शरीर में कोई भी अंदुरुनी बीमारी होने पर आपका शरीर किसी ना किसी रूप में संकेत ज़रूर देता है। इसलिए आपको इन शारीरिक संकेतो की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है जिससे आप शुरुआत में ही रोग की पहचान करके उसका इलाज करवा सकें। आपको बता दें कि मल के रंग के आधार पर भी यह पता लगाया जा सकता है कि आप कितने स्वस्थ है या आप किस बीमारी से पीड़ित हैं?
इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि मल का अलग अलग रंग किस बीमारी को दर्शाता है। आमतौर पर मल का रंग गाढ़ा भूरा होता है और यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि आपका खानपान कैसा है और इसमें पित्त की मात्रा कितनी है। आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि, जब पित्त पीले रंग का होता है तो फिर मल भूरे रंग का क्यों है? इसका कारण यह है कि पित्त का स्त्राव लीवर से होता है और उसके बाद यह कई तरह की रासायनिक प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है जिसकी वजह से इसका रंग भूरा हो जाता है। हालांकि मल के रंग पर सबसे ज्यादा प्रभाव आपके खानपान का ही पड़ता है। अगर अक्सर आपके मल का रंग बदल जाता है तो इसमें कोई चिंता की बात नहीं है। हां, अगर आपके मल का रंग लाल या काला है और ऐसा पिछले दो-तीन हफ़्तों से नियमित रूप से है तो यह चिंता का विषय है।
इसलिए रोजाना मल के रंग पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है और ज्यादा दिनों तक रंग में परिवर्तन दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं :
1. हरा रंग
अगर आपके मल का रंग हरा है तो सबसे पहले यह चेक करें कि आपने पिछली डाइट में खाया क्या है? अधिकतर हरी सब्जियां जैसे कि पालक, ब्रोकली, सरसों का साग इत्यादि और फ्लेवर्ड ड्रिंक या आयरन सप्लीमेंट खाने से भी मल का रंग हरा हो जाता है। इसके अलावा बड़ी आंत में पित्त द्वारा भोजन को मेटाबोलाइज करने में भी थोडा वक़्त लगता है। लेकिन अगर आपको लगता है कि आपने ऐसी कोई चीज नहीं खायी है और फिर भी मल हरे रंग का है तो इसे अनदेखा न करें बल्कि नजदीकी डॉक्टर के पास जाकर अपनी जांच करवाएं।
2. सफ़ेद या मिट्टी जैसा रंग
अगर आप डायरिया से पीड़ित हैं या आपका इलाज चल रहा है और आपके मल का रंग सफ़ेद या मिट्टी जैसा है तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि कुछ ख़ास दवाइयां जैसे कि काओपेक्टेट, पेप्टो-बिस्मोल की वजह से मल का रंग ऐसा हो जाता है। ऐसा रंग मल में पित्त की कमी के कारण होता है, जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पित्त मेटाबोलिज्म में मदद करता है। हेपेटाइटिस, पित्त की पथरी, ट्यूमर या बिलेरी एट्रेसिया होने के कारण पित्त आंत में पहुँच नहीं पाता है। इसलिए मिट्टी के रंग जैसा मल दिखने पर डॉक्टर से अपनी जांच ज़रूर करवाएं। इसके अलावा अनियमित डाइट और ज्यादा फैट वाली चीजें खाने के कारण भी पीले सफ़ेद रंग का मल नज़र आता है। ज्यादा फैट वाली चीजें खाने से यह बिना पचे ही पाचन तंत्र में चला जाता है जिसकी वजह से मल का रंग सफ़ेद हो जाता है।
3. पीला रंग
आमतौर पर कुअवशोषण या सेलियक रोग की वजह से ही मल का रंग पीला होता है। सेलियक रोग से पीड़ित लोगों को ग्लूटेन युक्त चीजों जैसे कि गेंहूं, जौ, राई इत्यादि से एलर्जी होती है और उनके आंतों की कार्यक्षमता भी परिवर्तित होती रहती है। ऐसे लोग ग्लूटेन फ्री चीजों का सेवन करते हैं। इसलिए मल का रंग पीला होने पर डॉक्टर से तुरंत अपनी जांच ज़रूर करवाएं। अगर आप डाइट में गाज़र, शकरकंद या पीले रंग की चीजें ज्यादा खातें हैं तो इसकी वजह से भी मल का रंग पीला हो सकता है। इसके अलावा अगर आप बहुत ही अधिक मात्रा में कॉर्न का सेवन कर रहे हैं तो इसकी वजह से भी मल का रंग पीला हो जाता है।
4. काला रंग
अगर आप बहुत गाढ़े काले रंग की चीजें खा रहे हैं या कुछ सप्लीमेंट जैसे कि आयरन या बिस्मथ सबसेलीसिलेट ( केओपेक्टेट, पेप्टो-बिस्मोल) का सेवन कर रहे हैं तो इसकी वजह से मल का रंग काला हो जाता है। ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है लेकिन अगर लगातार कई हफ़्तों तक आपके मल का रंग काला रहता है तो डॉक्टर से अपनी जांच ज़रूर करवाएं क्योंकि ऐसा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में खून निकलने के कारण भी हो सकता है। इसका सही समय पर इलाज ना करवाने से आगे चलकर कैंसर हो सकता है। बहुत अधिक मात्रा में काले रंग की चीजें ना खाएं जैसे कि ब्लैक लिकोराइस, ब्लूबेरी और डार्क चॉकलेट के अधिक सेवन से भी मल का रंग काला हो जाता है।
5. नारंगी रंग
मल का ऐसा रंग बीटा-कैरोटीन के कारण होता है। यह यौगिक कई सब्जियों, फलों और अनाजों में पाया जाता है। गाजर, शकरकंद और कद्दू में बीटा-कैरोटीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। पित्त की नलिकाओं में रुकावट होने के कारण भी मल का रंग पीला हो जाता है।
6. गाढ़ा लाल रंग
अगर बीती रात आपने कई तरह की लाल रंग की चीजें खायी हैं तो इसकी वजह से सुबह मल का रंग लाल हो सकता है और इसमें परेशान होने की कोई बात नहीं है। लेकिन अगर मल में खून की मौजूदगी के कारण उसका रंग लाल हो रहा है तो यह बहुत ही गंभीर चिंता का विषय है। ऐसा ट्यूमर, रेक्टल कैंसर, कोलोरेक्टल पोलिप्स, सूजन या बवासीर की वजह से हो सकता है। हालांकि शलजम या चुकंदर जैसी चीजें खाने से भी मल का रंग लाल हो जाता है लेकिन अगर आप ऐसा कुछ नहीं खा रहे हैं और फिर भी मल लाल रंग का है तो तुरंत डॉक्टर से अपनी जांच करवाएं।
सही समय पर अगर बीमारी का पता चल जाए तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। इसलिए शारीरिक संकेतो को पहचानें और इलाज करवाने में देरी ना करें।
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