कपूर (Camphor) का मुख्य इस्तेमाल पूजा के दौरान आरती में किया जाता है। कपूर में काफी तेज गंध होती है और यह एक अत्यंत ज्वलनशील पदार्थ है। निर्माण की प्रक्रिया के आधार पर और अलग अलग देशों में कपूर के अलग प्रकार मिलते हैं। कपूर रंगहीन, सफेद या पारदर्शी स्वरुप में चूर्ण या चौकोर आकृति का होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कपूर का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने में भी किया जाता है। यहां कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) के फायदे और गुणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
आपने बराबर देखा होगा कि पूजा-पाठ के दौरान कपूर को जलाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कपूर कितने तरह का होता है, भीमसेनी कपूर क्या है या भीमसेनी कपूर के फायदे क्या-क्या होते हैं। कपूर जलाने के फायदे क्या-क्या हैं। क्या कपूर खा सकते हैं कि नहीं या कपूर कैसे बनाया जाता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
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कपूर एक प्रकार का जमा हुआ उड़नशील सफेद तैलीय पदार्थ है। आयुर्वेद के कई ग्रंथों में पक्व, अपक्व और भीमसेनी तीन तरह के कपूर का जिक्र है। मुख्य रूप से दो तरह के कपूर प्रयोग में लाये जाते हैं। एक पेड़ों से प्राप्त होता है और दूसरा कृत्रिम रूप से रासायनिक प्रक्रिया द्वारा बनाया जाता है। प्राकृतिक कपूर को भीमसेनी कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) कहा जाता है, और यह कृत्रिम कपूर की तुलना में भारी होता है। यही कारण है कि यह जल्दी पानी में डूब जाता है। यह जल्दी उड़ता भी नहीं है।
कपूर का वानस्पतिक नाम Cinnamomum camphora (Linn.) J. Pres. (सिनेमोमम् कॅम्फोरा) और कुल का नाम Lauraceae (लॉरेसी) है। कपूर को अन्य भाषाओं में निम्न नामों से पुकारा जाता हैः-
Camphor in :
आप अपने घरों में कपूर जरूर जलाते होंगे क्योंकि कपूर जलाने के फायदे बहुत हैं। कई घरों में नारियल तेल और कपूर का एक साथ इस्तेमाल किया जाता है। यह आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद भी होता है। आयुर्वेदिक दृष्टि से देखें तो कपूर कटु, तिक्त, मधुर और तीक्ष्ण स्वभाव का होता है। यह पाचक की तरह काम करता है और आंखों के लिए फायदेमंद है। हल्का तीखा, सुगन्धित और अधिक पराग वाला कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आइये कपूर के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
सिरदर्द होना एक आम समस्या है, और हर उम्र के लोग इससे परेशान हैं। कपूर के फायदे से सिरदर्द से आराम मिल सकता है। शुण्ठी, लौंग, कर्पूर, अर्जुन की छाल और सफेद चंदन को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे सिर पर लेप करने से सिरदर्द जल्दी ठीक हो जाता है।
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कपूर के चूर्ण को बरगद (वट) के दूध में पीसकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों से जुड़े रोगों में लाभ होता है।
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कपूर का प्रयोग त्वचा संबंधी रोगों से राहत दिलाने में किया जाता है, जैसे कि मुँहासे । कपूर में रोपण यानि हीलिंग का गुण होता है जो कि मुहांसों को जल्दी ठीक करने में सहायता करता है। साथ हि कपूर में शीतल और शोथ को कम करने वाला गुण होने के कारण यह मुँहासे वाली जगह की शोथ को कम कर मुहांसों को आने से भी रोकता है।
