सर्दियों का मौसम आने ही वाला है और इस मौसम में अगर आपका शरीर अगर अंदर से कमजोर है तो आपके बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है. आप अपने आसपास देख रहे होंगे कि इन दिनों कई लोग बार-बार बीमार हो रहे हैं या सर्दी-जुकाम से परेशान हैं. दरअसल ऐसा कमजोर स्टेमिना और इम्यूनिटी की वजह से हो रहा है. आयुर्वेद में स्टेमिना बढ़ाने के कई उपाय बताए गए हैं जिनमें कुछ खास जड़ी-बूटियों का सेवन और लाइफस्टाइल से जुड़े बदलाव शामिल हैं.
इन जड़ी-बूटियों का सेवन करने के साथ-साथ अगर आप लाइफस्टाइल से जुड़ी कुछ आदतों को अपनाएं तो सर्दियों में खुद को बीमार होने से बचा सकते हैं. आइए स्टेमिना बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1- अश्वगंधा (Ashwagandha for Stamina)
अश्वगंधा का सेवन वैसे तो किसी भी मौसम के किया जा सकता है लेकिन सर्दियों के मौसम में इसका सेवन विशेष लाभकारी होता है। ये स्ट्रेस को तो कम करता ही है साथ ही इसे नियमित रूप से लेने से शरीर का एनर्जी लेवल भी बढ़ता है.
स्टेमिना बढ़ाने के लिए ऐसे करें अश्वगंधा का सेवन (How to use Ashwagandha for Increasing Stamina)
अश्वगंधा चूर्ण: आप अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण या पाउडर रोज दूध के साथ ले सकते हैं. सर्दियों में इसे रोजाना लेने से शरीर अंदर से मजबूत होता है साथ ही जोड़ों के दर्द की समस्या से भी राहत मिलती है.
अश्वगंधा कैप्सूल या टैबलेट : आप अश्वगंधा टैबलेट या कैप्सूल का उपयोग भी कर सकते है यह आसानी से बाजार में मिल जाती है. आमतौर पर 1 या 2 टैबलेट दूध या पानी के साथ ले सकते हैं या फिर चिकित्सक के सलाह अनुसार भी उपयोग कर सकते हैं. Tata 1mg तेजस्या अश्वगंधा कैप्सूल में 100% शुद्ध अश्वगंधा का प्रयोग किया गया है. इसे खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें.
2- शिलाजीत (Shilajit for Stamina)
शिलाजीत कई औषधीय गुणों से भरपूर एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जिसका इस्तेमाल कई आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है. सर्दियों में शिलाजीत का सेवन करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है और शरीर की ताकत बढ़ती है.
सर्दियों में शिलाजीत का उपयोग कैसे करें (How to take Shilajit for Stamina in Hindi)
शिलाजीत रेसिन: शिलाजीत रेसिन आजकल बाजार में आसानी से मिल जाता है. इसे आप दूध के साथ ले सकते हैं. आयुर्वेदिक विशेसज्ञों के अनुसार, रात में सोने से पहले गर्म दूध के साथ शिलाजीत लेना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
शिलाजीत कैप्सूल: रेसिन की बजाय आप शिलाजीत के एक्सट्रेक्ट से बने कैप्सूल्स का भी सेवन कर सकते हैं. दिन में एक से दो कैप्सूल या चिकित्सक के सलाह अनुसार ही इसका सेवन करें. इससे शरीर में गर्माहट बनी रहती है और शारीरिक क्षमता बढ़ती है.
3- च्यवनप्राश (Chyawanprash)
खुद को निरोग रखने के लिए सर्दियों में कई लोग च्यवनप्राश का सेवन करते हैं. इसमें मौजूद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां अस्थमा, खांसी, जुकाम, कमजोर इम्यूनिटी,अर्थराइटिस के अलावा कई अन्य रोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करती हैं.
सर्दियों में च्यवनप्राश कैसे खाएं (How to take Chyawanprash)
आमतौर पर वयस्कों के लिए दिन में 1-2 चम्मच च्यवनप्राश लेना पर्याप्त है. इसको स्वादिष्ट तरीके से खाने के लिए गर्म पानी में मिलाएं और अच्छे से मिक्स करके खाएं. च्यवनप्राश खाने के बाद गुनगुना दूध पीना ज्यादा गुणकारी माना जाता है. यदि आपको च्यवनप्राश का स्वाद नहीं पसंद है तो इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर खाने की कोशिश करें. छोटे बच्चों को च्यवनप्राश देने से पहले चिकित्सक से परामर्श लें.
4- हल्दी-दूध (Turmeric Milk)
हल्दी सेहत के लिए बहुत गुणकारी मानी जाती है और जब इसका सेवन दूध के साथ किया जाता है तो इसके फायदे कई गुण बढ़ जाते हैं. यह एक पारंपरिक औषधि है और सदियों से इसका प्रयोग होता आया है. इसे पीने से सर्दियों में शरीर में होने वाले दर्द से राहत मिलती है साथ ही ठंड भी कम लगती है क्योंकि यह शरीर को अंदर से गरम रखता है.
हल्दी दूध बनाने का तरीका (How to Prepare Turmeric Milk)
एक पैन में दूध को गर्म करें और जब उबलने से पहले ही इसमें एक चौथाई चम्मच हल्दी पाउडर मिला दें. जिससे यह दूध में अच्छी तरह मिल जाए. अब इसे धीमी आंच पर उबालें और जब यह अच्छी तरह पक जाए फिर इसमें थोड़ी सी चीनी मिलाएं. अगर आप चीनी का सेवन नहीं करना चाहते हैं तो आंच से उतारने के बाद जब यह हल्का गुनगुना हो जाए तो इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएं. रात में सोने से पहले हल्दी दूध पीना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है.
यहाँ बताए गए स्टेमिना बढ़ाने के आयुर्वेदिक उपायों के अलावा सर्दियों में सेहतमंद रहने के लिए सूर्यनमस्कार, अनुलोम-विलोम और भ्रामरी प्राणायाम करें. इसके साथ ही रोजाना हल्के गुनगुने तेल से शरीर की मालिश करें और कुछ देर धूप में बैठें. इससे शरीर की थकान मिटती है और स्टेमिना बढ़ती है.
इस लेख की समीक्षा डॉ. स्वाति मिश्रा, मेडिकल एडिटर और डॉ. दीपक सोनी, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ ने की है.)