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Gular: गूलर में हैं अनेक बेहरतरीन गुण- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

कहावत है कि जिसने गूलर का फूल (gular ka phool) देख लिया, उसका भाग्य चमक जाता है। यह भी कहा जाता है कि गूलर का सेवन करने वाला वृद्ध भी युवा हो जाता है। आपने भी गूलर के फायदे से जुड़ी ऐसी कई कहानियां सुनी होंगी, लेकिन सच क्या है, शायद यह नहीं जानते होंगे। अगर आप गूलर से होने वाले लाभ के बारे में नहीं जानते हैं तो यह लेख आपके लिए है, क्योंकि गूलर का पेड़ या गूलर का फूल कोई साधारण पेड़ या फूल (gular flower) नहीं है, बल्कि यह एक बहुत ही उत्तम जड़ी-बूटी भी है।

आयुर्वेद के अनुसार, रक्तस्राव रोकने, मूत्र रोग, डायबिटीज तथा शरीर की जलन में गूलर (gular tree) की छाल एवं कच्चे फल उपयोगी होते हैं। गूलर की छाल एवं पत्ते से सूजन की समस्या और दर्द दूर होता है। यह पुराने से पुराने घाव को भी ठीक करता है। इस तरह की कई बीमारियों में आप गूलर के फायदे ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि गूलर से और क्या-क्या लाभ मिलता है।

Contents

गूलर क्या है? (What is Gular in Hindi?)

  • आयुर्वेदिक ग्रंथों में गूलर का पेड़ हेमदुग्धक, जन्तुफल, सदाफल आदि नामों से प्रसिद्ध है। इसके तने या डाल आदि में किसी भी स्थान पर चीरा लगाने से सफेद दूध निकलता है। दूध को थोड़ी देर रखने पर पीला हो जाता है, इसलिए इसे हेमदुग्धक कहा जाता है।  गूलर के फलों में ढेर सारे कीड़े होने के कारण इसे जन्तुफल कहा जाता है। बारह महीने फल देने के कारण इसे सदाफल कहते हैं।
  • गूलर का पेड़ विशाल और घना होता है। इसकी ऊंचाई लगभग 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। इसके फल अंजीर के समान दिखाई देते हैं। कच्चे होने पर हल्के हरे रंग के और पकने पर लाल हो जाते हैं। पके हुए फल चमकदार होते है। फलों को काटने पर उसमें कीड़े पाए जाते हैं।
  • गूलर का फूल (gular ka phool), गूलर के फल के अंदर ही होता है। फल के अंदर रहने वाले गूल के फूल को नर और मादा फूल कहते हैं। यहां गूलर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Gular tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप गूलर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

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अन्य भाषाओं में गूलर के नाम (Gular Called in Different Languages)

गूलर का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम फाइकस रेसीमोसा (Ficus racemosa Linn.) तथा Syn-Ficus glomerata Roxb. है। यह मोरेसी (Moraceae) कुल का पौधा है। इसका अन्य नाम निम्नानुसार हैंः-

Gular in –

  • Sanskrit – उदुम्बर, जन्तुफल, यज्ञांग, हेमदुग्ध, श्वेतवल्कल, सदाफल, अपुष्प (gular flower), काकोदुम्बरिका, शाखाफल, मशकी, Gridhranakhi
  • Hindi (Gular in Hindi)- गूलर, उमरि, उमर, तुई गुल्लर
  • अंग्रेजी – क्लस्टर फिग (Cluster fig), गूलर फिग (Gular fig) और कन्ट्री फिग (Country fig)
  • Urdu – गूलर (Gular)
  • Oriya – डिम्री (Dimri)
  • Kannada – अत्थिमरा (Atthimara), काठगूलर (Kathgular)
  • Gujarati – उम्बरो (Umbaro), उमर (Umar), उम्बर (Umbar), ऊमरडो (Umrado)
  • Telugu – अत्थि चेट्टु (Atthi chettu), अत्ति (Atti)
  • Tamil – अत्तिमरम् (Attimaram), उदुम्बरम (Udumbaram)
  • Bengali – दुमुर (Dumur), ओदुम्बर (Odumbar), याज्ञदुम्बर (Yajna – dumbar)
  • Nepali – दुम्री (Dumri)
  • Punjabi – बटबर (Batbar), दधूरी (Dadhuri)
  • Marathi – उम्बरी (Umbari), उम्बराचे झाड़ (Umbarache jhad)
  • Malayalam – अत्ति (Atti), जन्तुफलम (Jantuphalam)
  • Manipur – हैबोन्ग (Heibong)
  • Arabic – जमीजा (Jamiza)
  • Persian – अञ्जरे आदम (Anjre aadam), तमरपीशाह (Tamarpishah)

