चिरायता का परिचय (Introduction of Chirayta)
आपने चिरायता (chirata in hindi) के बारे में जरूर सुना होगा। घरों के बूढ़े-बुजुर्ग लोग अक्सर कहा करते हैं कि खुजली हो तो चिरायते का सेवन करो, खून से संबंधित विकार को ठीक करने के लिए चिरायते का उपयोग करो। क्या आप जानते हैं कि चिरायते की केवल यहीं दो खूबियां नहीं हैं बल्कि इसके इस्तेमाल से अनेक लाभ मिलते हैं। बच्चे और बड़े, सभी लोग इन्हीं खूबियों के कारण चिरायते का प्रयोग बराबर किया करते हैं। अगर आपको चिरायते के बारे में अधिक जानकारी नहीं है और जानना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए है।
What is Chirayta?
Chirayta Called in Different Languages
Chirayta Benefits and Uses
Beneficial Part of Chirayta
How Much to Consume Chirayta?
Where is Chirayta Found or Grown?
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, चिरायता बुखार, कुष्ठ रोग, डायबिटीज (chirata for diabetes), रक्त विकार, सांसों से संबंधित बीमारी, खांसी, अधिक प्यास लगने की समस्या को ठीक करता है। यह शरीर में होने वाली जलन, पाचनतंत्र के विकार, पेट के कीड़े की समस्या, नींद ना आने की परेशानी, कंठ रोग, सूजन, दर्द में काम आता है। इसके अलावा चिरायता घाव, प्रदर (ल्यूकोरिया), रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या), खुजली और बवासीर आदि रोगों में भी प्रयोग में लाया जाता है। इसके पौधे कैंसर में भी फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं कि चिरायता किन-किन रोगों में फायदेमंद होता है।
चिरायता क्या है (What is Chirayta?)
चिरायता का पौधा बाजार में आसानी से मिल जाता है। चिरायता (chirata in hindi) स्वाद में तीखा, ठंडा, कफ विकार को ठीक करने वाला है। कई विद्वान कालमेघ को चिरायता मानते हैं, लेकिन यह दोनों पौधें आपस में भिन्न हैं। असली चिरायता अपनी जाति के अन्य चिरायतों की तुलना में बहुत ही कड़वा होता है। चिरायते की कई प्रजातियां होती हैं, जिनका प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।
यह 60-125 सेमी ऊँचा, सीधा, एक साल तक जीवित रहने वाला होता है। इसके पौधे में अनेक शाखाएं होती हैं। इसके तने नारंगी, श्यामले या जामुनी रंग के होते हैं। इसके पत्ते सीधे, 5-10 सेमी लम्बे, 1.8 सेमी चौड़े होते हैं। नीचे के पत्ते बड़े तथा ऊपर के पत्ते (chirota leaf) कुछ छोटे व नोंकदार होते हैं।
इसके फूल अनेक होते हैं और ये अत्यधिक छोटे, हरे-पीले रंग के होते हैं। इसके फल 6 मिमी व्यास के, अण्डाकार, नुकीले होते हैं। चिरायता की बीज संख्या में अनेक, चिकने, बहुकोणीय, 0.5 मिमी व्यास के होते हैं। चिरायते के पौधे में फूल और फल आने का समय अगस्त से नवम्बर तक होता है।
अनेक भाषाओं में चिरायता के नाम (Chirayta Called in Different Languages)
चिरायता का वानस्पतिक नाम Swertia chirayita (Roxb. ex Fleming) Karst. (स्वर्टिया चिरायता) Syn-Gentiana chirayita Roxb. ex Fleming है और यह Gentianaceae (जेन्शिएनेसी) कुल का पौधा है। चिरायता को देश-विदेश में अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Chirayta in –
चिरायता के औषधीय गुण से फायदे (Chirayta Benefits and Uses in Hindi)
आप चिरायता के गुण से इन रोगों में लाभ पा सकते हैंः-
आंखों के रोग में चिरायता का प्रयोग फायदेमंद (Chirayta Benefits in Cure Eye Disease in Hindi)
चिरायता के फल में पिप्पली पेस्ट और सौवीराञ्जन मिलाकर रख लें। एक सप्ताह के बाद मातुलुंग के रस में इसे पीस लें। इसे रोजाना काजल की तरह लगाने से आंखों की बीमारी (पिष्टक) में लाभ होता है।
