बच्चे का पहला दांत आना हर माँ-पिता के लिए खुशी का खबर होता है। पहला दांत आने का मतलब यह होता है कि शिशु ठोस खाना खाने के तरफ अग्रसर होने लगा है। बच्चे के लिए उनका दांत आना उनके कष्ट का सबब बन जाता है, क्योंकि दांत आते ही बच्चे को दर्द, बुखार और बेचैनी का सामना करना पड़ता है, लेकिन आयुर्वेद में ऐसे घरेलू उपचार हैं जिनके मदद से बच्चों को इस परेशानी से थोड़ी-सी राहत मिल सकती है। चलिये आगे इन घरेलू उपचारों के बारे में जानने से पहले “दूध का दांत” आने के प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
Contents
शिशु के दाँत निकलने का मतलब यह होता है कि अब शिशु कुछ खा पायेगा। लेकिन दाँत निकलने के समय बहुत परेशानियां भी होती हैं। दाँत निकलते समय बच्चों को दस्त या अन्य कई छोटी-मोटी परेशानियां होती हैं। बच्चों के दाँत निकलना एक आम बात है। ये दाँत अक्सर “दूध के दाँत’’ के नाम से जाने जाते हैं। जब बच्चों के दाँत निकलते हैं तब उन्हें बेहद परेशानी होती है और दाँत निकलना बेचैनी और दर्द का कारण बन जाता है।
शिशु के दांत आने के समय सिर्फ दर्द और बेचैनियों का ही सामना नहीं करना पड़ता है बल्कि और भी आम समस्याएं है । असल में दाँत निकलते समय बच्चों में कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। यदि बच्चा कमजोर है तो उसे अधिक समस्याएं होने लगती हैं।
–दाँत निकलते वक्त बच्चा दस्त से ज्यादा पीड़ित रहता है।
-कुछ बच्चे कब्ज से परेशान रहते हैं, जिसके कारण पेट दर्द होता है।
-दाँत निकलते वक्त बच्चों के मसूढ़ों में खुजली, सूजन और दर्द रहता है। गंदी बोतलों से दूध पीने या मिट्टी खाने वाले बच्चे दांत निकलते समय ज्यादा बीमार पड़ते हैं।
-बच्चों में दाँत निकलते समय उनका सिर गर्म रहने लगता है, आँखें दुखने लगती हैं और बार-बार दस्त आता है।
-बच्चों के मसूढ़े सख्त हो जाते हैं, उनमें सूजन भी आ जाती है।
-इस दौरान बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है, अक्सर रोता भी रहता है।
-बच्चों के मसूढ़ों के मांस को चीर कर दांत बाहर निकलते हैं, इसलिए उनमें दर्द और खुजली होती है। इस तकलीफ से राहत पाने के लिए वह इधर-उधर की चीजें उठा कर उन्हें चबाने की कोशिश करते हैं।
बच्चे के दाँत निकलने पर बच्चे के मसूड़ों में खारिश होने लगती है। जिसके कारण वह किसी भी चीज को उठाकर मुँह में डालने लगता है और कई बार साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखने पर बच्चे का पेट उस बैक्टेरिया के कारण संक्रमित हो जाता है जिसके कारण बच्चे का पेट खराब हो जाता है। जिसके कारण बच्चे को उल्टी व दस्त की समस्या हो जाती है। ऐसे में इस समस्या से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए, ऐसा करने से वह किसी गंभीर बीमारी में परिवर्तित नहीं होती है।
शिशुओं को दांत आने की समस्या से बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी होता है।
-शिशु को दूध का सेवन करवाने से परहेज करें।
-बच्चे को फास्ट फूड और अधिक तले हुए खाद्य पदार्थों को पचाने में बहुत अधिक परेशानी होती है। इसलिए बच्चों को इन सब चीजों से दूर रखें।
-बच्चों को अधिक फैट वाले खाद्य पदार्थों को पचाने में बहुत अधिक परेशानी होती है।
-बेकरी वाले खाद्य पदार्थ जैसे कुकीज, बिस्किट और केक बुखार के दौरान नुकसानदायक होते हैं।
-कार्बोनेटेड पेय पदार्थ भी बहुत ज्यादा हानिकारक होते हैं। इसलिए ऐसे पदार्थों को न पीने दें।
बच्चों को दांत के समय का डायट-चार्ट (Diet Chart During Teething)
शिशु के दूध के दांत निकलते समय उनका आहार तालिका ऐसा होने से पेट संबंधी समस्याओं को कुछ हद तक नियंत्रण में लाया जा सकता है, इससे बुखार आदि समस्याएं भी कम हो सकती हैं।
-बच्चों को दांत निकलते वक्त बुखार होने पर उनको केला, उबला हुआ सेब, संतरे का जूस, दाल, खिचड़ी आदि खाने को देना चाहिए।
-दांत निकलने के दौरान बच्चे को ऐसी चीजें दे, जिनमें कैल्शियम, प्रोटीन, आयरन, विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।
-बच्चे को मल्टी विटामिन ड्रॉप्स, जैसे विटामिन-डी-3 देना चाहिए। अगर दस माह तक के बच्चों के दांत नहीं निकले हैं तो बच्चों को कैल्शियम सिरप दें।
और पढ़ें: वायरल बुखार के घरेलू इलाज