गूलर के फायदे और उपयोग (Gular Benefits and Uses in Hindi)

विभिन्न रोगों में गूलर की छाल, कच्चे और पके फल तथा उसके दूध का उपयोग कैसे करना है, यहां बताया जा रहा हैः-

गूलर के दूध से बवासीर का इलाज (Gular Milk Benefits in Piles Treatment in Hindi)

  • गूलर के दूध की 10-20 बूंदों को जल में मिलाकर पिलाने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) और रक्त विकारों में लाभ होता है।
  • गूलर के दूध को मस्सों पर लेप करें। उपचार के दौरान घी का अधिक सेवन करें।
  • गूलर के दूध में रूई का फाहा भिगोकर भगन्दर (Fistula) के अंदर रखें। इसे रोज बदलते रहने से भगन्दर अच्छा हो जाता है।

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मुंह के अल्सर में गूलर के फायदे (Gular Tree Benefits to Treat Mouth Ulcers in Hindi)

  • गूलर की छाल से बने 250 मिली काढ़ा में 3 ग्राम कत्था व 1 ग्राम फिटकरी मिला लें। इसका कुल्ला करने से मुंह के रोगों में लाभ होता है।
  • गूलर (Gridhranakhi) के पत्तों  के ऊपर के दानों को मिश्री के साथ पीस लें। इसका सेवन करने से गर्मी के कारण होने वाले मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं।

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गंडमाला (ग्वायटर) रोग में गूलर के पत्ते के फायदे (Benefits of Gular Leaf in Goiter Treatment in Hindi)

गूलर के पत्तों (Gular ke patte) के ऊपर के दाने को दही (चीनी मिलाकर) में पीस लें। इसे रोज एक बार मधु के साथ पिलाने से गले की सूजन वाले रोग जैसे गंडमाला (Goiter) में लाभ होता है।

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लूज मोशन (दस्त) में गूलर के सेवन से लाभ (Beneftis of Gular Milk to Stops Diarrhea in Hindi)

  • 4-5 बूंद गूलर दूध (आक्षीर) को बताशे में डाल लें।  इसे दिन में तीन बार सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।
  • गूलर की जड़ के चूर्ण को गूलर फल के साथ सेवन करें। इससे दस्त और पेचिश ठीक होता है।
  • 3 ग्राम गूलर पत्तों (gular ka patta) के चूर्ण, 2 काली मिर्च लें। थोड़े चावल के धुले हुए पानी से इसे महीन पीस लें। इसमें काला नमक और छाछ मिलाकर छान लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

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पेट दर्द में गूलर के फायदे (Gular Fruits Benefits in Relieves from Stomach Pain in Hindi)

गूलर का फल खाने से पेट का दर्द और गैस की समस्या ठीक होती है। बेतहर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

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गूलर के दूध से मूत्र रोग का इलाज (Benefits of Gular Fruits in Urine Disease in Hindi)

  • रोज सुबह गूलर (Gridhranakhi) के 2-2 पके फल रोगी को सेवन कराने से पेशाब की समस्या ठीक होती है और पेशाब खुल कर आने लगता है।
  • 4-5 बूंद गूलर दूध को बताशे में डाल लें।  इसे दिन में तीन बार सेवन करने से मूत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है।

और पढ़े: मूत्र की समस्या के घरेलू इलाज

गूलर के सेवन से डायबिटीज पर नियंत्रण (Gular Fruits Uses in Controlling Diabetes in Hindi)

गूलर के फलों के सूखे छिल्कों को (बीज रहित) महीन पीस लें। इसमें बराबर भाग में मिश्री मिला लें। इसे 6-6 ग्राम सुबह-शाम गाय के दूध के साथ सेवन करने से डायबिटीज में लाभ होता है।

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गूलर के पेड़ से ल्यूकोरिया (प्रदर) रोग का इलाज (Gular Tree Uses to Treat Leucorrhoea in Hindi)

  • 5-10 ग्राम गूलर (Gridhranakhi) के रस को मिश्री के साथ मिलाकर सुबह शाम पिएं। इससे सफेद पानी या ल्यूकोरिया (स्त्रियों की योनी से सफेद पानी निकलना) में लाभ होता है।
  • इसमें मधु मिलाकर पीने से मासिक धर्म विकार ठीक होता है।
  • 10-15 ग्राम ताजी छाल को कूटकर, 250 मिली पानी में पकाएं। जब पानी थोड़ा रह जाए तो छान कर अपनी इच्छा के अनुसार मिश्री व डेढ़ ग्राम सफेद जीरे का चूर्ण मिला लें। इसे सुबह-शाम पिलाएं। भोजन में इसके कच्चे फलों (gular fruit) का रायता बनाकर खिलाएं। इस प्रयोग से मासिक धर्म विकार में लाभ होता है।

