अनचाहे गर्भ के बारे में पता चलते ही हर महिला के मन में कई सवाल उठते हैं जैसे कि क्या इस समय गर्भपात की गोली खाना सुरक्षित है? या फिर उन्हें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी (MTP) कराने की जरुरत है? गर्भपात की गोली के साइड इफ़ेक्ट क्या हैं? वास्तव में अभी अपने देश की महिलाओं में गर्भपात के सभी विकल्पों और इसके कानून से जुड़ी जागरूकता बहुत कम है। अगर आप भी अनचाहे गर्भ के बारे में सोच कर परेशान हैं तो इस लेख में आपको गर्भपात से जुड़े सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।
दिल्ली स्थित गायनकोलॉजिस्ट डॉ. नुपुर गुप्ता, भारत में गर्भपात करवाने के सभी पहलुओं पर विस्तार से बता रही हैं।
एमटीपी क्या है?
एमटीपी एक दवा है जो गर्भपात कराने के लिए इस्तेमाल की जाती है। इसे आप बिना डॉक्टर की पर्ची के सीधे मेडिकल स्टोर से नहीं खरीद सकते हैं। इसके इस्तेमाल को लेकर सरकार द्वारा कानून बनाया गया है जिसे चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून (Medical Termination of Pregnancy Act) नाम से जाना जाता है। इस कानून के अंतर्गत यह बताया गया है कि कोई भी भारतीय महिला किन परिस्थितियों में गर्भपात करवा सकती है।
कौन सी महिलाएं मेडिकल अबॉर्शन करवा सकती हैं?
एमटीपी भारत में महिलाओं के लिए प्रजनन से जुड़ा स्वास्थ्य अधिकार है। कोई भी महिला निम्न परिस्थितियों में एमटीपी करवा सकती है।
- अगर महिला का जीवन जोखिम में हैं या वो जानलेवा परिस्थितयों से गुजर रही है और इस प्रक्रिया की मदद से उसकी जिंदगी बचाई जा सकती हो।
- अगर गर्भावस्था को जारी रखने से उसके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को कोई खतरा हो।
- अगर शिशु में किसी भी तरह के शारीरिक या मानसिक अनियमितता का खतरा हो।
- अगर महिला बलात्कार या सेक्सुअल उत्पीडन की वजह से गर्भवती हुई हो।
- अगर गर्भनिरोधक के फेल हो जाने से महिला गर्भवती हुई हो।
- अगर गर्भपात महिला की सहमती से हो रहा हो।
अबॉर्शन कैसे किया जाता है ?
आमतौर पर गर्भपात के लिए दो तरीके अपनाये जाते हैं।
1- मेडिकल अबॉर्शन : इसमें दवाइयों की मदद से गर्भपात किया जाता है।
2- सर्जिकल अबॉर्शन : इसमें गर्भपात के लिए डाइलेशन और एवेक्युलेशन (D&E) प्रक्रिया अपनाई जाती है।
भारत में गर्भपात को लेकर सख्त कानून हैं जिसमें गर्भपात समय सीमा निर्धारित की गयी है। इसके अनुसार गर्भधारण के सात हफ़्तों के अंदर महिला को बिना एडमिट किये उसका मेडिकल अबॉर्शन कराया जा सकता है। इस मामले में महिला, डॉक्टर द्वारा बताई गयी दवाइयों का सेवन घर पर रहकर कर सकती है। सात हफ़्तों के बाद इसे चिकित्सकीय देखरेख में ही किया जाना चाहिए और इसके लिए महिला को एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सात हफ़्तों के बाद अबॉर्शन करवाने पर महिला को कुछ समस्याएं होने का खतरा रहता है।
गर्भपात की गोली खाने के बाद क्या होता है ?
गर्भपात की गोली या एबॉर्शन पिल्स हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए। आइये जानते हैं कि यह दवा किस तरह काम करती है।
- प्रोजेस्टेरोन हार्मोन को बनने से या उसके क्रियाविधि को रोकती है।
- मायोमेट्रियम (गर्भाशय की अंदुरुनी मध्य परत) को संकुचित करती है।
- ट्रोफोब्लास्ट (Trophoblast) को बढ़ने से रोकती है। ट्रोफोब्लास्ट वे कोशिकाएं होती हैं जो भ्रूण को पोषण देती हैं और प्लेसेंटा को विकसित करती हैं।
गर्भपात की गोली को इस्तेमाल करने का तरीका क्या है?
महिलाओं को दो अलग तरह की गोलियां लेनी पड़ती हैं। पहली गोली डॉक्टर की देखरेख में लेने के 36-48 घंटों के बाद दोबारा दूसरी गोली लेने के लिए डॉक्टर के पास आना पड़ता है।
पहली गोली गर्भपात के लिए गर्भाशय को तैयार करती है। आपको बता दें कि सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा), गर्भ में विकसित हो रहे भ्रूण को सहारा देती है और यह दवा उस सर्विक्स को नरम करती है। इसके अलावा यह प्रोजेस्टेरोन को रोकती है और गर्भाशय के सतह को तोड़ देती है। वहीं दूसरी गोली गर्भाशय को सिकुड़ने में मदद करती है जिससे भ्रूण के साथ यूटेराइन लाइनिंग बाहर निकल जाती है।
आमतौर पर गर्भपात की गोलियों को गर्भावस्था के शुरूआती हफ़्तों में ही लेने की सलाह दी जाती है इसके बाद में फिर सर्जिकल अबॉर्शन को ही उचित माना जाता है। हालांकि मेडिकल अबॉर्शन गर्भावस्था के 20 हफ़्तों तक मान्य है लेकिन एमटीपी एक्ट के अनुसार 12 हफ़्तों के बाद आप कम से कम दो गायनकोलॉजिस्ट की सलाह के बाद ही ऐसा करवा सकती हैं।
क्या गर्भपात की गोली के साइड इफेक्ट भी होते है ?
