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जो लोग पान खाते हैं या पूजा-पाठ के लिए पान को प्रयोग में लाते हैं, वे सुपारी (Betel nut in Hindi) के बारे में भी जरूर जानते होंगे। पान के साथ-साथ सुपारी का प्रयोग गुटखा-तंबाकू आदि के लिए भी किया जाता है। सच यह है कि अधिकांश लोग सुपारी को केवल इन्हीं चीजों के उपयोग के लिए जानते होंगे, लेकिन असलियत सिर्फ इतना नहीं है। आयुर्वेदिक किताबों के अनुसार, सुपारी एक गुणी औषधि है। आप सुपारी के फायदे भिन्न-भिन्न रोगों की रोकथाम या इलाज में ले सकते हैं। शायद आप भी सुपारी खाने के फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे।
पतंजलि में अनुसार, सुपारी एक जड़ी-बूटी है, जिसके इस्तेमाल से रोगों को ठीक करने में मदद मिलती है। सुपारी के इस्तेमाल से कई बीमारियों को इलाज भी किया जा सकता है। आइए सुपारी के फायदे के बारे में जानते हैं।
सुपारी एक जड़ी-बुटी है। देश और भिन्नता के आधार पर सुपारी कई प्रकार की होती हैं। इसकी मुख्यतः दो प्रमुख प्रजातियां प्रचलित हैं, जो ये हैंः-
सुपारी का वृक्ष, ताड़ एवं नारियल के समान ऊंचा होता है। इसका तना सीधा, चिकना, छल्लेदार होता है। इसके पत्ते बड़े, नारियल के पत्तों के समान लम्बे होते हैं। इसके फल चिकने, नारंगी रंग के होते हैं। पक जाने पर फल, गहरे नारंगी रंग का और अण्डाकार होता है। इसी फल के अन्दर सुपारी होती है।
सुपारी का वानस्पतिक नाम ऐरेका केटेचू (Areca catechu Linn, Syn-Areca hortensis Lour) है और यह एरिकेसी (Arecaceae) कुल से है। सुपारी को दुनिया भर में कई नामों से जाना जाता है जो ये हैंः-
Supari in-
अब तक आपने जाना कि सुपारी (areca nut) क्या है, और इसे किस-किस नाम से जाना जाता है। अब जानते हैं कि सुपारी का आयुर्वेदीय गुण-कर्म क्या है, इसका औषधीय प्रयोग कैसे किया जाता है, और इसकी विधियां क्या हैंः-
अनेक लोगों को आंतों से जुड़ी परेशानी होती रहती है। आंतों के रोग को ठीक करने के लिए, 1-4 ग्राम सुपारी के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करें। इससे आंतों के रोग में फायदा होता है।
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सुपारी खाने के फायदे दस्त में भी मिलते हैं। इसके लिए पांच हरे सुपारी फल को धीमी आग में पकाएं। जब अन्दर की ओर जलने लगे, तब इसे निकालकर, काटकर प्रयोग करें। इससे दस्त में लाभ होता है।
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बराबर-बराबर भाग में अपांप्म, सुपारी, और कुछ कम मात्रा में स्फटिक को मिला लें। इन्हें नींबू के रस में घोल लें। इसे रस को एक-एक बूंद आंखों में डालने से आंखों की लालिमा की परेशानी ठीक होती है।
सुपारी खाने के फायदे ल्यूकोरिया में भी मिलते हैं। ल्यूकोरिया में लाभ लेने के लिए सुपारी पाक (supari pak) का प्रयोग करना बेहतर होता है।
जो महिलाएं मासिक धर्म संबंधी विकार से पीड़ित हैं, उन्हें सुपारी पाक का सेवन करना चाहिए। इससे मासिक धर्म के विकारों में राहत मिलती है।
मूत्र रोग जैसे पेशाब रुक-रुक आना, बार-बार पेशाब आना, या पेशाब में चीनी आना आदि में सुपारी (betel nut in hindi) का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए सुपारी, तथा खदिर की छाल का काढ़ा बना लें। काढ़ा के 10-30 मिली मात्रा में शहद मिलाकर पिलाने से मूत्र रोग में लाभ होता है।
शुक्राणु रोग में भी सुपारी खाने के फायदे मिलते हैं। इसमें 6 ग्राम सुपारी के फूल के चूर्ण में, 3 ग्राम चीनी मिलाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे शुक्राणु रोग में लाभ होता है।
सुपारी के चूर्ण को सिफलिस के घाव पर लगाने से घाव तुरंत ठीक हो जाता है। इस दौरान आपको रोज घाव पर सुपारी के फल के पेस्ट का लेप करना जरूरी है। इस उपाय के दौरान जौ से बने भोजन का सेवन करना है।
त्वचा रोग को ठीक करने के लिए सुपारी के फल को पीसकर लेप करें। इससे त्वचा के घाव, और त्वचा के अन्य विकार ठीक होते हैं।
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आप सुपारी का इस्तेमाल चेचक जैसी बीमारी में भी कर सकते हैं। 1-2 ग्राम सुपारी के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। सुपारी खाने के फायदे में एक यह भी है।
गंजापन बहुत लोगों की समस्या है, जिसके लिए लोग बहुत सारे उपाय आजमाते हैं। गंजेपन में सुपारी का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। इसके लिए बराबर-बराबर भाग में नीलकमल, बहेड़ा फल मज्जा, तिल, तथा अश्वगंधा लें। इसमें आदा भाग प्रिंगु फूल, तथा सुपारी की छाल मिलाकर, पीस लें। इससे लेप करने से गंजेपन की समस्या में लाभ होता है।
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शल्लकी, और सुपारी का काढ़ा बना लें। इसे तेल में मिलाकर मालिश करें। इससे 21 दिनों में वात रोग से पीड़ित रोगी स्वस्थ होने लगते हैं।
सुपारी के पत्ते के रस को तेल में मिलाकर, कमर पर मालिश करने से कमर दर्द ठीक हो जाता है।
सुपारी का प्रयोग इस तरह किया जा सकता हैः-
आप सुपारी का इस्तेमाल निम्न मात्रा में कर सकते हैंः-
अगर आप सुपारी के प्रयोग से रोगों में लाभ लेना चाहते हैं, तो बेहतर परिणाम के लिए सुपारी का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्श लेकर करें।
सुपारी की खेती समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में की जाती है। पूरे भारत के समुद्र-तटवर्ती क्षेत्रों में बहुलता से सुपारी के वृक्ष (arecanut tree) पाए जाए हैं।
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