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अमरूद (Amrud) भारत में मिलने वाला एक साधारण फल है। लगभग अधिकांश घरों या ग्रामीण इलाकों में इसके पेड़ मिल जाते हैं। कुछ पाश्चात्य विद्वानों का कहना है कि इसे अमेरिका से यहाँ पुर्तगीज लोगों द्वारा लाया गया है तथा साथ ही साथ यह भी कहते है कि अमरूद का पेड़ (Guava Tree) भारतवर्ष के कई स्थानों पर जंगलों में होता है। परंतु सच यह है कि जंगली आम, केला आदि के समान इसकी उपज अत्यन्त प्राचीन काल से हमारे यहाँ होती रही है तथा यह यहाँ का ही मूल फल है। इस लेख में हम आपको अमरूद के फायदे (guava benefits in hindi), नुकसान और सेवन के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
इसका प्राचीन संस्कृत नाम अमृत या अमृत फल है तथा बनारस में प्रायः सब लोग इसे अमृत नाम से ही पुकारते हैं। अमरूद (guava in hindi) का स्वाद खट्टा, मीठा और फीका दो तीन तरह का होता है। स्वादिष्ट होने के साथ साथ अमरूद का औषधीय गुण बहुत पौष्टिक होता है। कई तरह की बीमारियों को दूर करने में लोग इसे घरेलू उपाय के रुप में इस्तेमाल करते हैं।
अमरूद (guava in hindi) का लैटिन नाम Psidium guajava L. (सिडियम गुआजावा) है. इसके कुल का नाम : Myrtaceae (मिर्टेसी) है. अन्य भाषाओं में इसे निम्न नामों से पुकारा जाता है
Guava in :
आयुर्वेद में अमरूद के कई फायदे (guava benefits in hindi)बताए हैं, अमरूद में माताओं में दूध बढ़ाने वाले, मल को रोकने वाले, पौरुष बढ़ाने वाले, शुक्राणु बढ़ाने वाले और मस्तिष्क को सबल करने वाले होते हैं। अमरूद का औषधीय गुण प्यास को शांत करता है, हृदय को बल देता है, कृमियों का नाश करता है, उल्टी रोकता है, पेट साफ करता है औऱ कफ निकालता है। मुँह में छाले होने पर, मस्तिष्क एवं किडनी के संक्रमण, बुखार, मानसिक रोगों तथा मिर्गी आदि में इनका सेवन लाभप्रद होता है। आइये अमरूद के प्रमुख फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सूर्योदय से पहले प्रातः कच्चे हरे अमरूद (guava in hindi) को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठ पाता। अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार करना चाहिए।
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जुकाम के पुराने रोगी, जिसका कफ न निकल रहा हो, को एक बड़ा अमरूद बीज निकालकर खिला दें और ऊपर से ताजा जल रोगी नाक बंद करके पी ले। दो-तीन दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहकर साफ हो जाएगा। दो-तीन दिन बाद अगर स्राव रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात्रि में बिना जल पीए खा लें। यदि सूखी खाँसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह एक ताजे अमरूद (guava in hindi) को तोड़कर, चबा-चबा कर खाने से 2-3 दिन में लाभ होता है। अमरूद का भबका यंत्र द्वारा अर्क निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से भी सूखी खाँसी में लाभ होता है।
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अमरूद (guava in hindi) के 3-4 पत्तों को चबाने या पत्तों के काढ़े में फिटकरी मिला कर कुल्ला करने से दांत के दर्द में आराम (guava benefits in hindi) होता है। अमरूद के कोमल पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं। अमरूद के पत्तों को पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में नमक मिलाकर मुँह में 4-5 मिनट तक रख कर कुल्ला करने से मुख के घाव, मुखगत रक्तस्राव तथा मुखदौर्गन्ध्य में लाभ प्राप्त होता है और दाँत स्वस्थ रहते हैं।
अमरूद का औषधीय गुण पाने के लिए फलों के बीज निकाल कर बारीक-बारीक काटकर शक्कर मिलाकर, धीमी आंच पर चटनी बनाकर खाने से हृदयविकार तथा कब्ज में लाभ होता है।
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अगर आपको उल्टियां हो रही हैं तो अमरूद के उपयोग से आप उल्टियां रोक सकते हैं. इसके लिए अमरूद के पत्तों का काढ़ा 10 मि.ली. पिलाने से उल्टी बंद हो जाती है।
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अमरूद (guava in hindi) के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर पानी में डाल दें। कुछ देर बाद इस पानी को पीने से मधुमेह या बहुमूत्रजन्य प्यास में लाभ होता है।
