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Karanj: कई रोगों की रामबाण दवा है करंज- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

करंज का परिचय (Introduction of karanja)

करंज को आप ज्यादातर नदियों या नालों के आस-पास देखा होगा। यह देखने में बहुत साधारण सा पेड़ लगता है, लेकिन सच यह है कि आयुर्वेदिक किताबों में करंज के उपयोग से जुड़ी कई अच्छी बातें बताई गई हैं। अगर आपको पता नहीं है तो यह जान लीजिए कि साधारण से लगने वाले करंज के पेड़ का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है  और इससे कई बीमारियों का इलाज किया जाता है।

आयुर्वेद की कई पुराने ग्रंथों में करंज के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है। करंज का उपयोग कर आंखों के रोग, घाव, कुष्ठ रोग, पेट की बीमारी और बवासीर में लाभ पाया जा सकता है। इसके साथ ही आप पेशाब संबंधित बीमारी, बुखार, उल्टी, पेचिश, खुजली, सिर दर्द आदि में भी करंज का प्रयोग कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल तिल्ली के बढ़ने की समस्या, योनि रोग, सूजन, ह्रदय, त्वचा की बीमारी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

करंज क्या है (What is karanja?)

करंज की कई प्रजातियां पाई जाती हैं; लेकिन मुख्य तौर पर तीन प्रजातियों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है, जो ये हैंः-

  1. वृक्ष करंज (Pongamia pinnata (Linn.) Pierre.)
  2. पूतिकरंज (Caesalpinia bonduc (Linn.) Roxb.)
  3. लता करंज (Caesalpiniacrista Linn.)।

इसके बीजों से प्राप्त तेल का प्रयोग चर्म रोगों में बहुत फायदेमंद होता है।

अनेक भाषाओं में करंज के नाम (karanja Called in Different Languages)

करंज का वानस्पतिक नाम Pongamia pinnata (L.) Pierre. (पोंगैमिया पिन्नाटा)

Syn-Pongamia glabra Vent., Derris indica (Lam.) Bennet है और यह  Fabaceae (फैबेसी) कुल का है। करंज को देश या विदेश में अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

karanja in –

  • Hindi – करञ्ज, करञ्जवा, किरमाल, पापर, दिठोरी
  • English – स्मूथ लीव्ड पोंगेमिया (Smooth leaved pongamia), इण्डियन बीच (Indian Beech), Pongam oil tree (पोंग्म ऑयल ट्री)
  • Sanskrit – करञ्ज, नक्तमाल, उदकीर्य :, गुच्छपुष्पक, घृतपूर्ण:, स्निग्धपत्र
  • Urdu – करञ्जवह (Karanjvah)ऐ
  • Oriya – कोनीआ (Konia), कोरोन्जो (Koronjo)
  • Kannada – होंगे (Honge)
  • Gujarati – कणझी (Kanjhi), करञ्ज (Karanj)
  • Tamil – पुंगम् (Pungam), पुंगामरम् (Pungamaram), पुंकफ (Punku)
  • Telugu – कागु (Kaagu), करनुगा (Karnuga)
  • Bengali – डहर करञ्जा (Dahar karanja), केरूम (Kerum)
  • Nepali – कारंगी (Karangi)
  • Punjabi – सुखचेन (Sukhchen), पाफ्राप् (Pafri)
  • Marathi – करञ्ज (Karanj), घनेरा करञ्ज (Ghanera karanj)
  • Malayalam – पोन्नम् (Ponnam), पुंगामरम् (Pungamaram), उन्नेमरम् (Unnemaram)

करंज के औषधीय गुण (Karanja Benefits and Uses in Hindi)

करंज के औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

गंजेपन की बीमारी में करंज का प्रयोग लाभदायक (Karanja Oil Benefits in Baldness Problem in Hindi)

करंजादि तेल (karanj tel) की सिर में मालिश करने से इन्द्रलुप्त (गंजेपन की समस्या) में लाभ होता है।