चेहरे के दागों को कम करने के लिए भी कपूर का प्रयोग किया जाता है। त्वचा में अधिक रूखापन होने की वजह से त्वचा शुष्क और दाग-धब्ब़ों वाली हो जाती है। कपूर को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से त्वचा का रूखापन दूर हो जाता है साथ ही चेहरे की त्वचा खिलने लगती है।
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कपूर को फोड़े -फुंसी को ठीक करने में भी प्रयोग करते है क्योंकि कपूर में एंटी -बैक्टिरीयल गुण होता है, जो कि फोड़े -फुंसियों को बढ़ने से रोकता है साथ ही उनको जल्दी ठीक करने भी सहायक होता है।
शरीर पर चोट लगने के करना या किसी अन्य कारण से सूजन आ गयी हो तो उसको कपूर के प्रयोग से इसे कम किया जा सकता है, क्योंकि कपूर में शोथहर गुण होता है।इसके लिए कपूर को नारियल या किसी तेल में मिलकर लगाने से सूजन कम होती है।
लू लगने पर कपूर का उपयोग फ़ायदेमंद होता है। लू लगने पर कपूर और नारियल के तेल के मिश्रण को शरीर पर लगाने या मसाज करने से जलन कम होती है साथ हि कपूर के इस्तेमाल से शरीर को शीतलता का एहसास होता है, जिससे लू के लक्षणों से राहत मिलती है।
बालों में रूसी होने और बाल झड़ने के लिए नारियल तेल और कपूर का मिश्रण एक कारगर उपाय है। कपूर में एंटी फंगल यानि एंटी डैंड्रफ का गुण पाया जाता है जो कि रूसी को कम करने के साथ -साथ बालों को झड़ने से भी रोकता है। कपूर को नारियल तेल के साथ मिलाकर प्रयोग करने से ज्यादा लाभ मिलता है।
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खाँसी की समस्या में कपूर का उपयोग फायदेमंद होता है। खाँसी यदि रात की नींद ख़राब कर रही है तो इसे शांत करने के लिए कपूर को सरसों या तिल के तेल में डाल कर कुछ समय के लिए रख दें। फिर इस तेल से पीठ और छाती पर हल्के हाथ से मालिश करें जिससे खाँसी शांत होती है, क्योंकि कपूर में कफ को शांत करने का गुण होता है।
मच्छरों को भागने में कपूर एक अचूक उपाय है क्योंकि कपूर के जलने से एक प्रकार की सुगन्धित गंध निकलती है, जो कि मच्छरों को दूर भगाने में सहायक होती है।
बवासीर के इलाज में कपूर का उपयोग किया जाता है विशेष तौर पर जब बवासीर के कारण गुदा मार्ग में दर्द या पीड़ा होती है। दर्द से राहत पाने के लिए कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर बवासीर वाली जगह पर लगाने से वहां की सूजन में भी कमी आती है, साथ ही शीतलता का अनुभव होने से मलत्याग के होने वाली जलन और तकलीफ में भी आराम मिलता है।
मौसम के बदलने पर अधिकांश लोग सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाते हैं। जुकाम ऐसी समस्या है जिसमें नाक बहने, सिरदर्द की वजह से कोई भी काम करने का मन नहीं करता है। कपूर के सेवन से जुकाम को जल्दी ठीक किया जा सकता है। भीमसेनी कपूर के फायदे यहां भी मिलते हैं। कपूर को गर्म पानी में डालकर उससे निकलने वाली भाप को सूंघने से कफ से जुड़े रोगों और जुकाम में लाभ होता है।
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अगर अक्सर बेवजह आपके नाक से खून निकलने लगता है तो कपूर के फायदे लेकर इस समस्या से राहत पा सकते हैं। इसके लिए कपूर को गुलाब जल में पीसकर 1-2 बूंद नाक में डालें। जल्दी ही नाक से खून निकलने की समस्या ठीक हो जाती है।
कई बार ज्यादा मीठा खा लेने से या पेट की गर्मी की वजह से मुंह में छाले पड़ जाते हैं। 125 मिग्रा कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) को मिश्री के साथ पीसकर लगाने से मुंह पकने की समस्या में लाभ होता है।
