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आपने अलसी (flax seeds) का रोज घर में प्रयोग करते होंगे। कई घरेलू व्यंजनों में अलसी का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो असली के बीज बहुत ही छोटे-छोटे होते हैं, लेकिन इसमें इतने सारे गुण होते हैं, जिसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते। क्या आपको यह जानकारी है कि जिस अलसी के बीज को आप सभी केवल खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल में लाते हैं, उससे रोगों का इलाज भी किया जा सकता है? जी हां, अलसी के फायदे और भी हैं।
आप अलसी का उपयोग कर, अनेक रोगों की रोकथाम कर सकते हैं, अपने परिवार को स्वस्थ बना सकते हैं। यहां आपको अलसी के फायदे, अलसी का उपयोग, अलसी के गुण की पूरी जानकारी मिलेगी।
अलसी का दूसरा नाम तीसी है। यह एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है। स्थानों की प्रकृति के अनुसार, तीसी के बीजों के रंग-रूप, और आकार में भी अंतर पाया जाता है। देश भर में तीसी के बीज सफेद, पीले, लाल, या थोड़े काले रंग के होते हैं। गर्म प्रदेशों की तीसी सबसे अच्छी मानी जाती है। आमतौर पर लोग तीसी के बीज, तेल को उपयोग में लाते हैं। तीसी के प्रयोग से सांस, गला, कंठ, कफ, पाचनतंत्र विकार सहित घाव, कुष्ठ आदि रोगों में लाभ लिया जा सकता है।
तीसी का वानस्पतिक नाम लाइनम यूसीटैटीसिमम (Linum usitatissimum L., Syn-Linum humile Mill., है, और यह लाइनेसी (Linaceae) कुल की है। दुनिया भर में तीसी को कई नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
Flax seeds in –
अलसी या तीसी का औषधीय प्रयोग इस तरह से किया जा सकता हैः-
नींद ना आने की बीमारी में अलसी का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए अलसी, तथा एरंड तेल को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर, कांसे की थाली में अच्छे से पीस लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से नींद अच्छी आती है। [Go to: Benefits of Flax seeds]
अलसी के गुण आँख संबंधी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है। आंखों की बीमारी, जैसे- आंख आना, आंखों की लालिमा खत्म होने आदि को ठीक करने के लिए अलसी के बीजों को पानी में फूला लें। इस पानी को आंखों में डालें। इससे आंख आने की परेशानी में फायदा होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]
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तीसी (agase beeja) के इस्तेमाल से दर्द, और सूजन में भी बहुत फायदा होता है। इसमें अलसी से बनाई हुई गीली दवा बहुत काम करती है। एक भाग कुटी हुई अलसी को, 4 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीरे-धीरे मिलाएं। यह गीली होनी चाहिए, लेकिन बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। इसे दर्द, या सूजन वाले अंग पर तेल की तरह चुपड़ कर लगाएं। इसके प्रयोग से सूजन, और दर्द दूर होती है।
कान की सूजन को ठीक करने के लिए अलसी के गुण उपचार स्वरुप बहुत काम आते हैं। इसके लिए अलसी को प्याज के रस में पकाकर, छान लें। इसे 1-2 बूंद कान में डालें। इससे कान की सूजन ठीक हो जाती है।
क्या आजकल सिरदर्द की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान रहने लगे हैं? तो एक आसान घरेलू उपाय से इस समस्या से निजात पा सकते हैं। सिरदर्द से आराम पाने के लिए अलसी का सही तरह से प्रयोग करने पर अलसी के लाभ पूरी तरह से मिल सकता है। इसके लिए अलसी के बीजों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करें। इससे सूजन के कारण होने वाले सिर दर्द, या अन्य तरह के सिर दर्द, या फिर सिर के घावों में फायदा मिलता है।
