कुछ लोग इस्नोफिलिया को एक साधारण बीमारी समझते हैं, लेकिन सच यह है कि इस्नोफिलिया साधारण बीमारी नहीं है। जब खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाती है, तब यह बीमारी होती है। इस्नोफिलिया को एलर्जी भी कहते हैं। यह रोग होने पर सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, दुम घुटने लगता है, और आहार या दवा से एलर्जी होने लगती है। इसके साथ ही गले में सूजन भी होने लगती है।इस्नोफिलिया के कारण दिल, दिमाग, किडनी तक काम करना बंद कर देते हैं। यदि इस बीमारी का समय पर इलाज ना हुआ तो मरीज मर भी सकता है। इसलिए इस्नोफिलिया का समय पर इलाज कराना बहुत जरूरी है। अच्छी बात यह है कि आप इस्नोफिलिया का घरेलू उपचार (home remedies from Eosinophils) कर सकते हैं।
आयुर्वेद में इस्नोफिलिया के घरेलू उपचार से संबंधित अनेक उपाय बताए गए हैं। आप ये उपाय कर इस्नोफिलिया से छुटकारा पा सकते हैं।
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इस्नोफिल (एसिडो फिल) सफेद रक्त कोशिकाओं (WBCs) ल्यूकोसाइट (Lucocyte) का एक प्रकार है। जो अस्थिमज्जा में बनता है। आपके रक्त में इओसिनोफिल्स की एक निश्चित मात्रा होती है। जब तक यह निर्धारित मात्रा में रहती है, तब तक बीमारी नहीं मानी जाती, लेकिन जब इसकी मात्रा शरीर में अधिक हो जाती है, तो यह बीमारी बन जाती है। हजारों इस्नोफिल्स विभिन्न अंगों में जाकर जमा हो जाते हैं और उन अंगों को धीरे-धीरे नष्ट करने लगते हैं।
इस्नोफिलिया बढ़ने के निम्नलिखित कारण होते हैं-
यह बीमारी दो तरह की होती है।
इस्नोफिलिया के लक्षण ये हो सकते हैंः-
अगर इस्नोफिलिया बीमारी का इलाज समय से नहीं हुआ इससे ये बीमारी हो सकती हैः-
आप इस्नोफिलिया का इलाज करने के लिए ये आयुर्वेदिक उपाय कर सकते हैंः-
खाना खाने के बाद नीम के पत्तों का एक चम्मच जूस पिएं। इससे पित्त और कफ सामान्य अवस्था में आ जाते हैं। यह औषधि बहुत कारगर है। इससे शरीर में मौजूद संक्रमण खत्म होता है, और खून साफ होता है।
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यह औषधि बहुत प्रभावकारी है, क्योंकि यह कफ से संबंधित रेसिपायरेट्री समस्या (Respiratory problems) को दूर करने में मदद करती है। इस औषधि के पाउडर को 1-3 ग्राम रोज सादा पानी के साथ लेने से इस्नोफिल्स काउंट कम होता है।
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1 छोटा चम्मच यष्टी मधु को 1 छोटा चम्मच शहद के साथ लें। यह इस्नोफिलिया में लाभदायक होता है। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
प्याज के रस का प्रयोग इस्नोफिलिया को कम करने में बहुत सहायक होता है। रोज सुबह एक चम्मच प्याज का रस, एक गिलास में पानी में मिलाकर लें। इससे इस्नोफिलिया में बहुत आराम मिलता है।
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इस औषधि का काढ़ा बनाकर 1 छोटा चम्मच दिन में दो बार, तीन दिन तक पिएं। इसके सेवन से इस्नोफिलिया के साथ-साथ अस्थमा जैसी बीमारी में काफी फायदा मिलता है।
रोजाना सुबह एक गिलास हल्के गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से इस्नोफिलिया का स्तर कम होता है। शहद में एंटीबायोटिक गुण पाया जाता है, जो आपके शरीर के प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रक्त में सफेद रक्त कोशिकाओं की मात्रा को सामान्य करता है।
अदरक को पीसकर चाय में उसके रस को मिलाकर सेवन करें। कुछ दिन ऐसा करने से निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
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भाप के पानी में नीलगिरी की कुछ बूंद डालें। इस तौलिये से सिर को ढककर पानी को सूंघें। ऐसा करने से बलगम की समस्या से आराम मिलता है।
1/2 छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर को 1 छोटा चम्मच शहद के साथ मिलाकर, दिन में दो बार खाएं। ऐसा करने से इस्नोफिलिया की समस्या से आराम मिलता है। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
शरीर में मौजूद किसी भी इन्फेक्शन को खत्म करने, और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए मेथी बहुत उपयोगी है। एक गिलास गुनगुने पानी में एक छोटा चम्मच मेथी का पाउडर मिलाकर रोजाना गरारा करें। ऐसा करने से आपके गले की सूजन कम हो जाती है, और इस्नोफिलिया की समस्या भी कम हो जाती है।
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इस्नोफिलिया (Eosinophilia) के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
इस्नोफिलिया होने पर आपको यह परहेज करना चाहिएः-
इस्नोफिलिया (Eosinophilia) के इलाज के लिए आपको योग और व्यायाम की सहायता (home remedies from Eosinophils) लेनी चाहिए। ये इस्नोफिल की मात्रा को कम करने में सहायक होते हैंः-
कितनी मात्रा में इस्नोफिलिया को सामान्य समझा जाता है?
रक्त कणों (RBCs) में 0 से लेकर 7 प्रतिशत तक इस्नोफिलिया का होना सामान्य (नार्मल) माना जाता है। इनका एक एब्सोल्यूट (Absolute Count) भी किया जाता है, जो 500 esnophils/microlitter होता है। अगर काउण्ट 500 से ज्यादा हो तो, उसे इस्नोफिलिया कहेंगे।
आयुर्वेद के अनुसार, इस्नोफिलिया बढ़ने का क्या कारण है?
जब शरीर की वात, पित्त और कफ दोष असामान्य अवस्था में हो जाते हैं तो शरीर में बहुत सारी बीमारियाँ होने लगती हैं। इसी प्रकार इस्नोफिलिया बीमारी भी कफ तथा पित्त दोष के असामान्य या बढ़ने की वजह से होता है।
ऊपर का उपाय करने के बाद भी इओसिनोफिलिया ठीक हुआ तो उसका क्या कारण हो सकता है?
अगर उपरोक्त उपायों से फायदा नहीं हो रहा है, तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपने बताए गए परहेज का पालन ठीक तरीके से नहीं किया है। यह भी हो सकता है कि इस्नोफिल्स का स्तर ज्यादा बढ़ गया है, जिसकी वजह से उपरोक्त दवाएं काम नहीं कर रही हैं।
इस्नोफिलिया होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
अगर आपको बहुत दिनों से बुखार, थकावट, मांसपेशियों में दर्द, साँस लेने में तकलीफ है। इसके साथ ही गले में सूजन और बलगम निकलने में बहुत कठिनाई हो रही हो तो उस समय तुरन्त डॉक्टर से परामर्श करें।
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