हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण और बिगड़ती एयर क्वालिटी को देखते हुए पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने के निर्देश दिये। आइये जानते है कि वायु प्रदूषण(Air Pollution) क्या है, यह किन कारणों से बढ रहा है, और दिनों दिन खराब होती हवा हमारे स्वास्थय को क्या–क्या नुकसान पहुंचा सकती है?
वायु प्रदूषण क्या है?
हवा में ऐसी गैसों और तत्वों की मिलावट जो मनुष्यों और किसी भी जीवित प्राणी की सेहत के लिये नुकसानदायक हो, वायु प्रदूषण कहलाती है। मोटर वाहनों से निकलता हुआ धुंआ, धूल मिट्टी, कारखानों से निकलती गैसें, पटाखे और घरों में जलने वाला ईंधन (लकड़ी) आदि वायु प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारक है।
कुछ प्रमुख प्रदूषक (Polluter), उनके स्त्रोत और उनसे शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव :
1. पार्टिक्यूलेट मैटर (PM)
- पीएम 10 और पीएम 2.5 मुख्य है, आकार (साइज़) के आधार पर इनका नामकरण किया गया है।
- ये वे हानिकारक ठोस और द्रव (लिक्विड) होते है, जो हवा में निलंबित अवस्था में रहते है और सांसों के माध्यम से शरीर में जाते है।
- लकड़ी के जलने, कंस्ट्रक्शन साइट पर काम और पटाखों से इस प्रकार का वायु प्रदूषण होता है।
- इन कणों की वजह से सांस लेने में परेशानी, फ़ेफ़ड़ों में परेशानी, खरखराहट, अस्थमा और फ़ेफ़ड़ों के कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती है।
2. कार्बन डाइ आक्साइड और कार्बन मोनो आक्साइड
वाहनो के धुंए से और लकड़ी और कोयले के जलने से इस प्रकार की गैसें बनती है। ये गैसें आपके फ़ेफ़ड़ों को नुकसान पहुंचाती है, सांस लेने में तकलीफ़ पैदा करती है, साथ ही वातावरण को प्रभावित कर ‘ग्लोबल वार्मिंग’ का कारण भी बनती है।
3. नाइट्रोजन युक्त गैस
नाइट्रस आक्साइड नामक गैस, मोटर वाहनों से निकलने वाले धुंए और वातावरण की दूसरी गैसों के साथ रासायनिक क्रिया से बनती है। इससे आंखों और फ़ेफ़ड़ों में जलन और अम्लीय वर्षा (एसिड रेन) जैसी घटनायें होती हैं।
4. सल्फ़र युक्त गैस
पावर प्लांट और रिफ़ाइनरी से सल्फ़र की गैसें निकलती है। ये मनुष्यों में सांस संबंधी रोग तो पैदा करती ही है साथ ही पेड़ पौधों के लिये भी नुकसानदायक होती हैं।
5. क्लोरो – फ़्लोरो कार्बन (CFC)
फ़्रिज और एसी के प्रयोग से क्लोरो – फ़्लोरो कार्बन गैसें निकलती है। यह यौगिक ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाता है, जो कि सूरज से आने वाली हानिकारक किरणों को धरती पर पहुंचने से रोकती है।
6. स्मॉग (smog)
धुंआ, धूल के कण, दूसरे वातावरणीय प्रदूषक और कोहरे की बूंदें मिलकर स्मॉग का रूप ले लेती है। महानगरों में इस तरह का स्मॉग कोहरा एक आम घटना है। स्मॉग से अस्थमा और एलर्जी होने की संभावना होती है।
7. एयर क्वालिटी :
किसी शहर की हवा सांस लेने लायक है या नहीं, इसका मापन एयर क्वालिटी इंडेक्स से होता है। इस इंडेक्स का 0-50 तक का स्तर सुरक्षित, 100 से ऊपर स्वास्थय के लिये हानिकारक माना जाता है। 300 से ऊपर का स्तर खतरनाक की श्रेणी में आता है। दिल्ली महानगर में दिवाली के समय यह स्तर 800 तक पहुंच जाता है, आम दिनों में भी यह 200 से उपर ही रहता है। ये आंकड़े स्थिति की गंभीरता को दर्शाने के लिये काफ़ी है।
वायु प्रदूषण किसे अधिक प्रभावित करता है?
वैसे तो वायु प्रदूषण सभी के लिये हानिकारक है, लेकिन बीमार, वृद्ध लोग, फ़ेफ़ड़ों की समस्याओं से ग्रसित लोग, नवजात बच्चे, गर्भवती महिलाये और अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिये यह बहुत अधिक खतरनाक होता है।
एक आम नागरिक के तौर पर हम वायु प्रदूषण को किस प्रकार से नियंत्रित कर सकते है?
सरकार और गैर सरकारी संगठन इस दिशा में जी तोड़ मेहनत कर रहें है, निम्न कुछ उपायों से हम भी इस मुहिम में अपना योगदान दे सकतें है।
- अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगायें।
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें, सीएनजी से चलने वाले वाहनों को प्राथमिकता दें।
- त्यौहारों पर पटाखें ना चलायें।
- अपने आस पास के लोगों और बच्चों को स्वच्छ हवा का महत्व समझायें, और वायु प्रदूषण रोकने के लिये जागरूकता फ़ैलायें।
स्वच्छ हवा – सबका अधिकार
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