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लीची (lychee fruit) सभी लोग खाते होंगे। यह बहुत ही मीठी और स्वादिष्ट होती है। बच्चे हों या वयस्क, सभी लोग लीची खाना पसंद करते हैं। लीची ही एक ऐसा फल है जिसको पेड़ पर उगने वाला रसगुल्ला कहा जाता है। गर्मी के दिनों में इसकी मिठास और रसीलेपन से लोगों को गर्मी से निजात मिलती है। नीचे हम विस्तार से आपको लीची के फायदे के बारे में बताएंगे –
लीची का पेड़ (litchi fruit tree) मध्यम आकार का होता है। इसके फल गोल और कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं। ये पकने पर मखमली-लाल रंग के हो जाते हैं। फल के अन्दर का गूदा सफेद रंग का, मांसल और मीठा होता है। प्रत्येक फल के अन्दर भूरे रंग का बीज होता है।
आयुर्वेद में लीची सिर्फ अपने मधुर स्वाद के लिए ही नहीं, बल्कि अनेक औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाती है। लीची गर्म प्रकृति वाली फल है, जो गठिया के दर्द, वात तथा पित्त दोष को कम (Lichi ke Fayde) करती है।
लीची का वानस्पतिक नाम Litchi chinensis (Gaertn.) Sonner. (लिची चाइनेन्सिस) Syn-Nephelium litchi Cambess है। लीची का कुल Sapindaceae (सैपिण्डेसी) है। इसे देश या विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Lichi –
लीची खाने के बहुत सारे फायदे हैं, जिससे आप अनजान हैं। लीची के पेड़ की छाल, बीज, पत्तों से लेकर फल के अनगिनत गुण हैं। लीची के बीज में विषनाशक और दर्द निवारक गुण होते हैं। लीची मुंह के रोग में लाभकारी होने के साथ डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद करती है। यहां तक कि इसके पत्तों में भी कीट-दंश-नाशक गुण होते हैं। चलिये लीची के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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अक्सर खान-पान में बदलाव होने या अन्य गड़बड़ी के कारण मुंह में छाले या अल्सर हो जाते हैं। इसी तरह कई लोगों के मुंह से दुर्गंध आने की समस्या भी हो जाती है। इसके लिए लीची के पेड़ की छाल बहुत लाभकारी होती है। लीची के पेड़ (Lychee plant) की जड़ या तने की छाल का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के रोग में फायदा पहुंचता है।
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आंतों के अस्वस्थ होने पर पेट में दर्द, एसिडिटी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसके साथ ही बदहजमी, दस्त, उल्टी आदि जैसी परेशानियां भी होने लगती हैं। इस स्थिति में लीची फल, मज्जा या गूदे (2-4 ग्राम) को कांजी में पीस लें। इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
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मौसम के बदलाव के कारण कभी-कभी गले में दर्द होने लगता है, जिसके कारण बुखार भी आ जाता है। इस बीमारी में लीची खाने से फायदा मिलता है। लीची के पेड़ की जड़, छाल और फूल का काढ़ा बना लें। इसे गुनगुना करके गरारा करें, इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है।
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इस बीमारी के कारण मरीज का अपने अंगों पर नियंत्रण नहीं रहता है। शरीर के अंग, जैसे- हाथ, पैर, चेहरा आदि बिना किसी कारण हरकत करने लगते हैं। आप लीची के गुण के फायदे अन्य कई बीमारियों में भी ले सकते हैं। लीची के बीज का प्रयोग तंत्रिका-तंत्र विकारों के इलाज में कर सकते हैं। इससे लाभ होता है।
आजकल की सुस्त जीवनशैली की वजह से मधुमेह के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। तनाव, नींद में कमी, जंक फूड का ज्यादा सेवन, या ज्यादा मीठा खाने से भी डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। लीची (litchi) के सेवन से मधुमेह के नियंत्रण में मदद मिलती है।
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इस बीमारी को अंग्रजी में स्मॉल पॉक्स कहते हैं। इस बीमारी में शरीर पर मसूर दाल के जैसे दाने निकल आते हैं। ये दाने, फुन्सियों का रूप ले लेते हैं। इन फुन्सियों में बहुत दर्द भी होता है, और इनके कारण बुखार भी आ जाता है। लीची के कच्चे फल का प्रयोग बच्चों के चेचक रोग की चिकित्सा (Lichi ke Fayde) में किया जाता है।
लीची प्रतिरक्षा में सहयोगी होती है, क्योंकि इसमें आपकी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का गुण उपस्थित होता है।
