आपने कसौंदी (कासमर्द) को अपने घरों के आस-पास देखा होगा। यह झाड़ीनुमा होता है। बारिश के मौसम में खाली जमीन या कूड़े-करकट में कसौंदी (Kasoundi) अपने आप उग जाता है। प्रायः इसे लोग बहुत ही बेकार झाड़ी समझते हैं, लेकिन असलियत कुछ और ही है। कसौंदी के सेवन से शरीर को बहुत अधिक लाभ होता है। कसौंदी के कई सारे औषधीय गुण भी हैं। क्या आप यह जानते हैं कि कसौंदी एक जड़ी-बूटी भी है, और रक्तविकार, ह्रदय विकार, साधारण खांसी, कुकुर खांसी जैसी बीमारियों में कसौंदी के इस्तेमाल से फायदे (Kasoundi benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, सूजन, पेट के रोग, पीलिया, बवासीर आदि रोगों में भी कसौंदी के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में कसौंदी के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना बहुत जरूरी है। आप बुखार, हिचकी की समस्या, गले के रोग, कान की बीमारियों में कसौंदी के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप कुष्ठ रोग, और वीर्य विकार में भी कसौंदी से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां एक-एक कर जानते हैं कि कसौंदी के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि कसौंदी से नुकसान (Kasoundi side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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कसौंदी क्या है? (What is Kasoundi (Kasmard) in Hindi?)
कसौंदी का झाड़ीनुमा पादप वर्षा-ऋतु में खाली भूमि तथा कूड़े करकट में अपने आप उग जाता है। इसका एक और प्रकार पाया जाता है, जिसे काली कसौंदी कहते हैं। इसकी शाखाएं श्यामले बैंगनी रंग लिए होती है। जड़ की छाल काली होती है, जिससे जड़ जली हुई-सी मालूम होती है। इससे कस्तूरी जैसी गंध आती है।
यहां कसौंदी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kasoundi benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कसौंदी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
अन्य भाषाओं में कसौंदी के नाम (Name of Kasoundi (Kasmard) in Different Languages)
कसौंदी (कासमर्द) का वानस्पतिक नाम Cassia occidentalis (L.) Rose. (कैसिया आक्सीडेन्टेलिस) Syn-Senna occidentalis (Linn.) Link है, और यह Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) कुल का है। कसौंदी को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Kasoundi (Kasmard) in –
- Hindi- कसोंदी, कसौंदी
- English- कॉफीवीड (Coffeeweed), कॉफी सेन्ना (Coffee senna), स्टिकिंग वीड (Stinking weed), वीड कॉफी (Weed coffee), स्टिप्टिक वीड (Styptic weed), The Negro Coffee (दी नीग्रो कॉफी)
- Sanskrit- कासमर्द, कासारि, अरिमर्द, कर्कश
- Oriya- कसुन्द्राr (Kasundri)
- Urdu- कसोन्जी (Kasonji)
- Kannada- दोड्डतगचे (Doddatagache), अनेसोगत्ते (Anesogate), एलेवुरे (Alevure)
- Gujarati- कसुन्द्राs (Kasundro)
- Tamil- पेयाविरई (Peyavirai), नट्टान्दगरई (Nattandagarai)
- Telugu- कसिंदा (Kasinda), पेद्दाकसिन्दा (Peddakasinda)
- Bengali- कालकाशुन्दा (Kalkashunda)
- Nepali- ठुलो ताप्रे (Thulo tapre);
- Marathi- कासविंदा (Kasvinda), रंकासविंदा (Rankasvinda)
- Malayalam- पोन्नाविरम (Ponnaviram), करिन्ताकर (Karintakara), मट्टन्टाकरा (Mattantakara)
कसौंदी के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Kasoundi (Kasmard) in Hindi)
कसौंदी के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
कसौंदी वात-कफ शामक एवं पित्तसारक है। बाह्य प्रयोग में यह कुष्ठघ्न तथा विषघ्न है। आभ्यन्तर प्रयोग में यह दीपन, वातानुलोमन, पित्त-सारक एवं रेचक है। यह आक्षेप-शामक, वेदनास्थापक, कफघ्न, श्वासहर, मूत्रल तथा ज्वरघ्न है।
