Contents
गोभी (gobi) तीन तरह के होते हैं, फूलगोभी, बंदगोभी या पत्रगोभी और गांठगोभी। गोभी के स्वास्थ्यवर्द्धक (benefits of cauliflower) गुणों के कारण आयुर्वेद में इसको औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। गोभी एक ऐसा सब्जी है जिसको न सिर्फ शाकाहारी बल्कि मांसाहारी लोग भी बड़े मजे से खाते हैं। इसको सिर्फ सब्जी के रूप में ही नहीं कई तरह के व्यंजन के रूप में पकाकर खाया जाता है। आम तौर पर गोभी जाड़े के मौसम में पाया जाता है। जाड़े के मौसम में इसका सेवन करने से जोड़ो के दर्द से आराम मिलने के साथ-साथ कई तरह के बीमारियों से राहत मिलती है। चलिये इनके बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आगे पढ़ते हैं।
गोभी के बारे में पहले ही बताया जा चुका है कि ये तीन तरह के होते हैं इसलिए इसके गुण और फायदे भी भिन्न भिन्न होते हैं। गुण के आधार पर आयुर्वेद में भिन्न-भिन्न बीमारियों के लिए फूलगोभी, बंधागोभी और गांठगोभी का प्रयोग औषधि के रुप में किया जाता है।
इसकी तीन प्रजातियां होती हैं। 1. पुष्प गोभी (Brassica oleracea Linn. var. botrytis Linn.), 2. पत्र गोभी (Brassica oleracea (Linn.) var.capitata Linn. f.) तथा 3. गांठ गोभी (Brassica oleracea (Linn.) var. gongylodesLinn.)
पुष्प गोभी मधुर, उष्ण, गुरु, कफवात कम करने वाला, ग्राही, बल बढ़ाने वाला, देर से हजम करने वाला, स्तम्भक, अग्निमांद्यकारक तथा सूजन कम करने वाली होती है। इसके पत्ते मधुर, शीत, मूत्रल, कृमिनाशक, अनॉक्सीकारक तथा मृदुकारी होते हैं।
बंधा गोभी खाने में रूची बढ़ाने के साथ-साथ , वातकारक, मधुर, गुरु, शीतपित्तशामक, मूत्रल, हृद्य, कृमिनाशक, आध्मानकारक, मृदुकारी तथा दीपन होती है। इसके बीज मूत्रल, विरेचक, आमशयोत्तेजक तथा कृमिरोधी होते हैं। इसके पत्र तिक्त, आमशयोत्तेजक, शीत, पाचक, हृद्य तथा शीतादरोधी (Anti-scarbutic) होते हैं।
यह जीवाणुनाशक, पूयरोधी, व्रणनाशक, शीतादरोधी, मृदुकारी, कवकनाशी तथा अल्परक्तशर्कराकारक क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।
गांठ गोभी मधुर, शीत, गुरु, बलकारक, रुचिकर, दुर्जर (देर से पचने वाली), ग्राही तथा शीतल होती है। इसको कम मात्रा में उबालकर खाने से यह भेदक तथा अधिक उबालकर खाने से ग्राही होती है। यह कफ, कास, प्रमेह व श्वास में लाभप्रद तथा वात व पित्त प्रकोपक होती है।
फूलगोभी वानास्पतिक नाम Brassica oleracea Linn. var. botrytis Linn.(ब्रैसिका ओलेरेसिया) Syn-Brassica oleracea Linn. Subsp. botrytis (Linn.) Metzg. है। फूलगोभी Brassicaceae (ब्रैसिकेसी) कुल का होता है। भारत के अन्य प्रांतों में फूलगोभी को भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता है।
Cauliflower (फूलगोभी) in-
बंधागोभी का वानास्पतिक नाम Brassica oleracea (Linn.) var. capitata Linn. f. है। भारत के अन्य प्रांतों में फूलगोभी को भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Cabbage (बंधा गोभी) in-
गांठ गोभी का वानास्पतिक नाम Brassica oleracea (Linn.) var. gonogylodes Linn.) है। भारत के अन्य प्रांतों में फूलगोभी को भिन्न भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
फूलगोभी, बंदगोभी और गांठगोभी खाते तो सब लोग हैं लेकिन आयुर्वेद में कैसे इन गोभियों का प्रयोग बीमारियों के उपचार स्वरुप प्रयोग किया जाता है चलिये आगे जानते हैं-
अक्सर मौसम के बदलने के समय तापमान के बार-बार गिरने और चढ़ने के कारण लोगों को गले में दर्द या सूजन की शिकायत हो जाती है। फूलगोभी का काढ़ा गले के सूजन को कम करने में बहुत मदद करते हैं। फूलगोभी (Cauliflower) की जड़ का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गले के दर्द तथा गले के घाव में लाभ होता है तथा 15-20 मिली काढ़ा पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
लगातार मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड खाने कारण लोगों को पेट में दर्द होने की शिकायत होने लगती है। इससे राहत पाने के लिए पुष्पगोभी (Cauliflower) का शाक बनाकर खाने से भूख बढ़ती है, पेट दर्द तथा दस्त से राहत मिलती है।
