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टिंडा (tinda) एक ऐसा शाकाहारी सब्जियों का विकल्प जो पौष्टिकता से भरपूर होता है। टिंडा को हजम करना आसान होता है। टिंडा में एन्टी-ऑक्सिडेंट, फाइबर, कैराटिनॉयड, विटामिन सी, आयरन या पोटाशियम होता है जो टिंडे को सूपरफूड बनाने में मदद करता है। टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) खाते तो सब लोग है,लेकिन आयुर्वेद में इसका औषधि के रुप में भी उपयोग किया जाता है, टिंडा के फायदे बारे में कितने लोगों को मालूम होगा? इसलिए आगे हम टिंडा के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
वैसे तो आयुर्वेदीय प्राचीन ग्रन्थों में इसका उल्लेख नहीं मिलता है। यह नर और नारी दोनों रुपों में होती है और इसकी लताएं हर जगह फैल जाती हैं। टिंडा का तना कोणीय आकार का और रोम वाला होता है। टिंडा के पत्ते ककड़ी के पत्ते जैसे पतले, रोमश और लगभग 6 सेमी लम्बे होते हैं।
टिंडा के फूल छोटे, पीले, 3 सेमी व्यास या डाइमीटर के और गुच्छे में होते हैं। इसके फल अंडा के आकार के, 6-10 सेमी व्यास के, हरे और सफेद रंग के या धब्बेदार पीले रंग के होते हैं। टिंडा के भीतर का भाग मुलायम और रस वाला होता है। बीज संख्या में अनेक, बड़े और अण्डाकार, 8 मिमी लम्बे, पीले सफेद रंग के और चिकने होते हैं।
टिंडा त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा होता है। इसके अलावा टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) कई और रोगों के लिए भी लाभकारी है, जैसे- टिंडा का फल आमाशय रस को बढ़ाने वाला, रक्त को शुद्ध करने, कृमिनाशक, मल-मूत्र को शरीर से निकालने में भी सहायता करता है। इसके अलावा, गले के दर्द को कम करने के साथ-साथ खुजली और शराब पीने शरीर जो अज्ञानता के अवस्था में जाता है उससे बाहर निकालने में सहायता करता है।
टिंडा का बीज बुद्धि को तेज करने यानि यादाश्त को बेहतर बनाने में सहायता करता है और कमजोरी दूर करने में भी मदद करता है।
इसके अलावा अन्य भाषाओं में टिंडा दूसरे नामों से जाना जाता है। जो इस तरह है-
Tinda in:
आयुर्वेद के अनुसार टिंडा सब्जी (tinde ki sabji) स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि ये कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में काम करता है। चलिये जानते हैं कि टिंडा कैसे बीमारियों से लड़ने में सहायता करता है।
आजकल कब्ज की परेशानी से सब परेशान रहते हैं। कब्ज होने पर टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) का सेवन करने से टिंडा के फायदे से राहत मिल सकती है। टिण्डे के डण्ठल का शाक मल को नरम करने में मदद करता है। [Go to: Tinde ke fayde]
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खून साफ न होने पर कई तरह के त्वचा संबंधी रोग होने की संभावना होती है। टिण्डे के फल के रस का सेवन करने से रक्त का शोधन तथा मुँह और गला सूख जाने के एहसास से छुटकारा मिलता है। टिंडा के फायदे खून को साफ कर उससे संबंधित बीमारियों से राहत दिलाने में मदद करती है।[Go to: Tinde ke fayde]
पतंजली आयुर्वेद के अनुसार टिंडा एक ऐसी सब्जी (tinde ki sabji) जो दो बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। टिंडे के फल का शाक बनाकर सेवन करने से कामला या पीलिया तथा मधुमेह (डायबिटीज) में लाभ मिलता है। [Go to: Tinde ke fayde]
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आजकल पैकेज्ड फूड और मसालेदार खाना खाने से पथरी होना आम बात हो गया है। आयुर्वेद के अनुसार इस अवस्था से बाहर आने में टिंडा मदद करता है। टिंडा के ताजे कोमल फलों को कुचलकर, पीसकर रस निकाल लें। 10-15 मिली रस में 65-125 मिग्रा यवक्षार मिलाकर गुनगुना करके पिलाने से पथरी टूट-टूट कर निकल जाती है।
इसके साथ-साथ टिंडे का रस पित्तज-विकारों को कम करने के अलावा मूत्र और लीवर संबंधी रोगों में लाभकारी होता है। [Go to: Tinde ke fayde]
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अगर मूत्र संबंधी रोगों से परेशान है तो टिंडा के फलों का शाक बनाकर सेवन करने से पेशाब करते वक्त दर्द तथा यूरीनरी ब्लाडर या मूत्राशय के सूजन को कम करने में मदद मिलती है। [Go to: Tinde ke fayde]
अगर गर्भावस्था के दौरान ब्लीडिंग हो रहा है तो टिंडा का सेवन इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। 5-10 मिली टिंडे के जड़ का रस बनाकर पीने से गर्भस्रावजन्य रक्तस्राव को कम करने में मदद मिलती है। [Go to: Tinde ke fayde]
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टिण्डे के फलों का रस निकालकर मिश्री मिलाकर पीने से प्रदर तथा प्रमेह (diabetes) में लाभ मिलता है। [Go to: Tinde ke fayde]
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आम तौर पर उम्र बढ़ने पर जोड़ो में दर्द की परेशानी होती है, लेकिन आजकल कम उम्र में भी ये समस्या नजर आता है। ऐसे अवस्था से आराम पाने के लिए टिंडे के फल को पीसकर जोड़ो पर लगाने से दर्द से राहत मिलती है। [Go to: Tinde ke fayde]
अगर शरीर के किसी अंग का सूजन कम नहीं हो रहा है तो टिंडे के बीज और पत्तों को पीसकर उसका लेप बना लें। उसके बाद लेप को प्रभावित जगह पर लगाने से दर्द और सूजन दोनों कम होता है। [Go to: Tinde ke fayde]
अगर लंबे अर्से तक बीमार रहने के बाद कमजोरी आ गई है तो पके हुए टिण्डें के बीजों को निकालकर मेवे के रूप में सेवन करने से कमजोरी और थकान में लाभ होता है। [Go to: Tinde ke fayde]
आयुर्वेद में टिंडा के फल, जड़ और बीज का सेवन औषधि के रुप में ज्यादा होता है।
बीमारी के लिए टिंडे के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए टिंडा का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
–5-10 मिली टिंडे के जड़ का रस
–10-15 मिली टिंडा के पत्तों का रस
समस्त भारत में पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं महाराष्ट्र में टिंडा की खेती की जाती है। तभी तो टिंडे की सब्जी (tinde ki sabji) का लाजवाब स्वाद लेना संभव हो पाता है।
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