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बच्चे का पुराना पेचिश मिटाने के लिए अमरूद (guava meaning in hindi) की 15 ग्राम जड़ को 150 मिली जल में पकाकर जब आधा जल शेष रह जाए तो 6-6 मि.ली. तक दिन में दो-तीन बार पिलाना चाहिए। कच्चे अमरूद के फल को भूनकर खिलाने से भी अतिसार में लाभ होता है। अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्रों का काढ़ा बनाकर 20 मि.ली. मात्रा में पिलाने से हैजा की प्रारम्भिक अवस्था में लाभ होता है।
अमरूद की छाल का काढ़ा अथवा छाल के 5-10 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पेचिश, हैजा, दूषित भोजन की विषाक्तता, उल्टी तथा अनपच आदि ठीक होते हैं। अमरूद का मुरब्बा, पेचिश एवं अतिसार में लाभदायक है। अमरूद के नये पत्तों को पीसकर स्वरस निकाल लें। इस स्वरस में चीनी मिलाकर प्रातःकाल सेवन करने से सात दिनों में बदहजमी में लाभ (guava benefits in hindi)होने लगता है।
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प्रातः अमरूद (guava meaning in Hindi) को नाश्ते में काली मिर्च, काला नमक तथा अदरख के साथ खाने से बदहजमी, खट्टी डकारें, पेट फूलना तथा कब्ज का निवारण होकर भूख बढ़ने लगेगी। दोपहर खाने के समय अमरूद को खाने से आंत के दर्द तथा अतिसार में लाभ होता है। अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है।
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अमरूद (guava meaning in Hindi) और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से कब्ज के कारण गुदभ्रंश यानी मलद्वार का बाहर निकलना बंद होता है।
अमरूद के वृक्ष की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर लेकर मोटा कुट लें तथा एक लीटर जल में उबालें, जब आधा जल शेष रह जाए, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए इससे गुदभ्रंश में लाभ होता है।
लगातार होने वाले दस्त के कारण होने वाले गुदभ्रंश में अमरूद के ताजे पत्रों की पुल्टिस बनाकर बाँधने से दर्द और सूजन कम होती है तथा गुदभ्रंश में लाभ होता है।
5-10 ग्राम अमरूद की छाल के चूर्ण को उसके ही काढ़े के साथ सेवन करने से बवासीर के कारण होने वाले रक्तस्राव तथा खुजली का शमन होता है। अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है।
अमरूद (guava meaning in hindi) के कोमल पत्तों को पीसकर गठिया के दर्द वाले स्थानों पर लेप करने से लाभ होता है।
अमरूद के पत्ते के काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क विकारों तथा किडनी की जलन का शमन (amrood benefits) होता है।
अमरूद के पत्ते के अर्क या टिंचर को बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से आक्षेप रोग यानी ऐंठन तथा कंपन में लाभ (amrood benefits)होता है।
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अगर आप बुखार से तड़प रहे हैं तो अमरूद के कोमल पत्तों को पीस-छानकर पिलाने से बुखार के कष्ट से आराम मिलता है।
अमरूद के बीज (amrud ke fayde) निकालकर पीसकर गुलाब जल और मिश्री मिला कर पीने से अत्यंत बढ़े हुए एसिडिटी में आराम होता है।
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विशेष : अमरूद के पत्ते के फायदे को पाने के लिए पत्ते के स्वरस को पिलाये या अमरूद खाने से भांग, धतूरा आदि का नशा दूर हो जाता है।
गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को विशेष रूप से अमरूद (guava in pregnancy) के ज्यादा प्रयोग से बचना चाहिए, क्योंकि इनमें ज्यादा फाइबर होने की वजह से महिलाओं को डायरिया होने की संभावना रहती है।
अमरूद (amrud ke fayde) को आप फल के रूप में खा सकते हैं। अगर आप इसका औषधीय उपयोग करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही उपयोग करें।
क्वाथ 10-20 मि.ली.
भारत में अमरूद का पेड़ (amrood ke fayde) लगभग हर जगह प्रमुखता से पाया जाता है. भारत के अलावा दक्षिण अमेरिका के पेरू देश में भी यह होता है और इसलिए यूरोपीय लोग इसे पेरू फ्रूट (Peru Fruit In English) भी कहते हैं। इसके फल हरे-पीले, लाल (Pink Guava) या लाल बिन्दु अंकित पीले रंग के होते हैं। वर्षा ऋतु की अपेक्षा शरद ऋतु के फल अधिक मीठे तथा स्वादिष्ट होते हैं। यह जंगली और बागवानी द्वारा उत्पन्न, दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है।
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