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बगीचों और घरों की शोभा बढ़ाने के लिए लगाया जाने वाला अपराजिता को आयुर्वेद में विष्णुक्रांता, गोकर्णी आदि नामों से जाना जाता है। आयुर्वेद में सफेद और नीले रंग के फूलों (aparajita flower in hindi) वालों अपराजिता के वृक्ष को बहुत ही गुणकारी बताया गया है। अपराजिता का प्रयोग महिला, पुरुष, बच्चों और बुजुर्गों के रोगों के उपचार के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। क्या आपको पता है अपराजिता का उपयोग क्या है? असाध्य रोगों पर विजय पाने की इसकी क्षमता के चलते ही इसे अपराजिता नाम से जाना गया है।
अपराजिता (aparajita tree) के बीज सिर दर्द को दूर करने वाले होते हैं। दोनों ही प्रकार की अपराजिता बुद्धि बढ़ाने वाली, वात, पित्त, कफ को दूर करनी वाली है। अपराजिता के इस्तेमाल से सााधारण से लेकर गंभीर बीमारियों का उपचार किया जा सकता है। यह शरीर के विभिन्न अंगों में होने वाले सूजन के लिए भी लाभप्रद है। आइए जानते हैं आसानी से पाए जाने वाले अपराजिता के गुण के बारे में।
अपराजिता (aparajita flower in hindi) का वृक्ष झाड़ीदार और कोमल होता है। इस पर फूल (aparajita flower) विशेषकर वर्षा ऋतु में आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होता है, इसलिए इसको गोकर्णी भी कहते हैं। अपराजिता सफेद और नीले रंग के फूलों के भेद से दो प्रकार की होती है।
नीले फूल वाली अपराजिता भी दो प्रकार की होती है :-
(1) इकहरे फूल वाली
(2) दोहरे फूल वाली।
कहा जाता है कि जब इस वनस्पति का रोगों पर प्रयोग किया जाता है तो यह हमेशा सफल होती है और अपराजित नहीं होती। इसलिए इसे अपराजिता कहा गया है।
आमतौर (aparajita flower in hindi) पर अपराजिता के नाम से प्रचलित इस औषधीय वृक्ष को अन्य भाषाओं में अल-अलग नाम से जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम Clitoria ternatea L. (क्लाइटोरिया टर्नेशिया) Syn-Clitoria bracteata Poir. और अंग्रेजी नाम Winged-leaved clitoria (विंग्ड लीव्ड क्लाइटोरिया) है, और इसके अन्य नाम ये हैं:-
Aprajita in –
अपराजिता (aparajita tree) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके और विधियां ये हैंः-
अपराजिता की फली बीज और जड़ को बराबर भाग में लेकर जल के साथ पीस लें। इसकी बूंध नाक में लेने से आधासीसी (अर्धावभेदक) में लाभ होता है। इसकी जड़ को कान में बांधने से भी लाभ होता है। बीज, जड़ और फली को अलग-अलग भी प्रयोग कर सकते हैं।
सफेद अपराजिता तथा पुनर्नवा की जड़ की पेस्ट में बराबर भाग में जौ का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह से घोंट लें। अब इसकी बाती बनाकर सुखा लें। इस बाती को पानी से घिसकर अंजन (आंखों में लगाने) करने से आंखों से जुड़ी सभी बीमारियों का उपचार (aparajita flower benefits) होता है।
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अपराजिता (aparajita tree) के पत्तों के रस को सुखाकर गर्म कर लें। इसे कानों के चारों तरफ लेप करने से कान के दर्द में आराम मिलता है।
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अपराजिता की जड़ की पेस्ट तैयार करें। इसमें काली मरिच का चूर्ण मिलाकर मुंह में रखें। इससे दांत दर्द में बहुत ही आराम (aparajita flower benefits)मिलता है।
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पुष्य नक्षत्र में सफेद अपराजिता (aparajita plant) की जड़ को उखाड़ कर गले में बांधें। इसके अलावा रोज इसकी जड़ के चूर्ण को गाय के दूध या गाय के घी के साथ खाएं। इससे अपच की समस्या, पेट में जलन आदि में शीघ्र लाभ होता है।
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अपराजिता की जड़ का शर्बत तैयार कर लें। इसे थोड़ा-थोड़ा पीने से खांसी, सांसों के रोगों की दिक्कत और बालकों की कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें। इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें। इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे जलोदर (पेट में पानी भरने की समस्या), अफारा (पेट की गैस), कामला (पीलिया), तथा पेट दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
