क्या आप जानते हैं जब बच्चों को निमोनिया होता है तो उनकी हालत बहुत गंभीर हो जाती है? क्या आप यह जानते हैं कि निमोनिया के कारण हर साल दुनिया भर में हजारों बच्चों की मृत्यु हो जाती है? क्या आपको यह पता है कि यह बीमारी बच्चों सहित वयस्क लोगों को भी हो सकती है? जी हां, यह सच है। निमोनिया एक गंभीर बीमारी है। इस रोग में फेफड़ों में सूजन आ जाती है। फेफड़ों में पानी भर जाता है। सही समय पर लक्षणों की पहचान कर उपचार शुरू नहीं करने पर यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। क्या आप निमोनिया के लक्षणों के बारे में जानते हैं?
आइए आपको निमोनिया के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज के बारे में बताते हैं ताकि आप इन सभी उपायों से निमोनिया का घरेलू इलाज कर सकें।
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निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है। यह बैक्टीरिया, वायरस अथवा पेरासाइट्स के कारण भी हो सकता है। इसके अलावा निमोनिया सूक्ष्म जीव, कुछ दवाओं, और अन्य रोगों के संक्रमण से भी हो सकता है।
निमोनिया होने पर ये लक्षण हो सकते हैंः-
छोटे बच्चों को निमोनिया होने पर ये लक्षण सामने आते हैंः-
निमोनिया के पाँच प्रकार निम्न हैं-
बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia)
यह विभिन्न बैक्टीरिया जैसे- स्ट्रेप्टीकोकस निमोने के कारण होता है। यह तब होता है, जब शरीर कमजोर हो जाता है। किसी तरह की बीमारी, पोषण की कमी, बुढ़ापा आदि में बैक्टीरिया से ग्रस्त होने पर निमोनिया हो सकता है। बैक्टीरियल निमोनिया सभी उम्र को प्रभावित कर सकता है।
वायरल निमोनिया (Viral Pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया इन्फ्लूएंजा (फ्लू) सहित विभिन्न वायरल के कारण होता है। यदि आपको वायरल निमोनिया है तो बैक्टीरियल निमोनिया होने की अधिक संभावना है।
माइकोप्लाज्मा निमोनिया (Mycoplasma Pneumonia)
इसके कुछ अलग लक्षण होते हैं। यह माइकोप्लासम निमोने नामक जीवाणु के कारण होता है।
एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration Pneumonia)
इस प्रकार का निमोनिया किसी भोजन, तरल पदार्थ या धूल से होता है। निमोनिया के इस प्रकार को कभी-कभी ठीक करना मुश्किल हो जाता है।
फंगल निमोनिया (Fungal Pneumonia)
यह विभिन्न स्थानों या अन्य कारणों जैसे- फंगस से होता है।
निमोनिया होने के निम्न कारण हो सकते हैंः-
आप निमोनिया का घरेलू इलाज करने के लिए निम्न उपाय कर सकते हैंः-
एक कप दूध में चार कप पानी डालें। इसमें आधा चम्मच लहसुन डालकर उबाल लें। उबलने के बाद जब यह चौथाई (¼) रह जाए तो दिन में दो बार सेवन करें।
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भाप लेने से संक्रमण में कमी आती है। इससे रोगी की सांस लेने की क्षमता भी बेहतर होती है। भाप से खांसी कम होती है, और छाती की जकड़न भी दूर हो जाती है।
सरसों के गुनगुने तेल में हल्दी का पाउडर मिलाएं। इससे अपनी छाती पर मसाज करें। इससे निमोनिया से बचाव होता है। यह लाभ पहुंचाता है।
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तुलसी के पत्तों के रस में ताजी पिसी काली मिर्च मिलाएं। हर छह घण्टे बाद इसका सेवन करें। यह आपको निमोनिया से राहत पहुंचाने में मदद करेगा।
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पुदीना जलन और बलगम को कम करता है। पुदीने की ताजा पत्तियां लेकर चाय बनाएं। यह निमोनिया की दवा के रूप में काम करता है।
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गाजर के जूस में कुछ लाल मिर्च डालकर पी सकते हैं। यह दोनों ही निमोनिया के इलाज के लिए मददगार होते हैं। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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एक कप पानी में मेथी के दाने, एक चम्मच अदरक का पेस्ट, एक लहसुन की कली और थोड़ी-सी काली मिर्च डालें। इसे पांच मिनट तक उबाल लें। इसमें आधा चम्मच शहद भी मिला लें। दिन में 3 से 4 बार इसका सेवन करें।
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एक कप पानी में एक चम्मच तिल को उबालें। इसे छानकर एक चम्मच शहद और थोड़ा सा नमक मिला लें। इस मिश्रण का रोज सेवन करें।
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लौंग को भूनकर पीस लें। 1/2 – 1 ग्रा. की मात्रा में शहद के साथ रोज 3-4 की मात्रा में चटायें। इससे चमत्कारिक लाभ होगा।
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2 रत्ती हींग, एक मुनक्के में भर कर रोगी को कुछ दिन खिलाते रहें। इससे न्यूमोनिया अवश्य ठीक होगा। बेहतर लाभ के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।
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निमोनिया होने पर आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
निमोनिया होने पर आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
निमोनिया होने पर आपको इन बातों से परहेज करना चाहिएः-
निमोनिया रोग जल्दी ठीक नहीं होने का क्या कारण हो सकता है
निमोनिया एक गंभीर रोग है। यह फेफड़ों से जुड़ा एक संक्रामक रोग है। इसमें सर्दी, जुकाम, बुखार इत्यादि अनेक लक्षण देखने को मिलते हैं। इसमें रोगी को खास ध्यान रखना चाहिए। आयुर्वेदिक उपायों को रोज करते समय परहेज का खास ध्यान रखना चाहिए। ज्यादा मसालेदार, ठण्डी और बाहर की चीजें नहीं खाना चाहिए। यदि आयुर्वेदिक उपाय को सही तरीके से परहेज के साथ न किया जाए तो रोगी को फायदा नहीं मिलता।
क्या निमोनिया मौसम के बदलाव के कारण भी होता है?
जी हाँ! मौसम के बदलाव के कारण निमोनिया हो सकता है। बदलते मौसम के साथ वातावरण एवं हमारे शरीर के तापमान में बदलाव आता है। ठण्ड में रहने, खाने या पीने से भी निमोनिया हो सकता है।
निमोनिया किस उम्र वर्ग के लोगों को होता है?
बुखार या जुकाम होने के बाद निमोनिया होता है। खासकर 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को निमोनिया होने की संभावना रहती है, क्योंकि इनकी इम्युनिटी कम होती है।
निमोनिया के कारण दूसरी कौन-सी बिमारियां हो सकती हैं?
निमोनिया का सही समय पर इलाज नहीं कराया गया तो ये परेशानियां हो सकती हैंः-
निमोनिया होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
निम्न स्थिति में डॉक्टर से जल्द से जल्द सम्पर्क करना चाहिए, अन्यथा परिणाम घातक हो सकते हैं।
बच्चों को निमोनिया होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
कुछ बच्चों में निमोनिया गंभीर रूप ले लेता है। बच्चों को अस्पताल में उपचार की जरूरत होती है। निम्न स्थितियों में बच्चों को अस्पताल लेकर जाएं-
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