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Chaangeri: कई बिमारियों की काट है चांगेरी- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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चांगेरी का परिचय (Introduction of Chaangeri)

चांगेरी नाम से बहुत कम लोग अबगत होंगे लेकिन अगर हम कहे कि दादी या नानी पेट संबंधी समस्याओं के लिए चांगेरी या तिनपतिया खिलाती थी तो शायद आपको कुछ याद आयेगा। चांगेरी के पत्ते बहुत ही छोटे होते हैं पर औषधि के दृष्टि से बहुत ही गुणकारी और पौष्टिक होते है। चांगेरी या तिनपतिया के फायदों के बारे में जानने से पहले चांगेरी के बारे में जानना ज़रूरी है।

चांगेरी क्या है? (What is Chaangeri in Hindi)

चांगेरी का वर्णन आयुर्वेद-संहिताओं व निघण्टुओं में मिलता है। चरक-संहिता शाक-वर्ग व अम्लस्कन्ध में  इसका उल्लेख किया गया है तथा इसका प्रयोग अतिसार (दस्त)व अर्श (बवासीर)आदि के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त सुश्रुत-संहिता के शाक वर्ग में भी इसका वर्णन किया गया है। इसके पत्ते एसिडिक प्रकृति (अम्लिय) के होते हैं, इसलिए इसे संस्कृत में अम्लपत्रिका कहा जाता है। इस पर पुष्प और फल वर्ष भर मिलते हैं।इसकी दो प्रजातियां होती हैं- 1. छोटी चांगेरी, 2. बड़ी चांगेरी। परन्तु मुख्यत छोटी चांगेरी (Oxalis corniculata Linn.) का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

  1. छोटी चांगेरी (Oxalis corniculata Linn.)-
  2. बड़ी चांगेरी (Oxalis acetosella Linn.)-यह एक छोटा, कोमल, तनारहित, 5-15 सेमी ऊँचा, शाकीय पौधा है। इसके पत्ते तुलनामूलक बड़े, पत्ते का नाल लम्बा तथा तना लाल रंग का होता है। इसके फूल सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं। इसके फल अण्डाकार, पंचकोणीय, सीधे, 8 मिमी लम्बे तथा बीज संख्या में प्रत्येक कोश में 2-3 होते हैं।

छोटी चांगेरी

चांगेरी अम्लिय और स्वाद में थोड़ा कड़वी और कषाय होने के साथ इसकी तासीर गर्म होती है। यह कफवात, सूजन दूर करने वाली, पित्त बढ़ाने वाली, वेदनास्थापक(एनलजेसिक), लेखन या खरोंचना, शराब का नशा छोड़वाने में मददगार, खाने की रूची बढ़ाये, दीपन (Stomachic), लीवर को सही तरह से काम करवाने में  सहायक और हृदय के लिये स्वास्थ्यवर्द्धक होती (हृद्य, रक्तस्भंक, दाह प्रशमन और ज्वरघ्न) है। यह विटामिन C की अच्छी स्रोत है।

चांगेरी दर्दनिवारक, पाचक, भूख बढ़ाने वाली, लीवर को सेहतमंद बनाने वाली, मूत्रल (डाइयूरेटिक गुण), बुखार कम करने में सहायक, जीवाणुरोधी, (कृमिनिस्सारक), पूयरोधी (एंटीसेप्टिक), (आर्तवजनक) तथा शीतल होती है।

चांगेरी हृदय संबंधी समस्या, रक्तस्राव (ब्लीडिंग), (कष्टार्त्तव, अनार्त्तव) तथा लीवर रोग नाशक होती है।

इसके पञ्चाङ्गसार में अल्सर को ठीक करने की क्षमता होती है।

बड़ी चांगेरी

यह शीतल, मूत्रल तथा शीतादरोधी होती है।

अन्य भाषाओं में चांगेरी के नाम (Different of Chaangeri in Different Languages)

चांगेरी का वानास्पतिक नाम Oxalis corniculata Linn. (ऑक्जैलिस कोर्नीक्युलेटा) Syn-Oxalis bradei R. Kunth होता है। चांगेरी Oxalidaceae (ऑक्जैलिडेसी) कुल का है। चांगेरी को अंग्रेजी में Indian sorrel (इण्डियन सोर्रेल) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में चांगेरी भिन्न-भिन्न नामों से जानी जाती है।

Chaangeri in-

Sanskrit-चांगेरी, दन्तशठा, अम्बष्ठा, अम्ललोणिका, कुशली, अम्लपत्रक;

Hindi-चांगेरी, तिनपतिया, अंबिलोना, चुकालिपति;

Assamese-चेन्गेरीटेन्गा (Changeritenga);

Urdu-चाङ्गेरी (Changeri), तिन्पतिया (Tinpatiya);