लीची का फल एवं उसकी पत्तियां दोनों ही कैंसर से लड़ने में सहयोगी होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण ये शरीर को रोगों से दूर रखने में सहयोगी होती है।
त्वचा को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से जो नुकसान पहुँचता है उससे बचने में पका हुआ लीची का फल फायदेमंद होता है, क्योंकि उसमे शीत और रोपण का गुण पाया जाता है जो कि स्किन से अल्ट्रावायलेट किरणों के प्रभाव को कम कर देता है।
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लीची में ऑलिगनॉल तत्त्व, फाइबर एवं जल तत्त्व होने के कारण ये शरीर से टोक्सिन को बाहर निकालने मदद करती है जिससे वजन नियंत्रित होता है साथ ही इसमें रेचन यानि लैक्सटिव का भी गुण पाया जाता है जो वजन को कम करने सहायक होता है।
लीची में त्वचा की नमी बनाये रखने का गुण पाया जाता है जिस से सिर की रुक्षता को कम करने में मदद मिलती है साथ ही ये बालो का रूखापन कम करके उनको बेजान और झड़ने से रोकती है।
आँखों में होने वाली अधिकतर समस्याएँ पित्त दोष के बढ़ने से होती है जैसे,आँखों में जलन। लीची में पित्तशामक गुण होने के कारण यह आँखों की समस्या में लाभ पहुँचाती है।
सर्दी जुकाम के वायरल के संक्रमण जैसी परेशानियों से भी लीची आपको बचाती है क्योंकि इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो आपके शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद करती है।
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लीची में उष्ण गुण होने के कारण पाचक अग्नि को ठीक कर यह पाचन क्रिया को मजबूत बनती है साथ ही इसमें रेचन गुण होने के कारण यह कब्ज जैसी परशानी से दूर रखती है, जो पाचन को स्वस्थ बनाये रखने में मदद करती है ।
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वायरल बीमारियां तब होती है जब आपकी पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण रोगों से लड़ने की शक्ति कमजोर हो जाती है, जिसके कारण आपका शरीर बीमारियों से लड़ने में असमर्थ होता है। लीची में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का गुण होता है साथ ही यह आपके पाचन को सुधारते हुए आपके शरीर को इस लायक बनाती है कि वह खुद इन बीमारियों से लड़ सके और स्वस्थ रहे।
लीची में एंटी-ऑक्सीडेंट एवं विटामिन सी होने के कारण यह आपको हृदयाघात यानी हार्ट अटैक जैसी स्थिति आने से बचने में सहयोगी होती है। इसमें विटामिन सी होने के कारण रक्त वाहिनियों को संकुचित होने से रोकती है जिसके कारण रक्त का संचार सामान्य बना रहता है साथ ही यह बल्य होने के कारण शरीर एवं हृदय को बल प्रदान करने में भी सहयोगी होती है।
रक्त के परिसंचरण के लिए भी लीची के एंटी-ऑक्सीडेंट और विटामिन सी गुण काफी उपयोगी होते है क्योंकि विटामिन सी में रक्त वाहिनियों को संकुचित होने से बचाने का गुण होता है जिसके कारण रक्त का संचार सामान्य बना रहता है साथ ही बल्य होने के कारण रक्त वाहिनियों को बल प्रदान करती है एवं उनमे रक्त के संचरण को सामान्य बनाये रखने में सहयोग देती है।
अंडकोष में दर्द और सूजन हो तो लीची के बीज से फायदा ले सकते हैं। लीची के बीज का काढ़ा बना लें। इसे 10-15 मिली मात्रा में पिएं। इससे अंडकोष के दर्द और सूजन से राहत मिलती है। इससे अंडकोष की जलन भी खत्म हो जाती है।
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लीची के कुछ अन्य फायदों (Lichi ke fayde) की बात की जाए तो यह कीड़ों के काटने के इलाज में भी सहायक है। कई बार छोटे-छोटे कीड़ों के काटने पर दर्द, जलन और सूजन हो जाती है। इस दर्द से राहत दिलाने में लीची बहुत काम आती है। लीची (Lychee) के पत्तों को पीस लें। इसे कीड़े के काटने वाले जगह पर लगाएं। इससे दर्द, जलन तथा सूजन और अन्य विषाक्त प्रभावों से छुटकारा मिलती है।
आयुर्वेद में लीची की छाल, बीज और पत्ते का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
आमतौर पर लीची (litchi fruit) का सेवन नीचे लिखी हुई मात्रा के अनुसार ही करना चाहिए। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए लीची का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
-10-15 मिली -लीची का काढ़ा
लीची (Lychee plant) भारत में मुख्यतः उत्तरी भारत जैसे- बिहार, आसाम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखण्ड, आंध्र प्रदेश एवं नीलगिरी क्षेत्रों में पाई जाती है। लीची के पेड़ घरों और बागीचों में भी लगाए जाते हैं।
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