दुनिया में हर कोई खुश होना चाहता है और इसके लिए हर कोई अपने स्तर पर कोई न कोई प्रयास ज़रुर कर रहा है। डॉक्टर भी हमें यही सलाह देते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए हमेशा खुश रहना बहुत ज़रुरी है। हाल ही हुए एक रिसर्च ने चौकाने वाले परिणाम दिए हैं, रिसर्च के अनुसार जो लोग ज्यादा खुश होने का प्रयास करते हैं या खुश होने की ज्यादा ललक उन्हें और दुखी कर देती है।
अमेरिका स्थित रुटगर विश्वविद्यालय के लेखक एक्योंग किम बताते हैं कि, “जो लोग खुशी पाने की कोशिश मे लगातार लगे रहते हैं, अक्सर उनके पास पर्याप्त समय नही बचता और वे खुश होने की बजाय दुःखी हो जाते हैं।”
इस शोध को जर्नल सायकोनोमिक बुलेटिन एंड रिव्यू में प्रकशित किया गया है। इसमें रिसर्चर की टीम ने चार अध्ययन किए और यह पता लगाने का प्रयास किया गया कि जो लोग ज्यादा खुश रहते हैं या उनकी ख़ुशी की अवस्था, समय के प्रति उनकी धारणा को कैसे प्रभावित करती है। रिसर्च टीम का कहना है कि, खुश रहने वाले लोग समय को हमेशा बहुत दुर्लभ मानते हैं और हमेशा समय के खत्म होने की चिंता से ग्रस्त रहते हैं।
इस अध्ययन मे कुछ लोगों से कहा गया कि या तो वे उन चीजों की लिस्ट बनाये जिससे उन्हें खुशी मिलती हो या रिश्तों में सुधार लाने वाली और सौहार्द बढ़ाने वाली उदास फ़िल्म देखते हुए खुश महसूस करें । इस तरह उन्हें खुशी दिखाना लक्ष्य के रूप मे मिला।
वहीं दूसरे प्रतिभागियों से कहा गया उन्हें सोचना है कि उन्होंने खुशी पाने के लक्ष्य को हासिल कर लिया है चाहे वो खुशी देने वाली चीजों की लिस्ट बनाकर मिली हो या भाईचारे वाली फिल्म के अपेक्षा कॉमेडी फिल्म देखकर मिली हो या ऐसे गाने सुनकर मिली हो जिससे आपको महसूस होता है आप पहले से ही खुश हैं।
अध्ययन के अंत में सभी प्रतिभागियों से यह जानने की कोशिक की गई कि वे समय की कमी को कितना अधिक महसूस करते हैं या यह उन्हें उनके लिए कितनी अधिक चिंता की बात है?
रिसर्च टीम के सदस्य किम बताते हैं कि, लोगों के समयाभाव की अवधारणा उनके खुशी पाने के लगातार प्रयासों (जिसमे वे अक्सर असफल ही होते हैं), से प्रभावित है और यही उनकी चिंता का मुख्य कारण है। इसलिए ऐसे लोगों को यह सलाह दी गयी कि आप ज्यादा समय की चिंता ना करें और अपनी मौजूदा ख़ुशी में खुश रहें।
साभार : IANS