भाग-दौड़ भरी जिंदगी के कारण मांसपेशियों में दर्द या मसल्स में पेन की परेशानी से सबको एक न एक दिन जुझना ही पड़ता है। जब मांसपेशियों को उनके क्षमता के मुकाबले कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता होती है, तो इसका परिणाम दर्द हो सकता है। दर्द ऐसा है कि यह आपके दैनिक कामों में बाधा डाल सकता है और साथ ही असुविधा का कारण बन सकता है। मांसपेशियों में दर्द वर्तमान समय में आम बीमारी हो चुकी है। भयंकर व्यस्त जिंदगी के कारण मांसपेशी में दर्द की शिकायत आज लगभग सभी को रहती है। यह बहुत ही आम परेशानी है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। कई बार एसा होता है कि यह बीमारी कुछ समय के बाद अपने आप ही चली जाती है लेकिन बहुत बार इसका दर्द बहुत असहनीय होता है। परेशानी तब होती है जब यह दर्द किसी मांसपेशी में ठहर जाता है और इसे ठीक होने में फिर महीने लग जाते हैं। मांसपेशी में दर्द की शिकायत खास तौर से पीठ, कंधे और गर्दन में होती है। शरीर में फैली मांसपेशियां शरीर की ताकत होती है। ये शरीर को मजबूती देने के साथ ही लचीलापन भी देती है। ऐसे में इनमें होने वाला खिंचाव पीड़ा के साथ ही बहुत बेचैनी भी पैदा कर देता है। मसल्स में खिंचाव का मतलब है मसल्स का जरूरत से ज्यादा खिंच जाना या फट जाना। ऐसा तब होता है जब मांसपेशियों का अत्यधिक प्रयोग लगातार किया जाए, उन्हें बहुत थका दिया जाए या गलत तरीके से मसल्स का उपयोग किया जाए, मांसपेशियों के खिंचाव की समस्या यूं किसी भी मसल में हो सकती है लेकिन मुख्यतौर पर यह लोअर बैक, कंधे, गर्दन तथा घुटने के पीछे की मसल्स में ज्यादा होता है। सामान्य खिंचाव में घरेलू इलाज जैसे बर्फ की सिकाई, गर्म सिकाव या साधारण सूजन दूर करने वाली दवाओं से आराम हो सकता है लेकिन गंभीर खिंचाव के केसेज में उचित इलाज की जरूरत हो सकती है।
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आजकल की व्यस्त और भाग-दौड़ भरी दिनचर्या में मांसपेशियों में दर्द एक आम समस्या बन गई है। इसके होने से शरीर के साथ दिमाग भी डिस्टर्ब रहता है और उम्र के साथ यह परेशानी बढ़ती ही जाती है। वैसे तो मांसपेशियों का दर्द किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन तीस से चालीस वर्ष की आयुवर्ग के युवाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। मांसपेशियों में जरूरत से ज्यादा दबाव पड़ने के कारण उनमें दर्द होता है। इसके कारण मात्र कुछ विशेष मांसपेशियों में दर्द होता है जो काम करते समय या इसके बाद शुरु हो सकता है। कामकाजी युवक-युवतियों के इसकी चपेट में आने से कार्य क्षमता भी प्रभावित होती है।
मांसपेशियों में खिंचाव किसी भी व्यक्ति को परेशान कर सकता है। यह मानव की सामान्य गतिविधियों के दौरान, मांसपेशियों के अचानक उपयोग के परिणामस्वरूप होता है। ऐसी गतिविधियां जो मांसपेशियों में खिंचाव का कारण बनती है और इसके जोखिम को बढ़ा सकती है। कूदने के दौरान दौड़ते समय किसी वस्तु को फेंकने के दौरान भारी वस्तु उठाते समय एक ही स्थिति में बहुत समय तक स्थिर रहने के कारण अचानक कोई भी गतिविधि करने के दौरान ठण्ड के मौसम में मांसपेशियों में खिंचाव एक सामान्य बात है। मांसपेशियों में दर्द के कारण चिंता, तनाव, कार्य का अधिक बोझ ये सब सामान्य कारण हैं। कभी कभार तो ये थोड़े समय में सही हो जाता है लेकिन ये लंबे समय तक भी बन सकती है। जबकि किसी बीमारी की वजह से भी आपके मांसपेशियों में दर्द हो सकता है। चाहे बीमारी छोटी हो या कोई बड़ी। ऐसी बीमारियों से शरीर के किसी भी हिस्से में मांसपेशियों में दर्द की शिकायत हो सकती है। कई बार ऐसा होता है कि कोई चीज पकड़ते या उठाते हुए, सीढ़ियां चढ़ते हुए या फिर तेज भागने से मांसपेशियां खिच सकती है। इसे मांसपेशियों में खिंचाव या तनाव कहा जाता है। मांसपेशियों का ये खिंचाव हाथ, पैर, जोड़ों या पीठ में हो सकता है। इसके अलावा इससे घुटने, कंधे, कोहनी में सूजन या दर्द भी उठ सकता है। मांसपेशियों का दर्द कम और ज्यादा दोनों हो सकता है। लेकिन ये बात निश्चित है कि ऐसी स्थिति में दिक्कत तो होती है।
