इस समय पूरी दुनिया में हार्ट अटैक से मरने वालों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है। भारत में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है क्योंकि यहां लोगों में अभी भी जागरुकता की काफी कमी है। हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने की कई वजहें हो सकती हैं। इसलिए यह बहुत ज़रुरी है कि आपको इस बीमारी के लक्षणों और बचाव के तरीकों के बारे में पूरी जानकारी हो।
हाल में ही में वैज्ञानिकों की टीम ने एक ऐसा मोबाइल एप विकसित किया है जो हार्ट अटैक के लिए मुख्य रुप से ज़िम्मेदार आलिंद फिब्रिलेशन (atrial fibrillation) की पहचान कर पायेगा। ह्रदय गति जब अचानक बहुत बढ़ जाती है तो इस क्रिया को ही आलिंद फिब्रिलेशन कहते हैं। इस अवस्था में हार्ट फेल हो सकता है या ह्रदय से जुड़ी और कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।
इसलिए हार्ट अटैक को रोकने के लिए आलिंद फिब्रिलेशन की समय रहते पहचान होना बहुत ज़रुरी है। फिनलैंड में टुर्कू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जुहानी ऐराक्सिनेन ने कहा, “पहली बार सामान्य उपकरण ऐसे नतीजे पर पहुंच पाया है जिससे वह मरीज की चिकित्सा में सहायता प्रदान कर सके।” वास्तव में रुक-रुक कर आलिंद फिब्रिलेशन होने के कारण कई सालों से डॉक्टरों को भी इसका पता नहीं चल पाता था, इस लिहाज से देखा जाए तो यह खोज बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है।
इस शोध में दिल की बीमारियों से पीड़ित करीब 300 मरीजों को शामिल किया गया जिनमें से आधे मरीज आलिंद फिब्रिलेशन से पीड़ित थे। वैज्ञानिकों ने बताया कि आज के समय के अधिकांश स्मार्टफोन में एक्सलेरोमीटर फीचर होता है और हमने इसी तकनीक का इस्तेमाल करके इस एप को विकसित किया है। इस मोबाइल एप की मदद से यह पता लगाने की कोशिश की गई कि इनमें से कौन से मरीज आलिंद फिब्रिलेशन से पीड़ित हैं। इस जांच में लगभग 96% परिणाम सटीक मिले जिससे वैज्ञानिकों की उम्मीदें काफी बढ़ गयी हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले समय में इस दिशा में और शोध करने की ज़रुरत है जिससे हम इस एप को और बेहतर तरीके से विकसित कर सके और लोगों को हार्ट अटैक के खतरे से बचा सकें।
साभार : IANS