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कटहल (Kathal) एक ऐसा फल है जिसको कच्चा हो तो कटहल की सब्जी के रूप में और पका हो तो फल के रुप में खाते हैं। कटहल के पकने पर उसका कोवा निकालकर खाया जाता है। इसमें विटामिन ए, सी, बी6, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, फोलिक एसिड, मैग्नेशियम आदि होते हैं। वैसे तो ये सबको पता है कि कटहल फल और कटहल की सब्जी दोनो रूपों में खाया जाता है लेकिन यह कितने बीमारियों के लिए फायदेमंद है, ये बहुत कम लोगों पता है। तो चलिये आगे हम कटहल के फायदों (jackfruit benefits in hindi) के बारे में जानते हैं।
कटहल के पेड़ (kathal tree) में होने वाले फलों में कटहल (Kathal) एक ऐसा फल है जो आकार में सबसे बड़ा होता है। फणस यानि कटहल फल मीठा, हजम करने में मुश्किल, शक्ति प्रदान करने वाला, शुक्राणु यानि स्पर्म की संख्या बढ़ाने वाला, कफ और वातपित्त को कम करने के साथ-साथ जलन कम करने में भी फायदेमंद (kathal ke fayde) होता है।
कच्चा कटहल मीठा होता है। लेकिन जैसा कि पहले ही बताया गया है कि कटहल को हजम करना मुश्किल होता है, इसलिए यह वजन कम करने में मदद (jackfruit benefits in hindi) करता है। कटहल का जड़ घाव को ठीक करने में सहायक होता है। कच्चा कटहल का फल मीठा होने के बावजूद इसका फूल कड़वा होता है।
पका हुआ कटहल खाने में स्वादिष्ट होता है। यह वजन बढ़ाने वाला, शक्तिवर्द्धक, देर से पचने वाला, स्पर्म बढ़ाने वाला और कफपित्त कम करने लाभदायक (kathal ke fayde)होता है। कटहल के बीज एस्ट्रीजेंट प्रकृति वाला, शीतल, मधुर और कफपित्त को ठीक करने वाला होता है।
लेकिन भिन्न-भिन्न भाषाओं में इसका नाम अलग है, जैसे-
कटहल की सब्जी एक ऐसा सब्जी है, जो शाकाहारी है या मांसाहारी इसको लेकर लोगों में बहुत मतभेद है। लेकिन इसके अनगिनत पोषक तत्वों के कारण फायदे भी अनगिनत हैं। आयुर्वेद के अनुसार कटहल किन-किन बीमारियों के लिए औषधि के रूप में काम करता है,चलिये आगे इसके बारे में जानते हैं-
सिर दर्द को कम करने के लिए कटहल के जड़ को पीसकर-छानकर उसका रस निकालकर, 1-2 बूंद नाक में डालने से सिर के दर्द से राहत मिलती है। सिरदर्द से आराम दिलाने में कटहल बहुत ही फायदेमंद (kathal ke fayde)होता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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गर्मी में या ठंड में नाक से खून निकलने पर 8-10 कटहल के बीज का काढ़ा बनाकर पीने से नाक से खून निकलना बंद (jackfruit benefits in hindi) हो जाता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
कभी-कभी लंबी बीमारी के कारण भूख लगना कम हो जाता है, कटहल का गुण होता है कि वह भूख को बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए 10 मिली कटहल फल के रस में 125 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण तथा शर्करा मिलाकर सेवन करने से भूख अच्छी लगती है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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अगर मसालेदार खाना खाने के बाद दस्त हो रहा है तो 10-20 मिली कटहल के जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से अतिसार (jackfruit benefits in hindi) ठीक होने में मदद मिलती है। कटहल का गुण पेट संबंधी रोगों में फायदेमंद होता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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अक्सर खाने से संक्रमण हो जाने पर हैजा हो जाता है। हैजा होने पर कटहल का सेवन इस तरह से करने पर शरीर की स्थिति बेहतर होती है। 1-2 कटहल के फूलों को पानी में पीसकर पिलाने से विसूचिका या हैजा ठीक होने में मदद मिलती है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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भागदौड़ भरी जिंदगी में दर्द का सामना हर किसी को करना पड़ता है। कटहल का फल दर्द निवारक (kathal ke fayde)जैसा काम करता है। इसके लिए कटहल के मध्य भाग से काढ़ा बना लें और 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से दर्द से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
लिम्फ नोड्स में सूजन होने पर प्रतिदिन कटहल के जड़ को पीसकर वहां पर लेप करने से पूयस्रावयुक्त अपची से राहत (kathal ke fayde) मिलती है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
अक्सर किसी दवा के कारण या बीमारी के कारण लाल-लाल रेशैज (Red rashes) निकल जाते हैं। इससे राहत पाने के लिए कटहल के पत्ते का काढ़ा बनाकर प्रभावित स्थान को धोने से खुजली या पामा जैसे त्वचा संबंधी समस्याओं से आराम मिलता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
