किसी भी वायरस की वजह से होने वाला बुखार वायरल होता है। यह विशेषकर मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है, जब भी मौसम बदलता है तब तापमान के उतार-चढ़ाव के कारण हमारे शरीर की प्रतिरक्षी तंत्री कमजोर पड़ जाती है और शरीर जल्दी वायरस के संक्रमण में आ जाता है।
इसको ऐसे भी कह सकते हैं कि मौसम में बदलाव, खान-पान में गड़बड़ी या फिर शारीरिक कमजोरी की वजह से भी वायरल बुखार होता है। वायरल बुखार हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर कर देता है, जिसकी वजह से वायरल के संक्रमण बहुत तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान तक पहुंच जाते हैं। आमतौर पर वायरल बुखार के लक्षण आम बुखार जैसे ही होते हैं लेकिन इसको उपेक्षा करने पर व्यक्ति की हालत काफी गंभीर हो सकती है।
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वायरल फीवर संक्रमण से होने वाली बीमारी है। आयुर्वेद के अनुसार वायरल फीवर होने पर शरीर के तीनों दोष प्रकूपित होकर विभिन्न लक्षण दिखाते है। विशेषकर इसमें कफ दोष कूपित होकर जठराग्नि को मंद या भूख मर जाती है।
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आम तौर पर वायरल फीवर मौसम के बदलने पर प्रतिरक्षा तंत्र के कमजोर होने पर होता है। लेकिन इसके सिवा और भी कारण होते है जिनके कारण बुखार आता है।
वायरल फीवर के लक्षण सामान्य रूप से होने वाले बुखार की तरह ही लेकिन इसको नजरअन्दाज करने से अवस्था गंभीर हो सकती है क्योंकि इलाज के अभाव में वायरस के पनपने की संभावना रहती है। यह हवा और पानी से फैलने वाला संक्रमण है, यह बरसात के मौसम में ज्यादा होता है।
वायरल संक्रमण किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन बच्चों में यह अधिक देखा जाता है। मौसम में बदलाव आने के कारण बच्चों में वायरल बुखार होने की संभावना ज्यादा होती है क्योंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता पूरी तरह से विकसित नहीं होती। ऐसे में बच्चों में थकावट, खाँसी, जुकाम, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिलते है और तापमान अधिक होने के कारण डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
इसके अलावा और भी कुछ आम लक्षण होते हैं-
आमतौर पर यह 3-4 दिनों तक रहता है परन्तु इलाज के अभाव में यह 12-14 दिन तक भी रह सकता है।
अब तक आपने वायरल फीवर होने के लक्षण और कारणों के बारे में जाना। लेकिन कुछ सावधानियां बरतने पर यानि जीवनशैली में और खान-पान में थोड़ा बदलाव लाने पर इस रोग को होने से रोक सकते हैं।
आम तौर पर वायरल फीवर राहत पाने के लिए घरेलू नुस्ख़ो को ही अपनाया जाता है। इनमें वह चीजें होती हैं जो आसानी से घर में मिला जायें या उसको इस्तेमाल करने का तरीका आसान हो। चलिये इनके बारे में विस्तृत से जानते हैं।
वायरल बुखार एक वायरस से संक्रमित समस्या है अत इसमें एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए। यह बुखार कस से कम 3-4 दिन तथा ज्यादा से ज्यादा दो सप्ताह तक रह सकता है। वायरल बुखार के लिए आयुर्वेदीय चिकित्सा श्रेष्ठ है, यह कूपित दोषों को समावस्था में लेकर आती है।
वायरल बुखार में होने वाले दर्द में अदरक बेहद लाभदायक होता है। अदरक के पेस्ट में थोड़ा शहद मिलाकर थोड़ी-थोड़ी देर में लेने से आराम मिलता है।
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मेथी के दानों को एक ग्लास पानी में डालकर रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह इस पानी को छानकर रख लें। इस पानी का सेवन हर दो घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करें।
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वायरल फीवर में दालचीनी एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक का काम करता है, इससे खाँसी-जुकाम एवं गले में दर्द जैसे लक्ष्णों में आराम मिलता है। एक कप पानी में एक छोटा चम्मच दालचीनी पाउडर और दो इलायची डाल लें और इसको पाँच मिनट तक उबाल लें। इसे छानकर गरम ही पिएँ।
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धनिया के बीज वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को बढ़ाते है। धनिया में पाया जाने वाला वाष्पशील तेल प्रभावी रूप से वायरल फीवर को ठीक करता है।
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एक कप पानी में दो छोटी चम्मच किशकिश डालें और फूलने दें। आधे घंटे के बाद इसे इसी पानी में पीस लें और छान लें और इसमें आधे नींबू का रस मिलाकर पी लें।
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5-7 तुलसी के पत्ते और एक चम्मच लौंग पाउडर को एक लीटर पानी में उबाल कर रख लें। हर दो घंटे के अंतराल में आधा कप की मात्रा में इसको पिएँ।
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एक अंगुल मोटी या 4-6 लम्बी गिलोय को लेकर 400 मि.ली. पानी में उबालें। 100 मि.ली. शेष रहने तक इस उबालें और पिएँ। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है तथा बार-बार होने वाली सर्दी-जुकाम व बुखार नहीं होते।
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एक चम्मच काली मिर्च का चूर्ण, एक छोटी चम्मच हल्दी का चूर्ण और एक चम्मच सौंठ के पाउडर को एक कप पानी और थोड़ी चीनी डालकर उबाल लें। जब यह पानी उबलने के बाद आधा रह जाए तो इसे ठंडा कर के पिएँ।
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2-4 लौंग को पीस कर पाउडर तैयार कर लें अब इसे एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर दिन में तीन बार लें।
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वायरल बुखार होने अंगों में दर्द एवं ऐंठन होने लगती है ऐसे में लहसुन के साथ पकाए हुए सरसों के तेल से हाथ-पैरों में मालिश करें।
काकड़ासिंगी और पीपल का चूर्ण लें, इन्हें बराबर मात्रा में मिलाएँ और आधे चम्मच की मात्रा में एक चम्मच शहद के साथ बच्चों को खिलाएँ। इस प्रयोग को दिन में दो बार करें।
आम तौर पर वायरल फीवर आम बीमारी माना जाता है लेकिन जब इसके लक्षण जटिल हो जाये और एक हफ़्ते से ज्यादा दिनों तक फीवर कम नहीं हो रहा है तो डॉक्टर से सलाह ले लेना जरूरी होता है।
आम तौर पर वायरल फीवर होने पर किसी टेस्ट की जरूरत नहीं होती किन्तु यदि बुखार कम न हो डॉक्टर कंप्लीट ब्लड काउन्ट (Complete blood count) कराने की सलाह देते है ताकि रक्त में इंफेक्शन के होने का पता चल सके। कंप्लीट ब्लड काउन्ट (CBC) से यदि स्थिति साफ न हो तो डॉक्टर द्वारा वायरल एन्टीजेन टेस्ट (Viral antigen test) या पॉलीमिरेज चेन रियेक्शन (Polymerase chain reaction) कराने की सलाह दी जाती है।
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