रोगनाशक गुग्गुलु के औषधीय गुण और फ़ायदें

Rognashak-gugulu

गुग्गुलु या गुग्गुल वास्तव में एक पेड़ से प्राप्त होने वाला काले लाल रंग का गोंद या रेज़िन होता है। संस्कृत में गुग्गुलु का अर्थ ‘रोगों से बचाने वाला’ होता है, और अपने नाम के अनुरूप ही इसका प्रयोग सदियों से प्राचीन आयुर्वेद में विभिन्न रोगों के उपचार के लिये किया जाता रहा है।

गुग्गुलु का शोधन
आयुर्वेद के अनुसार कच्चे और ताज़ा गुग्गुलु से त्वचा पर चकत्ते, दस्त, सरदर्द, चक्कर आना और उल्टी होने जैसी समस्यायें आ सकती है। इस कारण गुग्गुलु का प्रयोग से पहले शुद्धिकरण किया जाता है। शुद्धिकरण के लिये इसे गाय के दूध, विभिन्न औषधियों के रस या गौ मूत्र के साथ पकाया जाता है। सामान्यत: आयुर्वेद चिकित्सक गुग्गुलु का शोधन इसे त्रिफ़ला के काढे और दूध के साथ पकाकर करते है।

गुग्गुलु के औषधीय गुण व प्रयोग
स्वाद में कड़वे या कसैले गुग्गुलु के का प्रयोग अकेले या विभिन्न औषधियों के साथ मिलाकर किया जाता है, यह निम्न रोगों में प्रभावी है।
1. गुग्गुलु में वसा (फ़ैट) को गलाने के गुण होतें हैं, जिसके कारण यह कोलेस्ट्रोल को कम करता है और हृदय रोगों से बचाव करता है।
2. पुरानी से पुरानी कब्ज़, एसिडिटी और खट्टी ढकारें गुग्गुलु को त्रिफ़ला के साथ लेने से ठीक हो जाती है।
3. गर्म पानी के साथ गुग्गुलु लेने पर शरीर का उपापचय (मेटाबोलिज्म) तीव्र हो जाता है, जिससे शरीर सक्रिय रहता है और मोटापा कम हो जाता है।
4. इसमें कोशिकानाशी (साइटोटोक्सिक) गुण पायें जाते हैं, अत: यह कैंसर में प्रभावी दवा है।
5. मुंह के छालों, मुहांसों, त्वचा के रोगों, मुंह पर अधिक तेल आने जैसे अवस्थाओं में गुग्गुलु लेने पर सुधार आता है।
6. गुग्गुलु हड्डियों को मजबूत बनाता है। इसमें सूजन रोधी और दर्द निवारक गुण भी होतें है, अत: हड्डी टूटने (फ़्रैकचर होने) या घुटनों के दर्द में इसे अन्य एलोपैथिक दवाओं के साथ दिया जा सकता है।
7. कुछ शोधों के मुताबिक गुग्गुलु का प्रयोग प्रजनन रोधी (एंटी फ़र्टाइल) के रूप में भी किया जा सकता है।
8. गुग्गुलु में पाये जाने वाले तेल में जीवाणु रोधी गुण पाये जातें है, जिसके कारण इसका प्रयोग नि:जर्मीकरण (स्टरलाइजेशन, फ़्यूमिगेशन) में भी हो सकता है।
9. चुंहारे के साथ गुग्गुलु मिलाकर खाने पर कमर के दर्द में आराम मिलता है।
10. गुग्गुलु की धूणी लेने पर कान का संक्रमण ठीक हो जाता है।
11. इन सबके अलावा गंजेपन, थायराइड के रोगों और तंत्रिका तंत्र के रोगों को ठीक करने में भी गुग्गुलु सक्षम है।

अन्य औषधियों के साथ प्रयोग : गुग्गुलु को अन्य औषधियों के साथ मिलाकर यौगिक औषधियां बनायी जाती है, जो कई बीमारियों में प्रभावी होती है। इनमें से कुछ प्रमुख यौगिक औषधियां निम्न हैं
1. त्रिफ़ला गुग्गुलु – त्रिफ़ला के साथ मिलाकर इसका प्रयोग करने से शरीर के विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते है, उत्तक स्वस्थ रहते हैं, खून का शोधन होता है, तथा पाचन तंत्र सही बना रहता है।
2. योगराज़ गुग्गुलु – गुग्गुलु के साथ त्रिफ़ला, विदांग और चित्राक नामक औषधि को मिलाकर योगराज़ गुग्गुलु बनता है जो कि जोड़ों, तंत्रिका तंत्र , वायु रोग (गैस) और त्वचा के रोगों में प्रभावी है।
3. कचनार गुग्गुलु – कचनार के फ़ूलों के साथ इसे मिलाकर बने यौगिक से लसिका तंत्र और हार्मोन संबंधित विकार दूर होतें हैं।
गौकश्रुदि गुग्गुलु – गौकशुरा के साथ गुग्गुलु का सेवन करने पर मूत्रशोधन होत्ता है, तथा प्रजनन तंत्र और पेशाब से संबंधित रोगों में राहत मिलती है।

गुग्गुलु के दुष्प्रभाव या साइड इफ़ेक्ट
सही तरीके से शोधित किये गये गुग्गुलु के कोई विशेष दुष्प्रभाव नहीं होते। इसकी तासीर गर्म होती है अत: इसके साथ दूध का सेवन करना जरूरी होता है। इसके अलावा बहुत लंबे समय तक इसका सेवन करते रहने पर लीवर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अपने संस्कृत नाम के अनुसार ही गुग्गुलु में बहुत से रोगों को नष्ट करने वाले तत्व पायें जाते हैं। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में भी इस पादप पर शोध हो रहें हैं व उम्मीद है कि जल्द ही इस प्राचीन भारतीय औषधि को विश्व स्तर पर पहचान मिल जायेगी।

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