कभी-कभी पेशाब रोकने से आमतौर पर कोई समस्या नहीं होती है, लेकिन इसे आदत बना लेने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
Photo Credit: Shutterstock
पेशाब की इच्छा को नज़रअंदाज़ करने से मूत्राशय और गुर्दे में डिस्कंफर्ट या दर्द हो सकता है। इससे पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द भी हो सकता है जिसे पेल्विक क्रैम्प कहते हैं।
1
Photo Credit: Freepik
पेशाब रोकने से बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिससे यूटीआई (पेशाब की नली में इन्फेक्शन) का खतरा बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, पेल्विक पेन, पेशाब में बहुत तेज गंध और पेशाब में खून आना शामिल हैं।
2
Photo Credit: Freepik
नियमित रूप से पेशाब रोकने से मूत्राशय में खिंचाव आ सकता है। जिससे उसे ठीक से खाली करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे गंभीर मामलों में मेडिकल हेल्प (जैसे कैथेटर का उपयोग) लेनी पड़ सकती है।
3
Photo Credit: Freepik
बार-बार पेशाब रोकने से पेल्विक फ्लोर की मसल्स कमजोर हो सकती हैं। जिससे पेशाब न रोक पाने की समस्या हो सकती है। कीगल जैसी एक्सरसाइज़ इन मसल्स को मजबूत बनाने में मदद कर सकती हैं।
4
Photo Credit: Freepik
अगर आपको गुर्दे की पथरी होने का खतरा है, तो पेशाब को रोकने से स्थिति और खराब हो सकती है। क्योंकि पेशाब में ऐसे मिनरल्स होते हैं जो पथरी बना सकते हैं।
5
Photo Credit: Freepik
औसत वयस्क मूत्राशय में लगभग एक पिंट (दो कप) मूत्र होता है, हालांकि यह थोड़ा फैल सकता है। बच्चों के मूत्राशय छोटे होते हैं, उनके मूत्राशय की क्षमता का अंदाजा फॉर्मूले का उपयोग करके लगाया जाता है: (उम्र + 2) x 30 ml।
Photo Credit: Freepik
बेहतर है, कि नियमित रूप से पेशाब को रोककर न रखा जाए। इस आदत से इंफेक्शन, डिस्कंफर्ट और मूत्राशय में खिंचाव या मांसपेशियों को नुकसान जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। अपने शरीर का ख्याल रखें और जब आपको ज़रूरत महसूस हो तब पेशाब करें!
Photo Credit: Freepik