खस को आमतौर पर खसखस (KhasKhas) कहते हैं, जो मूल रूप से पोएसी कुल से होता है। इसका वानस्पतिक नाम वेटिवेरिया ज़िज़नियोइडिस होता है। वैसे तो ज्यादातर जगहों में ये खसखस नाम से ही प्रचलित है, लेकिन अंग्रेजी में ये खस खस या वेटियर ग्रास (Vetiver grass) , हिन्दी में खस या खसखस , कन्नड़ में मुडिवाल, तमिल में उशीरम, बंगाल में वेणर मूल, आदि कई नामों से जाना जाता है। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि खसखस का वर्णन प्राचीन आर्युवेदीय संहिताओं में मिलता है। आयुर्वेद में खसखस ग्रास का विशेष महत्व है। यानि यूं कहे तो 3000 वर्षों से भी अधिक वर्षों से इसकी खेती होती आ रही है। शायद आपको पता नहीं भारत के अलावा यूरोपीय देशों, ऑस्ट्रेलिया, तुर्क में भी इसकी खेती होती है। भारत में यह मूल रुप से दक्षिण भारत, राजस्थान, बंगाल, छोटा नागपुर में पाया जाता है।
खसखस (khas khas in hindi) ग्रास के औषधीय और आयुर्वेदीय गुण बेशुमार होते हैं। खसखस के फायदे सर्दी- खांसी ,ह्रदय रोग, उलटी, त्वचा रोग, बुखार, धातुदोष, सिरदर्द, रक्त विकार, पेशाब की जलन, सांस के रोग, पित्त रोग, मांसपेशियों की ऐंठन, हार्मोनल समस्याओं में भी फायदेमंद है।
खसखस में पाये जाने वाले पोषक तत्व
खसखस ग्रास के पोषक तत्व अपरिमित होते हैं। खसखस ग्रास में रेज़ीन , वाष्पशील वेटियर तेल, बीटा-वेटीवोन,खसिनॉल, खसिलाल,जिजोनोइक अम्ल, कैल्शियम, एजुलीन और फेरस ऑक्साइड आदि पाये जाते हैं।
खसखस के औषधीय गुण
खसखस के पोषक तत्वों की सूची देखकर आप समझ ही गए होंगे कि इसके औषधीय गुणों भी बहुत होंगे। यानि सेहत से भरपूर खसखस के फायदे अनगिनत हैं। खसखस में एन्टीबैक्टिरीयल, एंटीफंगल, एंटीकाटालैप्टिक, एनाल्जेसिक, एन्टी-इंफ्लैमटोरी, संधिशोध, एन्टीऑक्सिडेंट, एंटीर्थ्रराइटिक, स्टीमूलेंट, मूत्रवर्द्धक या ड्यूरेटिक, एंटीस्पाज़मोडिक, इमानागोग जैसे बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं।
खसखस ( khas khas) के सेवन की विधि
खसखस ग्रास (khas khas) की एक खास बात ये है कि इसका एक निश्चित खुराक होता है, जिसके बारे में जानकारी रखना ज़रुरी होता है क्योंकि मात्रा से अधिक का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसके लिए बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लेकर ही इसका सेवन किया जाय।
आम तौर पर खसखस का खुराक ऐसा होना चाहिए–
वाह्य उपयोग के लिए-
खस रूट पाउडर- 2-5 ग्राम या ज़रुरत के अनुसार
खस एसेंनशियल ऑयल- 2-5 बूंद या ज़रुरत के अनुसार
आंतरिक उपयोग के लिए-
खस जूस (शरबत)- 20-30 एम.एल (दिन में दो बार)
खस चूर्ण- 1-2 ग्राम (दिन में दो बार)
लेकिन खसखस की एक खास बात ये है कि इसका इस्तेमाल वाह्य और अांतरिक दो तरह से की जा सकती है। यानि खसखस का सेवन करें या त्वचा पर इसको लगायें, दोनों में इसके इस्तेमाल का तरीका अलग-अलग होता है।
खसखस के फ़ायदे ( khus khus ke fayde)
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार खसखस का तासीर ठंडा होता है, इसके कारण पेट संबंधी बीमारियों में खसखस के फायदे अनगिनत होते हैं। साथ ही खसखस के और भी बहुत तरह के फायदे होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
दर्दनिवारक (Khus Khus for analgesic effect)-
आमतौर पर खसखस तेल का इस्तेमाल दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है क्योंकि इसका एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण मांसपेशियों के सूजन को कम करने में सहायता करता है और हड्डियों को मजबूत करता है।
मुँह के छाले ( Khus Khus for mouth ulcer)-
आयुर्वेद में ये माना जाता है कि शरीर में पित्त की मात्रा अधिक हो जाने के कारण मुँह में छाले होते हैं। जैसा कि पहले बताया गया है कि खसखस का तासीर या प्रभाव ठंडा होने के कारण मुँह के छालो से राहत पाने में ये मदद करता है।
आग से जलने पर दिलाये राहत ( Khus Khus for burn)-
आग से जलने पर आप क्या करते है? पानी से जलने वाली जगह को धोते हैं लेकिन जलन से आपका हाल बेहाल होता है। उस वक्त खसखस ग्रास आपको जलन से राहत दिलायेगा। क्योंकि खसखस का जीवाणुरोधी और ठंडक देनेवाला गुण उस वक्त रामबाण जैसा काम करता है।
खसखस का कैसे करें इस्तेमाल- आप खसखस ग्रास (khas khas) को पीसकर भी लगा सकते हैं। या नारियल तेल में खसखस को मिलाकर प्रभावित जगह पर लगायें इससे प्रदाह कम हो जायेगा।
