दही के फायदों के बारे में तो आप जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दही में पानी डालकर मथने से जो छाछ तैयार किया जाता है वो दही से ज्यादा फायदेमंद होता है। ग्रामीण इलाकों में आज भी मट्ठा या छाछ का उपयोग प्रमुखता से किया जाता है। इस लेख में हम आपको छाछ के फायदे और सेवन के तरीके के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।
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दही के स्वाद के अनुसार ही छाछ भी मीठा, खट्टा और बहुत खट्टा हो सकता है। पानी मिलाने और मक्खन निकालने की मात्रा के आधार पर छाछ के कई प्रकार होते हैं। बिना जल के केवल दही को मथ कर तैयार किया गया तक्र ’घोल‘, एक-चौथाई जल मिलाकर तैयार किया गया ’तक्र‘ तथा आधा जल मिलाकर तैयार किया ’उदश्वित्‘ कहलाता है। स्नेह (घी) निकाल कर बिना जल मिलाए मथा गया दही ’मथित‘ कहलाता है।
आयुर्वेद में छाछ के अनेक गुणों के बारे में बताया गया है। छाछ में लघु, मधुर, अम्ल, अग्नि बढ़ाने वाले, स्रोतों (Body Channels) को स्वच्छ करने वाले गुण होते हैं। खाना खाने के बाद छाछ का सेवन करना पाचन के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
छाछ में नमक मिला कर पीने से यह पाचन-शक्ति को बढ़ाती है। पूर्णतः घी निकाल कर तैयार किया गया छाछ बहुत हल्का और पथ्य (हितकर) माना गया है। घी निकाले बिना तैयार किया तक्र बहुत भारी (गरिष्ठ), बलकारी और कफकारक होता है।
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छाछ का सेवन हमारी सेहत को कई तरीकों से फायदा पहुंचाता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने के साथ यह ह्रदय रोगों में भी काफी लाभकारी है। आइये जानते हैं कि अन्य किन समस्याओं में छाछ का सेवन फायदेमंद होता है।
पेट में कब्ज़ होना बवासीर होने की सबसे मुख्य वजह होती है। छाछ पीने से पाचन दुरुस्त होता है और कब्ज़ दूर होता है। इस तरह बवासीर की समस्या में आराम मिलता है। आयुर्वेद में भी बवासीर ठीक करने के घरेलू नुस्खे के रूप में छाछ पीने की सलाह दी गयी है।
छाछ में त्रिकटु (सोंठ, कालीमिर्च, पिप्पली) और यवक्षार का मिश्रण मिलाकर सेवन करने से कफ से होने वाले रोगों में लाभ मिलता है।
अल्प अम्ल छाछ में सोंठ व सेंधा नमक का मिश्रण मिलाकर सेवन करने से वात के प्रकोप से होने वाले रोगों से आराम मिलता है।
अम्लता रहित मीठे छाछ में शक्कर मिलाकर पीना पित्त-विकारों में लाभकारी होता है।
अगर आपको पेशाब करते समय दर्द महसूस होता है तो ऐसे में छाछ का सेवन आपके लिए गुणकारी है। छाछ में गुड़ मिलाकर पीने से इस दर्द से राहत मिलती है।
छाछ में चित्रक मिलाकर सेवन करने से एनीमिया रोग में लाभ होता है। एनीमिया एक गंभीर बीमारी है इसलिए इससे पीड़ित होने पर सिर्फ़ घरेलू उपायों पर निर्भर ना रहें बल्कि नजदीकी चिकित्सक से संपर्क करें।
बवासीर
दस्त
पेचिश
कमजोर पाचन शक्ति (अपच)
बस्ति (पेडू) दर्द में उपयोगी
दोपहर का खाना खाने के बाद छाछ का सेवन करना सर्वाधिक गुणकारी माना जाता है। इसके अलावा कई लोग सुबह नाश्ते के बाद भी छाछ का सेवन करते हैं।
ज्यादा खट्टा छाछ हानि पहुँचाता है, अतः उसका सेवन नहीं करना चाहिए। छाती में घाव या दुर्बलता, मूर्च्छा, चक्कर, जलन और रक्तस्राव में एवं वर्षाकाल की गर्मी में छाछ का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
बिना पका हुआ छाछ (मट्ठा) कोष्ठ में जमा कफ को तो नष्ट करता है, परन्तु गले में कफ को उत्पन्न करता है। अतः पीनस, खाँसी, दमा और गले के रोगों में ताजे छाछ का प्रयोग न करके पके छाछ को प्रयोग में लाना चाहिए।
अब आप छाछ के फायदों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। रोजाना सीमित मात्रा में छाछ का उपयोग करें। अगर आप किसी बीमारी के इलाज के लिए छाछ का उपयोग औषधि के रूप में करना चाहते हैं तो पहले किसी चिकित्सक से परामर्श ज़रूर लें।
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