कसौंदी के बीज रक्त विकार, हृदय विकार, साधारण खांसी, कुक्कुर खांसी में लाभदायक होते हैं। कसौंदी के पत्ते आमाशय की सक्रियता को बढ़ाते हैं। कसौंदी के बीज, पत्ते एवं जड़ बुखार में फायदेमंद होते हैं। कसौंदी की जड़ मूत्र रोग में मदद करती है।
कसौंदी (कासमर्द) के फायदे और उपयोग (Kasoundi (Kasmard) Benefits and Uses in Hindi)
कसौंदी के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
कसौंदी (कासमर्द) के औषधीय गुण से आंखों की बीमारी का इलाज (Benefits of Kasoundi (Kasmard) to Treat Eye Disease in Hindi)
- कसौंदी के ताजे पत्ते के रस को सुबह-शाम 1-1 बूंद आंखों में डालें। इससे आंखों की सूजन, दर्द और लालिमा में लाभ होता है।
- कसौंदी के ताजे पत्ते को आंखों पर बांधने से आंखों का दर्द, लालिमा और सूजन की समस्या का इलाज होता है।
और पढ़ेंः आंखों के रोग में करेला के फायदे
कान के दर्द में कसौंदी (कासमर्द) के फायदे (Kasoundi (Kasmard) Uses to Treat Ear Pain in Hindi)
- कसौंदी के पत्तों के रस को कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है।
- कसौंदी के पत्तों के रस में दूध में मिला लें। इसे गुनगुना करके कान में 2-4 बूंद-बूंद के रूप में डालें। इससे कान का दर्द ठीक होता है।
और पढ़ेंः कान दर्द के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज
गंडमाला रोग में कसौंदी (कासमर्द) का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi (Kasmard) Benefits for Lymphogenic Treatment in Hindi)
10 ग्राम कासमर्द (कसौंदी) के पत्ते में 2-4 नग काली मिर्च पीस लें। इससे लेप करने से गंडमाला के घाव ठीक होते हैं। बेहतर परिणाम के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर लें।
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खूनी बवासीर में कसौंदी के फायदे (Kasoundi Uses to Treat Piles in Hindi)
10 कसौंदी के बीज और काली मिर्च के 1-2 दानों को मिला लें। इसे पानी में पीसकर सुबह और शाम जल के साथ पिएं। इससे खूनी बवासीर में लाभ होता है।
और पढ़ेंः बवासीर के लिए घरेलू इलाज
आवाज के बैठने पर कसौंदी (कासमर्द) के सेवन से लाभ (Kasoundi (Kasmard) Benefits for Laryngitis Treatment in Hindi)
कासमर्द (कसौंदी), बड़ी कटेरी तथा भृंगराज का काढ़ा बना लें। इसे घी में पकाएं। 5 ग्राम की मात्रा में इसका सेवन करने से आवाज के बैठने की समस्या दूर होती है।
और पढ़ेंः आवाज बैठने (गला बैठने) पर करेला का उपयोग
खांसी में कसौंदी के सेवन से लाभ (Kasoundi Benefits in Fighting with Cough in Hindi)
- कासमर्द के पत्ते, भृंगराज के पत्ते, वार्ताक तथा काली तुलसी के पत्तों को समान मात्रा में मिला लें। इसे कूटकर रस निकाल लें। इसके 5-10 मिली रस में मधु मिलाकर पीने से कफज दोष के कारण होने वाली खांसी में लाभ होता है।
- बड़ी कटेरी, छोटी कटेरी, त्रिकटु, कासमर्द, हिङ्गु लें। इनके साथ ही इङ्गुदी, दालचीनी, मैनसिल, गुडुची, काकड़ासिंगी आदि कासहर द्रव्य लें। इनकी बत्ती बनाकर धूमपान करने से खांसी में लाभ होता है।
- 10-15 मिली कसौंदी के पत्ते के रस में 2 चम्मच मधु मिलाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे कफज दोष के कारण होने वाली बुखार और खांसी की समस्या दूर होती है।
- कसौंदी की 8 से 10 ताजी फलियों को भूनकर खाने से खांसी ठीक होती है।
- 1-3 ग्राम कसौंदी बीज के चूर्ण को गुनगुने जल के साथरोज तीन बार सेवन करें। इससे खांसी में लाभ होता है।
और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय
कुक्कुर खांसी में कसौंदी के सेवन से फायदा (Uses of Kasoundi in Fighting with Whooping Cough Problem in Hindi)
