आज के समय में अधिकांश लोग विटामिन डी की कमी से जूझ रहे हैं। दिन का अधिकतर समय बंद कमरों या ऑफिस में गुजारने के कारण लोग धूप के संपर्क में आते ही नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार जीवनशैली से जुड़ी ऐसी कई गलतियों और खराब खानपान के कारण ही आज की पीढ़ी के लोगों में विटामिन डी की इतनी कमी है। विटामिन डी की कमी होने से आपकी सेहत को कई तरह के नुकसान हैं लेकिन हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बताया गया है कि विटामिन डी की कमी से डायबिटीज का खतरा भी बढ़ सकता है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैनडियागो और दक्षिण कोरिया की सोल नेशनल यूनिवर्सिटी ने इस रिसर्च में 903 स्वस्थ लोगों को शामिल किया। इन सभी लोगों की औसत उम्र 74 वर्ष थी और साल 1997 से 1999 के बीच में ये डायबिटीज के मरीज नहीं थे ना ही इनमें डायबिटीज होने के कोई अन्य लक्षण मौजूद थे। इन सभी लोगों को साल 2009 तक रिसर्च टीम की देखरेख में रखा गया और नियमित अंतराल पर उनके विटामिन डी लेवल, प्लाज्मा ग्लूकोज और ओरल ग्लूकोज टोलरेंस की जांच की गयी।
कुछ समय बीतने के बाद जब इन लोगों की जांच की गयी तो पता चला कि डायबिटीज के 47 मामले और डायबिटीज के पहले चरण के 337 मामले मिले, जिनके खून में शुगर की मात्रा सामान्य से ज्यादा थी। लेकिन शुगर की यह मात्रा इतनी भी ज्यादा नहीं थी कि इसे टाइप 2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जाए। शोधकर्ताओं ने पाया कि स्वस्थ व्यक्ति के खून में 25- हाइड्रोक्सीविटामिन डी की न्यूनतम मात्रा 30 नैनोग्राम प्रति मिलीलीटर होती है।
इस शोध के प्रमुख लेखक स्यू के पार्क ने बताया कि जिन लोगों में 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी की मात्रा 30ng/ml से ज्यादा है उनमें डायबिटीज का खतरा तीन गुना कम हो जाता है वहीं जिनमें यह मात्रा 50ng/ml से ज्यादा होती है उनमें डायबिटीज का खतरा 5 गुना कम हो जाता है।
रिसर्च टीम के अन्य सदस्य सेड्रिक एफ गारलैंड ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति में 25-हाइड्रोक्सीविटामिन डी का लेवल 30ng/ml से कम है तो इसे विटामिन डी की कमी माना जाता है। जिन लोगों में विटामिन डी की मात्रा कम पायी गयी उनमें डायबिटीज का खतरा पांच गुना ज्यादा पाया गया है।
विशेषज्ञों ने बताया कि विटामिन डी का लेवल 30ng/ml हासिल करने के लिए आपको रोजाना 3000-5000 इंटरनेशनल यूनिट डाइटरी सप्लीमेंट का सेवन करना होगा इसके अलावा रोजाना 10-15 मिनट धूप में ज़रुर टहलें। सूरज की रोशनी विटामिन डी हासिल करने का सबसे आसान तरीका है।
इस रिसर्च को ‘प्लसवन’ जर्नल में पब्लिश किया गया।
साभार : ANI