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Jaitun: जैतून के हैं बहुत चमत्कारिक लाभ- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

जैतून (Jaitoon/Zaitoon) आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। आज हर डॉक्टर अच्छे स्वास्थ्य के लिए जैतून के तेल के सेवन की सलाह देते हैं। हृदय रोग हो या फिर ब्लड प्रेशर की समस्या, हर किसी को जैतून का तेल खाने की सलाह दी जाती है। सामान्यतः आप केवल जैतून तेल (jaitun tel ke fayde) के बारे में ही जानते हैं, जैतून वनस्पति के बारे में नहीं। आपको पता होना चाहिए कि जैतून (Zaitoon) का केवल तेल ही लाभकारी नहीं है बल्कि जैतून (olive oil in hindi) के फल, पत्ते, जड़ आदि से भी अनेक बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। आइये, जानते हैं कि जैतून के गुणों, लाभों और विभिन्न बीमारियों में उसके प्रयोग के बारे में।

जैतून (olive oil in hindi) स्वाद में कसैला होता है और वात तथा पित्त को शान्त करता है। यह रेचक यानी मल को निकालने वाला, शरीर को बल देने वाला और पेशाब लाने वाला होता है। जैतून (jaitun)घावों में पीव यानी पस नहीं बनने देता और रक्त को पतला करता है। जैतून का फल भूख बढ़ाता है, लीवर की समस्याएं दूर करता है। मासिक धर्म लाता है, एक्जिमा रोग को ठीक करता है और प्यास, जलन दूर करने के साथ ही आँखों के लिए भी लाभदायक (zaitun oil benefits) होता है।

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Contents

जैतून क्या है (What is Olive?)

जैतून का वृक्ष (jaitun)ढेर सारी शाखाओं वाला लगभग 15 मी ऊँचा सदाहरित वृक्ष होता है। इसकी शाखाएँ पतली तथा छाल भूरे-सफेद रंग की और लगभग चिकनी होती है। इसके पत्ते अमरुद के पत्ते के समान 5 से 6.3 से.मी. लम्बे, अलग-अलग चौड़ाई और नुकीले होते हैं। पत्ते दोनों ओर से चिकने और ऊपर से पीलापन लिए हरे रंग के तथा नीचे से चमकदार सफेद रंग के होते हैं।

इसके फूल सुगन्धित, छोटे, हरापन लिए सफेद अथवा पीलापन लिए हरे रंग के तथा चिकने होते हैं। इसके फल गोल अण्डाकार, 1.3 से 2.5 से.मी. लम्बे, प्रारंभिक अवस्था में हरे रंग के फिर लाल तथा पकने पर बैंगनी या नीलापन लिए काले रंग के होते हैं। कच्चे फलों का प्रयोग अचार एवं सब्जी आदि बनाने के लिए किया जाता है।

जैतून में फूल और फल लगने का समय अक्टूबर से अप्रैल तक होता है। जैतून के फलों से तेल निकाला जाता है। यह तेल साफ तथा पारदर्शी, सुनहरे रंग का तथा हल्का गंधयुक्त होता है। यह तेल खाने और लगाने दोनों के ही काम आता है। जैतून के तेल (jaitun tel ke fayde) के ढेर सारे फायदे हैं।

अनेक भाषाओं में जैतून के नाम (Names of Olive in Different Languages)

जैतून का वानस्पतिक यानी लैटिन भाषा में नाम है ओलिया यूरोपिया (Olea europaea Linn.)। यह ओलिएसी कुल (Oleaceae) का पौधा है। इसका अंग्रेजी, विभिन्न भारतीय भाषाओं तथा विविध भाषाओं में नाम निम्नानुसार हैः-

Olive in –

  • English – ओलिव (Olive), ओलिएस्टर (Oleaster), वाइल्ड ओलिव (Wild olive)
  • Hindi – जैतून, काऊ, कान
  • Urdu – जैतून (Zaitun)
  • Kannada – जूलिपे (Julipe)
  • Tamil –  ओलिवू (Olivu), साइदून (Saidun)
  • Telugu – जैतून (Jaitun)
  • Nepali – कांडेलोटो (Kandeloto)
  • Arabic – जायतून (Zaytoon), जैतून (Zaytun)
  • Persian – जेइतून (Zeitun)

जैतून के फायदे (Jaitun Benefits and Uses)

