गंभारी का परिचय (Introduction of Gambhari)
शायद आप गंभारी के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। गंभारी एक बहुत ही गुणी औषधि है। गंभारी का प्रयोग रोगों को ठीक करने के लिए किया जाता है। बहुत सालों से आयुर्वेदिक चिकित्सक गंभारी का उपयोग कर लोगों को स्वस्थ करने का काम कर रहे हैं।
गम्भारी (gambhari fruit) का उल्लेख आयुर्वेद में विभिन्न स्थानों में मिलता है। आयुर्वेदिक What is Gambhari?
Gambhari Called in Different Languages
How to Use Gambhari
Dosage of Gambhari
Side Effects of Gambhari
Where is Gambhari Found or Frown?
ग्रंथों में यह बताया गया है कि गम्भारी का प्रयोग सूजन दूर करने, वात को शांत करने के लिए किया जाता है। गम्भारी (gambhari fruit) त्वचा रोग को ठीक करती है। यह पाचन तेज करती है, काम भावना को बढ़ाती है, शारीरिक ताकत देती है। यह खून की समस्याओं के लिए उत्तम औषधि है। इसके सेवन से कीड़ों से होने वाला रोग, दाद-खाज जैसे चर्म रोग तथा कुष्ठ इत्यादि बीमारियों तुरंत ठीक हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि आप इन रोगों में गंभारी का प्रयोग (shriparni tree) कैसे कर सकते हैं।
गंभारी क्या है? (What is Gambhari?)
गंभारी के पौधे (gambhari tree) की पत्तियाँ चिकनी और ठंडी होती हैं। इसकी छाल भी सूजन दूर करती है। छाल स्वाद में कडवी लेकिन पौष्टिक होती है। गंभारी के बीजों का तेल मीठा और कसैला दोनों होता है। यह तेल कफ-पित्त को नियंत्रित करती है।
गंभारी के पत्तों में मधु जैसा मीठा रस होता है। इस कारण इसे मधुपर्णिका भी कहते हैं। पत्ते सुन्दर होने के कारण इसे श्रीपर्णी कहा जाता है। इसके फूल पीले होते हैं। इस कारण इसे पीतरोहिणी नाम से भी जाना जाता है। गंभारी (shriparni tree) तीनों दोषों (वात, पित्त, कफ) को नियंत्रण में रखने में मदद करती है। गंभारी की दो प्रजातियां होती है।
कई स्थानों पर गम्भारी के स्थान पर पानीय गम्भार का भी प्रयोग किया जाता है। यह दोनों प्रजातियाँ गुण एवं कर्म में लगभग समान होती हैं।
अनेक भाषाओं में गंभारी के नाम (Gambhari Called in Different Languages)
गंभारी वर्बीनेसी Verbenaceae) कुल का पौधा (gambhari tree) है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम मेलाइना आर्बोरिया (Gmelina arborea Roxb.) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Gmelina sinuata Lin. भी कहा जाता है। गंभारी को अंग्रेजी में Malay beech wood (मलय बीच वुड) कहते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए व्हाईट टीक (White teak), कश्मीर ट्री (Kashmir tree), कूम्ब टीक (Coomb teak) जैसे नाम भी प्रयोग किये जाते हैं। आइये, जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में गंभारी के नाम क्या क्या हैं:-
Gambhari in –
गंभारी के औषधीय प्रयोग से लाभ (Benefits and Uses of Gambhari)
आप इन रोगों में गंभारी (shriparni tree) का इस्तेमाल करेंगे तो आपको बहुत फायदा होगाः-
सिर के दर्द में फायदेमंद गम्भारी का उपयोग (Uses of Gambhari in Relief from Headache in Hindi)
गंभारी (gambhari fruit) में बुखार और दर्द आदि दूर करने के गुण होते हैं। इसकी पत्तियों को पीसकर सिर पर लेप करने से बुखार के कारण होने वाला सिरदर्द तो दूर होता ही है, साथ ही जलन और सिर का भारीपन से भी छुटकारा मिलता है।