कासमर्द (कसौंदी) के पत्ते के रस में मधु मिला लें। इसे बच्चों को खिलाने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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सूजाक रोग में कसौंदी का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi Benefits for Gonorrhea Treatment in Hindi)
काली कसौंदी की 10-20 ग्राम ताजी पत्तियों को 200 मिली पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़ा से घावों को धोने से सूजाक में लाभ होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
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हिचकी की समस्या में कसौंदी (कासमर्द) के सेवन से लाभ (Kasoundi Benefits for Hiccup Treatment in Hindi)
- कसौंदी के 10 ग्राम पत्तों या पंचांग को 400 मिली पानी में पका लें। जब यह एक चौथाई बच जाए और काढ़ा बन जाए तो 10-30 मिली काढ़ा में शहद मिलाकर सेवन करें। इससे हिक्का (हिचकी), खांसी और सांसों के रोग में लाभ होता है।
- कासमर्द के पत्तों का जूस बनाकर सेवन करने से हिक्का (हिचकी) तथा दमा रोग में लाभ होता है।
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सांसों से संबंधित बीमारी में कसौंदी के सेवन से लाभ (Kasoundi Benefits for Respiratory Disease in Hindi)
- 5 मिली कसौंदी के पत्ते के रस में मधु मिलाकर सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
- कसौंदी के बीजों का चूर्ण, छोटी पिप्पली तथा काला नमक को बराबर मात्रा में लें। इसे खरल करके 250 मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें। सुबह या रात 1-2 गोली मुंह में रखकर चूसने से कफज दोष के कारण होने वाली खांसी और सांसों की बीमारियों (सांस लेने में परेशानी) में लाभ होता है।
- सर्दी-जुकाम, नाक के रोग तथा विशेष रूप से नाक बंद होने की समस्या में कसौंदी के पत्ते के रस की एक-दो बूदों को नाक में डालें। इससे लाभ मिलता है।
- सांसों से जुड़ी बीमारियों वाले रोगी के लिए कसौंदी के पत्तों की सब्जी बहुत लाभकारी होती है।
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पेट के रोग में कसौंदी के सेवन से लाभ (Kasoundi Benefits for Abdominal Disease in Hindi)
- कसौंदी के 20 ग्राम पत्तों को 400 मिली जल में पका लें। जब यह एक चौथाई रह जाए और काढ़ा बन जाए तो 10-25 मिली मात्रा में पिएं। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
- 10 ग्राम कासमर्द की जड़ को नींबू के रस में पीस लें। इसे पेट पर लेप करने से जलोदर रोग में लाभ होता है। इसके साथ आपको 2 ग्राम जड़ के चूर्ण को मट्ठे के साथ दिन में 1-2 बार सेवन करना है।
- 5 ग्राम कासमर्दादि घी का सेवन करें। इससे गले का सूखना, बुखार, तिल्ली की वृद्धि और खांसी की समस्या ठीक होती है।
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पेचिश में कसौंदी के फायदे (Kasoundi Uses to Stop Dysentery in Hindi)
कासमर्द पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 20-25 मिली मात्रा में पिलाने से पेचिश और आमशय संबंधी विकार ठीक होते हैं।
और पढ़ेंः पेचिश में कैसे फायदेमंद होता है शमी का उपयोग
कब्ज में कसौंदी का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)
- 10-20 मिली कसौंदी पंचांग का काढ़ा बना लें। इसका सेवन करने से कब्ज की समस्या ठीक होती है।
- कसौंदी के फूल से गुलकन्द बना लें। इसे 3 से 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे कब्ज की बीमारी ठीक होती है।
और पढ़ेंः कब्ज के लिए फायदेमंद घरेलू उपाय
मूत्र विकार में कसौंदी के फायदे (Kasoundi Uses to Treat Urinary Disease in Hindi)
10-20 मिली जड़ के काढ़ा को दिन में 2 से 3 बार पिएं। इससे पेशाब में दर्द, पेशाब का ना आना, बुखार, सूजन की समस्या में लाभ होता है।
