Categories: घरेलू नुस्खे

इओसिनोफिलिया से राहत दिलाते हैं ये घरेलू उपाय (Home remedies for Eosinophils in Hindi)

कुछ लोग इस्नोफिलिया को एक साधारण बीमारी समझते हैं, लेकिन सच यह है कि इस्नोफिलिया साधारण बीमारी नहीं है। जब खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तब यह बीमारी होती है। इस्नोफिलिया को एलर्जी भी कहते हैं। यह रोग होने पर सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, दुम घुटने लगता है, और आहार या दवा से एलर्जी होने लगती है। इसके साथ ही गले में सूजन भी होने लगती है।इस्नोफिलिया के कारण दिल, दिमाग, किडनी तक काम करना बंद कर देते हैं। यदि इस बीमारी का समय पर इलाज ना हुआ तो मरीज मर भी सकता है। इसलिए इस्नोफिलिया का समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। अच्छी बात यह है कि आप इस्नोफिलिया का घरेलू उपचार (home remedies from Eosinophils) कर सकते हैं।

आयुर्वेद में इस्नोफिलिया के घरेलू उपचार से संबंधित अनेक उपाय बताए गए हैं। आप ये उपाय कर इस्नोफिलिया से छुटकारा पा सकते हैं।

Contents

इस्नोफिलिया क्या है? (What is Eosinophilia?)

इस्नोफिल (एसिडो फिल) सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) ल्यूकोसाइट (Lucocyte) का एक प्रकार है। जो अस्थिमज्जा में बनता है। आपके रक्त में इओसिनोफिल्स की एक निश्चित मात्रा होती है। जब तक यह निर्धारित मात्रा में रहती है, तब तक बीमारी नहीं मानी जाती, लेकिन जब इसकी मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है, तो यह बीमारी बन जाती है। हजारों इस्नोफिल्स विभिन्न अंगों में जाकर जमा हो जाते हैं और उन अंगों को धीरे-धीरे नष्ट करने लगते हैं।

इस्नोफिलिया बढ़ने के कारण (Eosinophilia Causes)

इस्नोफिलिया बढ़ने के निम्नलिखित कारण होते हैं-

  • यदि आप गठिया या अन्य कोई कोलेजन (Collegen) रयूमेटिक (Rehumatic) बीमारी से ग्रस्त हैं, तो इससे इस्नोफिलिया हो सकता है।
  • अगर आप कोई दवा जैसे; सल्फोनामाइड्स, पेनिसिलीन्स, नाइट्रोफ्यूरेटिन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करते हैं, तो इससे इस्नोफिल काउण्ट बढ़ जाता है।
  • अगर पेट में कीड़े हो गए हैं तो उसकी वजह से भी इस्नोफिलिया काउंट बढ़ जाता है।
  • यदि आपको कोई एलर्जी जैसे; अस्थमा, एक्जिमा, एलर्जिक रायनाइटिस आदि बीमारी है, तो इसके कारण भी इस्नोफिलिया काउंट बढ़ जाता है।
  • ज्यादा मात्रा में मीठी-खट्टी और तेल, मिर्च, मसाले वाला खाना खाना।
  • दोपहर के समय सोना।

इस्नोफिलिया के प्रकार (Eosinophilia Types)

यह बीमारी दो तरह की होती है।

  • इडियोपैथिक इस्नोफिलिया
  • दूसरी इस्नोफिक मायेल्पिक सिनेमा

इस्नोफिलिया के लक्षण (Eosinophilia Symptoms)

इस्नोफिलिया के लक्षण ये हो सकते हैंः-

इस्नोफिलिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारियां (Disease Due to Eosinophilia)

अगर इस्नोफिलिया बीमारी का इलाज समय से नहीं हुआ इससे ये बीमारी हो सकती हैः-

  • इस्नोफिलिया ओलोफैगिटिस (Eosinophilia Oelophagitis)
  • इस्नोफिलिया गैस्ट्रिटिस (Eosinophilia Gastritis)
  • इस्नोफिलिया एन्टराइटिस (Eosinophilia enteritis)
  • इस्नोफिलिया कोलाइटिस (Eosinophilia Colitis)
  • हाइपेरोसिनोफिलिक सिंड्रोम (Hyper Esnophilic Syndrome)

इस्नोफिलिया का घरेलू इलाज करने के लिए उपाय (Home Remedies for Eosinophilia Treatment in Hindi)