आमतौर पर जैतून के तेल (jaitun tel ke fayde) का प्रयोग ही सबसे अधिक प्रचलित है। जैतून का तेल खाया भी जाता है और बालों तथा शरीर में लगाया भी जाता है,कहने का मतलब यह है कि जैतून के तेल के फायदे अनगिनत हैं। जैतून का तेल (Jaitun Ka Tel) लगाए जाने पर बालों के लिए, शरीर की हड्डियों के लिए, नाखूनों के लिए काफी लाभदायक है। इससे बाल झड़ना कम होता है, नाखून चमकदार हो जाते हैं और हड्डियां मजबूत होती हैं, यानि जैतून का तेल बालों के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इसलिए नवजात शिशुओं को जैतून तेल से मालिश करने के लिए इस तेल का काफी प्रयोग किया जाता है। फिगारो तेल (Figaro Oil in Hindi) के नाम से शिशुओं के लिए जैतून (jaitun oil) का तेल काफी बिकता है। आयुर्वेद में इसकी और भी ढेर सारे प्रयोगों का वर्णन है। यहाँ प्रस्तुत है विभिन्न बीमारियों में जैतून के प्रयोग की विधियांः-

गंजेपन की समस्या में जैतून का प्रयोग फायदेमंद (Use of Olive in Cure Baldness in Hindi)

आज के समय में बालों का झड़ना एक आम समस्या है। बाल अधिक तेजी से झड़ते हैं तो गंजापन की समस्या आ जाती है। ऐसे में जैतून का प्रयोग गंजोपन की परेशानी को ठीक करता है। जैतून के कच्चे फलों को जलाकर उसकी राख में शहद मिला लें। इसे सिर में लगाने से सिर के गंजेपन तथा सिर में होने वाली फुन्सियों की समस्या में लाभ होता है।

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कान के दर्द में जैतून के उपयोग से लाभ (Olive Benefits in Treating Ear Problems in Hindi)

कानों का दर्द बच्चों को होने वाली एक आम बीमारी है। 5 मिली जैतून के पत्तों के रस को गुनगुना करके उसमें शहद मिला लें। इसमें 1-2 बूंद कान में डालने से कान का दर्द दूर (zaitun oil benefits) होता है।

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मुँह के रोग में जैतून से फायदा (Benefits of Olive in Mouth Ulcers Treatment in Hindi)

जैतून के कच्चे फलों को पानी में पकाकर उसका काढ़ा बना लें। इस काढ़े से गरारा करने पर दांतों तथा मसूड़ों के रोग ठीक होते हैं। इससे मुंह के छाले भी मिटते हैं।

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जैतून से सर्दी-खाँसी का इलाज (Olive Cures Cough & Cold in Hindi)

जैतून के तेल (jaitun oil) को छाती पर मलने से सर्दी, खांसी तथा कफ के कारण होने वाली अन्य समस्याएं ठीक होती हैं।

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पेचिश में लाभकारी है जैतून का प्रयोग (Olive Benefits to Stop Dysentery in Hindi)

जैतून के पत्तों को पीसकर जौ के आटे में मिला लें। इसमें कुछ पानी डालकर नाभि पर लेप करने से बारंबार होने वाले दस्त बंद हो जाते हैं।

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जैतून के इस्तेमाल से मूत्र रोग (पेशाब से जुड़ी समस्याएं) में लाभ (Olive Helps in Urine Problems in Hindi)

पेशाब यदि खुल कर न आता हो या फिर पेशाब करने में जलन या फिर दर्द होता हो तो जैतून के पत्तों का काढ़ा काफी लाभकारी होता है। 5-10 मि.ली. काढ़ा प्रतिदिन पीने से पेशाब की सभी प्रकार की कठिनाइयों में लाभ (zaitun oil benefits) होता है। इससे मधुमेह भी ठीक होता है।

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जोड़ों के दर्द में फायदेमंद है जैतून तेल का उपयोग (Olive Relieves from Joint Pain in Hindi)

जैतून का तेल (jaitun oil) वात से होने वाली बीमारियों में भी काफी प्रभावकारी है। वात की बीमारियां साधारणतः जोड़ों के दर्द की होती हैं। जैतून की जड़ को पीसकर जोड़ों पर लगाने से आमवात यानी कि गठिया की बीमारी में लाभ होता है। जैतून के बीज के तेल (jaitoon tel) को लगाने से गठिया तथा जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

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घावों को सुखाने के लिए करें जैतून का प्रयोग (Olive Cures Wounds in Hindi)

जैतून घावों पर काफी प्रभावकारी है। जैतून के बीज के तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है। जैतून के कच्चे फलों को पीसकर घावों पर या पुराने जख्मों पर लेप करने से भी घाव जल्दी भर (zaitun oil benefits) जाते हैं। जैतून के पत्तों के चूर्ण में शहद मिलाकर घावों पर लगाने से घाव जल्दी भरते हैं।

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चर्म रोगों में प्रभावी है जैतून का उपयोग (Benefits of Olive in Skin Problems in Hindi)

