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पुदीना (Pudina) सबसे ज्यादा अपने अनोखे स्वाद के लिए ही जाना जाता है। पुदीने की चटनी (pudina chatni) न सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती है बल्कि स्वास्थ्यवर्द्धक भी होती है। आयुर्वेद में सदियों से पुदीने का इस्तेमाल औषधि के रुप में हो रहा है। सामान्य तौर पर पुदीने का उपयोग (pudina benefits in hindi), दंत-मंजन, टूथपेस्ट, चुइंगगम्स, माउथ फ्रेशनर, कैंडीज, इन्हेलर आदि में किया जाता है। इसके अलावा भी आयुर्वेद में पुदीने का प्रयोग अन्य रोगों के इलाज में भी होता है। चलिये पुदीने के बारे में विस्तार से आगे जानते हैं।
पुदीना का पौधा की कई प्रजातियां होती हैं, लेकिन औषधि और आहार के लिए मेंथा स्पीक्टा लिन्न( Mentha spicata Linn.) का ही प्रयोग किया जाता है। इस पुदीने को पहाड़ी पुदीना भी कहा जाता है; क्योंकि यह पहाड़ी इलाके में अधिक होता है। आयुर्वेद के अनुसार, पुदीना (dried mint) कफ और वात दोष को कम करता है, भूख बढ़ाता है। आप पुदीना का प्रयोग मल-मूत्र संबंधित बीमारियां और शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए भी कर सकते हैं। यह दस्त, पेचिश, बुखार, पेट के रोग, लीवर आदि विकार को ठीक करने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।
पुदीना का पौधा का वानास्पतिक नाम (botanical name of mint)) (Mentha spicata Linn. (मेन्था स्पाइकेटा) Syn-Mentha viridis Linn. है, और यह Lamiaceae (लेमिएसी) कुल का है। पुदीना को दुनिया भर में अनेक नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-
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बहुत कम लोगों को ही पता है कि पुदीना ऐसी जड़ी बूटी है जो औषधि के रुप में काम करती है। लेकिन यह किन-किन बीमारियों में और कैसे काम आता है , चलिये इनके बारे में विस्तार से जानते हैंः-
पुदीना अपने वातशामक गुण के कारण बालों के रूखेपन को कम करने में सहयोग देता है । ऐसा होने से बालों की रूसी एवं उनका बेजान होकर झड़ना या टूटना कम होता है, जिससे बाल प्राकृतिक रूप से बढ़ने लगते हैं।
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कान संबंधी समस्याओं जैसे कान दर्द आदि में पुदीना के लाभ से जल्दी आराम मिलता है। कभी-कभी ठंड लगने पर या कान में पानी चले जाने पर कान में दर्द होने लगता है। ऐसे में पुदीना का रस कान में डालने से आराम मिलता है। आपको पुदीना के पत्ते का रस निकालना है, और इसे 1-2 बूंद कान में डालना है।
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अक्सर देखा गया है की पाचन शक्ति ख़राब होने के कारण सर में दर्द होता है । पुदीने की चाय ऐसे में बहुत फायदेमंद सिद्ध हो सकती है, क्योंकि यह अपने दीपन – पाचन गुण के कारण खाने को अच्छी प्रकार से हजम करने में मदद करती है, जिससे आपका पाचन तंत्र मजबूत होता है ।
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मुंह के छाले की परेशानी में पुदीने के पत्ते का काढ़ा बना लें। इससे गरारा करने से मुंह के छाले की समस्या ठीक होती है।
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दाँत दर्द की समस्या किसे नहीं होती। पुदीने के पत्ते का चूर्ण बनाकर दांत को मांजने से दांतों का दर्द कम होता है। पुदीने के औषधीय गुण (pudina ke fayde) दाँत दर्द को कम करने में मदद करते हैं। पुदीना के लाभ दर्द से राहत दिलाने में बहुत मदद करता है।
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ठंड लगने पर सांस की नली अक्सर सूज जाती है और फिर गले में दर्द होने लगता है। इससे आराम पाने के लिए पुदीने के पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली सेवन करने से सांस की नली की सूजन से आराम मिलती है।
अक्सर पेट में गड़बड़ी होने पर अपच की समस्या होती है। इसमें नींबू, पुदीना तथा अदरक के 100-100 मिली रस लें। इसमें दोगुना (200 ग्राम) खांड़ मिला लें। इसे चांदी के बर्तन में पका लें। इस काढ़ा को 20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच की समस्या ठीक होती है।
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कभी-कभी दवा के कारण, या लंबे समय से बीमार रहने के कारण भूख कम लगने लगती है। अगर आप भी इस समस्या से ग्रस्त हैं तो इसके लिए 6-6 ग्राम वृक्षाम्ल, पुदीना, सोंठ तथा मरिच, 50 मिली अनार का रस लें। इसके साथ ही, 3 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम लौंग, 3 ग्राम बड़ी इलायची, 18 ग्राम सेंधा नमक और 35 ग्राम जीरा लें। इनकी जितनी मात्रा हुई, उतनी मात्रा में ही इसमें मिश्री मिला लें। इसका चूर्ण बना लें। इसे 1-5 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे भूख ना लगने की परेशानी ठीक होती है।