चिरायता के इस्तेमाल से शुद्ध होता है स्तनों का दूध (Benefits of Chirayta in Cure Breast Milk in Hindi)
चिरायता के सेवन से खांसी का इलाज (Chirayta Uses in Fighting with Cougn in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) खांसी के इलाज में भी काम आता है। चिरायते का काढ़ा 20-30 मिली की मात्रा में पिएं। इससे खांसी में लाभ होता है। इससे आंत के कीड़े खत्म होते हैं।
पेचिश रोग में चिरायता का उपयोग लाभदायक (Uses of Chirayta in Indigestion in Hindi)
आप पेचिश रोग में भी चिरायता के फायदे ले सकते हैं। 2-4 ग्राम किराततिक्तादि चूर्ण (chirata patanjali) में दोगुना मधु मिला लें। इसका सेवन करने से पेचिश रोग ठीक होता है।
भूख को बढ़ाने के लिए करें चिरायता का सेवन (Chirayta Benefits in Appetite Problem in Hindi)
चिरायता का काढ़ा बनाकर 20-30 मिली मात्रा में पिलाने से भूख बढ़ती है। पाचन-शक्ति बढ़ती (chirata ke fayde) है।
अत्यधित त्यास लगने की परेशानी में करें चिरायता का सेवन (Chirayta Uses in Excessive Thirsty Problem in Hindi)
चिरायता, गुडूची, सुगन्धबाला, धनिया, पटोल आदि औषधियों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से पिपासा/अत्यधिक प्यास लगने की परेशानी में लाभ होता है।
पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें चिरायता का प्रयोग (Benefits of Chirayta in Abdominal Bug Treatment in Hindi)
चिरायता के गुण पेट के कीड़ों को भी खत्म (Chirata ke fayde) करते हैं। सुबह भोजन के पहले (5-10 मिली) चिरायता के रस (chirata patanjali) में मधु मिश्रित कर सेवन करने से आंत के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
दस्त को रोकने के लिए करें चिरायता का उपयोग (Uses of Chirayta to Stop Diarrhea in Hindi)
दस्त को रोकने के लिए भी चिरायता (chirota leaf) फायदेमंद होता है। इसके लिए बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, नागरमोथा, इन्द्रजौ तथा रसाञ्जन के चूर्ण (2-4 ग्राम) या पेस्ट में मधु मिला लें। इस चाटकर बाद में चावलों का धोवन पिएं। इससे पित्त विकार के कारण होने वाली दस्त पर रोक लगती है।
2-4 ग्राम बेल गिरी का चूर्ण खाकर ऊपर से चिरायते का काढ़ा (chirata patanjali) पीने से दस्त में लाभ होता है।
आमाशय से रक्तस्राव की बीमारी में चिरायता के सेवन से लाभ (Chirayta Benefits in Gastric Bleeding Problem in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) रक्तस्राव को रोकने में भी काम आता है। 1-2 ग्राम चंदन के पेस्ट के साथ 5 मिली चिरायता का रस मिला लें। इसका सेवन करने से आमाशय से रक्तस्राव की समस्या ठीक होती है।
पेट की बीमारी में चिरायता का इस्तेमाल फायदेमंद (Benefits of Chirata in Cure Abdominal Disease in Hindi)
रोजाना सुबह खाली पेट, चिरायता हिम (10-30 मिली) अथवा काढ़ा का सेवन करने से पाचन-क्रिया ठीक होती है तथा शरीर स्वस्थ (chirata ke fayde) रहता है।
पेट के दर्द में चिरायता का सेवन लाभदायक (Uses of Chirata in Fighting with Abdominal Pain in Hindi)
चिरायता के फायदे (Chirata ke fayde) की बात की जाए तो यह पेट के दर्द से भी आराम दिलाता है। चिरायता तथा एरण्ड की जड़ को बराबर मात्रा में मिलाकर काढ़ा बना लें। इसे 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
लिवर विकार में चिरायता का उपयोग फायदेमंद (Chirata Uses in Lever Disorder in Hindi)
चिरायता का पौधा (Chirata plant) लें। इससे बने चूर्ण, पेस्ट, काढ़े का सेवन करने से लिवर की सूजन ठीक होती है।