आप इस्नोफिलिया का इलाज करने के लिए ये आयुर्वेदिक उपाय कर सकते हैंः-

इस्नोफिलिया का घरेलू इलाज नीम से (Neem: Home Remedeis for Eosinophilia Disease in Hindi)

खाना खाने के बाद नीम के पत्तों का एक चम्मच जूस पिएं। इससे पित्त और कफ सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। यह औषधि बहुत कारगर है। इससे शरीर में मौजूद संक्रमण खत्म होता है, और खून साफ होता है।

और पढ़ेंः नीम के फायदे और नुकसान

इस्नोफिलिया का घरेलू इलाज कर्पूर काचरी (Kapur Kachri: Home Remedy to Treat Eosinophilia in Hindi)

यह औषधि बहुत प्रभावकारी है, क्योंकि यह कफ से संबंधित रेसिपायरेट्री समस्या (Respiratory problems) को दूर करने में मदद करती है। इस औषधि के पाउडर को 1-3 ग्राम रोज सादा पानी के साथ लेने से इस्नोफिल्स काउंट कम होता है।

और पढ़ेंः कर्पूर काचरी के फायदे और उपयोग

यष्टी मधु से इस्नोफिलिया का उपचार (Glycyrrhiza Glabra: Home Remedy to Cure Eosinophilia in Hindi)

1 छोटा चम्मच यष्टी मधु को 1 छोटा चम्मच शहद के साथ लें। यह इस्नोफिलिया में लाभदायक होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज प्याज से (Onion: Home Remedies for Eosinophilia Disease in Hindi)

प्याज के रस का प्रयोग इस्नोफिलिया को कम करने में बहुत सहायक होता है। रोज सुबह एक चम्मच प्याज का रस, एक गिलास में पानी में मिलाकर लें। इससे इस्नोफिलिया में बहुत आराम मिलता है।

और पढ़ेंः प्याज के फायदे और नुकसान

इस्नोफिलिया का घरेलू उपचार भार्गी से (Cleodendrom Serratum: Home Remedy to Treat Eosinophilia in Hindi)

इस औषधि का काढ़ा बनाकर 1 छोटा चम्मच दिन में दो बार, तीन दिन तक पिएं। इसके सेवन से इस्नोफिलिया के साथ-साथ अस्थमा जैसी बीमारी में काफी फायदा मिलता है।

शहद और पानी से इस्नोफिलिया का उपचार (Honey and Water: Home Remedies to Cure Eosinophilia in Hindi)

रोजाना सुबह एक गिलास हल्के गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से इस्नोफिलिया का स्तर कम होता है। शहद में एंटीबायोटिक गुण पाया जाता है, जो आपके शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा को सामान्य करता है।

अदरक से इओसिनोफिलिया का इलाज (Ginger: Home Remedies for Eosinophilia Disease in Hindi)

अदरक को पीसकर चाय में उसके रस को मिलाकर सेवन करें। कुछ दिन ऐसा करने से निश्चित रूप से आराम मिलेगा।

और पढ़ेंः अदरक के फायदे और नुकसान

इओसिनोफिलिया का घरेलू इलाज भाप से (Steam: Home Remedy to Treat Eosinophilia in Hindi)

भाप के पानी में नीलगिरी की कुछ बूंद डालें। इस तौलिये से सिर को ढककर पानी को सूंघें। ऐसा करने से बलगम की समस्या से आराम मिलता है।

काली मिर्च और शहद का इस्तेमाल इओसिनोफिलिया में फायदेमंद (Black Pepper and Honey: Home Remedies to Cure Eosinophilia Treatment in Hindi)

1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर को 1 छोटा चम्मच शहद के साथ मिलाकर, दिन में दो बार खाएं। ऐसा करने से इस्नोफिलिया की समस्या से आराम मिलता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

इस्नोफिलिया में लाभदायक मेथी का प्रयोग (Methika: Home Remedies to Treat Eosinophilia in Hindi)

शरीर में मौजूद किसी भी इन्फेक्शन को खत्म करने, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मेथी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक छोटा चम्मच मेथी का पाउडर मिलाकर रोजाना गरारा करें। ऐसा करने से आपके गले की सूजन कम हो जाती है, और इस्नोफिलिया की समस्या भी कम हो जाती है।

और पढ़ेंः मेथी के फायदे और नुकसान

इस्नोफिलिया के दौरान आपका खान-पान (Your Diet in Eosinophilia)

इस्नोफिलिया (Eosinophilia) के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-

