शहतूत (Mulberry) का फल खाने में जितना स्वादिष्ट होता है उतना ही इससे शरीर को लाभ भी होता है। आप शहतूत को खाते जरूर होंगे, लेकिन इसके गुणों के बारे में ज्यादा जानते नहीं होंगे। शहतूत एक जड़ी-बूटी भी है, और शहतूत के कई सारे औषधीय गुण हैं। आप कब्ज, मुंह के छाले की परेशानी, दस्त, कंठ के सूजन, आवाज बैठने और कंठ की जलन में शहतूत के इस्तेमाल से फायदे (Mulberry benefits and uses) ले सकते हैं। इतना ही नहीं, बदहजमी, पेट के कीड़े, पाचन-तंत्र विकार, और मूत्र रोग आदि रोगों में भी शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में शहतूत के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपको जानना जरूरी है। आप एडियों के फटने (बिवाई) पर, खुजली, और त्वची संबंधी बीमारियों में शहतूत के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। इसके अलावा शारीरिक जलन या शारीरिक कमजोरी में भी शहतूत से लाभ मिलता है। आइए यहां शहतूत के सेवन या उपयोग करने से होने वाले फायदे और नुकसान (Mulberry side effects) के बारे में जानते हैं।
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शहतूत की दो प्रजातियां पाई जाती हैं।
शहतूत का वृक्ष लगभग 3-7 मीटर ऊँचा, मध्यमाकार होता है। इसके तने गहरे भूरे रंग के, खुरदरे, और दरारयुक्त होते हैं। इसके पत्ते सीधे, और विभिन्न आकार के होते हैं। पत्ते 5-7.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार या चौड़े अण्डाकार के होते हैं।
इसके फूल हरे रंग के होते हैं। इसके फल लगभग 2.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार अथवा लगभग गोलाकार होते हैं। ये कच्च्ची अवस्था में सफेद रंग के होते हैं, और पक जाने वाले लगभग हरे-भूरे या फिर गहरे-बैंगनी रंग के होते हैं। शहतूत के वृक्ष में फूल और फल जनवरी से जून के बीच होता है।
यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (White Mulberry benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
शहतूत का वानस्पतिक नाम Morus alba Linn. (मोरस ऐल्बा) Syn-Morus tatarica Linn. है और यह Moraceae (मोरेसी) कुल का है। शहतूत को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Mulberry in –
शहतूत के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
शहतूत मधुर, कषाय, अम्ल, शीत, गुरु, पित्तवातशामक, सर, वृष्य, बलकारक, दाह-प्रठीक, दीपन, ग्राही और वर्णकारक होता है। यह दाह और रक्तपित्तनाशक होता है। इसका पक्व फल मधुर शीत गुरु और पित्तवातशामक होता है।
इसका पक्वफल बलकारक, वर्णकारक, अग्निवर्धक, मलरोधक और रक्तविकार-शामक होता है। इसका अपक्व फल गुरु, सर, अम्ल, उष्ण और रक्तपित्तकारक होता है। इसकी छाल (छाल्) कृमिनिसारक, विरेचक, वेदनाहर, मूत्रल, कफनिस्सारक, शोथहर, प्रशामक, आक्षेपहर और बलकारक होती है।
शहतूत के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
आप कब्ज की समस्या में शहतूत का सेवन कर लाभ ले सकते हैं। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से कब्ज में बहुत लाभ होता है।
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मुंह में छाले होना एक ऐसी बीमारी है जिससे लोग बार-बार पीड़ित होते हैं। शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इसके साथ ही शहतूत के पत्ते को चबाएं। इससे मुंह के छाले खत्म होते हैं।
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टॉन्सिल के कारण व्यक्ति को कुछ भी खाने-पीने में दिक्कत होने लगती है। आप टॉन्सिल की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे टॉन्सिल (कण्ठमाला) रोग में लाभ होता है।
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कंठ की सूजन में भी शहतूत के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। शहतूत के फलों का सेवन करें। इससे कंठ की सूजन की समस्या ठीक होती है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
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5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करें। इससे सीने की जलन, बदहजमी, पेट के कीड़े और दस्त की समस्या आदि में लाभ होता है।
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शहतूत के फलों का शर्बत बना लें। इसमें 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण डालकर पिएं। इससे पाचन-तंत्र से जुड़ी समस्या ठीक होती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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शहतूत के फल के रस में कलमी शोरा को पीस लें। इसे नाभि के नीचे लेप करें। इससे मूत्र रोग जैसे पेशाब करते समय जलन होना, पेशाब रुक-रुक कर होने आदि में फायदा मिलता है।
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अनेक पुरुष या महिलाओं के पैरों की एड़ियां फट जाती हैं। कई बार एड़ी फटने (बिवाई) पर किए गए उपया से लोगों को फायदा नहीं मिलता है। आप ऐसे में शहतूत के बीजों को पीस लें। इसे पैरों पर लगाएं। इससे पैरों की बिवाइयों खत्म होती है।
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दस्त पर रोक लगाने के लिए भी शहतूत का सेवन फायदेमंद होता है। 5-10 मिली शहतूत फल के रस का सेवन करने से दस्त पर रोक लगती है।
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शहतूत की छाल के चूर्ण में नींबू का रस मिला लें। इसे घी में तलकर दाद पर लगाएं, और कपड़े से पट्टी बाँध दें। ऐसा लगातार 15 दिनों तक करें। 15 दिनों में दाद और दाद के कारण होने वाली खुजली ठीक होती है।
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त्वचा संबंधित अनेक रोगों में शहतूत के औषधीय गुण से लाभ मिलता है। त्वचा रोग होने पर शहतूत के पत्ते को पीस लें। इसका लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है।
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पित्त दोष के कारण होने वाले मैनिया में भी शहतूत के फायदे मिलते हैं। ब्राह्मी के 10-20 मिली काढ़ा में 5-10 मिली शहतूत फल के रस को मिला लें। इसे पिलाने से मैनिया रोग में लाभ होता है।
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कई पुरुष या महिलाओं को शरीर में जलन की शिकायत रहती है। शरीर की जलन होने पर शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे जलन खत्म होती है। अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें।
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अधिक प्यास लगने की समस्या में शहतूत के फलों का शर्बत बनाकर पिएं। इससे अत्यन्त प्यास लगने की परेशानी में बहुत फायदा होता है।
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शारीरिक कमजोरी को दूर करने के लिए सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिला लें। इसकी रोटी बनाकर खाएँ। इससे शारीरिक कमजोरी खत्म होती है, और शरीर स्वस्थ बनता है।
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शहतूत के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
शहतूत को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
जड़ की छाल का काढ़ा– 5-10 मिली
यहां शहतूत के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Mulberry benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप शहतूत के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए शहतूत का सेवन करने या शहतूत का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
भारत में शहतूत पंजाब, कश्मीर, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी-पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है। यह चीन में भी पाया जाता है। शहतूत की खेती जापान, पाकिस्तान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, वियतनाम एवं सिंधु के उत्तरी भागों में कृषि होती है।
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