  • जैतून चर्म रोगों और चेहरे के दाग-धब्बों को मिटाने में काफी प्रभावकारी है।
  • जैतून के कच्चे फलों को पीसकर लगाने से चेचक और दूसरे फोड़े-फुन्सियों के निशान मिटते हैं।
  • जैतून के पत्तों को पीसकर लेप करने से पित्ती, खुजली और दाद में लाभ होता है।
  • अगर शरीर का कोई भी भाग आग से जल जाय तो कच्चे जैतून के फलों को पीसकर लगाने से छाला नहीं पड़ता।
  • जैतून के वृक्ष से मिलने वाले गोंद को दाद पर लगाने से दाद ठीक होती है।

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सौन्दर्य निखारे ऑलिव ऑयल का प्रयोग (Olive Oil is a Natural Cosmetics in Hindi)

जैतून का तेल (Jaitoon ka Tel) एक अच्छा सौंदर्य प्रसाधन भी है। जैतून के तेल की मालिश से त्वचा को पोषण मिलता है। जैतून के तेल को चेहरे पर लगाने से रंग निखरता है तथा सुंदरता बढ़ती है। इसकी मालिश से होठों का फटना बंद होता है और होठ मुलायम हो जाते हैं। बालों की तरह जैतून का तेल चेहरे के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं।

बाजार में उपलब्ध फिगारो ओलिव आयल (Figaro Olive Oil in Hindi) नवजात शिशुओं की हड्डियों और बालों के लिए काफी लाभकारी है।

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पसीने की बदबू मिटाए जैतून का प्रयोग (Olive Removes Sweat Odor in Hindi)

जंगली जैतून के पत्तों को सुखाकर पीस लें। इस पाउडर को शरीर पर मलने से पसीना आना कम होता है और पसीने के कारण होने वाली दुर्गन्ध दूर होती है।

इसके अलावा जैतून का तेल (jaitun ka tel) कोलेस्ट्रॉल कम करता है और इसलिए हृदय के लिए अच्छा माना जाता है। उच्च रक्तचाप को कम करता है और मधुमेह में भी लाभकारी है।

जैतून के इस्तेमाल की मात्रा (How Much to Consume Olive)

क्वाथ 5-10 मिली। स्वरस 1-2 बूंद। चिकित्सक के परामर्शानुसार।

जैतून के इस्तेमाल का तरीका (How to Use Olive)

पत्र, तेल, फल तथा छाल।

जैतून से नुकसान और सावधानियाँ (Side Effects and Precautions of Olive in Hindi)

जैतून के इस्तेमाल से ये नुकसान हो सकते हैं। आपको जैतून का प्रयोग करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिएः-

  • जैतून के फल के मुरब्बा को यदि गर्म पानी के साथ खाया जाए तो यह हल्का दस्तावर होता है।
  • जैतून का अचार बनाकर खाने से यह कब्ज पैदा करता है।
  • जैतून का सेवन अधिक मात्रा में करने पर सिर में दर्द हो सकता है।
  • अनिद्रा की बीमारी भी हो सकती है। (और पढ़ें: अनिद्रा की परेशानी में ब्राह्मी वटी लाभदायक )
  • इसका पका हुआ फल आंखों के लिए हानिकारक होता है।
  • जैतून के तेल (Jaitoon Oil) से त्वचा पर मुहांसों की समस्या भी हो सकती है। जैतून का तेल भारी होने के कारण त्वचा में आसानी से अवशोषित नहीं होता, जिससे त्वचा की ऊपरी सतह पर परत इकट्ठी हो जाती है और धूल-मिट्टी त्वचा पर जमने के कारण चेहरे पर कील-मुहांसे हो सकते है।
  • इसलिए चेहरे पर जैतून का तेल लगाने पर उसे रगड़ कर मिलाना चाहिए और उसके बाद चेहरे को हल्के गुनगुने पानी से पोछ लेना चाहिए।
  • जैतून का तेल सूखी त्वचा के लिए भी नुकसानदायक होता है। कुछ शोधों के अनुसार जैतून का तेल (jaitun ka tel) त्वचा की स्वाभाविक नमी को खत्म कर देता है। इसलिए चेहरे के सौंदर्य को बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक ही करना चाहिए।

जैतून कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Olive Found or Grown?)

जैतून मूलतः भूमध्य सागरीय क्षेत्रों, एशिया एवं सीरिया में पाया जाता है। भारत में यह उत्तर-पश्चिमी हिमालय, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तमिलनाडू में पाया जाता है।

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पतंजलि के जैतून युक्त उत्पाद कहां से खरीदें (Where to Buy Patanjali Jaitun Product?)

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और पढ़ें:

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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