माहवारी के दिनों में ज्यादातर महिलायें सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं लेकिन माहवारी में रक्तस्राव को कपड़ों पर लगने से रोकने और संक्रमण से बचने के लिए यही एकमात्र उपाय नहीं है। इसके अलावा मेंस्ट्रुअल कप( मासिक धर्म कप) और टेम्पोन का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मेंस्ट्रुअल कप पैड से अपेक्षाकृत किफायती होते हैं और पर्यावरण की दृष्टि से भी ये काफी अच्छे माने जाते हैं। कुछ महिलाओं का मानना है कि इन कप को इस्तेमाल करना सुविधाजनक होता है जबकि कई ऐसी महिलायें हैं जो अभी भी इन कप के इस्तेमाल को लेकर सहज नहीं हैं।
मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से पहले महिलाओं के मन में कई सवाल रहते हैं जैसे कि, क्या मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल पूरी तरह सुरक्षित है? क्या ये सैनिटरी नैपकिन से अधिक सुविधाजनक हैं? क्या मासिक धर्म कप पहन कर चलने फिरने में मुश्किलें आती हैं? इस लेख में हम मेंस्ट्रुअल कप से जुड़े इन सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
मेंस्ट्रुअल कप क्या है?
यह सिलिकॉन या लेटेक्स से निर्मित कप के आकार का एक उपकरण है जिसका इस्तेमाल पीरियड के दौरान किया जाता है। इसे योनि में लगाया जाता है जिससे माहवारी के दौरान निकलने वाले खून को इस कप में इकठ्ठा किया जा सके। ये कप अलग अलग साइज़ में आते हैं और आपको अपनी योनि और सर्विक्स के माप के अनुसार ही सही कप का चुनाव करना चाहिए।
मेंस्ट्रुअल कप का साइज़ कैसे चुनें?
मेंस्ट्रुअल कप या मासिक धर्म कप के साइज़ को लेकर विशेष ध्यान दें क्योंकि गलत साइज़ का कप लगाने से एक तो असुविधा होगी दूसरा लीकेज का भी डर बना रहेगा। आज कल बाजार में हर साइज़ के कप आसानी से उपलब्ध हैं। मेंस्ट्रुअल कप का साइज़ आपकी उम्र, गर्भाशय ग्रीवा की लम्बाई और माहवारी के दौरान रक्तस्त्राव आदि कई बातों पर निर्भर करता है। इसलिए पहली बार इन कप का इस्तेमाल करने से पहले सही साइज़ जानने के लिए नजदीकी गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करें।
मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल का तरीका
आइये अब बात करते हैं कि इन मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कैसे करते हैं। सबसे पहले आप अपने हाथों को साबुन से धो लेंव। उसके बाद मेंस्ट्रुअल कप को थोड़ा सा मोड़ें और फिर योनि के अंदर डालें, इसे योनि से गर्भाशय ग्रीवा में जाने वाले मार्ग में फिट किया जाता है। शुरुआत में इसे योनि के अंदर फिट करने में झिझक हो सकती है लेकिन एक बार इस्तेमाल करने के बाद अगली बार से यह प्रक्रिया एकदम आसान लगती है। मासिक धर्म कप जब योनि के अंदर चला जाए तो इसे हल्का सा घुमाएँ जिससे यह अच्छी तरह फिट हो जाए। सही तरीके से फिट होने के बाद इससे जरा सा भी लीकेज नहीं होता है।
सिलिकॉन या लेटेक्स से बने होने की वजह से ये आसानी से योनि में फिट भी हो जाते हैं और इन्हें लगाकर काम करने या चलने फिरने में कोई दिक्कत महसूस नहीं होती है। इन कप की बनावट ऐसी होती है कि काम करते या चलते फिरते समय ये अपनी जगह से फिसलते नहीं हैं। अगर पहली बार मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करते समय दिक्कत हो रही है तो नजदीकी क्लिनिक पर जाकर गायनेकोलॉजिस्ट की देखरेख में इसे लगाएं।
मासिक धर्म कप कितनी देर तक पहनें?
मेंस्ट्रुअल कप सैनिटरी नैपकिन की तरह खून को सोखते नहीं हैं जिससे किसी भी तरह के संक्रमण का खतरा कम रहता है। अधिक रक्तस्त्राव होने पर भी आप इन्हें 9-10 घन्टों तक पहने रख सकती हैं और अगर रक्तस्त्राव सामान्य हो तो इन कप को 12 घंटों तक भी लगाये रख सकती हैं। हालांकि यह पूरी तरह महिला पर निर्भर करता है कि वो कितनी देर में कप बदलना चाहती है। अगर कप का साइज़ छोटा है और वह जल्दी भर जा रहा है तो बेहतर होगा कि हर चार पांच घंटे के अंतराल पर आप इसे निकालकर अच्छे से धो लें और फिर दोबारा इसे लगाएं। बार बार इस्तेमाल करने की वजह से ही ये सैनिटरी पैड की तुलना में ये ज्यादा सस्ते साबित होते हैं।
मेंस्ट्रुअल कप को कैसे साफ करें?