और पढ़े: गंजेपन के लिए तंबाकू के फायदे

आंखों के रोग में करंज का उपयोग फायदेमंद (Benefits of Karanja Tree in Cure Eye Disease in Hindi)

करंज बीज के पेस्ट को दूध में पकाकर ठंडा कर लें। इसे छानकर आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।

करंज बीज के चूर्ण में पलाश के फूल की रस की अनेक भावना देकर उसकी बत्ती बना लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से आंखों की पुराने रोग (नेत्रशुक्र) में तुरंत लाभ होता है।

दांतों की बीमारी में करंज से लाभ (Uses of Karanja in Treating Dental Disease in Hindi)

करंज पंचांग को जलाकर भस्म बना लें। इसमें नमक मिलाकर दांतों पर मलने से दंतशूल (दांतों का दर्द) ठीक होता है।

और पढ़ें: दाँतों के रोग में फायदेमंद हींग

करंज के प्रयोग से खांसी का इलाज (Benefits of Karanja in Fighting with Cough in Hindi)

1-3 ग्राम करंज बीज के चूर्ण को मधु के साथ मिलाकर चटाने से कुक्कुर खांसी में लाभ मिलता है।

उल्टी की परेशानी में करंज का उपयोग लाभदायक (Karanja Tree Benefits to Stop Vomiting in Hindi)

करंज के पत्ते के काढ़ा से बने यवागू को पीने से उल्टी पर रोक लगती है।

करंज के सेवन से बढ़ती है भूख (Karanja Uses in Increasing Appetite in Hindi)

करंज का काढ़ा बनाकर गरारा करने से तथा करंज की लकड़ी से दंतधावन (दातुन) करने से भूख बढ़ती है और भोजन के प्रति अरुचि समाप्त होती है।

तिल्ली के बढ़ने की समस्या में करंज का प्रयोग फायदेमंद (Karanja Uses in Increasing Spleen Disease in Hindi)

20-30 मिली अम्लकाञ्जी में 65 मिग्रा करंज क्षार, विड नमक तथा 500 मिग्रा पिप्पली का चूर्ण मिला लें। इसका सेवन करने से प्लीहोदर (तिल्ली के बढ़ने की समस्या) में लाभ होता है।

पेट के रोग में करंज के सेवन से लाभ (Karanja Oil Benefits in Cure Abdominal Disease in Hindi)

  • करंज फलमज्जा (1-2 ग्राम) को भून लें। इसमें सेंधा नमक मिला लें। इसका सेवन करने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
  • करंज के बीजों का छिलका उतार कर साफ कर लें। इसे थूहर के पत्तों के रस की भावना दें। इसके बाद इसे धूप में सुखाकर तेल (karanj tel) निकाल लें। इसका प्रयोग करने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।
  • करंज बीज, सोंठ तथा वचा को करंज के काढ़ा में पीसकर लगाने से पेट के फोड़े ठीक होते हैं।
  • करंज के छिलका रहित बीज चूर्ण को सेहुण्ड के रस के साथ पीस लें। इसे लगाने से पेट के अंदर के फोड़े ठीक होते हैं।

करंज के सेवन से लगती है दस्त पर रोक (Karanja Tree Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)

5 मिली करंज के पत्ते के रस में 2 मिली चित्रक के पत्ते का रस मिला लीजिए। इसमें 500 मिग्रा मरिच चूर्ण तथा नमक मिलाकर सेवन करने से जठराग्नि दीप्त होती है तथा दस्त पर रोक लगती है।

करंज के सेवन बवासीर का इलाज (Karanja Oil Benefits in Cure Hemorrhoids in Hindi)

2 ग्राम करंज के पत्र को घी या तेल में भूनकर उसमें जौ का सत्तू मिला लें। भोजन के पहले सेवन करने से बवासीर ठीक (karanj ke fayde) हो जाता है।

1 ग्राम करंज की जड़ को गोमूत्र में पीस लें। इसे छाछ के साथ तीन दिनों तक पिएं। इसके अलावा 1-3 ग्राम बीज चूर्ण में शर्करा मिलाकर खाने से भी बवासीर में लाभ होता है।