अनिद्रा (Khus Khus for Insomnia)-
अगर आपको नींद न आने या अनिद्रा की बीमारी है और नैचुरल तरीके आप इससे राहत पाना चाहते हैं तो खसखस के सेवन से आपको मदद मिलेगी। क्योंकि खसखस में जो यौगिक होते हैं वह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन में सहायक होते हैं जिससे मस्तिष्क को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलती है। और इसी से नींद न आने की समस्या कम होती है।
अनिद्रा के बीमारी के लिए खसखस का इस्तेमाल-
सोने के पहले नहाने के पानी में 5-10 बूंद खसखस का तेल डालकर नहाना चाहिए। इससे शरीर को ठंडक मिलती है। खसखस का महक मन और शरीर को शांत करने में मदद करता है। यानि इसका महक और ठंडक का एहसास नींद आने में मदद करती है।
डिप्रेशन या अवसाद (Khus Khus for Depression)-
जैसे अनिद्रा के बीमारी में खसखस काम करता है ठीक उसी तरह न्यूरोट्रांसमीटर के उत्पादन के कारण ये मस्तिष्क को कार्य को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है और डिप्रेशन और स्ट्रेस को कम करता है।
डिप्रेशन से राहत पाने के लिए खसखस का इस्तेमाल-
नहाने के पानी में 5-10 बूंद खसखस का तेल डालें और उससे नहाये। खसखस का महक और ठंडा तासीर मस्तिष्क को शांत करने में मदद करता है और इससे तनाव और अवसाद से कुछ हद तक राहत मिलती है।
बुख़ार या फीवर (Khus Khus for fever)-
शायद आपको पता नहीं कि बुखार होने पर खसखस के फायदे (khas khas benefits) कितने हैं, जिससे आप अनजान हैं। खसखस ग्रास का ठंडा तासिर और उसका एन्टीबैक्टिरीयल गुण फीवर को कम करने या राहत दिलाने में मदद करता है।
खुराक और सेवन की विधि- लंच के बाद 1-2 ग्राम खसखस का चूर्ण शहद या पानी के साथ ले सकते हैं।
त्वचा का संक्रमण या स्किन इंफेक्शन (Khus Khus for skin infection) –
खसखस का एन्टीऑक्सिडेंट, एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण और उच्च मात्रा में लिनोलेनिक एसिड त्वचा के संक्रमण से राहत दिलाने मददगार साबित होता है। अगर स्किन इंफेक्शन का प्रॉब्लम है तो खसखस का इस्तेमाल करने से त्वचा के स्थिति में सुधार आता है। साथ ही साथ त्वचा में एक अलग चमक आती है। अगर आपके त्वचा में किसी प्रकार का छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो वहां भी खसखस (khas khas in hindi) लगाने से मिल सकता है राहत।
खसखस लगाने का तरीका
अगर आपकी त्वचा संवेदनशील है तो खस रूट पाउडर का इस्तेमाल शहद या दूध के साथ करें। इसके बेहतर परिणाम के लिए इसका त्वचा पर इस्तेमाल दिन में एक बार या हफ़्ते में तीन बार कर सकते हैं। अगर त्वचा में किसी तरह का घाव या छोटा-मोटा जख़्म हुआ है तो नारियल तेल के साथ खसखस मिलाकर लगाने से जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
बालों का झड़ना करें कम ( Khus Khus for reducing hair loss and enhance hair growth)-
खसखस में मिनरल जैसे कैल्शियम होता है जो बालों का झड़ना कम करके नए बाल उगाने में मदद करते हैं। खसखस के इस्तेमाल से बाल शाइनी और हेल्दी बनते हैं।
बालों में खसखस इस्तेमाल करने का तरीका
नारियल तेल में खसखस डालकर उसको अच्छी तरह से तेल में मिला लें। उसके बाद स्कैल्प में लगायें। बेहतर परिणाम के लिए इसको हफ़्ते में तीन बार इस्तेमाल कर सकते हैं।
खसखस का इस्तेमाल किस मौसम में करना होता है बेहतर
वैसे तो खसखस के फायदे अनगिनत हैं और इसके औषधीय गुणों के कारण पूरे साल कभी भी इसका इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन आयुर्वेदिक चिकित्सक ‘डॉ. दीपक कुमार सोनी’ के अनुसार खसखस का प्रभाव ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में करना ही फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खसखस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खसखस से शरबत बनाया जाता है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है।
खसखस के नुकसान (Khus Khus side effects)
खसखस का सेवन हमेशा डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही करना चाहिए। अत्यधिक मात्रा में खसखस ग्रास का सेवन करने से हद से ज्यादा पेट भरा हुआ महसूस होता है। सर्दी-खांसी होने पर खसखस का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि खस की तासीर ठंडी होती है। गर्भवती महिला या जो मां दूध पिलाती है वह खसखस का सेवन करने के पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह ले लें।