खून की आपूर्ति में कमी- जिन धमनियों के जरिए पैरों में खून पहुंचता है, अगर वह संकुचित हो जाएं तो इससे आपके पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन आ सकती है जिसके कारण आपको व्यायाम करते समय गंभीर दर्द महसूस हो सकता है। हालांकि, जब आप व्यायाम करना बंद कर देते हैं तो यह ऐंठन और दर्द खुद ठीक हो जाते हैं।
नसों पर दबाव- अगर रीढ़ की हड्डी की नसों पर दबाव पड़ रहा हो तो इसके कारण भी पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन और दर्द हो सकता है। यह दर्द आपके चलने के साथ-साथ और गंभीर होता जाता है। इस तकलीफ से जुड़े अपने लक्षणों को कम करने का सबसे कारगर उपाय है कि किसी एक ही तय ढंग से धीरे चला जाए। जैसे कि आपके आगे शॉपिंग कार्ट है और आप उसे ठेलते हुए धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं। इससे आपकी हालत बेहतर होगी।
आहार में खनिज कम लेना- अपने भोजन में महत्वपूर्ण खनिजों जैसे पोटेशियम, कैल्शियम और मैग्नीशियम को बेहद कम जगह देना भी पैरों की मांसपेशियों में ऐंठन की एक बड़ी वजह हो सकते हैं। हाई ब्लड प्रेशर के लिए ली जाने वाली दवा, ड्यूरेटिक्स भी इन खनिजों को सोंख कर इन की बेहद कमी कर देती है।
हमारे शरीर के सभी हिस्से मांसपेशियों में उत्तक पाए जाते हैं। इसका मतलब है कि यह दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसके बहुत सारे लक्षण होते हैं जैसे-
बहुत अधिक काम के बाद शरीर का पूरी तरह अकड़ जाना। अधिक काम के बाद शरीर पूरी तरह से थक जाता है, मांसपेशियों थक जाती हैं। शरीर को आराम चाहिए होता है। अगर अधिक काम करने के बाद शरीर अकड़े तो समझिए आपके मांसपेशियों में दर्द है।
शरीर में चोट लगना– शरीर में अगर कहीं चोट लग जाए तो यह मांसपेशी में दर्द का कारण बन सकता है, चोट चाहे अंदुरूनी हो या बाहरी। यह मांसपेशी में दर्द का बड़ा कारण है।
शरीर में दर्द– शरीर का दर्द गंभीर और दुर्बल कर देने वाला हो सकता है। ऐसे में शरीर के दर्द का पता सही समय में लगना जरूरी होता है और इसका उचित इलाज करवाकर आप मांसपेशियों के दर्द से बच सकते हैं। मांसपेशियों का दर्द एक जगह में रहने के बजाए फैलते भी हैं। इनके अलावा चोट के कारण हुआ दर्द अक्सर फैलते नहीं है और ऐसे दर्द एक जगह में सीमित रहते हैं।
ज्यादा कसरत- यदि आप कसरत शुरु कर रहे हैं तो यह आम बात है कि आप कुछ हद तक मांसपेशी दर्द का अनुभव करेंगे। मांसपेशियों में धीरे-धीरे शारीरिक गतिविधियों की बढ़ती मांग को अनुकूलित करेंगे। इसके अलावा, काम करते समय दर्द भी अनुचित तकनीक से हो सकता है।
मांसपेशियों में तनाव-मांसपेशियों की चोट आमतौर पर मांसपेशियों में तनाव आने के कारण होती हैं। मांसपेशी तनाव हल्के से गंभीर दर्द का कारण बन सकता है।
-मांसपेशियों में अचनाक दर्द की शुरुआत होना।
-मांसपेशियों में सूजन या लालिमा आना।
-आराम करने पर दर्द महसूस होना।
-पीड़ा या कष्ट होना।
-गतिविधियों में कमी या कम करने में असक्षम
-मांसपेशियों में ऐंठन
-दुर्बलता आना
मांसपेशियों के दर्द से बचने या दर्द को बढ़ने से रोकने के लिए इन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है।
-मांसपेशियों में दर्द हो तो थोड़ी चहलकदमी करें। गहरी सांस लें और दोनों हाथों को सीधा ऊपर उठाएं। यह प्रक्रिया कई बार दोहराएं। ऐसा करने से मांसपेशियों में रक्त प्रवाह में सुधार होता है, जिससे आप रिलैक्स महसूस करेंगे।
