Contents
क्या आपने कभी बाकुची (Bakuchi) का नाम सुना है? शायद ही कभी सुने होंगे। जिन लोगों को आयुर्वेद के बारे में जानकारी होगी, हो सकता है कि वे बाकुची के बारे में जानकारी रखते हों, कि बाकुची क्या है या बाकुची से फायदे क्या होते हैं लेकिन अन्य लोगों को बाकुची के उपयोग के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा। दरअसल देखने में तो बाकुची बिल्कुल एक साधारण सा पौधा लगता है लेकिन यह बहुत काम की चीज है। यह एक बहुत फायदेमंद औषधि है।
आयुर्वेद में बाकुची (Bakuchi) के बारे में अनेक फायदेमंद बातें बताई गई हैं। बाकुची के प्रयोग से खांसी, प्रमेह, बुखार, पेट के कीड़े, उल्टी, त्वचा की बीमारी, कुष्ठ रोग सहित कई और बीमारियों में लाभ पाया जा सकता है। आपने बाकुची को देखा जरूर होगा क्योंकि यह प्रायः जंगल-झांड़ में पैदा हो जाता है। वैसे इसकी खेती भी होती है। आइए जानते हैं कि इससे आप क्या लाभ ले सकते हैं।
बाकुची (Bakuchi) के पौधे की आयु एक वर्ष होती है लेकिन सही देखभाल करने से बाकुची का पौधा 4-5 वर्ष तक जीवित रह जाते हैं। बाकुची की बीजों से बने तेल और पौधे को चिकित्सा के लिए प्रयोग में लाया जाता है। बाकुची के फूल ठंड के मौसम में लगते हैं और गर्मी में फलों में बदल जाते हैं।
बाकुची का वानस्पतिक नाम सोरेलिया कोरिलीफोलिया (Cullen corylifolium (Linn.) Medik, Syn-Psoralea corylifolia Linn.), फैबेसी (Fabaceae) है लेकिन इसके अन्य ये भी नाम हैंः-
Bakuchi in –
बाकुची के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
बिजौरा नीम्बू की जड़ तथा बाकुची की जड़ को पीसकर बत्ती बना लें। इससे दांतों के बीच में दबा कर रखने से कीड़ों के कारण होने वाले दांत के दर्द सहित अन्य तरह के दांतों के दर्द से राहत मिलती है।
बाकुची के पौधे की जड़ को पीस लें। इसमें थोड़ी मात्रा में साफ फिटकरी मिला लें। प्रत्येक सुबह शाम इसका मंजन के रूप में प्रयोग करने से दांतों में होने वाले संक्रमण की बीमारी ठीक हो जाती है और कीड़े खत्म होते हैं।
आधा ग्राम बाकुची बीज चूर्ण (Bakuchi Churna) को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे सांसों के रोग में लाभ होता है।
और पढ़ें – सांसों के रोग में सहजन के फायदे
बाकुची के पत्ते का साग सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ हफ्ते खाने से दस्त में बहुत लाभ होता है।
2 ग्राम हरड़, 2 ग्राम सोंठ और 1 ग्राम बाकुची के बीज लेकर पीस लें। आधी चम्मच की मात्रा में गुड़ के साथ सुबह-शाम सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
10 मिली पुनर्नवा के रस में आधा ग्राम पीसी हुई बाकुची के बीजों का चूर्ण (Bakuchi Churna) मिला लें। सुबह-शाम रोजाना सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है
बाकुची का उपयोग गर्भधारण रोकने के लिए भी किया जा सकता है। जो महिलाएं गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं वे मासिक धर्म से शुद्ध होने के बाद बाकुची के बीजों को तेल (Bakuchi Oil) में पीसकर योनि में रखें। इससे गर्भधारण करने की क्षमता समाप्त हो जाती है।
फाइलेरिया में भी बाकुची का इस्तेमाल किया जा सकता है। बाकुची के रस तथा पेस्ट का फाइलेरिया या हाथी पांव से प्रभावित अंग पर लेप करें। इससे फाइलेरिया में लाभ होता है।