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जुकाम से परेशान हैं, तो तीसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। महीन पिसी अलसी को साफ कर धीमी आंच से तवे पर भून लें। जब यह अच्छी तरह भून जाय, और गंध आने लगे, तब पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। अलसी खाने का तरीका यह है कि आप इसे 5 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ, सुबह और शाम सेवन करें। इससे जुकाम में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]
मौसम के बदलाव के समय खांसी और दमे से अगर बार-बार परेशान रहते हैं तो इसका सही तरह से प्रयोग कर अलसी के लाभ से पूरा फायदा उठा सकते हैं।
अलसी के औषधीय गुण का फायदा वात-कफ विकार में भी ले सकते हैंं। 50 ग्राम भूनी अलसी के चूर्ण में बराबर-बराबर मात्रा में मिश्री, और एक चौथाई भाग मरिच मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह, मधु के साथ सेवन करने से वात-कफ दोष विकार ठीक होते हैं।
आप थायराइड का उपचार करने के लिए भी अलसी का प्रयोग कर सकते हैं। अलसी के लाभ का पूरा फायदा उठाने के लिए बराबर-बराबर मात्रा में अलसी के बीज, शमी, सरसों, सहिजन के बीज, जपा के फूल, तथा मूली की बीज को छाछ से पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गले की गांठों आदि पर लेप करने से थायराइड में लाभ होता है।
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शुद्ध अलसी का तेल, और चूने का निथरा हुआ जल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर अच्छी प्रकार मिला लें। यह सफेद मलहम जैसा हो जाता है। अंग्रेजी में इसे Carron oil कहते हैं। इसको आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे तुरंत आग से जले हुए घाव का दर्द ठीक हो जाता है। रोज 1 या दो बार लेप करते रहने से घाव ठीक होता है।
कई लोगों की शिकायत होती है कि उनकी सेक्स करने की ताकत में कमी आ गई है। इसी तरह अनेक लोग वीर्य, या धातु रोग से पीड़ित रहते हैं। इन सभी परेशानियों को तीसी, या अलसी का प्रयोग ठीक कर सकता है। काली मिर्च और शहद के साथ अलसी का सेवन करें। इससे सेक्स करने की ताकत बढ़ती है, और वीर्य दोष दूर होता है।
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अलसी के औषधीय गुण से सुजाक रोग में भी लाभ लिया जा सकता है। इसके लिए अलसी के तेल की 4-6 बूंदों को मूत्रेन्द्रिय (योनि) के छेद में डालें। सुजाक ठीक हो जाता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]
प्लीहा के बढ़ने पर अलसी के बीज (2-5 ग्राम) को भूनकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे प्लीहा की वृद्धि नहीं होगी।
बवासीर के लिए 5-7 मिली अलसी के तेल का सेवन करें। इससे कब्ज ठीक होता है, और बवासीर में लाभ होता है।
टीबी के लिए 25 ग्राम अलसी के बीजों को पीसकर, रात भर ठंडे पानी में भिगोकर रखें। इस पानी को सुबह कुछ गर्म करें, और इसमें नींबू का रस मिलाकर, पिएं। इससे टी.बी. के रोगी को बहुत लाभ होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]
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वात-रक्त विकार में अलसी खाने से फायदे होते हैं। अलसी को दूध के साथ पीसकर लेप करने से वात के कारण होने वाले विकार ठीक होते हैं।
अलसी का पंचांग के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
अब आप अलसी खाने के फायदों के बारे में जान चुके हैं, आइये जानते हैं कि अलसी की कितनी मात्रा का उपयोग करना चाहिए :-
तीसी या अलसी का चूर्ण- 2-5 ग्राम
अलसी (aglasem) का पूरा लाभ लेने के लिए आप चिकित्सक से परामर्श लें।
अलसी (aglasem) की खेती पूरे भारत में की जाती है। भारत में अलसी की खेती शरद ऋतु की फसल के साथ की जाती है। हिमाचल प्रदेश में भी 1800 मीटर की ऊंचाई तक तीसी बोई जाती है।
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