मकर संक्रांति का त्यौंहार 13 से 15 जनवरी के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। इस दिन एक विशेष खगोलीय घटना के तहत सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और उत्तरायण हो जाता है। देश के कुछ भागों में यह फ़सल कटाई का पर्व भी है। इसे तमिलनाडु में पोंगल, उत्तर भारत में संक्रांति, उड़ीसा में मकर मेला, पंजाब में लोहड़ी और आसाम में भोगल बिहु के नाम से मनाया जाता है। इन सभी जगहों पर इस अवसर पर कुछ विशिष्ट पकवान बनाये जाते है, जिनका हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में कोई ना कोई योगदान ज़रूर होता है। आइये देखते हैं ये पकवान कौन कौन से है और स्वास्थय की दृष्टि से इनका क्या महत्व है।
1. तिल और गुड़ के पकवान : उत्तर भारत में संक्रांति के अवसर पर तिल और गुड़ के बने लड्डू (तिलगुड़), चिक्की, रेवड़ी और गजक खायी जाती है। आयुर्वेद के अनुसार तिल और गुड़ दोनों में औषधीय और पोषक गुण पाये जाते हैं।
तिल – यह अच्छे कोलेस्ट्रोल (HDL) की मात्रा को बढ़ाता है और बुरे कोलेस्ट्रोल को कम करता है, इससे हृदय रोगों का खतरा कम हो जाता है। तिल को भूख बढाने वाला माना जाता है और यह लीवर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से काम करने में भी मदद करता है। तिल में विभिन्न पोषक पदार्थ होते है जो शरीर को आवश्यक ताकत प्रदान करते हैं।
गुड़ – यह लौह तत्व (आइरन) का एक अच्छा स्त्रोत होने के कारण खून बढ़ाने में प्रभावी होता है। यह पेट के लिये अच्छा होता है और एसिडिटी खत्म करता है। एक प्रकार से गुड़ शुगर का स्वास्थ्यप्रद विकल्प है। कुछ शोधों में गले और फ़ेफ़ड़ों के संक्रमणों में भी गुड़ की उपयोगिता सिद्ध हुई है, सर्दी के मौसम में इस प्रकार के संक्रमण आम है। इसके अलावा गुड़ में ऐसे मिनरल तत्व पाये जाते हैं, जो शरीर के सुचारू संचालन के लिये बहुत जरूरी हैं।
2. खिचड़ी : उत्तरप्रदेश, बिहार और गुजरात के कुछ भागों में संक्रांति पर चावल और मूंग दाल की खिचड़ी खाई जाती है। इसमें विभिन्न मसाले मिलाकर घी के साथ या घी के बिना खाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार मूंग की दाल त्रिदोषों (वात, कफ़ और पित्त) को संतुलित करती है। यह पोषक और सुपाच्य होती है और पेट के लिये फ़ायदेमंद रहती है। इसमें डाला जाने वाला घी उर्ज़ा देने के साथ साथ जोड़ों के दर्द में भी आराम देता है। खिचड़ी एक संपूर्ण आहार है और इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, फ़ाइबर और सभी मुख्य लवण (मिनरल) पाये जाते हैं।
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3. घेवर – फ़ीणी : राजस्थान में संक्रांति के अवसर पर घी, मैदे और चीनी से बनी मिठाई घेवर और फ़ीणी खायी जाती है। घेवर गोल और मधुमक्खी के छत्ते जैसी और फ़ीणी तारनुमा मिठाई होती है। यह मिठाइयां वात दोष को नियंत्रित करती है। इनमें डाला जाने वाला देशी घी अच्छे कोलेस्ट्रोल का स्त्रोत है जो बिना कोलेस्ट्रोल बढाये शरीर को उर्ज़ा और जोड़ों को चिकनायी प्रदान करता है। देशी घी शारीरिक और मानसिक ताकत बढाने वाला और प्रतिरक्षा तंत्र को दुरुस्त करने वाला माना जाता है।
4. मीठा पोंगल : फ़सल की कटाई के अवसर पर तमिलनाडु और दक्षिण भारत में चावल, दाल, मसालों, घी और गुड़ से बना मीठा पोंगल बनाया जाता है। आयुर्वेद के अनुसार यह पकवान ‘ठंडी तासीर’ वाला माना जाता है और एसिडिटी में आराम देता है। इसके अलावा इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्व और मिनरल होते हैं।
ये सभी व्यंजन (डिश) इस बात का उदाहरण है कि किस प्रकार से हमारे पूर्वज स्वाद से समझौता किये बिना सभी पोषक तत्वों से युक्त और मौसम के अनुसार औषधीय गुणों से परिपूर्ण पकवान बनाने में सक्षम थे। इसलिए इस बार आप मकर संक्रांति का आनंद पारंपरिक मिठाइयों और खिचड़ी के साथ लें।