त्वचा रोग में लाभ लेने के लिए बाकुची तेल दो भाग, तुवरक तेल दो भाग तथा चंदन तेल एक भाग मिलाएं। इस तेल को लगाने से सामान्य त्वचा की बीमारी सहित सफेद कुष्ठ आदि रोग नष्ट होते हैं।
बाकुची के बीज चार भाग और तबकिया हरताल एक भाग का चूर्ण बना लें। इसे गोमूत्र में मिलाकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग दूर हो जाते हैं।
बाकुची (babchi) और पवाड़ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर सिरके में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग में लाभ होता है।
बाकुची, गंधक व गुड्मार को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर तीनों का चूर्ण (Bakuchi Churna) कर लें। 12 ग्राम चूर्ण को रात में जल में भिगो दें। सुबह निथरा हुआ जल सेवन कर लें तथा नीचे के तल में जमा पदार्थ को सफेद दागों पर लगाते रहने से सफेद दाग खत्म हो जाते हैं।
10-20 ग्राम शुद्ध बाकुची चूर्ण में एक ग्राम आंवला मिलाएं। इसे खैर तने के 10-20 मिली काढ़ा के साथ सेवन करें। इससे सफेद दाग की बीमारी ठीक हो जाती है।
बाकुची को तीन दिन तक दही में भिगोकर फिर सुखाकर रख लें। इसका शीशी में तेल निकाल लें। इस तेल (Bakuchi Oil) में नौसादर मिलाकर सफेद दागों पर लेप करें। इससे सफेद दागों में लाभ होता है।
बाकुची, कलौंजी तथा धतूरे के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर आक के पत्तों के रस में पीसें। इसे सफेद दागों पर लगाने से सफेद कुष्ठ के रोग में लाभ होता है।
बाकुची, इमली, सुहागा और अंजीर के जड़ की छाल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर जल में पीसें। इसे सफेद दागों पर लेप करने से सफेद दाग रोग में लाभ होता है।
और पढ़ें: इमली के फायदे
सफेद दाग से परेशान लोग बाकुची (babchi), पवांड़ तथा गेरू को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर कूटकर पीसें। इसे अदरक के रस में खरल कर सफेद दागों पर लगाकर धूप में सेंके। इससे सफेद दाग की बीमारी में फायदा होता है।
सफेद दाग के इलाज के लिए बाकुची, गेरू और गन्धक को बराबर-बराबर मात्रा में लेें। इसे पीसकर अदरक के रस में खरल कर 10-10 ग्राम की टिकिया बना लें। एक टिक्की रात को 30 मिग्रा जल में डाल दें। सुबह ऊपर का स्वच्छ जल पी लें। बाकी के नीचे की बची हुई औषधि को सफेद दागों पर मालिश करें। इसके बाद धूप सेंकने से सफेद रोग में लाभ होता है।
बाकुची, अजमोद, पवांड तथा कमल गट्टा को समान भाग लेकर कूट पीसकर मधु मिलाकर गोलियां बना लें। एक से दो गोली तक सुबह-शाम अंजीर की जड़ की छाल के काढ़ा के साथ सेवन करने से सफेद दाग में लाभ होता है।
सफेद दाग के उपचार के लिए 1 ग्राम शुद्ध बाकुची तथा 3 ग्राम काले तिल के चूर्ण में 2 चम्मच मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से सफेद दाग की बीमारी में लाभ होता है।
सफेद दाग मिटाने के लिए शुद्ध बाकुची (babchi), अंजीर मूल की छाल, नीम छाल तथा पत्ते का बराबर-बराबर भाग लेकर कूट पीस लें। इसे खैर की छाल के काढ़ा में खरल करके रख लें। दो से पांच ग्राम तक की मात्रा को जल के साथ सेवन करने से सफेद दाग मिट जाता है।
बाकुची पांच ग्राम तथा केसर एक भाग लेकर दोनों को कूट पीस लें। इसे गोमूत्र में खरल कर गोली बना लें। इस गोली को जल में घिसकर लगाने से सफेद दाग रोग में लाभ होता है।
100 ग्राम बाकुची, 25 ग्राम गेरू तथा 50 ग्राम पंवाड़ के बीज लेकर कूट पीस लें। इसे कपड़े से छानकर चूर्ण कर लें और भांगरे के रस में मिला लें। सुबह और शाम गोमूत्र में घिसकर लगाने से सफेद दाग ठीक होता है।