Kannada-सिबर्गी (Sibargi), पुल्लम-पुरचई (Pullam purchai);

Gujrati-आम्बोती (Amboti), अम्बोली (Amboli);

Telugu-पुलि चिंता (Puli chinta);

Tamil-पुलियारी (Puliyarai), पुलीयारी (Puliyari);

Bengali-अमरूल (Amarul), उमूलबेट (Umulbet);

Nepali-चारीअमीलो (Chariamilo);

Panjabi-खट्ठी बूटी (Khatti buti), अमरुल (Amrul), सुरचि (Surchi), खट्टामीठा (Khattamitha);

Marathi-आंबुटी (Ambuti), भिनसर्पटी (Bhinsarpati);

Malayalam-पोलीयाराला (Poliyarala)।

English-सौवर वीड (Sour weed), सौवर ग्रास (Sour grass), येलो सोररेल (Yellow sorrel), इण्डियन सोरेल (Indian sorrel), क्रीपींग ओक्जैलिस (Creeping oxalis);

Arbi-हेम्डा (Hemda), होमादमद (Homadmad)

चांगेरी के फायदे (Uses and Benefits of Chaangeri in Hindi)

चांगेरी के स्वास्थ्यवर्द्धक और औषधिमूलक गुण अनगिनत हैं लेकिन यह किन-किन बीमारियों के लिए और कैसे काम करती है इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं-

पेट दर्द में चांगेरी के फायदे (Chaangeri Benefits in Stomach Ache in Hindi)

आजकल के रफ्तार वाली जिंदगी में असंतुलित खान-पान रोजर्मरा की समस्या बन गई है। इस जीवनशैली का सबसे पहला असर पेट पर पड़ता है। चांगेरी का घरेलू इलाज पेट संबंधी समस्याओं के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। 20-40 मिली चांगेरी के पत्ते के काढ़े में 60 मिग्रा भुनी हुई हींग मिलाकर सुबह शाम पिलाने से पेट दर्द से जल्दी आराम मिलता है।

ग्रहणी या इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम में चांगेरी के फायदे (Benefits of Chaangeri for Irritable bowel syndrome in Hindi)

अगर किसी बीमारी के कारण ग्रहणी की शिकायत बार-बार हो रही है तो चांगेरी का औषधीय गुण इससे राहत दिलाने में मदद करती है। चौथाई भाग पिप्पल्यादि-गण की औषधियों के पेस्ट, चार गुना दही तथा चांगेरी रस और एक भाग घी से अच्छी तरह से पकाने के बाद मात्रानुसार सेवन करना चाहिए।

अतिसार में चांगेरी के फायदे (Chaangeri to Fight Diarrhoea in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो चांगेरी का घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। चांगेरी अतिसार से राहत दिलाने में बहुत लाभकारी होता है-

  • 2-5 मिली चांगेरी रस को दिन में दो बार पीने से प्रवाहिका (दस्त) और अतिसार में लाभ होता है।
  • चांगेरी-चूर्ण में समान मात्रा में सोंठ तथा इन्द्रयव चूर्ण मिलाकर चावलों के पानी के साथ पीने को दें। जब चूर्ण पच जाए तो छाछ, चांगेरी तथा दाड़िम का रस डालकर पकाई गयी यवागू सेवन कराएं। इससे अतिसार में लाभ होता है।
  • चांगेरी के 4-5 पत्तों को उबालकर मट्ठे या दूध के साथ देने से पुरानी प्रवाहिका में बहुत लाभ होता है।
  • चांगेरी, इमली तथा दुग्धिका के पत्ते के रस से बने खंड जूस में दही की मलाई, घी तथा अनार का रस मिलाकर सेवन करने से अतिसार शे राहत मिलती है।

और पढ़ें: इमली के फायदे

  • चांगेरी पत्तों को तक्र या दूध में उबालकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से जीर्ण अतिसार में लाभ होता है।
  • सुनिष्णक तथा चांगेरीघृत का मात्रानुसार सेवन करने से जठराग्नि की वृद्धि होकर अर्श, अतिसार, प्रवाहिका, गुदभ्रंश, मूत्रावरोध, मूढ़वात, मंदाग्नि तथा अरुचि आदि रोगों का शमन होता है।

विसूचिका या हैजा में चांगेरी के फायदे (Benefits of Chaangeri to Get Relief from Cholera in Hindi)

हैजा संक्रामक रोग होता है और इस बीमारी से शरीर में जल की मात्रा कम होने का खतरा होता है। चांगेरी का इस तरह से सेवन करने पर दस्त का होना रूक जाता है। 5-10 मिली चांगेरी रस में 500 मिग्रा काली मिर्च चूर्ण मिलाकर खिलाने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।