पीरियड के दौरान एक ही कप को आप गर्म पानी से धुलकर कई बार इस्तेमाल कर सकती हैं लेकिन पीरियड खत्म होने के बाद या अगले पीरियड में इस्तेमाल करने से पहले इन्हें स्टेरलाइज़ करना ना भूलें। स्टेरलाइज़ करने से पहले कप के पैकेट पर दिए निर्देशों को पढ़ें क्योंकि अलग अलग ब्रांड के कप को साफ़ करने और स्टेरलाइज़ के तरीके अलग होते हैं। सामान्य तौर पर स्टेरलाइज़ करने के लिए कप को पानी में डालकर कुछ देर तक उबालना चाहिए। बर्तन में पानी की मात्रा ज्यादा रखें क्योंकि कम पानी होने से और ज्यादा देर तक उबालने से कप जल भी सकते हैं।
मेंस्ट्रुअल कप को लगाने या निकालने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से साफ़ करें और कप को कभी भी इधर उधर न रखें। गन्दी जगह पर कप रखने से उसमें धूल, गंदगी और बैक्टीरिया चिपक सकते हैं जिनकी वजह से योनि में संक्रमण हो सकता है। कुछ कप को स्टेरलाइज़ की बजाय सिर्फ सेनेटाइज करना होता है। ऐसे कप को सेनेटाइज करने के बाद बिना कहीं रखें सीधे इस्तेमाल करें।
अगर आप पब्लिक टॉयलेट में मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल कर रही हैं तो वहां साफ़ सफाई को लेकर अधिक सावधानी बरतें। कप को धुलने के लिए साफ़ पानी और सेनेटाइज टिश्यू का इस्तेमाल करें और कभी भी उसे इधर उधर रखने की गलती ना करें।
मेंस्ट्रुअल कप को बाहर कैसे निकालें?
मासिक धर्म कप को लगाने की ही तरह इसे निकालना भी आसान है। सबसे पहले अपने हाथों को अच्छी तरह साफ़ कर लें। इसके बाद तर्जनी ऊँगली और अंगूठे को योनि के अंदर डालें और कप के एक सिरे को पकड़ कर धीरे धीरे तब तक खींचें जब तक आप उसके आखिरी सिरे तक ना पहुंच जाएं। उसके बाद इसे बाहर खींच लें। इस तरह यह आसानी से बाहर निकल जाता है उसके बाद कप में जमा खून को फेंक दें और कप को अच्छी तरह साफ़ करें।
मासिक धर्म कप के फायदे क्या हैं?
इन कपों का पहला सबसे बड़ा फायदा यह है कि ये कीमत में काफी सस्ते होते हैं और इन्हें इस्तेमाल करना आसान है। इसके अन्य फायदों की बात करें तो सैनिटरी नैपकिन या टेम्पोन की तुलना में मेंस्ट्रुअल कप में ज्यादा रक्त इकठ्ठा होता है। इसके अलावा सेक्स के दौरान इस बात का एहसास भी नहीं होता है कि आपने योनि में अंदर कुछ लगाया हुआ है, जिससे आप बिना किसी असुविधा के सेक्स का आनंद ले सकती हैं।
सैनिटरी नैपकिन या टैम्पोन में डायोक्सिन और ब्लीच जैसे केमिकल पाए जाते हैं जबकि मेंस्ट्रुअल कप को बनाने में किसी भी तरह के केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है। ये केमिकल मुक्त होते हैं जिससे योनि संक्रमण का खतरा काफी कम रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार डायोक्सिन, इंसानों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं।[1]
किन महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए?
अगर मासिक धर्म कप लगाने के बाद आपको योनि में तेज जलन या खुजली होती है तो इसका प्रयोग ना करें। इसके अलावा अगर आपको अपने लिए सही साइज़ का कप नहीं मिल रहा है तो मासिक धर्म कप से परहेज करें क्योंकि गलत साइज़ का कप पहनने से कोई फायदा नहीं है। कुछ महिलाओं को सिलिकॉन या रबर से एलर्जी होती है, ऐसी महिलाओं को भी मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए।
सन्दर्भ :
[1]- Dioxins and their effects on human health. (2014, June)
who.int/mediacentre/factsheets/fs225/en/