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गंभारी के प्रयोग से बालों की समस्या (सफेद बालों की परेशानी) का इलाज (Uses of Gambhari in Cure Hair Problem in Hindi)
यदि बाल असमय पकने लगे हों तो गम्भारी आपकी परेशानी दूर कर सकती है। इसके तेल की 1 से 2 बूँद नाक में डालते रहने से बालों का पकाना रुक जाता है।
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गंभारी के इस्तेमाल से फेफड़ों की परेशानी का इलाज (Benefits of Gambhari in Cure Lungs Disease in Hindi)
फेफड़े तथा फेफड़े के कवच में किसी तरह की समस्या आने पर गंभारी का काढ़ा उपयोगी होती है। इस काढ़ा की 10 से 30 मिली लीटर की मात्रा नियमित रूप से पीने से फेफड़ों की समस्याएं ठीक होती हैंं।
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पेचिश (खूनी दस्त) में गम्भारी का उपयोग लाभदायक (Gambhari Benefits to Stop Dysentery in Hindi)
खूनी दस्त या पेचिश में गंभारी का सेवन लाभदायक होता है। गम्भारी के ताजे फलों (gambhari fruit) को कूटकर उसका रस निकाल लें। दिन में 3-4 बार इस रस का 1-1 चम्मच सेवन करें। कुछ दिन तक लगातार पीने से तो खूनी दस्त या पेचिश रुक जाती है।
गंभारी के फलों (gambhari fruit) से रस बनाकर, इसमें अनार का रस तथा शक्कर मिलाकर पीने से खूनी दस्त तथा पेचिश में लाभ होता है।
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पेट के रोग में गम्भारी का सेवन फायदेमंद (Gambhari Uses in Cure Stomach Problem in Hindi)
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अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में करें गम्भारी का सेवन (Uses of Gambhari in Excessive Thirsty Problem in Hindi)
यदि आपको बहुत अधिक प्यास ज्यादा लग रही हो तो गम्भारी के 20 से 40 मिली काढ़ा में शक्कर मिलाकर पीने से प्यास कम होने लगती है।
काढ़ा न हो तो इसके 5 से 10 मिली रस का सेवन शक्कर के साथ करने से भी यह लाभ होता है।
गम्भारी के प्रयोग से पाएं खूनी बवासीर में आराम (Benefits of Gambhari in Cure Piles in Hindi)
गम्भारी की छाल, आँवला का फल तथा लाल कचनार बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से बने खड्यूष में अनार, इमली आदि फलों के रस को मिलाकर सेवन करने से खून का थक्का बनने लगता है।
इस तरह इस औषधि के प्रयोग से खूनी बबासीर में आराम मिलता है।
गंभारी के इस्तेमाल से बनते हैं स्तन सुडौल (Gambhari Benefits in Laxity of Breasts in Hindi)
गम्भारी स्तनों को सुडौल एवं पुष्ट बनाता है। इसके लिए 2 किलोग्राम गंभारी छाल को कूटकर 16 लीटर जल में मिलाकर उबालें। एक चौथाई बचने तक उबाल कर काढ़ा बना लें। 250 ग्राम छाल को पानी के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट और काढ़ा में 1 लीटर तिल का तेल मिलाकर तेल को पका लें। इस तेल में रूई को भिगोकर स्तनों पर रखे रहने स्तन सुडौल (gambhari fruit uses) बनते हैं एवं पुष्ट होने लगते हैं।
प्रसूति रोगों में गंभारी का उपयोग लाभदायक (Gambhari Uses in Post Pregnancy Problem in Hindi)
मूत्र रोग (पेशाब सम्बन्धी बीमारियां) में गंभारी से लाभ (Uses of Gambhari in Treatment Urinal Problems in Hindi)