और पढ़े: हैजा में ताड़ के पेड़ के फायदे

अग्निमांद्य (अपच) से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangeri to Treat Dyspepsia in Hindi)

अग्निमांद्य यानि कमजोर पाचन शक्ति और उल्टी होने जैसी इच्छा में चांगेरी को देने से जल्दी आराम मिलता है। चांगेरी पत्ते में समान मात्रा में पुदीना-पत्ता मिलाकर पीसकर थोड़ा काली मिर्च व नमक मिलाकर खाने से जल्दी हजम होता है।

मंदाग्नि या बदहजमी में फायदेमंद चांगेरी (Chaangeri for Indigestion in Hindi)

अगर किसी बीमारी के कारण या खान-पान की गड़बड़ी के कारण बार-बार बदहजमी की समस्या से जुझ रहे हैं तो चांगेरी का घरेलू इलाज बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। चांगेरी के 8-10 ताजे पत्तों की चटनी बनाकर देने से पाचन शक्ति बढ़ती है।

अर्श या पाइल्स मे़ं फायदेमंद चांगेरी (Chaangeri to Treat Piles in Hindi)

जो लोग ज्यादा मसालेदार और गरिष्ठ भोजन खाना पसंद करते हैं उनको कब्ज और बवासीर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है।

  • निशोथ, दंती, पलाश, चांगेरी तथा चित्रक के पत्तों के शाक को घी या तेल में भूनकर दही मिलाकर सेवन करने से शुष्कार्श में लाभ होता है।
  • 5-10 मिली चांगेरी-पञ्चाङ्ग-स्वरस का सेवन करने से अर्श में लाभ होता है।
  • चांगेरी-पञ्चाङ्ग को घी में सेंक कर शाक बनाकर दही के साथ सेवन से अर्श में लाभ होता है।
  • चांगेरी, निशोथ, दन्ती, पलाश, चित्रक इन सबकी ताजी पत्तियों को समान मात्रा में लेकर घी में भूनकर, इस शाक में दही मिलाकर खाने से शुष्कार्श में लाभ होता है।

मूत्राशय में सूजन से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangeri Beneficial in Bladder Inflammation in Hindi)

मूत्राशय का सूजन होने पर चांगेरी का सेवन इस तरह से करने पर जल्दी आराम मिलता है। चांगेरी के पत्तों को शक्कर के साथ पीसकर शर्बत बनाकर पीने से मूत्राशय शोथ (मूत्राशय में सूजन), तृष्णा (प्यास) तथा ज्वर या बुखार से जल्दी आराम मिलता है।

चर्मकील या कॉर्न में करे चांगेरी का प्रयोग (Chaangeri Benefits in Corn in Hindi)

कॉर्न यानि पैर के तलवे में गांठ जैसा बन जाता है। इसको ठीक करने में चांगेरी का इस तरह से प्रयोग करने पर जल्दी आराम मिलता है। 5-10 मिली चांगेरी के ताजे रस में समान मात्रा में पलाण्डु रस मिलाकर लगाने से चर्मकील जल्दी ठीक होती है।

रोमकूप में सूजन से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangeri Beneficial in Pore Inflammation in Hindi)

रोमकूप में सूजन होने पर एक तो दर्द होता है ऊपर से रोमकूप बंद हो जाने से घाव भी हो सकता है। इससे राहत पाने के लिए चांगेरी पत्तों को पीसकर रोमकूपशोथ पर लगाने से रोमकूपशोथ कम हो जाता है।

चर्म रोग में फायदेमंद चांगेरी (Benefits of Chaangeri in Skin Diseases in Hindi)

आजकल के तरह-तरह के नए-नए कॉज़्मेटिक प्रोडक्ट के दुनिया में त्वचा रोग होने का खतरा भी दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। चांगेरी के द्वारा बनाये गए घरेलू उपाय चर्म या त्वचा रोगों से निजात दिलाने में मदद करते हैं। पञ्चाङ्ग रस में काली मरिच चूर्ण तथा घी मिलाकर सेवन करने से पित्त के कारण त्वचा संबंधी जो रोग होता है उसमें लाभ होता है।

व्रणशोथ या अल्सर के सूजन में फायदेमंद चांगेरी (Chaangeri Heals Ulcer in Hindi)

अगर किसी कारणवश अल्सर या घाव हो गया है और सूखने का नाम नहीं ले रहा तो चांगेरी का इस्तेमाल ज़रूर करें। चांगेरी-पञ्चाङ्ग को पीसकर व्रणशोथ पर लगाने से दर्द और जलन दोनों कम होता है।

पागलपन या उन्माद में फायदेमंद चांगेरी (Chaangeri Beneficial in Insanity in Hindi)