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अपराजिता (aparajita plant) की जड़ को दूसरी रेचक और पेशाब बढ़ाने वाले औषधियों के साथ मिलाकर दें। इससे तिल्ली विकार (प्लीहा वृद्धि), अफारा (पेट की गैस) तथा पेशाब के रास्ते में होने वाली जलन आदि रोग ठीक होते हैं।
3-6 ग्राम अपराजिता की के चूर्ण को छाछ के साथ प्रयोग करें। इससे पीलिया में लाभ होता है।
आधा ग्राम अपराजिता के भुने हुए बीज का चूर्ण बना लें। इसे चूर्ण को आंच पर भून लें या 1-2 बीजों को आग पर भून लें। इसे बकरी के दूध या घी के साथ दिन में दो बार सेवन करें। इससे कामला (पीलिया) में शीघ्र लाभ होता है।
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अपराजिता के बीजों को पीस लें। इसे गुनगुना कर लेप करने से अण्डकोष की सूजन का उपचार होता है।
1-2 ग्राम सफेद अपराजिता की छाल या पत्तों को बकरी के दूध में पीस लें। इसे छान कर और शहद में मिलाकर पिलाने से गर्भपात की समस्या में लाभ होता है।
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आसानी से प्रसव के लिए अपराजिता की बेल को महिला की कमर में लपेट दें। इससे प्रसव आसानी से होता है। प्रसव पीड़ा शान्त हो जाती है।
3-6 ग्राम अपराजिता की जड़ की छाल, 1.5 ग्राम शीतल चीनी तथा 1 नग काली मिर्च लें। इन तीनों को पानी के साथ पीसकर छान लें। इसे सुबह-सुबह सात दिन तक पिलाएं। इसके साथ ही अपराजिता पंचांग (फूल (aparajita flower), पत्ता, तना और जड़) के काढ़े में रोगी को बिठाएं। इससे सुजाक में लाभ मिलता है। इससे लिंग संबंधी समस्या ठीक होती है।
अपराजिता (vishnukanta plant) के पत्तों को पीसकर जोड़ों पर लगाने से गठिया में आराम होता है।
1-2 ग्राम अपराजिता (aparajita plant) की जड़ के चूर्ण को गर्म पानी या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार सेवन करें। इससे गठिया में फायदा होता है।
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10-20 ग्राम अपराजिता की जड़ को थोड़े पानी के साथ पीस लें। इसे गर्म कर लेप करें। इसके साथ ही 8-10 पत्तों के पेस्ट की पोटली बनाकर सेंकने से फाइलेरिया या फीलपांव और नारु रोग में लाभ होता है।
धव, अर्जुन, कदम्ब, अपराजिता तथा बंदाक की जड़ का पेस्ट तैयार करें। इसका सूजन वाले स्थान पर लेप करने से फाइलेरिया या फीलपांव में लाभ होता है।
हथेली या ऊंगलियों में होने वाले घाव या बहुत ही दर्द देने वाले घावों पर अपराजिता के 10-20 पत्तों की लुगदी को बांध दें। इस पर ठंडा जल छिड़कते रहने से बहुत ही जल्दी आराम मिलता है।
10-20 ग्राम अपराजिता (vishnukanta plant) की जड़ को कांजी या सिरके के साथ पीस लें। इसका लेप करने से पके हुए फोड़े ठीक हो जाते हैं।
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अपराजिता (vishnukanta plant) की जड़ की राख या भस्म को मक्खन में घिस लें। इसे लेप करने से मुंह की झांई दूर हो जाती है।
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अपराजिता की बेल को कमर में बांधने से तीसरे दिन आने वाले बुखार में लाभ होता है।
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सर्पाक्षी तथा सफेद अपराजिता (aprajita) की जड़ के काढ़े में घी को पकाएं। इसमें सोंठ, भांगरा (भृंङ्गराज), वच तथा हींग मिला लें। इसे छाछ के साथ देने से सांप के जहर से होने वाले प्रभावों का नाश होता है।
जड़
जड़ की छाल
पत्ता
फूल
बीज
विशेष जानकारी – सफेद अपराजिता अधिक गुणकारी है।
आचार्य बाल कृष्ण द्वारा किया गया प्रयोग :-
एक बार हम लोग हिंडोन सिटी के एक घर में रुके हुए थे। वहां महिला को बहुत रक्त स्राव हो रहा था। हमने उन्हें 10 मिलीग्राम अपराजिता (aprajita) का रस निकालकर उसे 10 ग्राम मिश्री में मिलाकर दिया। इससे उन्हें तुरंत आराम आ गया।
कई रोगियों को अपराजिता का रस या जड़ का रस निकालकर उनके नाक में डालने पर उनका सिर दर्द तुरंत ठीक हो गया।
रस – 10 मिलीग्राम
चूर्ण – 1-2 ग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श से अपराजिता का इस्तेमाल करें।
अपराजिता (aprajita), घरों में शोभा के लिए लगाई जाती है। इसके फूल (aparajita flower) विशेषकर वर्षा ऋतु में लगते हैं। यह बाग-बगीचों, घरों के आस-पास पाया जाता है।
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