, जीवंती आदि औषधि ) की 50-50 ग्राम मात्रा लेकर इसे 16 लीटर पानी में डालकर उबालें.
2- दूसरी तरफ 500 आंवलों को एक कॉटन कपड़े में बांधकर पोटली बना लें और इस पोटली को उसी उबलते पानी में डालें जिसमें सारी जड़ी-बूटियाँ डाली गई हैं. इसे तब तक उबालें जब तक पूरा मिश्रण का पानी घटकर एक चौथाई ना हो जाए.
3- अब आंवले वाली पोटली को हटा लें और बाकी बचे हुए जड़ी-बूटियों के काढ़े या मिश्रण को छानकर इसका पानी दूसरे बर्तन में अलग रख लें. अब आंवलों के बीजों को निकाल दें. बचे हुए आंवले के पल्प या गूदे को मसलिन कपड़े पर रगड़कर इसके रेशे या फाइबर अलग कर दें. अब आंवले के बचे हुए पेस्ट (आँवला पिष्टी) को एक अलग बर्तन में रख लें.
4- अब लोहे की कड़ाही में आधा किलो गए का घी और तिल का तेल डालकर गर्म करें और इसमें आंवले का पेस्ट मिलाकर पकाएं. इसे तब तक पकाएं जब तक यह मिश्रण हल्के लाल या सुनहरे रंग का ना हो जाए.
5- जब आंवला घी और तिल के तेल में पककर हल्का लाल हो जाए तब इसमें जड़ी-बूटियों वाला काढ़ा या सीरप डालें और पकाएं. अब इस मिश्रण को हल्का कठोर (Semi solid) होने तक पकाएं.
6- जब यह हल्का कठोर होने लगे तो उस समय इसमें ऊपर बताई गई प्रक्षेप सामग्री (150 ग्राम वंशलोचन; 100 ग्राम पिप्पली और नागकेसर; 10-10 ग्राम इलायची, तमालपत्र और दालचीनी) डालकर कुछ देर और पकाएं. इन चीजों को डालने से च्यवनप्राश से पिप्पली और दालचीनी की खुशबू आती है. इसे लगातार किसी बड़े चम्मच से चलाते रहें जिससे यह मिश्रण जले नहीं.
7- कुछ देर पकाने के बाद आंच बंद कर दें और इसे ठंडा होने के लिए रख दें. जब यह सामान्य तापमान पर आ जाए तो इसमें 250 ग्राम शहद मिलाएं जिससे इसमें थोड़ी मिठास आ जाए.
अब आपका च्यवनप्राश पूरी तरह तैयार है. अगर आपको इसे घर पर बनाना मुश्किल लग रहा है तो आप Tata 1mg तेजस्या च्यवनप्राश का सेवन कर सकते हैं. 45 से अधिक जड़ी-बूटियों से मिलकर बने तेजस्या च्यवनप्राश को आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की देखरेख में और आयुर्वेद में बताए गए सभी मानकों का ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. यह प्रोडक्ट 100% आयुर्वेदिक है और इसमें किसी भी तरह के केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है. तेजस्या चयनवप्राश अभी खरीदने के लिए यहां क्लिक करें.
च्यवनप्राश कब खाना चाहिए (Best Time to Eat Chyawanprash in Hindi)
च्यवनप्राश का सेवन सुबह खाली पेट दूध के साथ करना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, सुबह के समय शरीर की पाचक अग्नि सबसे तेज होती है और इस समय चयनप्राश खाने से पूरे दिन शरीर को पर्याप्त एनर्जी मिलती है. रोजाना सुबह एक चम्मच च्यवनप्राश खाएं और साथ में गुनगुना दूध पिएं. इसे खाने के आधे घंटे बाद तक तेज मसालेदार चीजें खाने या ठंडा पानी पीने से परहेज करें.
अगर आप खांसी या सर्दी-जुकाम से परेशान हैं तो रात में सोने से पहले एक चम्मच च्यवनप्राश खाएं और इसके तुरंत बाद गुनगुना दूध पिएं. इससे खांसी और सर्दी–जुकाम से जल्दी आराम मिलता है साथ ही सर्दियों के मौसम में ठंड भी नहीं लगती है.
च्यवनप्राश खाने के नुकसान (Side Effects of Chyawanprash in Hindi)
आमतौर पर च्यवनप्राश खाने से कोइ भी नुकसान नहीं होता है लेकिन अगर आप जरूरत से ज्यादा मात्रा में इसका सेवन कर रहें हैं तो कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं. आयुर्वेदिक एक्सपर्ट के अनुसार, बहुत अधिक मात्रा में च्यवनप्राश खाने से पेट में जलन,, पेट फूलने या लूज मोशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर आप च्यवनप्राश के फायदे (Chyawanprash ke fayde) प्राप्त करना चाहते हैं तो सीमित मात्रा में ही इसका सेवन करें.
अगर आप पेट के अल्सर या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं तो बिना डॉक्टर से सलाह लिए च्यवनप्राश का सेवन ना करें. कुछ लोगों का मानना है कि च्यवनप्राश का सेवन सिर्फ सर्दियों में करना चाहिए. जबकि आयुर्वेदिक एक्सपर्ट बताते हैं कि इसे आप सर्दियों और गर्मियों दोनों मौसम में ले सकते हैं बस इसकी मात्रा एक से दो चम्मच ही रखें.
(इस लेख की समीक्षा डॉ. स्वाति मिश्रा, मेडिकल एडिटर और डॉ. दीपक सोनी, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने की है.)
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