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कसौंदी से सामान्य प्रसव में मदद (Kasoundi is Beneficial for Normal Pregnancy in Hindi)
गर्भवती महिलाएं प्रसव को लेकर काफी चिंता में रहती हैं। महिलाएं कसौंदी (कासमर्द) से मदद ले सकती हैं। कसौंदी के पत्तों का रस पीने से सामान्य प्रसव में मदद मिलती है।
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वीर्य विकार में कसौंदी के सेवन से फायदा (Uses of Kasoundi for Sperm Related Disorder in Hindi)
कसौंदी की जड़ की छाल को पीसकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण में मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम एक गिलास दूध के साथ लेने से वीर्य का पतलापन दूर होता है। वीर्य पुष्ट होता है।
और पढ़ेंः वीर्य विकार में उटंगन के फायदे
पीलिया में कसौंदी के सेवन से लाभ (Kasoundi Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)
कासमर्द के 5 ग्राम पत्तों को 2-4 नग काली मिर्च के साथ पीसकर छाल लें। इसे सुबह और शाम पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
और पढ़ेंः पीलिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय
फाइलेरिया (हाथी पांव) रोग में कसौंदी का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi Benefits for Filariasis Treatment in Hindi)
10 ग्राम कसौंदी की जड़ का पेस्ट बना लें। पेस्ट को बराबर मात्रा में गाय के घी के साथ सेवन करें। इससे श्लीपद या फाइलेरिया (हाथी पांव रोग) में लाभ होता है।
और पढ़ेंः फाइलेरिया (हाथी पांव) की बीमारी में खैर (खादिर) से फायदा
नारु (बाला) रोग में कसौंदी का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi Benefits for Naru Disease in Hindi)
कसौंदी के पत्ते का पेस्ट बना लें। इसमें प्याज और नमक मिला लेंं। इसे पीसकर बीमार अंग पर बांधने से नारु (बाला) रोग में लाभ होता है।
और पढ़ेंः नारु रोग में अपराजिता के फायदे
कसौंदी के औषधीय गुण से मिर्गी का इलाज (Benefits of Kasoundi to Epilepsy Disease Treatment in Hindi)
10-20 मिली कसौंदी पंचांग का काढ़ा बना लें। काढ़ा को दिन में 3-4 बार पिलाने से मिर्गी, हिस्टीरिया और शरीर के कंपन की बीमारी में लाभ होता है।
और पढ़ेंः गोरखमुंडी के उपयोग से मिर्गी का इलाज
कसौंदी के औषधीय गुण से दाद-खाज-खुजली का इलाज (Benefits of Kasoundi to Treat Itching Problem in Hindi)
- 20-30 मिली कसौंदी पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम पीने से रक्त विकार में लाभ होता है। इससे चर्म रोगों में भी लाभ होता है।
- कसौंदी पंचांग के काढ़ा को जल में मिलाकर स्नान करें। इससे खुजली, विसर्प, दाद-खाज-खुजली, संक्रमण की समस्या ठीक होती है।
- कसौंदी पंचांग के काढ़ा से बीमार अंग को धोएं। इससे खुजली, विसर्प, दाद-खाज-खुजली, संक्रमण की समस्या ठीक होती है।
- कासमर्द के बीजों को पीस लें। इसे छाछ के साथ मिलाकर लगाने से दाद-खाज और खुजली आदि त्वचा विकार ठीक होते हैं।
- कसौंदी की जड़ को सिरके या नींबू रस में पीसकर दाद पर लेप करें। इससे भी दाद-खाज-खुजली में लाभ होता है।
और पढ़ेंः दाद-खाज-खुजली का घरेलू इलाज
कसौंदी के औषधीय गुण से सफेद दाग (सफेद कुष्ठ) का इलाज (Benefits of Kasoundi to Treat Vitiligo in Hindi)
कसौंदी और जड़ी के बीजों को बराबर मात्रा में लें। इससे दुगुनी मात्रा में गंधक लें। सभी को पीस लें। इसका लेप करने से सफेद दाग की बीमारी ठीक होती है।
और पढ़ेंः कुष्ठ रोग में करंज के फायदे
कसौंदी के औषधीय गुण से चर्म रोग का इलाज (Benefits of Kasoundi to Treat Skin Disease in Hindi)
कसौंदी के ताजे पत्तों को पीस लें। इसे चोट लगे अंगों पर लेप करें। इससे आराम मिलता है। इससे शरीर की जलन आदि त्वचा के विकारों में भी लाभ मिलता है।