जी हां, गर्भपात की गोली के नुकसान भी कई हैं और हर महिला को इसकी जानकारी जरुर होनी चाहिए। आइये कुछ प्रमुख दुष्प्रभावों के बारे में जानते हैं।
- मिचली और उल्टी आना
- थकान
- डायरिया
- ठंड के साथ या बिना ठंड वाला बुखार
- पेल्विक हिस्से में तेज दर्द या क्रैम्प
- चक्कर आना
मिचली, उल्टी और डायरिया जैसे दुष्प्रभाव मेडिकल एबॉर्शन के कुछ दिन बाद ही अपने आप ठीक हो जाते हैं। अगर ये लक्षण जारी रहते हैं तो अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
एमटीपी से क्या-क्या समस्याएं हो सकती हैं?
एबॉर्शन फेल होना : कभी कभी गर्भपात की गोलियां ठीक से असर नहीं कर पाती हैं जिस वजह से गर्भावस्था जारी रहती है। हालांकि इन परिस्थितियों में गर्भावस्था जारी रखने पर भ्रूण में असमान्यताएं होने का बहुत अधिक खतरा रहता है। इसलिए ऐसे मामलों में महिला को सर्जिकल अबॉर्शन करवाना चाहिए।
एलर्जी : कुछ महिलाओं को इन गर्भपात की गोलियों में मौजूद सक्रिय यौगिकों से एलर्जी भी हो सकती है। जिसकी वजह से एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है साथ ही गर्भपात के फेल होने का खतरा बढ़ सकता है। अगर इनके सेवन से आपको किसी तरह की एलर्जी या स्वास्थ्य से जुड़ी कोई समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अबॉर्शन पिल्स के इस्तेमाल से यूटेरस में संक्रमण होने का खतरा बहुत कम मामलों में देखने को मिलता है। गर्भपात कराने के कुछ दिनों बाद डॉक्टर के पास जाकर यह सुनिश्चित कर लें कि गर्भपात पूरी तरह ठीक से हुआ है या नहीं। इन सबके अलावा इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सेक्स ना करें क्योंकि उससे संक्रमण हो सकता है।
गर्भपात के बाद देखभाल :
1- एमटीपी कराने के दो हफ़्तों के बाद गर्भपात ठीक से हुआ है या नहीं इसे सुनिश्चित करने के लिए अल्ट्रासाउंड जरुर करवाएं।
2- अगर एबॉर्शन पिल फेल हो गयी है या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है तो ऐसे में वैक्यूम एस्पिरेशन द्वारा एबॉर्शन के लिए तैयार रहें।
3- अगर एक घंटे में दो बार से ज्यादा पैड बदलना पड़ रहा है या बहुत ज्यादा ब्लीडिंग के साथ बुखार और क्रैम्प की समस्या है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
4- गर्भपात के बाद अगर बुखार नहीं खत्म हो रहा है तो यह दर्शाता है कि वहां संक्रमण हो गया है और इसे दवाइयों की मदद से ठीक करने की जरुरत है।
5- सेक्स : जब तक ब्लीडिंग पूरी तरह से रुक ना जाए तब तक सेक्स से परहेज करें।
6- गर्भनिरोधक : जब यह सुनिश्चित हो जाए कि गर्भपात ठीक ढंग से हो गया है तो इसके बाद आप गर्भनिरोधक जैसे कि आईयूडी का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि संक्रमण मौजूद होने पर ऐसा न करें। गर्भपात के बाद जब महिलाऐं सेक्सुअली सक्रिय हो जाएँ तो उस दौरान कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
गर्भपात के बाद ध्यान देने वाली बातें :
गर्भपात की गोली कभी भी सीधे मेडिकल स्टोर से ना खरीदें। इन्हें हमेशा डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस्तेमाल करें।
कुछ मामलों में इंट्रा यूटेराइन डिवाइस (IUD) के फेल होने की वजह से भी प्रेगनेंसी हो सकती है। ऐसे मामलों में महिलायें गर्भपात की गोलियां ले सकती हैं लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि दवाइयां लेने से पहले उन डिवाइस को डॉक्टर की मदद से हटा लें।
किसी भी प्रेगनेंसी टेस्ट से सिर्फ प्रेगनेंसी का ही पता चलता है लेकिन इस बारे में पता नहीं चलता है कि भ्रूण यूटेरस के अंदर है या बाहर। इसलिए एमटीपी कराने से पहले अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी जाती है जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रूण यूटेरस के अंदर ही है।
अगर भ्रूण यूटेरस के बाहर है जैसे कि भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से चिपक गया हो तब ऐसे मामलों में गर्भपात के लिए मेडिकल अबॉर्शन की सलाह नहीं दी जाती है।
गर्भपात के बाद मासिक धर्म में अनियमितताएं देखने को मिलती हैं। गर्भपात के बाद पहले पीरियड में ज्यादा या कम ब्लीडिंग हो सकती है। आपको यही सलाह दी जाती है कि इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ से पूरी जानकारी लें।
अगर कोई अंदरुनी ऐसी गंभीर समस्या ना हो जिसका इलाज ना हुआ हो तो भविष्य में गर्भवती होने में कोई खतरा नहीं होता है। लेकिन फिर भी यह सलाह दी जाती है कि ट्रीटमेंट के बाद होने वाली समस्याओं के बारे में पूरी जानकारी अपने डॉक्टर से लें।
सन्दर्भ :
Handbook on Medical Methods of Abortion by Government of Madhya Pradesh and Ipas to expand access to new technologies for safe abortion.
The Medical Termination Of Pregnancy Act, 1971. (Act No. 34 of 1971)
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