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घाव सुखाने के लिए गूलर का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Gular Bark in Healing Wound in Hindi)

  • गूलर में कठिन से कठिन घाव को ठीक करने की क्षमता है। गूलर के दूध में रूई का फाहा भिगोकर नासूर यानी पुराने पर रखें। इससे घाव ठीक हो जाता है।
  • घाव पर गूलर की छाल बाँधने और कैंसर की गाँठ पर गूलर के पत्तों (gular leaf) को घिसने से लाभ होता है।
  • गूलर के कच्चे फलों के महीन चूर्ण में बराबर भाग खांड़ मिलायें। इस चूर्ण को 2 से 6 ग्राम (या 10 ग्राम) की मात्रा में, कच्चे दूध या मिश्री मिली हुई लस्सी के साथ सेवन करें। इससे शुरुआती अवस्था में सुजाक वाले घाव में विशेष लाभ होता है।
  • गूलर के फल के काढ़ा में 3 ग्राम कत्था व 1 ग्राम कपूर मिला लें। इस गुनगुने काढ़ा से पुरुष के लिंग को धोएं। इससे जख्म के अंदर का मवाद आना बंद (gular ke fayde) हो जाता है।
  • गूलर के दूध में बावची के बीज भिगो लें। इसे पीसकर 1-2 चम्मच की मात्रा में नियमित लेप करें। इससे सभी प्रकार की फुंसियाँ और घाव मिट जाते हैं।
  • गूलर की छाल को गौमूत्र से पीसकर घी में भून लें। नासूर पर इसका लेप करने से लाभ होता है।
  • गूलर के दूध को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।
  • गूलर की छाल का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव जल्दी भर जाता है।
  • गूलर (Gridhranakhi) की छाल की राख को घी के साथ मिलाकर लगाने से बिवाइयां, मुँहासे, बलतोड़ तथा डायबिटीज के कारण हुई फुंसियां ठीक होती हैं।

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कंधे के दर्द में गूलर का औषधीय गुण फायदेमंद (Uses of Gular Root in Relief from Shoulder Pain in Hindi)

गूलर के दूध में केवाच की जड़ के चूर्ण को भिगोकर सुखा लें। इसमें केवाच की जड़ के बराबर भाग जिंगनि रस तथा हींग मिला लें। इसे 1-2 बूंद नाक में डालने से कंधे के दर्द में लाभ (gular ke fayde) होता है।

रक्त विकार में गूलर से लाभ (Benefits of Gular in Bleeding Problems in Hindi)

  • शरीर के किसी अंग से खून बहता हो, और सूजन हो तो ऐसे रोगों के लिए गूलर एक उत्तम औषधि है। नाक से खून बहना, पेशाब के साथ खून आना, मासिक धर्म में रक्तस्राव अधिक होना और गर्भपात आदि रोगों में गूलर का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इसके 2-3 पके फलों (gular fruit) को चीनी या खांड़ के साथ दिन में तीन बार लेने से तुरन्त आराम मिलता है।
  • गूलर के सूखे कच्चे फलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इसे 5 से 10 ग्राम तक की मात्रा में ताजे जल के साथ सुबह-शाम 21 दिन तक सेवन करें। इससे मासिक धर्म विकार, रक्तस्राव, गर्भपात, खूनी पेचिश में लाभ होता है।
  • गूलर के 5 ग्राम सूखे हरे फलों के चूर्ण को पानी में पीस लें। इसे मिश्री के साथ पिलाने से भी खून की गर्मी में लाभ होता है।
  • 5 मिली गूलर के पत्तों (gular leaf) के रस में शहद मिलाकर पिलाने से खून की गर्मी तथा खूनी पेचिश में लाभ होता है।
  • कमलगट्टे और गूलर के फलों के 5 ग्राम चूर्ण को दूध के साथ दिन में तीन बार देने से उलटी के साथ खून का आना बन्द हो जाता है।
  • 20-30 ग्राम गूलर की छाल को पानी में पीसकर तालु पर लगाने से नकसीर (नाक से खून आना) बंद हो जाता है।
  • 5 मिली गूलर पत्तों के रस में बराबर भाग मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। कुछ समय तक सेवन करने से उलटी में खून आना बंद होगा।

गर्भपात की समस्या में गूलर के सेवन से लाभ (Gular Root Benefits in Miscarriages Problem in Hindi)

  • गूलर गर्भ को स्थिर करने में काफी प्रभावी है। 30 ग्राम गूलर की जड़ को कूटकर, या सूखी हुई जड़ के छिलके का काढ़ा बनाकर नियमित रूप से तीन महीने तक सुबह और शाम पिलाने से गर्भपात नहीं होता है।
  • गर्भपात न होने के लिए गूलर की कोंपलों को दूध के साथ सेवन करना चाहिए।