मस्तिष्क के इस विकार को बेहतर अवस्था में लाने में चांगेरी बहुत मदद करती है। चांगेरी-स्वरस, कांजी तथा गुड़ सबको समान मात्रा में लेकर अच्छी तरह मथकर तीन दिन तक पिलाने से उन्माद में लाभ होता है।

रक्तस्राव या ब्लीडिंग में लाभकारी चांगेरी (Benefits of Chaangeri in Bleeding in Hindi)

अगर किसी चोट या घाव के  कारण ब्लीडिंग हो रही है या मासिक धर्म के कारण अत्यधिक ब्लीडिंग हो रही है तो चांगेरी का प्रयोग फायदेमंद साबित हो सकता है। 5-10 मिली पञ्चाङ्ग-रस को दिन में दो बार सेवन करने से रक्तस्राव कम होता है।

और पढ़े: मासिक धर्म विकार में तोरई के फायदे

सूजन के जलन से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangeri Beneficial in Burn Sensation in Hindi)

अगर शरीर के किसी अंग में सूजन के कारण दर्द और जलन अनुभव हो रहा है तो चांगेरी के 10-15 पत्तों को पानी के साथ पीसकर पोटली की तरह बनाकर सूजन पर बांधने से सूजन के कारण उत्पन्न जलन से राहत मिलती है।

शीतपित्त में लाभकारी चांगेरी (Chaangeri Benefits in Urticaria in Hindi)

शरीर पर जो लाल-लाल दाने निकलते हैं वहां चांगेरी-पत्ते के रस में काली मिर्च-चूर्ण तथा घी मिलाकर शरीर पर मालिश करने से शीतपित्त में लाभ होता है।

धतूरे का नशा करे कम चांगेरी (Benefits of Chaangeri to reduce the effect of Dhatura Addicition in Hindi)

20-40 मिली चांगेरी के पत्रों का रस पिलाने से धतूरे का नशा उतरता है।

सिरदर्द में फायदेमंद चांगेरी (Benefit of Chaangiri to Get rid of Headache in Hindi)

अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो चांगेरी का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। चांगेरी के रस में समभाग प्याज का रस मिलाकर सिर पर लेप करने से शरीर में पित्त के बढ़ जाने के कारण सिरदर्द होने पर उससे आराम मिलता है।

और पढ़े: सिरदर्द में पुत्रजीवक के फायदे

नेत्ररोग से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangiri Treats Eye Diseases in Hindi)

आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना, आँख जलना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में चांगेरी से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है।  चांगेरी पत्ते के रस को आँखों में लगाने से आँखों में दर्द, जलन आदि आँखों के रोगों से राहत मिलने में आसानी होती है।

कर्णनाद में लाभकारी चांगेरी  (Chaangiri Beneficial for Tinnitus in Hindi)

कर्णनाद में कान में झुनझुना या घंटी जैसी आवाज बजती है। ऐसे तकलीफ से राहत पाने में चांगेरी का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होता है। 1-2 बूंद चांगेरी-पञ्चाङ्ग-रस को कान में डालने से कर्णनाद, कान में दर्द, सूजन आदि कान संबंधी बीमारियों में लाभ होता है।

मसूड़ों के रोग से दिलाये राहत चांगेरी (Benefits of Chaangeri for Gum Diseases in Hindi)

चांगेरी के पत्तों के रस का गरारा करने से मसूड़ों की सूजन, वेदना तथा रक्तस्राव (ब्लीडिंग) आदि रोगों से आराम दिलाने में मदद करता है।

मुख दौर्गन्ध्य (मुँह की बदबू) से दिलाये राहत चांगेरी (Chaangeri Treats Bad Breath in Hindi)-

अगर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के वजह से या किसी बीमारी के कारण मुँह की बदबू की परेशानी से ग्रस्त हैं तो  चांगेरी के 2-3 पत्तों को चबाने से मुँह की दुर्गंध या बदबू दूर होती है। इसके लिये चांगेरी के पत्तों को सुखाकर, चूर्ण कर, मंजन करने से दांत संबंधी बीमारियों से राहत मिलती है।

चांगेरी का उपयोगी भाग (Useful Parts of Chaangeri )

आयुर्वेद में चांगेरी के पञ्चाङ्ग एवं पत्र का इस्तेमाल सबसे ज्यादा औषधि के रुप में होता है।

चांगेरी का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How to Use Chaangeri in Hindi)

बीमारी के लिए चांगेरी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चांगेरी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्शानुसार-

  • 20-40 मिली पत्ते का काढ़ा,
  • 5-10 मिली रस
  • 5-10 ग्राम घी का सेवन कर सकते हैं।

चांगेरी कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Chaangeri Found and Grown in Hindi)

चांगेरी भारतवर्ष के समस्त उष्ण प्रदेशों में तथा हिमालय में 2000 मी की ऊंचाई तक होती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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