और पढ़े: बवासीर में अभयारिष्ट के फायदे

करंज का प्रयोग खूनी बवासीर में फायदेमंद (Karanja Tree Benefits in Piles Treatment in Hindi)

करंज के कोमल पत्तों को पीसकर बवासीर के मस्सों में लगाएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।

करंज का उपयोग भगंदर में लाभदायक (Karanja Uses in Fistula Treatment in Hindi)

करंज की जड़ को पीस लें। इसका रस निकालकर भगन्दर पर लगाने से लाभ होता है।

और पढ़ेंभगंदर में ज्योतिष्मती के फायदे

मूत्र रोग में करंज के उपयोग से लाभ (Uses of Karanja in Cure Urinary Disease in Hindi)

करंज के फूलों का काढ़ा बना लें। इसे 10-15 मिली की मात्रा में पीने से बार-बार पेशाब करने की समस्या (मूत्रातिसार) में लाभ होता है।

और पढ़ें – मूत्र रोग में आरोग्यवर्धिनी वटी फायदेमंद

सिफलिस (उपदंश) में करंज से फायदा (Karanja Oil Benefits in Syphilis Treatment in Hindi)

करंज की बीज के तेल (karanj tel) में 1-2 बूंद नींबू का रस मिला लें। इसे घाव पर लगाने से उपदंश या सिफलिस में लाभ होता है।

गठिया की बीमारी में करंज से लाभ (Karanja Oil Benefits in Fighting with Arthritis in Hindi)

करंज की बीज ,के तेल को जोड़ों पर मालिश करने से आमवात (गठिया) में लाभ होता है।

लकवा में लाभ पहुंचाता है करंज (Karanja Benefits in Fighting with Paralysis in Hindi)

करंज फल तथा सरसों को गोमूत्र से पीसकर गुनगुना कर लें। इसका लेप करने से लकवा में लाभ होता है।

खदिर, बेल, अग्निमन्थ, करंज की जड़ आदि के काढ़ा लें। इसके अलावा आप करंज की जड़ को गोमूत्र से पीस सकते हैं। इसका सेचन एवं लेप करने से लकवा वाले अंग में लाभ होता है।

और पढ़े: लकवा की समस्या में कूठ के फायदे

कुष्ठ रोग में करंज से फायदा (Benefits of Karanja in Leprosy Treatment in Hindi)

  • करंज बीज तथा बहेड़ा के तेल (karanj tel) को नाक के रास्ते लेने से कुष्ठ रोग और कीड़ों के कारण होने वाली बीमारी में लाभ मिलता है।
  • सफेद करवीर की जड़, कुटज फल, करंज फल, दारुहल्दी की छाल तथा चमेली के पत्ते को पीसकर लगाएं। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में कूठ, करंज बीज तथा चकवड़ (चक्रमर्द) बीज को पीस लें। इसे लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ (karanj ke fayde) होता है।
  • करंज के पत्ते 2 ग्राम, चित्रक के पत्ते  1 ग्राम तथा काली मरिच 1 ग्राम लें। तीनों को मिलाकर पीसकर उसमें नमक मिला लें। इसे दही के साथ खाने से कुष्ठ रोग ठीक होता है।

और पढ़ें – कुष्ठ रोग में आरोग्यवर्धिनी वटी फायदेमंद

सोरायसिस (किटिभकुष्ठ) में फायदेमंद करंज का इस्तेमाल (Karanja Uses in Psoriasis Treatment in Hindi)

करंज के क्षार में एरण्ड तेल मिलाकर लेप करें। इससे खुजलीयुक्त सोरायसिस में लाभ मिलता है।

करंज तेल (karanj tel) के मालिश से खुजली, सोरायसिस आदि त्वचा विकारों में लाभ होता है।

और पढ़ेंत्वचा रोग में शाल के फायदे

विसर्प रोग में करंज से लाभ (Uses of Karanja in Cure Erysipelas Disease in Hindi)

करंज की छाल को पीसकर हल्का गर्म कर लें। इसका लेप करने से ग्रन्थि विसर्प (एक प्रकार का चर्म रोग) में लाभ होता है।