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उल्टी या मिच्ल्ली आने पर अधिकांश लोग तुरंत दवाइयां खाकर राहत पाने की कोशिश करते हैं, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आप कपूर कि मदद से भी उल्टियों से आराम पा सकते हैं। उल्टियां होने पर कपूर मिश्रित जल का सेवन करने से उल्टियां रुक जाती हैं।
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बरसात के मौसम में अक्सर लोग हैजा (कॉलरा) की चपेट में आ जाते हैं। खासतौर पर बच्चों को यह समस्या ज्यादा होती है। इस रोग से बचाव में कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) काफी फायदेमंद है। पतंजलि के अनुसार, 125 मिग्रा कपूर का सेवन करने से कॉलरा में लाभ होता है।
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अगर पेशाब करते समय जलन या दर्द की परेशानी है तो कपूर के फायदे लेकर दर्द से राहत पा सकते हैं। इसके लिए कर्पूर चूर्ण की वर्ती बना लें। इसे लिंग के रास्ते (Urethra) में रखें। इससे पेशाब न आना और पेशाब करते समय दर्द होने आदि समस्याओं में लाभ होता है।
जिन महिलाओं को योनि में जलन या खुजली महसूस होती है उनके लिए कपूर काफी उपयोगी होता है। इसके लिए 125 मिग्रा और पढ़ें – पिनवार्म कम करने में अरंडी और नारियल तेल फायदेमंदकपूर की गोली बनाकर योनि में रखें। ऐसा करने से योनि में होने वाली जलन और खुजली दोनों शांत हो जाती है।
बढ़ती उम्र में घुटनों और जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। अधिकांश लोगों को यह समस्या गठिया रोग के कारण होती है। कपूर (Bhimseni Kapoor Patanjali) के प्रयोग से आप गठिया में होने वाले दर्द को कम कर सकते हैं। अपांप्म व कपूर को राई के तेल में मिलाकर मालिश करें। इससे गठिया के दर्द से आराम मिलता है।
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किचन में काम करते समय हल्का-फुल्का जल जाना आम बात है। जलन को कम करने के लिए और जले हुए हिस्से को जल्दी ठीक करने में कपूर का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए सफेद चन्दन, कर्पूर और सुंगधबाला को समान मात्रा में लेकर पीस लें। जले हुए हिस्से पर इसका लेप लगाएं।
कपूर में ऐसे गुण होता है जो बिच्छू के विष के असर को कम कर देता है। अगर आपको या किसी परिचित को बिच्छू ने काट लिया है, तो कपूर को सिरके में पीसकर उस जगह पर लगाएं। इससे विष का असर जल्दी खत्म हो जाता है।
अनेक जगह नारियल तेल और कपूर का उपयोग खजुली आदि की रोकथाम के लिए किया जाता है, तो कई स्थानों पर कपूर को जलाकर फायदे लिए जाते हैं, लेकिन किसी भी रोग के इलाज में कपूर की कोई विशेष मात्रा निर्धारित नहीं है। हमेशा कपूर का उपयोग चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें।
अधिकांश लोग नहीं जानते हैं कि कपूर कैसे बनाया जाता है। आप भी नहीं जानते हैं तो जान लीजिए कि भारत में अब ज्यादातर कपूर रासायनिक विधि द्वारा बनाया जाता है। प्राकृतिक कपूर पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड, कर्नाटक, तमिलनाडू, केरल, नीलगिरी तथा कर्नाटक में पाया जाता है।
कपूर को जलाने से वायु शुद्ध होती है। कपूर दूषित वायु से फैलने वाले रोगों से बचाने के साथ-साथ मच्छर और मक्खियों को भी आने से रोकता है।
हर प्रकार का कपूर खाने योग्य नहीं होता है। खाने योग्य कपूर का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में औषधि के निर्माण में किया जाता है। अतः कपूर का उपयोग सीधे न करके आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेकर आयुर्वेदिक औषधि के रूप में ही प्रयोग करना उचित होता है।
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