मानसिक विकार में कसौंदी के फायदे (Uses of Kasoundi for Mental Related Disorder in Hindi)
- कसौंदी के फूलों को मसलकर रोगी को सुघांएं। इससे मानसिक विकार में लाभ होता है।
- कसौंदी के सूखे फूलों का काढ़ा बना लें। इसे 20 मिली मात्रा में दिन में तीन बार पिलाने से मानसिक विकारों में लाभ होता है।
और पढ़ेंः मानसिक विकार में सेब के फायदे
टाइफाइड में कसौंदी (कासमर्द) का औषधीय गुण फायेदमंद (Kasoundi (Kasmard) Benefits in Fighting with Typhoid in Hindi)
10-20 मिली कसौंदी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम पिलाने से मलेरिया और गंभीर बुखार में लाभ होता है। इससे टायफाइड में भी बहुत फायदा होता है।
और पढ़ेंः टाइफाइड के लक्षण, कारण और घरेलू इलाज
कसौंदी (कासमर्द) के औषधीय गुण से शारीरिक कमजोरी का इलाज (Benefits of Kasoundi (Kasmard) to Treat Body Weakness in Hindi)
20 मिली कासमर्द की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे सुबह-शाम पिलाने से शारीरिक दुर्बलता व कमजोरी दूर होती है।
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सूजन की समस्या में कसौंदी के फायदे (Kasoundi Uses to Reduce Swelling in Hindi)
कासमर्द के पत्ते एवं जड़ का पेस्ट बना लें। इसका लेप करके गुनगुने जल से स्नान करें। शरीर के किसी भी अंग की सूजन इससे दूर होती है।
और पढ़ेंः सूजन को कम करने के लिए प्रभावशाली घरेलू उपचार
कीड़ों के काटने पर कसौंदी के फायदे (Kasoundi is Benefits in Insect Bite in Hindi)
- मकड़ी, बर्रे (भिड़), ततैया आदि विषैले कीटों के काटने पर कसौंदी के पत्तों के रस को लगाएं। इससे कीड़ों के काटने से होने वाला दर्द ठीक होता है।
- कीड़ों के काटने पर कसौंदी के पेस्ट को काटने वाले स्थान पर लगाएं। इससे दर्द ठीक हो जाता है।
और पढ़ेंः कीड़े-मकौड़ों के विष को उतारने के लिए तोरई का प्रयोग
बिच्छू के डंक मारने पर कसौंदी (कासमर्द) के फायदे (Kasoundi (Kasmard) is Beneficial in Scorpion Bite in Hindi)
बिच्छू के काटने पर कासमर्द की जड़ को पीस लें। इसे बिच्छू के डंक वाले स्थान पर लगाएं। इससे दर्द होता है। इससे बिच्छू के काटने से होने वाले दुष्प्रभाव भी खत्म होते हैं।
और पढ़ेंः बिच्छू के काटने पर पपीते का प्रयोग
कसौंदी (कासमर्द) के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Kasoundi (Kasmard) in Hindi)
कसौंदी के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
- पत्ते
- बीज
- छाल
- जड़
- पंचांग
कसौंदी (कासमर्द) का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Kasoundi (Kasmard) in Hindi?)
कसौंदी को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
- रस- 6-12 मिली
- चूर्ण- 3-6 ग्राम
- जड़ से बना काढ़ा- 20-40 मिली
यहां कसौंदी के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Kasoundi benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कसौंदी के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कसौंदी का सेवन करने या कसौंदी का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
कसौंदी (कासमर्द) कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Kasoundi (Kasmard) Found or Grown?)
कसौंदी का झाड़ीनुमा पादप वर्षा-ऋतु में अपने आप उग जाता है। यह खाली भूमि तथा कूड़े-करकट में उगता है।
और पढ़ें: गंडमाला में रतालू के फायदे
और पढ़ेंः पेट में कीड़े होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय
और पढ़ेंः अंडकोष के दर्द के कारण और घरेलू उपाय
और पढ़ेंः गंजेपन की सम्सया को दूर करने के घरेलू उपाय
और पढ़ेंः मासिक धर्म में कम ब्लीडिंग होने पर पपीता फायदेमंद