फोड़े को खत्म करता है करंज (Karanja Uses in Treating Boils in Hindi)

बराबर मात्रा में करंज बीज, तिल तथा सरसों में एरंड बीज अथवा दुग्धिका को पीस लें। इसका लेप करने से विस्फोट (फोड़ा) नष्ट (karanj ke fayde) होता है।

घाव सुखाता है करंज (Uses of Karanja in Wound Healing in Hindi)

घाव में कीड़े पैदा हो गए हों तो करंज, नीम तथा निर्गुण्डी के रस को मिलाकर लेप करें। इससे कीड़े खत्म होते हैं।

करंज के इस्तेमाल से साइनस का  इलाज (Benefits of Karanja in Sinus Disease in Hindi)

करंज, नीम, चमेली, बहेड़ा तथा पीलू के रस से साइनस के घाव को धोएं। इससे घाव ठीक (karanj ke fayde) होता है।

मस्से की समस्या में करंज के उपयोग से लाभ (Karanja Benefits in Cure Wart Problem in Hindi)

बराबर मात्रा में करंज, सरसों तथा तिल को पीस लें। इसका लेप करने से मस्सा ठीक होता है।

और पढ़ेमस्सा के इलाज में काकोदुम्बर फायदेमंद

त्वचा विकार में फायदेमंद करंज का प्रयोग (Uses of Karanja in Cure Skin Disease in Hindi)

करंज के बीजों को पीसकर लगाने से त्वचा के रोगों का ठीक होता है।

करञ्ज की जड़ को पीसकर, उसका रस निकालकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है।

और पढ़े त्वचा रोग में बाकुची के फायदे

चेहरे पर निखार लाता है करंज (Karanja Helps for Glowing Skin in Hindi)

करंज के बीजों को दूध में पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की रौनक बढ़ती है।

और पढ़ें: मसूर की दाल से चेहरे को गोरा कैसे करे

रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहना) की बीमारी में करंज से फायदा (Karanja Stops Bleeding in Hindi)

1-3 ग्राम करंज बीज के चूर्ण में मधु तथा घी मिला लें। इसका सेवन करने से नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या में लाभ होता है।

सेंधा नमकयुक्त करंज बीज के चूर्ण (1-3 ग्राम) में दही का पानी मिला लें। इसे गुनगुना कर तीन दिन तक पीने से नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या में लाभ (karanj ke fayde) होता है।

1-3 ग्राम करंज बीज चूर्ण को मिश्री तथा मधु के साथ मिला लें। इसका सेवन करने से रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून बहने की समस्या) ठीक होता है।

बुखार में करंज से लाभ (Karanja Uses in Fighting with Fever in Hindi)

बीज को पीसकर, उसमें जल मिला लें। इसे नाभि में बूंद-बूंद कर टपकाने से कफज विकार के कारण होने वाली बुखार में लाभ होता है।

बिच्छू के काटने पर करें करंज का इस्तेमाल (Karanja is Helpful in Scorpion Biting in Hindi)

करंज, अर्जुन, श्लेष्मान्तक, कटभी, कुटज तथा शिरीष के फूलों को दही के पानी में पीस लें। इसे बिच्छू के काटे जाने वाले स्थान पर लगाने से दर्द, जलन और सूजन आदि समस्या ठीक होती है।

करंज के उपयोगी भाग (Beneficial Part of karanja)

पंचांग

करंज के प्रयोग की मात्रा (How Much to Consume karanja?)

पत्ते का रस – 10-20 मिली

बीज चूर्ण – 1-3 ग्राम

करंज कहां पाया या उगाया जाता है (Where is karanja Found or Grown?)

समस्त भारत में 1200 मीटर तक की ऊँचाई पर नदियों एवं सड़कों के किनारे तथा वनों में प्राप्त होता है।

करंज युक्त पतंजलि के उत्पाद कहां से खरीदें? (Where to Buy Karanja Related Patanjali Product?)

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और पढ़े: योनि रोग में रेवंदचीनी से लाभ

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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