बाकुची चूर्ण को अदरक के रस में घिस कर लेप करने से सफेद रोग में लाभ होता है।
बाकुची दो भाग, नीलाथोथा तथा सुहागा एक-एक भाग लेकर चूर्ण कर लें। एक सप्ताह भांगरे के रस में घोटकर रख लें कपड़े से छान लें। इसको नींबू के रस में मिलाकर सफेद दाग पर लगाने से सफेद दाग नष्ट होते हैं। यह प्रयोग थोड़ा जोखिम भरा होता है। इसलिए इसके प्रयोग के फलस्वरूप छाले होने पर यह प्रयोग बन्द कर दें।
शुद्ध बाकुची (bauchi) चूर्ण की एक ग्राम मात्रा को बहेड़े की छाल तथा जंगली अंजीर की जड़ की छाल के काढ़े में मिला लें। इसे रोजाना सेवन करते रहने से सफेद दाग और पुंडरीक (कोढ़ का एक प्रकार) में लाभ होता है।
बाकुची, हल्दी तथा अर्क की जड़ की छाल को समान भाग में लें। इसे महीन चूर्ण कर कर कपड़े से छान लें। इस चूर्ण को गोमूत्र या सिरका में पीसकर सफेद दागों पर लगाएं। इससे सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं। यदि लेप उतारने पर जलन हो तो तुवरकादि तेल (Bakuchi Oil) लगाएं।
1 किग्रा बाकुची को जल में भिगोकर, छिलके उतार लें। इसे पीसकर 8 ली गाय के दूध तथा 16 लीटर जल में पकाएं। दूध बच जाने पर उसकी दही जमा दें। मक्खन निकालकर उसका घी बना लें। एक चम्मच घी में 2 चम्मच मधु मिलाकर चाटने से सफेद दाग में लाभ होता है।
बाकुची (bauchi) तेल की 10 बूंदों को बताशे में डालकर रोजाना कुछ दिनों तक सेवन करने से सफेद कुष्ठ रोग (Bakuchi Oil) में लाभ होता है।
बाकुची को गोमूत्र में भिगोकर रखें। तीन-तीन दिन बाद गोमूत्र बदलते रहें। इस तरह कम से कम 7 बार करने के बाद उसको छाया में सुखाकर पीसकर रखें। उसमें से 1-1 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी से खाने से एक घंटा पहले सेवन करें। इससे श्वित्र (सफेद दाग) में निश्चित रूप से लाभ होता है।
और पढ़ें – अस्थमा में अंजीर के फायदे
आधा ग्राम बाकुची (bauchi) बीज चूर्ण को अदरक के रस के साथ दिन में 2-3 बार सेवन करें। इससे कफ ढीला होकर निकल जाता है और खांसी ठीक हो जाती है।
और पढ़े – लोकाट से खाँसी का इलाज
रोजाना मूसली और बाकुची चूर्ण को 1-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से बहरेपन या बाधिर्य में लाभ होता है।
बाकुची 1 ग्राम बाकुची और 3 ग्राम काले तिल को मिलाकर एक वर्ष तक दिन में दो बार सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
बाकुची के बीजों को पीसकर गांठ पर बांधते रहने से गांठ बैठ जाती है।
बाकुची के इस्तेमाल की मात्रा ये होनी चाहिएः-
बावची चूर्ण – 0.5-1 ग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इस्तेमाल करें।
बाकुची (bavachi) का प्रयोग इस तरह से किया जा सकता हैः-
बीज
बीज से बना तेल
पत्ते
जड़
फली
बाकुची (bavachi) के सेवन से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-
बाकुची के सेवन से पेट से संबंधित विकार उभर सकते हैं।
ज्यादा बाकुची के सेवन से उल्टी हो सकती है।
इसका दर्पनाशक दही एवं स्नेह द्रव्य हैं।
बाकुची (bavachi) के छोटे-छोटे पौधे वर्षा-ऋतु में अपने आप उगते हैं। इसकी कई स्थानों पर खेती भी की जाती है। यह भारत में विशेषतः राजस्थान, कर्नाटक तथा पंजाब में कंकरीली भूमि एवं जंगली झाड़ियों में मिलता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…