हमारी सोच ही हमें दूसरों से अलग बनाती है। सोचना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, किसी भी कार्य को करने से पहले हमें उसके बारे में सोचना पड़ता है। लेकिन क्या हो अगर हम किसी बात के जरुरत से ज्यादा बार-बार सोचने लग जाएं?
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आज भागदौड़ भरी जिंदगी, और सोशल मीडिया के इस दौर में ओवरथिंकिंग की समस्या बढ़ती जा रही है। एक स्टडी के मुताबिक ओवरथिंकिंग के शिकार लोगों में से लगभग 73% लोग 25-35 की उम्र के होते हैं।
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आइए जानते हैं ओवरथिंकिंग से जुड़े कुछ और सवालों के जवाब, साथ ही इससे छुटकारा पाने के तरीके:
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जब हम एक ही बात को बार-बार, जरुरत से ज्यादा सोचने लगते हैं तो उसे ओवरथिंकिंग कहते हैं।
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नहीं, ओवरथिंकिंग कोई बीमारी नहीं है, यह एक आदत है जो बहुत ज्यादा होने पर कई मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है।
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बहुत ज्यादा ओवरथिंकिंग से, कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याएं जैसे स्ट्रेस, एंग्ज़ाइटी, डिप्रेशन, अनिद्रा, इम्यून सिस्टम कमजोर होना और कई बार सीने में दर्द जैसी समस्या भी हो सकती है।
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यहाँ बताए गए कुछ उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके आप इस आदत को कंट्रोल कर सकते हैं:
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व्यायाम करने से मस्तिष्क में एंडोर्फिन रिलीज़ होता है, जिससे आपको अच्छा महसूस होता है और मूड बेहतर होता है। साथ ही आपकी बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर होता है, फोकस बढ़ता है और स्ट्रेस लेवल भी कम होता है।
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रोजाना थोड़ी देर ध्यान का अभ्यास और उज्जयी एवं भ्रामरी जैसे प्राणायाम करने से आपको, स्ट्रेस लेवल कम करने, मष्तिष्क को शांत एवं एकाग्र करने और सकारात्मक सोच को विकसित करने में मदद मिलती है। जिससे आपकी संपूर्ण मानसिक स्थिति बेहतर होती है।
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सात्विक आहार से आपको, मष्तिस्क को शांत करने, मूड को बेहतर बनाने, चिंता को कम करने और शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। जिससे एंग्जायटी से जूझ रहे लोगों को विशेष लाभ मिलता है।
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जब आपका दिमाग काम में व्यस्त होता है तो आप बार-बार एक ही बात को ज्यादा सोचने से बचते हैं। जिससे आपके दिमाग की प्रोडक्टिविटी बढ़ती है और काम ख़त्म होने पर आपको संतुष्टि महसूस होती है, जिससे आप मानसिक तौर पर अच्छा महसूस करते हैं।
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ओवरथिंकिंग से बचने के लिए आपको यह समझना होगा की आपके दिमाग में आने वाला प्रत्येक विचार महत्वपूर्ण नहीं है। सिर्फ जरुरी और काम से जुड़े विचारों को सोचें, बाकी को जाने दें। एक ही बात को बार-बार न सोचें।
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रोजाना एक ही समय पर सोने और जागने से आपकी बॉडी की इंटरनल क्लॉक को सपोर्ट मिलता है। जिससे आपकी स्लीप क्वालिटी बेहतर होती है और आप ज्यादा रिफ्रेशिंग और एनर्जी से भरा महसूस करते हैं। साथ ही सोने से पहले गंभीर मुद्दों पर सोचने से बचें।
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ऐसे लोगों से बात करें जो आपको समझते हैं, सपोर्ट करते हैं और जीवन में आपको प्रोत्साहित करते हैं। नकारात्मक विचारों वाले लोगों से दूर रहें।
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