फोड़ो के दर्द से राहत पाने या जल्दी सूखाने के लिए कटहल के पत्तों के रस का लेप करने से आराम मिलता है। यहां तक कटहल के पत्तों का रस सूजन और खूजली में भी फायदेमंद होता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
आजकल के प्रदूषण भरे वातावरण में तरह-तरह के त्वचा संबंधी रोग होते हैं। इसमें कटहल (kathal) का ऐसा इस्तेमाल करने पर लाभ मिलता है। फणस या कटहल के पत्तों को तेल में भूनकर, बचे हुए सरसों के तेल में मिलाकर लेप करने से त्वचा के रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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सूजन को कम करने के लिए कटहल का इस्तेमाल से फायदा मिलता है। कटहल के वृक्ष (kathal) तथा फल से जो दूध मिलता है उसको सूजन वाले स्थान पर लगाने से तथा व्रण पर लगाने से लाभ होता है या कटहल के फल तथा वृक्ष से प्राप्त दूध को सिरके में मिलाकर लेप करने से ग्रन्थि के सूजन तथा घाव के फूट जाने पर लाभ मिलता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
मिर्गी ऐसी अवस्था है जिसमें मरीज को बेहतर महसूस कराना मुश्किल हो जाता है। मिर्गी के अवस्था को बेहतर स्थिति में लाने के लिए कटहल की सब्जी (kathal) सेवन इस तरह करने से लाभ मिलता है। 10-20 मिली कटहल के तने का काढ़ा बनाकर पीने से मिर्गी में लाभ मिलता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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उम्र के साथ वात का दर्द हर किसी को होता है। जोड़ो के दर्द यानि वात के दर्द से आराम पाने के लिए ताल, नारियल, फणस या कटहल (kathal)आदि फलों से प्राप्त तेल से मालिश करने पर वात के कारण जो दर्द होता है वह कम होता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
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कभी-कभी बहुत दिनों तक बीमार होने के कारण कमजोरी हो जाती है। तब कमजोरी दूर करने के लिए 3-4 चम्मच कटहल के फल का रस आधा कप दूध में मिलाकर पीने से थकावट महसूस होना कम होता है। [Go to: Benefits of Jackfruit]
कटहल कषाय एवं पित्त शामक होने के कारण और इसमें पाए जाने वाले आयरन नामक तत्त्व के कारण यह एनीमिया को ठीक करने में मदद करता है। इसमें ज्यादातर इसकी पत्तियों और टहनी का प्रयोग किया जाता है।
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कुछ रिसर्चों में देखा गया है की यह अस्थमा जैसी बीमारियों में भी प्रयुक्त होता है। इसमें इसकी कन्द यानी जड़ (रूट्स) का प्रयोग किया जाता है।
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कटहल में कॉपर नामक तत्त्व पाया जाता है जो कि हॉर्मोन्स बनाने में सहयोगी होता है। इसकी उपस्थिति के कारण कटहल थाइराइड जैसी गंभीर समस्याओं में भी लाभदायक होता है।
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कटहल में बल्य गुण पाए जाने के कारण यह हड्डियों एवं शरीर को भीतर से स्वस्थ एवं मजबूत रखने में मदद करता है।
कटहल के बीजों में जैकलीन नामक तत्व पाया जाता है जो कि रिसर्चों में पाया गया है कि यह शरीर के इम्युनिटी को बेहतर करने में सहायता करता है।
आँखों संबंधी रोग या परेशानी ज्यादातर शरीर में पित्त के अधिक बढ़ जाने के कारण होता है। और कटहल में पित्त शामक गुण पाया जाता है जो इस समस्या को दूर रखने में मदद करता है।
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कटहल में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है। इससे पाचन बेहतर होता है और वह वजन कम करने में मदद करता है।
कटहल में पाए जाने वाले फाइबर तत्त्व के कारण ये कब्ज़ को दूर करने में भी मदद करता है।
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आयुर्वेद में कटहल (kathal) के फल, बीज,पत्ता, तना एवं छाल का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
बीमारी के लिए कटहल की सब्जी या कटहल के फल का सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए कटहल (kathal) का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
कटहल के फल का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए। इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से अपच की समस्या हो सकती है। इसलिए खाली पेट कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि कटहल (kathal) सेवन के बाद पान खाने से शरीर पर विष जैसा प्रभाव पड़ता है। इसलिए कटहल सेवन के बाद पान खाने से परहेज करें। कटहल का फल कब्ज दूर करने में सहायता करता है। इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।
कटहल का वृक्ष घरों तथा बगीचों में भी लगाया जाता है। कटहल (kathal) के फलों का प्रयोग अचार एवं साग बनाने के लिए किया जाता है। बौद्ध लोग इसे पवित्र वृक्ष मानते हैं और अपने मठों में सम्मानपूर्वक इस वृक्ष को लगाते हैं।
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