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करेला की सब्जी (karele ki sabji) स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। कड़वी होने के कारण, भले ही सभी लोग करेले की सब्जी नहीं खाते हों, लेकिन इसके बारे में जानते जरूर होंगे। आमतौर पर लोग केवल इतना ही जानते हैं कि करेला डायबिटीज (मधुमेह) में फायदा पहुंचाता (karele ke fayde) है, लेकिन सच यह है कि आप करेला का प्रयोग कर कई रोगों को भी ठीक कर सकते हैं।
करेला में मौजूद पोषक तत्वों (karela nutrition) की जानकारी अधिकांश लोगों को है ही नहीं। इस कारण अनेक लोग इसका प्रयोग नहीं कर पाते। आयुर्वेद के अनुसार, करेला मधुमेह (डायबिटीज) के साथ-साथ कई और रोगों में भी लाभ पहुंचाता है। अगर आप कड़वेपन के कारण करेला का उपयोग नहीं करते हैं तो, मैं आपको यह विश्वास दिलाता हूं कि इस जानकारी के बाद आप भी करेला से फायदा लेने लगेंगे।
करेला स्वाद में कड़वा, और थोड़ा-सा तीखा होता है। मधुमेह के रोगी विशेषतः करेला के रस, और सब्जी का सेवन करते हैं। करेला का सेवन अनेक बीमारियों जैसे- पाचनतंत्र की खराबी, भूख की कमी, पेट दर्द, बुखार, और आंखों के रोग में लाभ पहुंचाता है। योनि या गर्भाशय रोग, कुष्ठ रोगों, तथा अन्य बीमारियों में भी आप करेला से फायदा ले सकते हैं। करेले से कमजोरी (कमजोरी मे चीकू के फायदे)दूर होती है, और जलन, कफ, सांसों से संबंधित विकार में लाभ मिलता है। चिड़चिड़ाहट, सुजाक, बवासीर आदि में भी करेले से फायदा मिलता है। करेला (bitter gaurd) के बीज घाव, आहार नलिका, तिल्ली विकार, और लिवर से संबंधित समस्याओं में करेला लाभदायक होता है।
करेला (karaila) का वानस्पतिक नाम मोमोर्डिका चरांशिया (Momordica charantia L, Syn-Momordicachinensis Spreng, Momordica indica Linn) है, और यह कुकुरबिटेसी (Cucurbitaceae) कुल का हैं, इसे दुनिया भर में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Karela in-
करेला पोषक तत्वों (karela nutrition) का भंडार है। इसका औषधीय प्रयोग, इस्तेमाल की मात्रा, या तरीका, तथा विधियां ये हैंः-
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ज्यादा जोर से बोलने, या चिल्लाने से आपका गला बैठ गया है। आवाज सही से निकल पा रही है, तो 5 ग्राम करेला के जड़ के पेस्ट को मधु, या 5 मिली तुलसी के रस के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे परेशानी ठीक होती है।
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गले की सूजन की परेशानी में सूखे करेला को सिरके में पीस लें। इसे गर्म करके लेप करें। इससे गले की सूजन ठीक हो जाती है।
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अगर आप 5 ग्राम करेले के जड़ का पेस्ट बना लें। इसमें मधु, या 5 मिली तुलसी के रस मिला लें। इसका सेवन करें। इससे सांसों के रोग, जुकाम, और कफ की बीमारी ठीक हो सकती है।
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कान के दर्द में भी करेला का इस्तेमाल लाभदायक होता है। करेले के ताजे फलों, या पत्तों को कूटकर रस निकाल लें। इसे गुनगुना करके 1-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द ठीक होता है।
सिर दर्द में भी करेला से फायदा होता है। करेला के पत्ते के रस में थोड़ा गाय का घी, और पित्तपापड़े का रस मिला लें। इसका लेप करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
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कई बार छोटे बच्चों को अमाशय संबंधी बीमारी हो जाती है। ऐसे में 6 मिली करेला (bitter guard) के पत्ते के रस में थोड़ा-सा हल्दी का चूर्ण मिला लें। इसी पीने से बीमारी ठीक होती है।
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जलोदर रोग पेट की बीमारी है, जिसमें पेट में पानी भर जाता है। इसमें रोगी का पेट फूल जाता है। इसमें 10-15 मिली करेला के पत्ते के रस में मधु मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
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प्रायः अनेक महिलाएं यह शिकायत करती हैं, कि मां बनने के बाद शिशु के पीने लायक दूध नहीं हो रहा है। महिलाएं करेले के 20 ग्राम पत्तों को पानी में उबाल लें। इसे छानकर पिएं। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
