आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस समय दुनिया की सबसे तेजी से विकसित होने वाली तकनीक है। जहां कुछ लोग इसके तमाम फायदे गिनाते हैं वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी मानवता के लिए एक बड़ा खतरा है। इसका भविष्य चाहे जो भी हो लेकिन वर्तमान समय में यह काफी तेजी से हर क्षेत्र में अपनी अहमियत दर्ज करा रही है। मोबाइल, कंप्यूटर जैसी आईटी क्षेत्र के अलावा अब मेडिकल क्षेत्र में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का असर आप देख सकते हैं।
गूगल के हेल्थ टेक्नोलॉजी टीम के वैज्ञानिक एक ख़ास तरह के अल्गोरिथम पर रिसर्च कर रहे हैं और उनका दावा है कि इस सॉफ्टवेयर के मदद से मरीज के आंखों की स्कैनिंग से यह पता चल जायेगा कि उसे दिल कि बीमारी है या नहीं।
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रिसर्च टीम के सदस्यों ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से पहले मरीज की आंखों की स्कैनिंग की जायेगी साथ ही उससे जुड़ी तमाम तरह की जानकारियां जैसे कि उसकी उम्र, ब्लड प्रेशर, वो स्मोकिंग करता है या नहीं इत्यादि का डाटा इकठ्ठा किया जायेगा। इस डेटाबेस के आधार पर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सॉफ्टवेयर यह अनुमान लगाएगा कि मरीज को हार्ट अटैक या दिल से जुड़ी बीमारी होने की सम्भावना कितनी है।
गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ब्लॉग में प्रोडक्ट मेनेजर ली पेंग बताते हैं कि, “इस प्रोजेक्ट के शुरूआती चरण में हमने करीब 300000 मरीजों के आंखों की स्कैनिंग की है और उनसे जुड़े डाटा इकठ्ठा किये हैं। इस डाटा पर डीप लर्निंग एल्गोरिदम का प्रयोग किया गया और इसकी मदद से दिल की बीमारियों का पता लगाने में हम काफी हद तक सफल हुए।
उनका कहना है कि हालांकि अभी यह प्रोजेक्ट शुरूआती चरण में है और आगे हम लोगों को इस दिशा में बहुत रिसर्च करने की ज़रूरत है जिससे निकट भविष्य में सिर्फ आंखों की स्कैनिंग करके बीमारियों का पता लगाया जा सके। निकट भविष्य में यह तकनीक डॉक्टरों के साथ साथ मरीजों के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगी।
इस शोध को ‘जर्नल बायोमेडिकल इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित किया गया है।