और पढ़ें: पेट दर्द में मूली फायदेमंद
आजकल लोग समय की कमी के कारण सबसे ज्यादा बाहर का खाना खाते हैं। जिसके कारण दस्त, एसिडिटी, पेट दर्द की समस्या आम हो गई है। पुष्पगोभी के पत्ते का शाक बनाकर खाने से अतिसार या दस्त में लाभ होता है तथा पेट के कीड़े नष्ट होते हैं।
और पढ़ें: कालमेघ के सेवन से एसिडिटी में लाभ
जो लोग बहुत ज्यादा मसालेदार खाना खाते हैं या कब्ज से लंबे समय तक परेशान रहते हैं उनको बवासीर या पाइल्स की समस्या ज्यादा होती है। फूलगोभी (Cauliflower) को घी में भूनकर थोड़ा सेंधानमक मिलाकर खिलाने से अर्श में लाभ होता है।
और पढ़ें: कब्ज में टिंडा के फायदे
अगर दिन भर कंप्यूटर पर काम करने से दिन के अंत में आँखों में दर्द या समस्या होती है तो बंदगोभी का ऐसा इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। यहां तक आँख संबंधी दूसरे बीमारियों में भी बंदगोभी का सेवन लाभकारी होता है। इसके पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आँखों में दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
अगर लंबे समय से खांसी ठीक नहीं हो रही है तो बंदगोभी के 5-10 मिली पत्ते के रस को पीने से पुरानी खांसी तथा खून वाली उल्टी से राहत मिलती है।
और पढ़े: पुरानी खाँसी में आलू के फायदे
मूत्र संबंधी रोगों में सामान्यतः पेशाब करते वक्त जलन और दर्द, रुक-रुक कर पेशाब आना, कम पेशाब होना आदि। पत्रगोभी के 10-15 मिली पत्ते के काढ़े में मिश्री मिलाकर पिलाने से मूत्र संबंधी समस्या में लाभ होता है।
आजकल की असंतुलित जीवनशैली के कारण मधुमेह अपना पैर पसार रही है। इसके 10-15 मिली पत्ते के रस में हल्दी चूर्ण तथा मधु मिलाकर पिलाने से प्रमेह या मधुमेह में लाभ होता है।
और पढ़ें – मधुमेह में विधारा के फायदे
उम्र के साथ गठिया के दर्द सभी परेशान रहते हैं। संधिवात से आराम पाने के लिए पत्तागोभी के पत्तों को पीसकर लेप करने से आमवात या गठिता तथा त्वचा संबंधी बीमारियों में आराम मिलता है।
अगर कोई नशा करने की आदत से बाहर निकलना चाहता है तो इसके पत्तों को पानी में उबालकर पिलाने से मदात्यय में लाभ होता है।
अगर किसी बीमारी के कारण खाने की इच्छा मर गई है तो भूख ही नहीं लगती तो गांठगोभी का शाक (सब्जी) बनाकर खिलाने से खाने की इच्छा बढ़ती है।
और पढ़ें: भूख बढ़ाने में धनिया के फायदे
अगर आप बवासीर के दर्द से राहत नहीं पा रहे हैं तो गांठगोभी के पत्तों का शाक बनाकर खाने से अर्श (बवासीर) में लाभ होता है।
और पढ़े – पाइल्स के दर्द में सिंघाड़े के फायदे
गोभी के पत्ते और फूल को औषधि के रुप में ज्यादा प्रयोग किया जाता है।
बीमारी के लिए गोभी के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए गोभी का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
गोभी में ग्लूकोसाइनोलेट, आइसोथायोसायनेट पाया जाता है; अत: इसका ज्यादा सेवन करने से यह अवटुग्रंथि (Thyroid gland) के काम में बाधा उत्पन्न करता है। साथ ही इसमें इन्डोल-3-कार्बिनोल पाया जाता है, जो स्तन-कैंसर होने का कारण बन सकता है।
और पढ़े- थायरॉइड रोग का घरेलू इलाज
इसके अत्यधिक सेवन से पेट में गैस, खाने में अरुचि, पथरी, पेट फूलना, कान में दर्द एवं किडनी की बीमारी आदि रोगों का कारण बन सकती हैं।
पत्र गोभी का सेवन अत्यधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए। इसको अत्यधिक मात्रा में खाने से यह पेट फूलने तथा पेट दर्द की समस्या हो सकती है।
नोट : साधारणतया गोभी के विभिन्न प्रकार मुख्यत पत्तागोभी, फूलगोभी, हरी फूलगोभी, करमकल्ला, गांठगोभी एवं चोकीगोभी (Brussels) अलग-अलग मानी जाती हैं, जबकि वास्तविक रूप से यह सभी प्रकार एक ही Brassica oleracea Linn. (ब्रैसिका ओलेरिसया नामक) प्रजाति के हैं।
गोभी मूलत भूमध्यसागरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त विश्व में रूस तथा हॉलैण्ड में पाया जाता है एवं उपजाया जाता है। भारत में विस्तृत रूप से सभी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…