और पढ़ेंगर्भपात रोकने के घरेलू उपाय

गूलर के पेड़ से बुखार का इलाज (Uses of Gular Root in Fighting with Fever in Hindi)

  • गूलर की ताजी जड़ के 5-10 मिली रस में, या जड़ की छाल के 20-30 मिली रस को 10 गुना पानी में भिगो लें। इसे तीन घंटे बाद छानकर चीनी में मिला लें। इसे सुबह और शाम पीने से बुखार में लगने वाली प्यास की परेशानी में लाभ (gular ke fayde) होता है।
  • 1 ग्राम गूलर की गोंद तथा 3 ग्राम चीनी को मिलाकर सेवन करने से पित्त दोष के कारण होने वाला बुखार और जलन ठीक होती हैं।

और पढ़ें: वायरल बुखार के घरेलू इलाज

पित्त-विकार में गूलर का पेड़ फायदेमंद (Gular Leaf Uses in Pitta Disorders in Hindi)

  • गूलर के पत्ते (gular ka patta) शरीर से किसी भी प्रकार की गर्मी यानी पित्त दोष को दूर करते हैं।
  • गूलर के पत्तों को पीसकर शहद के साथ चाटने से पित्त दोष ठीक होता है।

शारीरिक कमजोरी में गूलर फल के चूर्ण का सेवन (Gular Fruits in Helpful for Healthy Body & Sexual Power in Hindi)

  • गूलर का फल काफी पौष्टिक होता है। गूलर के सूखे फल के चूर्ण का (10-20 ग्राम) सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।
  • गूलर फल (gular fruit) के चूर्ण तथा विदारीकन्द चूर्ण को बराबर मात्रा (4-6 ग्राम) में लें। इसे मिश्री और घी मिले हुए दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करने से यौन शक्ति बढ़ती है। इस उपाय को यदि महिलाएं करें तो समस्त स्त्री रोग दूर होते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। कहा जाता है कि इस प्रयोग को करने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान हो जाता है।

और पढ़े: कमजोरी को दूर करने में ज्वार के फायदे

गूलर के औषधीय गुण से चेचक का इलाज (Gular Leaf Benefits to Treat Chicken Pox in Hindi)

गूलर के पत्तों (gular leaf) पर जो फफोले या श्यामे रंग के दाने होते हैं, उन्हें पत्तों से निकालकर गाय के दूध में पीस-छान लें। इसमें मधु मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से चेचक में लाभ होता है।

और पढ़ेफफोले में कुटज के फायदे

गूलर के उपयोगी भाग (Useful Parts of Gular Tree)

गूलर के इन भाग का उपयोग किया जा सकता हैः-

  • पत्ते (gular ke patte)
  • छाल
  • फल (gular fruit)
  • गूलर का फूल (gular ka phool)
  • तना
  • जड़
  • जड़ की छाल
  • दूध

गूलर का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Gular Tree in Hindi?)

आप गूलर का उपयोग इस तरह कर सकते हैंः-

  • चूर्ण – 3-5 ग्राम
  • दूध – 4-5 बूंद

यहां गूलर से होने वाले सभी फायदे के बारे को बहुत ही आसान शब्दों (Gular  tree in hindi) में लिखा गया है ताकि आप गूलर से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन औषधि के रूप में गूलर का प्रयोग करने के लिए चिकित्सक की सलाह जरूर लें।

गूलर से नुकसान (Side Effects of Gular Tree in Hindi)

गूलर के इस्तेमाल से ये नुकसान भी हो सकते हैंः-

  • गूलर का अधिक मात्रा में सेवन करने से बुखार हो सकता है।
  • पके हुए फलों को अधिक मात्रा में नहीं खाना चाहिए, क्‍योंकि इससे आंतों में कीड़ों हो जाते हैं।
  • गर्भवती महिलाओं (Pregnant women) को इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।

गूलर कहाँ पाया या उगाया जाता है? (Where is Gular Tree Found?)

गूलर के वृक्ष खेतों और जंगलों में पाए जाते हैं। दोनों स्थानों में 2000 मीटर की ऊंचाई तक गूलर के पेड़ मिलते हैं। जंगलों एवं नदी-नालों के किनारे इसके वृक्ष (gular flower) अधिक पाए जाते हैं।

पतंजलि के गूलर से बने उत्पाद कहां से खरीदें ? (Where to Buy Patanjali Gular Product?)

आप पतंजलि के गूलर से बने उत्पाद बाजार से खरीद सकते हैं। यह आसानी से मिल जाता है

और पढ़ें

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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