  • यह सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त विटामिन और प्रोटीन ले रहे हैं। आप हरे पत्तेदार सब्जियों और ताजे फलों की खपत को बढ़ाकर ऐसा कर सकते हैं।
  • अपनी रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें। शहद, हल्दी, काली मिर्च, लहसुन, अदरक प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत (home remedies from Eosinophils) कर सकते हैं।
  • खोज में पाया गया है कि खाद्य पदार्थों से एलर्जी के कारण भी यह बीमारी होती है, इसलिए जिन खाद्य पदार्थों आपको एलर्जी होती है, उनसे परहेज करना बेहतर है।

इस्नोफिलिया के दौरान परहेज (Avoid These in Eosinophilia Disease)

इस्नोफिलिया होने पर आपको यह परहेज करना चाहिएः-

  • मसालेदार खाना (तेल, मिर्च युक्त) न खाए
  • खट्टे पदार्थ जैसे- इमली, आचार, दही आदि का सेवन ना करें।
  • इस्नोफिलिया में दूध और दूध से बने उत्पाद का सेवन नहीं करना चाहिए। खासकर दही और मीठा बिल्कुल नहीं खाना चाहिए।

इस्नोफिलिया के लिए योग और व्यायाम (Yoga and Exercise for Eosinophilia Disease)

इस्नोफिलिया (Eosinophilia) के इलाज के लिए आपको योग और व्यायाम की सहायता (home remedies from Eosinophils) लेनी चाहिए। ये इस्नोफिल की मात्रा को कम करने में सहायक होते हैंः-

  • त्रिकोणप्रणामासन
  • सूर्य नमस्कार
  • वज्रासन
  • शशांकासन
  • प्राणायाम श्वसन तंत्र की माँसपेशियों के लिए लाभकारी होते हैं।

इओसिनोफिलिया से जुड़े सवाल-जवाब (FAQ Related Eosinophilia Disease)

कितनी मात्रा में इस्नोफिलिया को सामान्य समझा जाता है?

रक्त कणों (RBCs) में 0 से लेकर 7 प्रतिशत तक इस्नोफिलिया का होना सामान्य (नार्मल) माना जाता है। इनका एक एब्सोल्यूट (Absolute Count) भी किया जाता है, जो 500 esnophils/microlitter होता है। अगर काउण्ट 500 से ज्यादा हो तो, उसे इस्नोफिलिया कहेंगे।

आयुर्वेद के अनुसार, इस्नोफिलिया बढ़ने का क्या कारण है?

जब शरीर की वात, पित्त और कफ दोष असामान्य अवस्था में हो जाते हैं तो शरीर में बहुत सारी बीमारियाँ होने लगती हैं। इसी प्रकार इस्नोफिलिया बीमारी भी कफ तथा पित्त दोष के असामान्य या बढ़ने की वजह से होता है।

ऊपर का उपाय करने के बाद भी इओसिनोफिलिया ठीक हुआ तो उसका क्या कारण हो सकता है?

अगर उपरोक्त उपायों से फायदा नहीं हो रहा है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपने बताए गए परहेज का पालन ठीक तरीके से नहीं किया है। यह भी हो सकता है कि इस्नोफिल्स का स्तर ज्यादा बढ़ गया है, जिसकी वजह से उपरोक्त दवाएं काम नहीं कर रही हैं।

इस्नोफिलिया होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?

अगर आपको बहुत दिनों से बुखार, थकावट, मांसपेशियों में दर्द, साँस लेने में तकलीफ है। इसके साथ ही गले में सूजन और बलगम निकलने में बहुत कठिनाई हो रही हो तो उस समय तुरन्त डॉक्टर से परामर्श करें।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव जी के साथी और पतंजलि योगपीठ और दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) के एक संस्थापक स्तंभ है। उन्होंने प्राचीन संतों की आध्यात्मिक परंपरा को ऊँचा किया है। आचार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

Share
Published by
आचार्य श्री बालकृष्ण

Recent Posts

कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं पतंजलि दिव्य त्रिफला चूर्ण

आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…

2 years ago

डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायक है पतंजलि दिव्य मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर

डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…

2 years ago

त्वचा से जुड़ी समस्याओं के इलाज में उपयोगी है पतंजलि दिव्य कायाकल्प वटी

मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…

2 years ago

युवाओं के लिए अमृत है पतंजलि दिव्य यौवनामृत वटी, जानिए अन्य फायदे

यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…

2 years ago

मोटापे से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं पतंजलि मेदोहर वटी

पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…

2 years ago

पेट से जुड़े रोगों को ठीक करती है पतंजलि दिव्य गोधन अर्क, जानिए सेवन का तरीका

अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…

2 years ago