मासिक धर्म के विकार में भी करेला का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। 10-15 मिली करेला के पत्ते के रस में 1 ग्राम सोंठ, 500 मिग्रा काली मिर्च, और 500 मिग्रा पीपल का चूर्ण मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से मासिक धर्म विकारों में लाभ (karele ke fayde) होता है।
करेला का प्रयोग कर दाद को ठीक किया जा सकता है। करेले के पत्ते के रस को दाद वाले स्थान पर लगाने से दाद ठीक हो जाता है।
करेला के उपयोग से चर्म रोग में भी लाभ मिलता है। करेला के पौधे, दालचीनी, पीपर और चावल को जंगली बादाम के तेल में मिला लें। इसे लगाने से त्वचा विकार, या चर्म रोग में फायदा होता है।
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आप करेले का फायदा वायरल फीवर, या ठंड लगकर आने वाले बुखार में भी ले सकते हैं। इसके लिए करेले के 10-15 मिली रस (karele ka juice) में जीरे का चूर्ण मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से राहत मिलती है।
कई लोग तलवे में जलन की परेशानी से परेशान रहते हैं। इसमें करेला के पत्ते के रस को तलवे पर लगाएं। इससे आराम मिलता है।
मुंह में छाले होने पर करेले के रस में सुहागा की खील मिला लें। इसे लगाने से लाभ होता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व (karela nutrition) छालों को जल्दी ठीक करते हैं।
करेला का प्रयोग कर फुंसी का इलाज (Bitter Gourd Benefits in Pimples Treatment in Hindi)
चेहरे या शरीर के अन्य अंगों पर फुन्सी हो गई है तो करेला के पत्ते के रस को फुंसी पर लगाएं। इससे फुन्सी ठीक होती है।
करेला का प्रयोग निमोनिया में लाभदायक होता है। आप 5-10 मिली करेला के पत्ते के रस को गुनगुना कर लें। इसमें थोड़ी केसर मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से निमोनिया में लाभ होता है।
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आंखों के रोग में करेला का इस्तेमाल (Karela Benefits for Eye Disease in Hindi)
आंखों से संबंधित कई विकारों में करेला का उपयोग बेहतर परिणाम देता है। आंखों के रोग से पीड़ित लोग, लोहे के बर्तन में करेले के पत्तों का रस (karele ka juice) निकाल लें। इसमें एक काली मिर्च घिस लें। इसका काजल की तरह लगाने से आंखों के दर्द, आंखों की जलन, और रतौंधी में फायदा होता है।
करेले (karela nutrition) से मोतियाबिंद में फायदा पहुंचाता है। मोतियाबिंद से ग्रस्त लोग, करेले की जड़ को घोड़े के पेशाब (अश्व मूत्र) में घिस लें। इसे 1-2 बूंद की मात्रा में आंखों में डालने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।
कुछ लोगों को रात में अंधेपन की समस्या होती है। इस बीमारी में लोगों को दिन की तुलना में रात के समय ठीक से दिखाई नहीं देता है। इसमें करेला के पत्ते के पेस्ट बना लें। इसे आंखों के चारों तरफ लेप करने से रात के अंधेपन की समस्या में लाभ होता है।
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करेला में मौजूद पोषक तत्व खूनी बवासीर में भी लाभ पहुंचाते हैं। खूनी बवासीर वाले लोग 20-30 मिली करेले के काढ़े में चीनी मिला लें। इसे सुबह-शाम पीएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
पीलिया से ग्रस्त लोग करेले (bitter guard) के इस्तेमाल से लाभ ले सकते हैं। 10-15 मिली करेला के पत्ते के रस में, बड़ी हरड़ को घिस लें। इसे पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता हैं।
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जो लोग शराब का अधिक सेवन करते हैं, और इससे होने वाली बीमारी से परेशान हैं। वे लोग छाछ के साथ 15-20 मिली करेला के पत्ते के रस का सेवन करें। इससे अधिक शराब पीने के कारण होने वाली लिवर की बीमारी में लाभ मिलता है।
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Summary:
करेला का इस्तेमाल इस तरह किया जा सकता हैः-
आप करेला (bittergourd) का सेवन इतनी मात्रा में कर सकते हैंः-
अब तक आपने जाना कि, करेला कैसे, और कितने तरीके से शरीर के लिए फायदेमंद हो सकता है। अब यह जानना भी बहुत जरूरी है कि किन लोगों को करेला का सेवन नहीं करना चाहिएः-
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बहुत अधिक मात्रा में करेला का सेवन करने से पेट में दर्द, और दस्त की समस्या हो सकती है। अगर ऐसी परेशानी हो रही हो तो चावल और घी खिलाना अच्छा होता है।
चूंकि करेला (karuvoolam ecs) एक सब्जी है, इसलिए इसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। यह सब्जी मार्केट में यह आसानी से मिल जाती है।
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