Contents
सफेद मूसली (safed musli) को शक्तिवर्द्धक जड़ी बूटी माना जाता है, इसलिए आयुर्वेद में औषधि के रूप में इसका बहुत इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली की जड़ और बीज, विशेष रूप से औषधि के रूप में बहुत फायदेमंद होते हैं। इसकी जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि अत्यधित मात्रा में पाए जाते हैं। इस लेख में हम आपको सफेद मूसली के अनजाने गुणों के बारे में विस्तार से बतायेंगे|
मूसली (safed musli in hindi) के फूल सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ मोटी तथा गुच्छों में होती है। इसका कंद (bulb) मीठा, कामोत्तेजक और कफ को कम करने में मदद करता है। यह स्तनों में दूध को बढ़ाने में मदद करता है। यहां तक सफेद मूसली मोटापा या ओबेसिटी (obesity), अर्श या पाइल्स (piles), सांसों के रोग, खूनी की कमी या एनिमिया (anemia) में भी लाभ पहुंचाता है। आप इसका लाभ ह्रदय विकार (heart disease) तथा डायबिटीज (diabetes) जैसे रोगों में भी ले सकते हैं।
सफेद मूसली का वानस्पतिक नाम Chlorophytum borivilianum Santapau R.R.Fern. (क्लोरोफायटम बोरिबिलिएनम्) है। सफेद मूसली Liliaceae (लिलिएसी) कुल का है। सफेद मूसली दुनिया भर में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
Musli in –
सफेद मूसली (safed musli in hindi) सिर्फ एक बीमारी के लिए नहीं, बल्कि कई बीमारियों के लिए फायदेमंद होता है। आइए जानते हैं कि आप किन बीमारियों में सफेद मूसली के फायदे ले सकते हैंः-
माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए सफेद मूसली फायदे का लाभ उठाना चाहिए। इसके लिए सफेद मूसली का प्रयोग इस तरह से करना चाहिए। 2-4 ग्राम सफेद मूसली के चूर्ण में बराबर भाग मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
सफेद मूसली का सेवन करने पर दस्त की परेशानी से निजात मिल सकता है। 2-4 ग्राम सफ़ेद मूसली की जड़ के चूर्ण (swet musli patanjali) को दूध में मिला लें। इसका प्रयोग करने से दस्त, पेचिश तथा भूख की कमी जैसी परेशानियों में लाभ मिलता है।
पेट में गड़बड़ी, पेट दर्द, खाना ना खाने की इच्छा, दस्त जैसी समस्याएं होने पर सफेद मूसली का सेवन करें। इसके लिए सफेद मूसली के कंद के चूर्ण का सेवन करना चाहिए। 1-2 ग्राम कंद (bulb) के चूर्ण का सेवन करने से दस्त, पेट की गड़बड़ी, पेट दर्द और भूख ना लगने की समस्या ठीक होती है।
कई लोग को पेशाब करते समय दर्द होता है। इस रोग में मूसली बहुत फायदेमंद होता है। मूसली जड़ के चूर्ण को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे राहत मिलती है।
और पढ़ें: मूत्र संबंधी रोग में गोखरू के फायदे
सुजाक रोग में सफेद मूसली चूर्ण के फायदे ( Safed Musli Benefits in Gonorrhea in Hindi)
सुजाक एक तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन से संबंधित रोग है, जो यौन संपर्क के कारण होता है। अगर इसका समय पर इलाज ना किया गया तो नपुंसक होने की संभावना भी रहती है। सफेद मूसली के चूर्ण का सेवन करने से सुजाक में लाभ मिलता है।
ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली एक बीमारी है। इस रोग के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। आप सफेद मूसली का प्रयोग करके ल्यूकोरिया को ठीक करने में मदद पा सकते हैं। इसको ठीक करने के लिए 1-2 ग्राम सफेद मूसली के कंद चूर्ण का सेवन करें।
कभी-कभी असंतुलित आहार नहीं ले पाने, या फिर अन्य कारणों से लोगों को शारीरिक कमजोरी की शिकायत हो जाती है। इसमें सफेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से लाभ मिलता है। सफेद मूसली के कंद के 2-4 ग्राम चूर्ण में मिश्री मिला लें। इसे दूध के साथ सेवन करें। सफेद मूसली का उपयोग सामान्य कमजोरी तथा लिंग से संबंधित कमजोरी दूर करने में होती है।
गठिया के लिए सफेद मूसली बहुत फायदेमंद होता है। पतंजलि के अनुसार, सफेद मूसली के कंद (bulb) को पीसकर लगाने, या सफ़ेद मूसली चूर्ण का सेवन करने से गठिया के दर्द से आराम मिलता है।
और पढ़ें: अर्थराइटिस से दिलाये राहत अकरकरा
कई बार काम के तनाव के कारण, या किसी शारीरिक समस्या के कारण, या फिर दवा के साइड इफेक्ट के कारण सेक्स करने की इच्छा में कमी आ जाती है। सफेद मूसली के साथ, समान मात्रा में गुडूची सत्त्, कौंञ्च बीज, गोखरू, सेमलकंद, आँवला तथा शर्करा लें। इनका चूर्ण बना लें। इसे 2-4 ग्राम की मात्रा को घी तथा दूध में मिलाकर पीने से सेक्स करने की इच्छा बढ़ती है। पुरूषों के इस यौन समस्या में सफेद मूसली का उपयोग बहुत लाभकारी होता है।
आयुर्वेद में सफेद मूसली के कंद, जड़ और बीज का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।
बीमारी के लिए सफेद मूसली (swet musli patanjali) का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए सफेद मूसली का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
यह पश्चिमी हिमालय, पंजाब, उत्तराखण्ड में लगभग 1600 मीटर की ऊंचाई तक मिलता है। मध्य भारत में इसकी खेती की जाती है। दो तरह के पौधों का प्रयोग सफेद मूसली (swet musli) के लिए किया जाता है जो गुणों में लगभग समान होते हैं।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…