-भोजन में दूध, ताजा फल, सब्जियां आदि पौष्टिक भोजन लेना चाहिए।
-एक-दो घंटे तक काम करने के बाद थोड़ा आराम करें तथा टहलें।
-एक ही स्थिति में लंबे समय तक बैठकर काम न करें।
–मोटापे को नियंत्रित करें।
-दिनचर्या को बेहतर बनायें और दवाओं के उपयोग की जगह व्यायाम करें।
-शराब तथा सिगरेट के सेवन से बचें।
-अत्यधिक तनाव और मांसपेशियों पर अधिक जोर डालने वाले कार्य न करें।
-फास्ट फूड का सेवन कम से कम करें।
-जिम में प्रशिक्षित ट्रेनर की देख-रेख में ही व्यायाम करें।
-कोल्ड ड्रिंक का कम से कम सेवन करें, यह आपके शरीर के कैल्शियम को ठीक से पचने नहीं देता है।
-खूब पानी पिएं, कैफीन उत्पादों और अल्कोहल के सेवन से बचें, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
-भारी-भरकम शारीरिक गतिविधियों के बाद मांसपेशियों को प्रोटीन की जरूरत होती है, ताकि शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहे। ऐसे में प्रोटीनयुक्त नेचुरल खाद्य उत्पादों का सेवन करना चाहिए।
-नियमित व्यायाम या शारीरिक गतिविधियों से, शरीर को जितना लचीला बनाए रखेंगे, मसल्स उतनी ही अच्छी स्थिति में रहेगी।
-लम्बे समय तक खड़े या बैठे रहने एक ही स्थिति में रहकर किसी काम को करने या किसी भी तरह से मांसपेशियों को आवश्यकता से अधिक थकाने से बचाना।
-व्यायाम करने से पहले वॉर्म अप जरूर करना।
-एकदम से बहुत ज्यादा व्यायाम न करना।
-सही पोषण न लेना।
-शरीर को एक्टिव बनाए रखना।
चिकित्सा उपचार अक्सर घरेलू इलाज के समान ही है। इसलिए डॉक्टर मांसपेशियों में खिंचाव से ग्रस्त व्यक्ति को घर पर ही उपचार प्रक्रिया अपनाने की सलाह देते हैं। चिकित्सक द्वारा शारीरिक गतिविधि पर रोक लगाने की सिफारिश की जा सकती है। एक डॉक्टर दर्द को कम करने और मांसपेशियों की गतिविधियों में सुधार करने के लिए एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स जैसे; नेप्रोक्सेन या इबुप्रोफेन की सिफारिश कर सकता है। मांसपेशियों में दर्द के इलाज के लिए पेनकिलर्स और जेल वगैरा ढेर सारी तादाद में मौजूद हैं, पर अक्सर दर्द खत्म करने की दवाएं खाने से कई नुकसानदायक परिणाम सामने आते हैं और इससे शरीर में एसिड लेवल बढ़ जाता है और इस वजह से और भी कई परेशानियां सामने आने लगती हैं और साथ ही ये सारे उपाय जेब पर भारी पड़ने लगते हैं, इसलिए जरूरी है कि पैर दर्द से निजात पाने के लिए डॉक्टर और दवा का सहारा लेने के बजाय खुद भी कुछ कोशिश की जाए।
अनानास में ब्रोमलेन नामक एंजाइम पाया जाता है, जो मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में बहुत सहायक होता है। साथ ही यह गठिया या जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए भी बहुत उपयोगी होता है। यह पाचन क्रिया को भी सुधारता है।
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अदरक एक प्राकृतिक दर्द निवारक है, इसलिए इसे बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। ‘फूड्स दैट फाइट पेन’ पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के अनुसार, अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करती है। अदरक का रस मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम करने में मदद करता है। मांसपेशियों में दर्द होने पर तेल में अदरक का रस मिलाकर या अदरक का पेस्ट दर्द पर लगाने से दर्द और तनाव से राहत मिलती है।