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उल्टी को रोकने के लिए पुदीना का सेवन करना लाभ पहुंचाता है। अक्सर एसिडिटी होने पर, या दवा के साइड इफेक्ट के कारण, या फिर अन्य कारणों से भी उल्टी होने लगती है। अगर आप भी उल्टी की परेशानी से ग्रस्त हैं तो पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से उल्टी बन्द हो जाती है।
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सामान्य तौर पर पेट की गड़बड़ी खान-पान में बदलाव की वजह से होता है। 10-15 मिली पुदीना के काढ़े में नमक तथा मरिच मिला लें। इसे पीने से पेट का रोग ठीक होता है। कभी-कभी जंक फूड खाने या मसालेदार खाना खाने से बदहजमी हो जाती है और पेट में दर्द होने लगता है। पुदीना का काढ़ा या पुदीना की चाय बनाकर पिलाने से आराम मिल जाता है।
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पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे अपच और दस्त की समस्या ठीक होती है।
पुदीना अपने वात -कफ शामक गुण के कारण अस्थमा में भी लाभदायक होता है । इसकी तासीर गर्म होने के कारण फेफड़ों में जमे बलगम को पिघला कर उसे बाहर निकालने में सहायता करती है । इससे इस बीमारी के लक्षणों के कम होने में सहायता मिलती है ।
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अगर पेशाब करते वक्त दर्द या जलन होता है पुदीने का इस तरह सेवन करने से लाभ मिलेगा। 500 मिग्रा पुदीना के पत्ते में 500 मिग्रा काली मिर्च को पीस लें। इसे छानकर मिश्री मिलाकर पुदीना की चाय की तरह पिएं। इससे मूत्र विकार ठीक होते हैं।
पुदीना के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली की मात्रा में पीने से गठिया का दर्द कम होता है।
श्लीपद या हाथीपांव होने पर पैर हाथी की तरह फूल जाता है, और दर्द के कारण चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। हाथीपांव के दर्द से राहत पाने के लिए पुदीना का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली की मात्रा में सेवन करें।
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पुदीना के पत्ते को पीसकर लेप लगाने से ना सिर्फ घाव से आने वाला दुर्गंध कम होता है, बल्कि घाव भी जल्दी भरता है। इसके अलावा पुदीना के पंचांग का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से भी घाव जल्दी भरता है।
रैशेज, मुंहासे या घाव होने पर त्वचा पर काले-धब्बे पड़ जाते हैं। इससे छुटकारा पाने के लिए पुदीना के पत्तों को पीस लें। इसे दाग वाले जगह पर लगाने से काले धब्बे मिट जाते हैं। त्वचा संबंधी किसी भी समस्या में पुदीना के फायदे (pudina ke fayde)असरदार तरीके से काम करते हैं।
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मासिक धर्म में दर्द और ऐंठन यानि क्रैम्प का कारण बढ़ा हुआ वात दोष होता है । पुदीना के सेवन से हम इस दर्द और ऐंठन को दूर कर सकते हैं, क्योंकि इसमें वातशामक और उष्ण गुण होते है जो दर्द और ऐंठन में राहत देते हैं।
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मौसम के बदलाव के कारण बुखार आने पर पुदीना के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे बुखार ठीक हो जाता है। इसके अलावा पुदीने की चटनी बनाकर खिलाने से भी बुखार, और बुखार के कारण होने वाली भूख की कमी ठीक होती है। पुदीना के औषधीय गुण बुखार से जल्दी आराम दिलाने में मदद करते हैं।
शरीर की जलन से छुटकारा पाने के लिए पुदीने के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसे 15 मिली पीने से जलन कम होता है। शरीर के जलन को कम करने में पुदीना के औषधीय गुण ( pudina ke fayde) फायदेमंद तरीके से काम करता है।
अगर शरीर के किसी अंग में सूजन के कारण दर्द हो रहा है तो पुदीने का प्रयोग इस तरह करने से आराम मिलता है। सूजन होने पर सूखा पुदीना के पत्ते का सिरके में पीस लें। इसका लेप करने से कफ दोष के कारण होने वाली सूजन ठीक होती है।
बिच्छु के काटने पर जो दर्द और जलन होता है, उससे राहत दिलाने में पुदीना मदद करता है। इसके लिए सूखा पुदीना के पत्तों को पीस लें। जिस जगह पर बिच्छु ने काटा है, वहां लगाने से दर्द और जलन कम होता है।
बीमारी के लिए पुदीना का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए पुदीना का उपयोग कर रहे हैं, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
पुदीना के अधिक सेवन से ये साइड इफेक्ट भी हो सकते हैंः-
भारत में प्रायः सभी स्थानों पर पुदीना की खेती की जाती है। यह बाग-बगीचों तथा घरों में भी लगाया जाता है। ईरान तथा अरब आदि देशों में पुदीना का इस्तेमाल बहुत सालों से किया जा रहा है।
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