पेशाब में जलन, पेशाब में दर्द या सूजन आदि की स्थिति में गंभारी के सेवन से राहत मिलती है। इसके लिए गंभारी के पत्तों का रस निकाल कर 10 से 20 मिली रस में गाय का मूत्र मिला लें। इसके साथ ही इसमें मिश्री मिला लें। इसे पीने से शीघ्र आराम मिलता है। इससे पेशाब की जलन, पेशाब में दर्द, सूजन आदि से छुटकारा (gambhari fruit uses) मिलता है।
नाखून टूटने की समस्या में गंभारी से फायदा (Benefits of Gambhari to Treat Nail Decay in Hindi)
अंगुली के नाखून किनारों से टूट रहे हों या कमजोर हो रहे हों तो गंभारी के कोमल पत्तों को पीस लें। इसका लेप नाखूनों पर लगाने से नाखून का टूटना रूक जाता है।
शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिएं करें गंभारी का इस्तेमाल (Gambhari Benefits in Cure Body Weakness in Hindi)
बुखार उतारने के लिए करें गम्भारी का प्रयोग (Uses of Gambhari in Fighting with Fever in Hindi)
गंभारी के 20 से 40 मिली काढ़ा में चीनी या मिश्री मिलाकर इसे ठंडा कर लें। इसका सुबह और शाम सेवन करने से जलन और तेज प्यास वाली गंभीर बुखार में लाभ होता है।
गंभारी के फल का एक चम्मच रस दिन में तीन बार नियमित सेवन करने से भी बुखार ठीक हो जाती है।
कफ विकार में गम्भारी से फायदा (Benefits of Gambhari in Cough Disease in Hindi)
कफ से पैदा हुए रोगों के इलाज के लिए गंभारी और अडूसे के कोमल पत्तों का रस निकाल लें। इसका 5 से 10 मिली मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने कफ विकार और कफ विकार से होने वाले रोग शीघ्र ठीक होते हैं।
चर्म रोग (पित्ती उछलने) में गंभारी के प्रयोग से लाभ (Gambhari Uses in Cure Skin Disease in Hindi)
चर्म रोग जैसे शरीर में पित्ती उछलने पर भी गंभारी का उपयोग लाभ पहुंचाता है। पित्ती उछलने को शीतपित्त भी कहते हैं। इसे शांत करने के लिए गंभारी और गूलर के सूखे या ताजे पके फलों का काढ़ा बनायें। इस काढ़ा को 20 से 40 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से शीतपित्त में जल्द लाभ होता है।
गठिया में फायदेमंद गंभारी का इस्तेमाल (Gambhari Benefits in Arthritis Treatment in Hindi)
मुलेठी और गंभारी के फल को मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा का दिन में तीन बार 20-40 मिली मात्रा में सेवन करने से आमवात या गठिया तथा वातरक्त में लाभ होता है।
गंभारी की जड़ को पीसकर लेप करने से भी आमवात या गठिया तथा वातरक्त में लाभ होता है।
इस्तेमाल के लिए गंभारी के उपयोगी भाग (How to Use Gambhari in Hindi)
गंभारी के निम्नलिखित भागों का प्रयोग औषधि के लिए किया जा सकता है:-
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
गंभारी के सेवन की मात्रा (Dosage of Gambhari)
गंभारी के नुकसान (Side Effects of Gambhari)
सामान्य तौर पर गम्भारी के प्रयोग से नुकसान की जानकारी नहीं है। बेहतर परिणाम के लिए इसका प्रयोग करने से पहले चिकित्सक की राय ले लेनी चाहिए।
गंभारी कहाँ पायी या उगाई जाती है (Where is Gambhari Found or Frown?)
गंभारी के वृक्ष (gambhari tree) भारत के लगभग सभी प्रान्तों में मिलते हैं। ये विशेष रूप से पर्वतीय प्रदेशों में जैसे- हिमालय क्षेत्र, मध्यप्रदेश, नीलगिरी तथा पूर्वी और पश्चिमी घाटों में पाये जाते हैं।
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