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मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन की कमी से भी मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। भारी-भरकम शारीरिक गतिविधियों के बाद शरीर में ऊर्जा के स्तर को बनाये रखने के लिए मांसपेशियों को प्रोटीन की जरूरत होती है। ऐसे में प्रोटीनयुक्त प्राकृतिक खाद्य उत्पादों का सेवन करना चाहिए। इसके लिए आप अपने आहार में अंडे, चिकन, मछली, स्प्राउट्स और दालें आदि को शामिल करें।
मांसपेशियों में दर्द मिनरल जैसे कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम की वजह से होता है। इसलिए शरीर में मिनरल की कमी बिल्कुल न होने दें। दैनिक जरूरत के हिसाब से कैल्शियम लगभग 1 हजार मिलीग्राम और पोटेशियम की 4.7 ग्राम मात्रा लेनी चाहिए। केले में उच्च मात्रा में पोटेशियम होता है, साथ ही एवोकाडो, शक्करकंदी, पालक और फैट फ्री या स्किम्ड दूध भी इसके अच्छे स्रोत हैं। आप पोटेशियम की पूर्ति के लिए इसे अपने आहार में शामिल कर सकते हैं। साथ ही कैल्शियम का भी सेवन करें। दोनों मिनरल शरीर में तरल पदार्थ बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
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गुड़, काजू, पालक, कद्दू बीज, अलसी तिल बीज, आदि में मैग्निशियम प्रचुर मात्रा में होता है। शरीर में मैग्नीशियम का स्तर कम होने पर मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन की समस्या हो सकती है। मैग्नीशियम का संपूरक लें। आप अपने आहार में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल कर सकते हैं जिनमें मैग्नीशियम प्रचुर मात्रा में हों। मैग्नीशियम से समृद्ध खाद्य पदार्थों में गुड़, कुम्हड़ा और कद्दू के बीज, पालक, रसपालक, कोका पाउडर, ब्लैक बीन्स, अलसी के बीज, तिल के बीज, सूरजमुखी के बीज, बादाम और काजू शामिल हैं।
स्वास्थ्य के लिहाज से सेब का सिरका बहुत ही उपयोगी होता है। यह न केवल वजन घटाने बल्कि रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह ब्लड शुगर को स्थिर करने, त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ाने और एसिडिटी के लक्षणों से राहत देने का काम करता है। पोटेशियम में उच्च होने के नाते, कच्चे और अनफिल्टर्ड सेब के सिरके की मदद से आप मांसपेशियों में ऐंठन को कम कर सकते हैं। कम पोटेशियम लगातार मांसपेशियों की ऐंठन के सामान्य कारणों में से एक है। इसके अलावा, सेब के सिरके में कई पोषक तत्व होते हैं जो शरीर में पानी के संतुलन को नियंत्रित करने में मदद करता है, इस प्रकार यह डिहाइड्रेशन को रोकता है।
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पानी हमारी मांसपेशियों में नमी को बनाये रखने में मदद करता है। इसकी कमी से मांसपेशियों में जकड़न, दर्द आदि हो सकता है, जो वर्कआउट के दौरान बाधा बन सकता है। इसके अलावा, पानी शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में भी मदद करता है। इसके लिए छोटे व्यायाम सत्र में थोड़ा-थोड़ा कर पानी पिएं। आपको दिन में भी थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहने की आदत डालनी चाहिए, खासतौर पर सोने से पहले, क्योंकि सोते समय शरीर तरल पदार्थों को काफी मात्रा में खोता है।
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मांसपेशियों के दर्द को दूर करने में तुलसी बहुत कारगर होती है। तुलसी में वात विकार को मिटाने के प्राकृतिक गुण होते हैं। तुलसी के रस को सरसों के तेल में मिलाकर दर्द वाले स्थान पर लगाने से तुरन्त राहत मिलती है।
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लाल मिर्च में कैप्सैसिन पाया जाता है जो अर्थराइटिस, जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द से राहत पहुंचाता है। आप स्वयं पेस्ट बना सकते हैं। इसके लिए एक चौथाई या आधा टेबल स्पून लाल मिर्च को जैतून के तेल (गर्म) या नारियल के तेल में मिलाएं। इसे प्रभावित स्थान पर लगायें तथा लगाने के बाद अपने हाथ धो डालें। इसे अपनी नाक, आँखों और मुँह से दूर रखें क्योंकि इससे जलन हो सकती है।
