क्या आपने पहले कभी उस्तूखूदूस (Ustukhuddus) नाम सुना या पढ़ा है? शायद ही कभी सुना होगा। दरअसल नाम से अजीब-सा लगने वाला उस्तूखूदूस एक प्रकार का प्राचीन औषधि है। आयुर्वेद में उस्तूखूदूस के औषधीय गुणों के बारे में कई बातें लिखी गई है। आयुर्वेद के अनुसार, पेट दर्द, छाती के रोग, सांस संबंधी बीमारी के इलाज में उस्तूखूदूस के फायदे मिलते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि और भी अनेक रोगों में उस्तूखूदूस के सेवन से लाभ मिलता है।
आइए यहां विस्तार से जानते हैं कि किन-किन रोगों में उस्तूखूदूस के फायदे मिलते हैं और उस्तूखूदूस का उपयोग कैसे कर सकते हैं।
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उस्तखुदूस कड़वा, गर्म प्रकृति का और तीखा होता है। उस्तूखूदूस नाम से मुख्यतः दो प्रजातियां 1. Lavandulastoechas Linn. तथा 2. Prunella vulgaris L. हैं जिनका प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
उस्तखुदूस के गुणों के आधार पर यह शरीर से कफ और वात के स्तर को कम करने के साथ-साथ लीवर को सही तरह से काम करने में भी मदद करता है। इसके अलावा उस्तखुदूस दर्द, मानसिक थकान, अवसाद या डिप्रेशन, सूजन, पेट दर्द से राहत दिलाने भी सहायता करता है। यहाँ तक कि उस्तखुदूस हृदय रोग और खाने में रुचि बढ़ाने में भी लाभकारी होता है।
उस्तखुदूस का वानस्पतिक नाम Lavandula stoechas Linn. (लैवेन्डुला स्टूकस) Syn-Stoechas officinarum Mill होता है। उस्तखुदूस Lamiaceae (लेमिएसी) कुल का है। उस्तखुदूस का अंग्रेजी नाम Arabian or French lavender (अरेबियन अथवा प्रैंच लेवेन्डर) है। लेकिन भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से उस्तखुदूस को पुकारा जाता है, जैसे-
Ustukhudus in-
Hindi-धारू, फूल्लरी (उत्तराखण्ड);
Urdu-उस्तूखुदूस (Ustukhudusa), उल्फाजन (Ulfajan);
Kashmiri-काले वेओथ (Kale weouth);
Gujrati-लेवेन्डेरा–नो-फुल (Lavendra-no-phul);
Bengali-टुन्टुना (Tuntuna);
Tamil-पानिरप्पू (Pannirppu);
Marathi-उस्तूखुदूस (Ustukhudusa)।
English-हील ऑल (Heal-all);
Arbi-अनिसफल अरवाह (Anisul arwah), मुक्सिकुल् अखाह (Mukiskul akhah), उस्तूखूदूस (Ustookhuddus), हालहल (Halhal), मेहार्गा (Meharga);
Persian-अल्फाजान (Alfazaan), जारूब दिमागह (Jarub dimagh), उस्तखुदूस (Ustkhuddus)।
अब तक आपको उस्तखुदूस के बारे में संक्षिप्त परिचय मिला। औषधीय उपयोग की दृष्टि से उस्तूखूदूस के पत्ते, तेल और फूल बहुत गुणकारी होते हैं। आइए अब ये जानते हैं कि उस्तखुदूस किन-किन बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है।
अगर किसी को सांस लेने में परेशानी होती है तो घरेलू उपाय के रुप में उस्तखुदूस का सेवन इस विधि से करने पर आराम मिल सकता है। उस्तूखूदूस के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से सांस संबंधी समस्या में लाभ मिलता है।
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छाती में दर्द बहुत सारे वजहों से हो सकता है। इसलिए छाती में दर्द होने पर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर आपको छाती में दर्द हो रहा है तो उस्तूखूदूस का इस्तेमाल फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए उस्तूखूदूस के फूलों को पीसकर छाती पर लगाने से दर्द कम होता है।
खाने में गड़बड़ी हो या एसिडिटी किसी भी कारण पेट में दर्द होने पर घरेलू या आयुर्वेदिक उपचार ही सबसे पहले किया जाता है। उस्तूखूदूस के पत्ते का सेवन इस विधि से करने पर राहत मिल सकती है।
-10 मिली उस्तूखूदूस पत्ते के रस में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर पिलाने से पेट के दर्द से आराम मिलता है।
– इसके अलावा उस्तेखुद्दूस के पत्तों को पीसकर पेट पर लगाने से पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी का असर खान-पान पर पड़ता है। जिसके कारण बवासीर, कब्ज जैसी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। बवासीर होने पर दर्द सबसे कष्टदायक होता है, उससे आराम पाने के लिए उस्तूखूदूस को आजमा कर देख सकते हैं-
-उस्तूखूदूस के पत्तों को अरंडी के तेल के साथ पीसकर अर्श या पाइल्स के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।
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उस्तूखूदूस मिर्गी या अपस्मार के मरीजों के लिए बहुत ही गुणकारी होता है।
-उस्तूखूदूस को जल या शहद के साथ पीसकर छानकर रस निकाल लें। उसके बाद उसका 1-2 बूंद रस नाक में लेने से अपस्मार के कष्ट में लाभ होता है।
आजकल रूमेटाइड अर्थराइटिस किसी भी उम्र में हो सकता है। अगर आप भी जोड़ो के दर्द से परेशान रहते हैं तो उस्तूखूदूस के फूलों का पेस्ट लगाकर देख सकते हैं।
-उस्तूखूदूस के फूलों को पीसकर जोड़ों में लगाने से जोड़ो के दर्द से राहत मिलती है।
मरीज के बेहोश होने पर उस्तूखूदूस उपचारस्वरुप फायदेमंद साबित हो सकता है। इसके लिए उस्तूखूदूस का सही तरह से इस्तेमाल करना जरूरी होता है।
-उस्तूखूदूस को पीसकर सिर पर लगाने से बेहोशी दूर होती है।
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अगर आप अल्सर से पीड़ित हैं और घाव सूखने का नाम ही नहीं ले रहा है तो उस्तूखूदूस को आजमा कर देखिये।
-उस्तूखूदूस पञ्चाङ्ग को पीसकर अल्सर के घाव पर लगाने से वह जल्दी भर जाता है।
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आयुर्वेद के अनुसार, आप उस्तूखूदूस के इन भागों का उपयोग कर सकते हैंः-
बीमारी के लिए उस्तूखूदूस के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए उस्तूखूदूस का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार –
-20-40 मिली उस्तूखूदूस के काढ़े का सेवन कर सकते हैं।
पित्त प्रधान व्यक्तियों को उस्तूखूदूस का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके सेवन से ये साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं-
उस्तूखूदू फेफड़े को भी हानि पहुँच सकता है। इन प्रभावों को कम करने के लिए शर्बत बनाकर उसमें नींबू डालकर पिएं। इसका प्रयोग नवजात शिशुओं, बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदेह होता है।
यह औषधि हिमालय के समशीतोष्ण भागों में कश्मीर से भूटान तक, नीलगिरी तथा उत्तरी भारत में बहुतायत मात्रा में पाया जाता है। इसका पौधा जाड़े के दिनों में पहाड़ों की तलहटी में उत्पन्न होता है। यह तीव्र गन्धयुक्त होता है।
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