क्या आप जानते हैं कि छरीला (dagad phool) क्या है, और छरीला का प्रयोग किस काम में किया जाता है? आमतौर पर लोग छरीला का इस्तेमाल मसालों के रूप में ही करते हैं, लेकिन छरीला के और भी फायदे हैं। कई लोगों को छरीला से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी ही नहीं है।
आयुर्वेद के अनुसार, छरीला एक उपयोगी औषधि है। बालों की समस्या, आंखों के रोग में छरीला के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इसी तरह विसर्प रोग, सिर दर्द, मूत्र रोग में भी छरीला से लाभ मिलता है। यह कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। आइए छरीला के फायदे के बारे में जानते हैं।
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छरीला (dagad phool) एक प्रकार की वनस्पति (लाइकेन) है जो चट्टानों, वृक्षों तथा दीवारों पर जमता है। पथरीले पहाड़ों पर पैदा होने से यह शैलेय और चट्टानों पर फूल जैसा दिखाई देता है। इसके कारण इसे शिलापुष्प भी कहा जाता है। इसके पीछे वाला भाग श्यामला रंग का और नीचला भाग सफेद रंग का होता है। इसमें एक विशिष्ट गन्ध होती है।
छरीला (dagad phool) का वानस्पतिक नाम Parmelia perlata (Huds.) Ach. (पारमेलिया परलेटा) है, और यह Parmeliaceae (पार्मेलिएसी) कुल का है। छरीला को देश या विदेशों में अन्य कई नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-
Stone Flower in –
Hindi (stone flower in hindi) – छरीला, भूरिछरीला, पत्थरफूल
Sanskrit – शैलेय, शिलापुष्प, वृद्ध, कालानुसार्यक, अश्मपुष्प, शीतशिव
English (dagad phool in english) – येलो लाइकेन (Yellow lichen), लिथो लाइकेन (Litho lichen), लाइकेन (Lichens), Stone flowers (स्टोन फ्लावर)
Urdu – हबाक्कारमनी (Habakkarmani), रीहानकरमनी (Rihankarmani)
Kannada – कल्लूहूवु (Kalluhavu)
Gujarati – घबीलो (Ghabilo), पत्थरफूला (Patharphula), छडीलो (Chadilo)
Tamil – कलपसी (Kalpasi), कलापु (Kalapu)
Telugu – शैलेय मनेद्रव्यमु (Shelayamanedravayamu), रतिपंचे (Ratipanche)
Bengali – शैलज (Shelaj)
Nepali – भन्याऊ (Bhanyau)
Punjabi – चालचालीरा (Chalchalira)
Marathi – दगडफूल (Dagadaphula)
Malayalam – सेलेयाम (Celeyam), कलपुवु (Kalppuvu)
Arabic – आशीना (Ashina), उसनाह (Ushnah)
Persian – दवाला (Davala), दोवालह (Dowalah), उशनह (Ushnah), गुलेसंग (Gulesang)
आप छरीला (dagad phool) के औषधीय गुण से इन रोगों में लाभ पा सकते हैंः-
बालों की समस्या आज लोगों की आम परेशानी बन चुकी है। छोटे बच्चे हों या वयस्क, सभी के बाल सफेद होने लगे हैं। ऐसे में छरीला का प्रयोग बहुत लाभ (kalpasi health benefits) पहुंचाता है। आप छरीला, कर्चूर, हल्दी, काली तुलसी, तगर तथा गुड़ को समान मात्रा में मिला लें। इसे पीसकर सिर में लेप करने से बालों का पकना कम होने लगता है।
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अगर आप बराबर सिर के दर्द से परेशान रहते हैं तो आपको छरीला का इस्तेमाल करना चाहिए। छरीला (dagad phool) को पीसकर मस्तक पर लगाएं। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।
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सज्जीक्षार (सर्जिकादि चूर्ण), नीलाथोथा, कासीस, छरीला, रसाञ्जन तथा मैनसिल (मन शिला) का चूर्ण बना लें। इसे त्वचा पर लगाने से घाव और विसर्प रोग में लाभ होता है।
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छरीला के चूर्ण को घाव पर लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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आप कुष्ठ रोग में भी छरीला का प्रयोग कर लाभ पा सकते हैं। छरीला को पीसकर मक्खन में मिला लें। इसे लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ (kalpasi health benefits) होता है।
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पंचांग
औषधि उपयोग के लिए नए ताजे तथा सुगन्धित क्षुप (dagadful) का प्रयोग करना चाहिए।
काढ़ा – 10-30 मिली
अधिक लाभ के लिए छरीला का प्रयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
छरीला (dagadful) भारत में प्रायः उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थरों के ऊपर एवं पुराने वृक्षों पर मिलता है।
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