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हल्दी को पुराने समय से दर्द निवारक के रूप में जाना जाता है। हल्दी में एक खास तत्व होता है जिसे कर्क्युमिन कहते हैं। ये तत्व दर्द और सूजन से राहत दिलाता है। इसके लिए एक ग्लास दूध में आधा चम्मच हल्दी डालें और इसे 5 मिनट हल्की आंच पर गर्म करें। अब इस दूध में एक चम्मच शहद मिलाएं और इसे पी लें। यह दूध शरीर के किसी भी हिस्से के र्द से राहत दिलाने में कारगर है।
चेरी का रस दौड़ने या बहुत अधिक व्यायाम करने के बाद मांसपेशियों में होने वाले दर्द को दूर करने में सहायक होता है। चेरी में एंथोक्यनिंस नामक एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो जलन को कम करता है। दर्द और जलन को कम करने के लिए चेरी का खट्टा रस पीयें। इससे पैरों और हाथ की मांसपेशियों में होने वाले दर्द से आराम मिलेगा।
जिस मांसपेशी में ऐंठन आई हो उसे स्ट्रेच करें और हल्के-हल्के सहलाएं। अगर पिंडली की मांसपेशी में ऐंठन आई हो तो शरीर का वजन उस पैर पर डालें और अपने घुटने को मोड़ने की कोशिश करें। खड़े नहीं हो पा रहे हो तो जमीन या किसी कुर्सी पर बैठ जाएं और पैर को सीधा और चौड़ा रखकर स्ट्रेच करें।
बारी-बारी गर्म और ठंडे पानी से स्नान करने से दर्द से तेजी से आराम मिलता है। इससे प्रभावित स्थान का रक्त परिसंचरण बढ़ता है, सूजन और दर्द कम हो जाता है। ठंडा स्नान दर्द वाले स्थान को सुन्न कर देता है तथा गर्म स्नान मांसपेशियों को आराम देता है, ऐंठन को दूर करता है तथा सम्पूर्ण शरीर के तनाव को कम करता है। पानी में सुगन्ध वाले तेल जैसे; लैवेंडर, यूकेलिप्टस और बरगामोट मिलाने से अतिरिक्त लाभ होता है।
गर्म सिंकाई का उपयोग मोच या ऐंठन, मांसपेशियों में जकड़न या ऐंठन के उपचार में किया जाता है। अच्छा होगा कि गंभीर चोटों में हीट थेरेपी का उपयोग न किया जाए क्योंकि इसके कारण सूजन बढ़ सकती है और असुविधा हो सकती है। गर्मी से मांसपेशियों के दर्द में आराम मिलता है, मांसपेशियों की जकड़न कम होती है और मांसपेशियों का तनाव कम होता है। गर्मी प्रभावित स्थान पर रक्त परिसंचरण बढ़ाती है से चोट लगे हुए स्थान पर रक्त परिसंचरण बढ़ जाता है जिससे मांसपेशियों की चोट से भी आराम मिलता है।
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अधिक वजन होने से भी कमर, घुटने की मांसपेशियों में दर्द की समस्या होती है। वजन बढ़ने से रीढ़ और टांगों पर तनाव पड़ता है, जिससे कमर और घुटने में दर्द शुरु हो जाता है। इसलिए मांसपेशियों में होने वाले दर्द को कम करने के लिए सबसे पहले वजन को कम करें। अजवाइन मोटापे कम करने में उपयोगी होती है। रात में एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में भिगो दें। सुबह छान कर एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से लाभ होता है। प्रात: गुनगुने पानी में नींबू शहद के नियमित सेवन से भी मोटापा कम होता है।
मांसपेशी में दर्द होने पर जब ये सारे लक्षण नजर आने लगे तब डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करना चाहिए-
-बेचैनी महसूस हो
-पैर में सूजन, त्वचा का लाल पड़ना
-मांसपेशियों में कमजोरी महसूस हो
-गंभीर दर्द के लिए पेशेवर चिकित्सा सहायता की आवश्यकता हो सकती है। उपभेदों या टूटे हुए अस्थिबंधन, मांसपेशियों की मरम्मत के लिए शल्य चिकित्सा की आवश्यकता हो सकती है। यदि लक्षण लगातार बढ़ते या बिगड़ जाते हैं तो तुरन्त अपने चिकित्सक से परामर्श लें।
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