-इस दौरान बच्चों को चबाने के लिए प्लास्टिक के खिलौने देते हुए, इस बात का ध्यान रखें कि खिलौने गर्म पानी से धुले हों ताकि उनमें किसी तरह के कीटाणु न हों।
-बच्चे को ओ.आर.एस. का घोल बनाकर पिलाएं।
-केला, सेब, आलू जैसे नरम खाद्य पदार्थों का सेवन करवायें।
-माथे पर ठंडे पानी में डुबाई पट्टियां रख सकते हैं।
-हरि पत्तेदार सब्जियों का सूप बनाकर पिला सकते हैं।
-थोड़ी-थोड़ी देर बाद पानी का सेवन करवाएं।
और पढ़े- केला सेहत के लिए कितना है फायदेमंद
शिशुओं को दूध का दांत आने के समय इन घरेलू नुस्ख़ों को अपनाने से कुछ हद से कष्ट से आराम मिल सकता है-
एक लम्बी गाजर को धोकर छीलें। 15 से 20 मिनट के लिए फ्रिज में रख कर ठण्डा करें और उसके बाद अपने बच्चे को दें। गाजर के अलावा, आप अपने शिशु को ठण्डा खीरा या सेब का टुकड़ा भी दे सकती हैं।
और पढ़े- जानें पेट के रोगों के लिए गाजर का फायदे
कभी-कभी मसूड़ों की मालिश से बच्चों को दांत निकलने की परेशानी में बहुत मदद मिलती है। मसूड़ों पर हल्का दबाव दर्द को कम और बच्चों को शांत करने में मदद करता है। अपनी अंगुली अच्छे से साफ करें या एक मुलायम-सा कपड़ा लें और कुछ सेकेंड के लिए अपने बच्चे के मसूड़ों को रगड़ें। आपके शिशु को शुरुआत में शायद अच्छा न लगे परन्तु बाद में राहत महसूस होगी।
बबूने का फूल एक वर्ष से अधिक उम्र के शिशुओं में दाँत निकलने की परेशानी में बहुत मदद कर सकता है। इसमें सूजन को कम करने वाले गुण हैं जो कि दर्दनाक नसों को आराम देने में मदद करते हैं। आधा चम्मच सूखे कैमोमाइल फूलों को एक कप गर्म पानी में मिलाएं। इसको छाने और इस चाय का एक छोटा चम्मच अपने बच्चे को हर एक या दो घण्टे बाद दें।
और पढ़े- दांत दर्द के लिए घरेलू नुस्ख़ो के बारे में जानिये
बुखार में हमें दस्त, उल्टी, पसीना जैसी परेशानियां भी होती हैं जिनसे राहत पाने के लिए केले का सेवन करना फायदेमंद है। बच्चों को ताजे फलों के रस का सेवन करवाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहता है। ताजे फल जैसे संतरे, तरबूज, अनानास, कीवी आदि में विटामिन-सी और एंटी-ऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं।
काली मिर्च और तुलसी के काढ़े का सेवन करने से बुखार में लाभ मिलता है।
और पढ़े – बुखार में शिवलिंगी से लाभ
-हरी सब्जियों का सेवन करवाएं। भाप से पकी हुई या उबली हुई सब्जियों का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। सूप को आहार में शामिल करें जैसे टमाटर, पालक आदि का सूप पीना काफी फायदेमंद है।
-बुखार के दौरान बच्चों के आहार में प्रोटीन शामिल करें। ऐसा करने से रोग प्रतिरोधक प्रणाली मजबूत बनती है। अंडा का सेवन करें क्योंकि इसमें अच्छी मात्रा में प्रोटीन होता है तथा यह सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में भी मदद करता है।
-आप दलिया को दूध में डालकर भी खिला सकते हैं। दलिया के सेवन से आपको प्रोटीन और पोषक तत्व दोनों साथ में मिलेंगे।
-दोपहर या रात के समय मूंग दाल की खिचड़ी खिला सकते हैं। इससे अपच की समस्या नहीं होगी और यह जल्दी भी पच जाएगी। यह बुखार में सबसे अच्छा आहार मानी जाती है।
और पढ़े: दांत दर्द में पेपरमिंट के फायदे
शहद में शक्तिशाली जीवाणुरोधी गुण (antibacterial) होते हैं क्योंकि इसमें शहद बहुत अधिक लाभदायक होता है। खासकर जब आपके गले में खराश हो तो शहद और भी फायदेमंद है।
शरीर में पानी की कमी होने के कारण बैक्टीरिया ज्यादा पनपते हैं। ज्यादा पानी पीने से सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या बढ़ती है और यह अपना काम अच्छे से करते हैं। इसके अलावा पानी ज्यादा पीने पर शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थ भी बाहर निकल जाते हैं।
कुछ बीमारियों के दौरान शरीर में पानी की कमी देखी जाती है। बुखार में अधिक पसीना निकलना, उल्टी होना और दस्त की समस्या होती है, जिनके वजह से पानी की कमी हो जाती है। इसलिए बुखार के दौरान नारियल पानी पीना बहुत फायदेमंद है क्योंकि इसमें ग्लूकोज और इलेक्ट्रोलाइट्स दोनों मौजूद होते हैं, साथ ही साथ नारियल पानी स्वादयुक्त और मीठा भी होता है, जिसे बुखार के दौरान आप आसानी से पी लेते हैं।
और पढ़ें – बुखार में कॉफ़ी के फायदे
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…