पीलिया और एनीमिया रोग में चिरायता से लाभ (Benefits of Chirata in Fighting with Jaundice and Anemia in Hindi)
अडूसा, चिरायता (chirota leaf), कुटकी, त्रिफला, गिलोय तथा नीम की र्छाल का काढ़ा बना लें। 15-20 मिली काढ़ा में मधु डालकर पिलाने से कामला तथा पाण्डु (पीलिया या एनीमिया) रोग में लाभ होता है।
और पढ़ें: पीलिया रोग में गिलोय से फायदा
चिरायता के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज (Chirata Benefits in Piles Treatment in Hindi)
बराबर-बराबर मात्रा में दारुहल्दी, चिरायता (chirota leaf), नागरमोथा तथा धमासा के चूर्ण (2-4 ग्राम) का सेवन करने से खूनी बवासीर (रक्तार्श) में लाभ हाता है।
चिरायता, सोंठ, धन्वयास, कुंदन आदि द्रव्यों से बने काढ़े (10-30 मिली) का सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ (chirata ke fayde) होता है।
विसर्प (चर्म रोग) रोग में चिरायता से फायदा (Benefits of Chirata in Erysipelas Treatment in Hindi)
बराबर-बराबर मात्रा में चिरायता, लोध्र, चन्दन, दुरालभा, सोंठ, कमल, केशर, नीलकमल, बहेड़ा, मुलेठी तथा नागकेशर का चूर्ण बना लें। इसे 25 ग्राम की मात्रा में लें और 200 मिली जल में पका लें। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे 5-10 मिली मात्रा में पीने से विसर्प रोग (त्वचा रोग) में लाभ होता है।
बुखार उतारने के लिए करें चिरायता का प्रयोग (Uses of Chirata in Fighting with Fever in Hindi)
सूजन को कम करने के लिए करें चिरायता से लाभ (Chitara Uses in Reducing Sweeling in Hindi)
रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) में चिरायता से फायदा (Chirata Benefits in Bleeding Problem in Hindi)
रक्तपित्त मतलब नाक-कान आदि से खून बहने की परेशानी में 2-4 ग्राम किराततिक्तादि चूर्ण का सेवन करें। इससे लाभ होता है। इस दौरान चिरायता के शाक का प्रयोग करना चाहिए।
कुबड़ापन की परेशानी में चिरायता से लाभ (Benefits of Chirayta in Hump in Hindi)
चिरायता (chiraita) को पीसकर उसमें मधु मिला लें। इसे गर्मकर लेप करने से कुबड़ापन में लाभ होता है।
चिरायता के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Chirayta)
चिरायता की जड़
पञ्चाङ्ग
विशेष – Swertia chirayita (Roxb. ex Fleming) Karst. के अतिरिक्त चिरायते की कई और प्रजातियाँ भी पाई जाती है जो इससे कम गुण वाली होती है। बाजारों में उपलब्ध चिरायता के पञ्चाङ्ग में कालमेघ के पञ्चाङ्ग की मिलावट की जाती है।
और पढ़ें: कालमेघ के फायदे
चिरायता के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume Chirayta?)
चूर्ण – 1-3 ग्राम
काढ़ा – 20-30 मिली
चिरायता से अधिक लाभ लेने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
चिरायता कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Chirayta Found or Grown?)
चिरायता का पौधा (chiraita plant) भारत में यह हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर तथा असम तक पाया जाता है। यह 1200 से 3000 मीटर की ऊँचाई पर एवं मध्य प्रदेश, दक्षिण भारत आदि के पर्वतीय प्रदेशों में 1200-1500 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है।
अब आप चिरायते के फायदों (Chirata ke fayde) से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। अगर औषधि के रूप में इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो चिकित्सक के परामर्श अनुसार ही करें।
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